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पवित्र अवशेष ‘जोड़े साहिब' को पटना ले जाया जाएगा, प्रधानमंत्री ने लोगों से ‘दर्शन' करने की अपील की

नयी दिल्ली.  पवित्र ‘जोड़े साहिब' (गुरु गोबिंद सिंह और उनकी धर्मपत्नी माता साहिब कौर की पादुकाएं) को बृहस्पतिवार को एक धार्मिक शोभायात्रा के साथ पटना स्थित ‘तख्त पटना साहिब' ले जाया जाएगा, जहां इन अवशेषों को स्थायी रूप से रखा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लोगों से ‘जोड़े साहिब' के ‘दर्शन' करने का आग्रह किया क्योंकि ‘गुरु चरण यात्रा' हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर दसवें सिख गुरु (गुरु गोबिंद सिंह) के जन्मस्थान तख्त पटना साहिब पहुंचने वाली है। मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह गुरु चरण यात्रा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के महान आदर्शों के साथ हमारे जुड़ाव को और गहरा बनाए। जहां-जहां से यह यात्रा गुजरेगी उन क्षेत्रों के लोगों से मैं आग्रह करता हूं कि वे पवित्र ‘जोड़े साहिब' के दर्शन करें। ये पवित्र अवशेष 300 से अधिक वर्षों से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार के पास हैं। बुधवार को यहां गुरुद्वारा मोती बाग में एक विशेष ‘कीर्तन समागम' आयोजित किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने पवित्र अवशेषों के ‘दर्शन' किए। पुरी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज मुझे बेहद खुशी है कि मेरा परिवार पवित्र अवशेषों की अभिरक्षा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सौंप देगा।'' उन्होंने कहा कि पवित्र ‘जोड़े साहिब' को ‘गुरु चरण यात्रा' के साथ ले जाया जाएगा और तख्त श्री पटना साहिब में ‘दशम पिता' के जन्मस्थान पर स्थायी रूप से स्थापित किया जाएगा, जहां श्रद्धालु अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे और ‘दर्शन' कर सकेंगे। पुरी ने कहा, ‘‘गुरु चरण यात्रा 23 अक्टूबर को गुरुद्वारा मोती बाग से शुरू होगी और रात तक फरीदाबाद पहुंचेगी।'' उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को पवित्र अवशेष फरीदाबाद से आगरा, फिर बरेली (25 अक्टूबर), महंगापुर (26 अक्टूबर), लखनऊ (27 अक्टूबर), कानपुर (28 अक्टूबर) और प्रयागराज (29 अक्टूबर) पहुंचेंगे। पवित्र अवशेषों को वाराणसी होते हुए सासाराम ले जाया जाएगा और 30 अक्टूबर को गुरुद्वारा गुरु का बाग,पटना साहिब पहुंचाया जाएगा। ‘जोड़े साहिब' को एक नवंबर को तख्त श्री पटना साहिब लाया जाएगा जिसके साथ इस यात्रा का समापन होगा।
पुरी के एक पूर्वज, जिन्होंने गुरु गोविंद सिंह की सेवा की थी, को उनकी सराहनीय ‘सेवा' के बदले में ये पादुकाएं दी गई थीं। एक किंवदंती के अनुसार, जब गुरु ने उन्हें कोई इनाम मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने यह अनुरोध किया और अनुमति प्राप्त की कि वह पवित्र ‘जोड़े साहिब' को अपने पास रख सकें, ताकि गुरु और माता के आशीर्वाद को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकें। ‘जोड़े साहिब' के अंतिम संरक्षक मंत्री के दिवंगत चचेरे भाई जसमीत सिंह पुरी थे, जो दिल्ली में करोल बाग में एक सड़क किनारे स्थित मकान में रहते थे। इस सड़क को बाद में बहुमूल्य पवित्र अवशेषों की पवित्रता के सम्मान में गुरु गोबिंद सिंह मार्ग नाम दिया गया।

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