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ऑपरेशन सिंदूर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण: राजनाथ

 पुणे.  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर' को भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण बताते हुए कहा कि इस मिशन के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल किए गए अधिकतर उपकरण स्वदेशी थे। सिंह ने कहा कि भारत ने अब ‘‘उस बाधा को तोड़ दिया है'' जो आजादी के बाद से बनी हुई थी और सरकार ने देश के भीतर हथियारों के निर्माण को जोर शोर से बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रक्षा उत्पादन 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण को तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना और रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। केंद्रीय मंत्री ने पुणे में ‘सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी' के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। शुरुआती दौर में यह मुश्किल था क्योंकि हम पूरी व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहे थे। आजादी के बाद से हम हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। हमारे लिए विदेशों से रक्षा उपकरण खरीदना एक जरूरत बन गई थी और स्वदेशी उत्पादन लगभग न के बराबर था।'' मंत्री ने कहा कि भारत ने अब ‘‘उस बाधा को तोड़ दिया है'' जो आजादी के बाद से बनी हुई थी।
 उन्होंने कहा, ‘‘हमने देश में ही हथियारों के निर्माण को जोर शोर से बढ़ावा दिया है। यह बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि देश रक्षा खरीद के मामले में एक सुविधाजनक स्थिति में पहुंच गया था। हम दूसरे देशों से हथियार खरीदने के आदी हो गए थे।'' सिंह ने कहा कि न तो घरेलू स्तर पर हथियारों का उत्पादन करने की ‘‘राजनीतिक इच्छाशक्ति'' थी और न ही रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कोई कानूनी ढांचा था। रक्षा मंत्री ने बताया कि देश के युवाओं में इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने की प्रेरणा का भी अभाव था। उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति हमारे लिए अनुकूल नहीं बल्कि प्रतिकूल थी। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी हम रुके नहीं। हमने रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कदम उठाए और आज उन प्रयासों के स्पष्ट परिणाम सामने आ रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘आपने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी देखी होगी। ऑपरेशन सिंदूर भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सबसे बेहतरीन उदाहरण है क्योंकि सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल किए गए अधिकतर उपकरण स्वदेशी थे।'' पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस वर्ष मई में नियंत्रण रेखा के पार और पाकिस्तान के भीतर आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘करिश्माई नेतृत्व'' स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आया था। उन्होंने कहा, ‘‘भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम' यानी पूरी दुनिया एक परिवार है, की अवधारणा को बढ़ावा देता रहा है और यह एकमात्र देश है जो इस संदेश का प्रसार करता है। हम जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते।' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पड़ोसी देश के आतंकवादियों ने पहलगाम में भारतीय नागरिकों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी। फिर भी भारतीय सशस्त्र बलों का संयम देखिए, जब हमने उन्हें मारा तो वह धर्म के आधार पर नहीं बल्कि उनके कर्मों के आधार पर मारा।'' उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रक्षा उत्पादन 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान 33,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण को तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना और साथ ही रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।'' सिंह ने वर्तमान समय में कौशल के महत्व पर जोर दिया और कहा कि युवा वैश्विक परिवर्तन के केंद्र में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस निरंतर बदलती दुनिया में जहां हर दिन नयी तकनीकें उभरती हैं और पुरानी चीजों की जगह ले रही हैं, ऐसे में कौशल ही सबसे जरूरी है। वर्तमान परिदृश्य में केवल कौशल होना ही काफी नहीं है, उस कौशल को आजमाने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।'' उन्होंने कहा कि ज्ञान का वास्तविक जीवन में उपयोग किया जाना चाहिए। सिंह ने कहा, ‘‘भारत को एक युवा राष्ट्र होने का फायदा है और अगर हमारे युवाओं के पास सही कौशल है, तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। अगर कौशल का साथ मिले तो हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश और भी मजबूत हो जाएगा।'' मंत्री ने बताया कि 2014 के बाद भारत ‘‘नए भारत'' के दृष्टिकोण की ओर बढ़ा और प्रधानमंत्री मोदी लगातार स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी पहलों की बात करते रहे। सिंह ने कहा, ‘‘उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) समझा कि अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, तो उसके युवाओं को कुशल होना होगा। 2014 में सत्ता में आने के बाद हमने एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना करके कौशल विकास को बढ़ावा दिया।'' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी दीक्षांत समारोह में उपस्थित थे।

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