प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की वृद्धि गाथा का हिस्सा बनने के लिए वैश्विक कंपनियों को किया आमंत्रित
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वैश्विक कंपनियों का भारत की वृद्धि गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि देश दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025' को संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी केवल सुविधा का साधन नहीं, बल्कि समानता का माध्यम भी है। उन्होंने कहा, ‘‘इस समावेशी दृष्टिकोण ने भारत की बैंकिंग प्रणाली को बदल दिया है। पहले बैंकिंग एक विशेषाधिकार थी, लेकिन डिजिटल प्रौद्योगिकी ने इसे सशक्तीकरण का साधन बना दिया है। आज डिजिटल भुगतान हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा है और इसका श्रेय ‘जैम तिकड़ी' यानी जन धन, आधार और मोबाइल को जाता है।'' मोदी ने कहा कि भारत की वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षमता को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अन्य देशों के साथ प्रौद्योगिकी साझा कर रहा है, बल्कि इसे विकसित करने में भी उनकी मदद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सभी देशों, खासकर ब्रिटेन को भारत के साथ साझेदारी के लिए आमंत्रित करता हूं। सभी वैश्विक निवेशक भारत की वृद्धि गाथा का हिस्सा बनें। हमें ऐसा फिनटेक विश्व बनाना है जहां प्रौद्योगिकी, लोग और धरती सबका समान रूप से विकास हो। नवाचार का लक्ष्य केवल वृद्धि नहीं, बल्कि अच्छाई भी होना चाहिए और वित्त का मतलब सिर्फ संख्या नहीं बल्कि मानव प्रगति भी है।''
भारत के फिनटेक समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्वदेशी समाधान वैश्विक प्रासंगिकता प्राप्त कर रहे हैं। चाहे वह क्यूआर नेटवर्क हो, ओपन कॉमर्स हो या ओपन फाइनेंस फ्रेमवर्क, हमारे स्टार्टअप वृद्धि को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है।'' मोदी ने कहा कि इस वर्ष के पहले छह महीनों में, भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन सबसे अधिक वित्त पोषित वित्तीय प्रौद्योगिकी परिवेश में शामिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि भारत का डिजिटल ढांचा एक नए खुले परिवेश को जन्म दे रहा है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) छोटे दुकानदारों और एमएसएमई के लिए वरदान साबित हो रहा है, जिससे उन्हें नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है।'' उन्होंने कहा कि इसी तरह, ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (कर्ज के लिए डिजिटल परिवेश) ने छोटे उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच को आसान बना दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जो कर रहा है, वह खासकर ‘ग्लोबल साउथ' के देशों के लिए उम्मीद की किरण है। भारत अपने डिजिटल नवाचार के माध्यम से दुनिया में डिजिटल सहयोग और डिजिटल साझेदारी को बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम वैश्विक जनहित के लिए अपने अनुभव और ‘ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म' (सार्वजनिक रूप से सुलभ) दोनों को साझा कर रहे हैं।'' प्रधानमंत्री ने कृत्रिम मेधा (एआई) के बारे में कहा कि आज दुनिया में एआई के लिए विश्वास और सुरक्षा नियमों को लेकर बहस चल रही है। हालांकि, भारत ने इसके लिए पहले ही एक भरोसे की परत बना ली है और भारत का एआई मिशन डेटा और गोपनीयता दोनों मुद्दों को संभालने की क्षमता रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा नैतिक एआई के लिए एक वैश्विक ढांचे का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा, ‘‘हम जब लोकतंत्र की बात करते हैं तो यह केवल चुनाव या नीति निर्माण तक सीमित नहीं है। भारत ने लोकतांत्रिक भावना को शासन का मजबूत स्तंभ बनाया है। इसका सर्वोत्तम उदाहरण प्रौद्योगिकी है।'' उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत ने प्रौद्योगिकी का लोकतांत्रीकरण किया है और आज भारत सर्वाधिक प्रौद्योगिकीय रूप से समावेशी समाज में से एक है। इस अवसर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने कहा कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दोनों देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ावा देगा। स्टार्मर ने व्यापक आर्थिक व्यापार समझौते (सीईटीए) को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, ‘‘इससे हमारे सकल घरेलू उत्पाद में अरबों पाउंड, आपके सकल घरेलू उत्पाद में सैकड़ों अरब रुपये और वेतन में भी अरबों रुपये जुड़ेंगे।'' उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से यह ब्रिटेन द्वारा किया गया सबसे बड़ा समझौता है और ‘‘मुझे लगता है कि यह कहना उचित होगा कि यह भारत द्वारा किया गया अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है।'' स्टार्मर ने कहा कि यह व्यापार समझौता अतुलनीय अवसरों का वादा करता है।
ब्रिटेन और भारत को स्वाभाविक साझेदार बताते हुए, स्टार्मर ने कहा, ‘‘हम दोनों फिनटेक में विश्व में अग्रणी हैं। हमारे पास दुनिया में दूसरे और तीसरे सबसे बड़े फिनटेक क्षेत्र हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले चार वर्षों में ही हमारी व्यापारिक सेवाएं दोगुनी हो गई हैं और अब हमारा व्यापार समझौता हमें और भी आगे बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि वित्त और फिनटेक के लिए ब्रिटेन आपका नंबर एक पसंदीदा साझेदार बने।''
इस मौके पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘‘फिनटेक वास्तव में एक बदलावकारी शक्ति है जो वित्त का लोकतांत्रीकरण करके और हमारे नागरिकों और कंपनियों को सशक्त बनाकर भारत और ब्रिटेन दोनों में हमारी अर्थव्यवस्थाओं को आकार दे रही है। ब्रिटेन और भारत, फिनटेक स्टार्टअप की संख्या और इस क्षेत्र में आने वाले निवेश के पैमाने के मामले में शीर्ष देशों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में भारत-ब्रिटेन साझेदारी पहले से ही एक बहुत मजबूत आधार पर टिकी हुई है। ‘‘फिनटेक में हमारे दोनों देशों के बीच तालमेल भी स्पष्ट है। हम भारत में ब्रिटेन की कई फिनटेक कंपनियों को आते देख रहे हैं, जो अभिनव सीमापार भुगतान समाधान प्रदान करने के लिए यूपीआई के साथ एकीकृत हो रही हैं।'' मल्होत्रा ने कहा कि भविष्य में सहयोग और साझेदारी के काफी अवसर हैं।उन्होंने कहा, ‘‘ये सहयोग द्विपक्षीय लाभों से परे भी लाभ प्रदान कर सकते हैं। ये वैश्विक स्तर पर डिजिटल वित्त में समावेश, दक्षता और विश्वास के लिए नए मानक स्थापित कर सकते हैं।'









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