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 राजनीतिक हाशिए पर नहीं हूं, 2029 में झांसी से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं: उमा भारती

भोपाल. मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बुधवार को इन दावों को खारिज कर दिया कि वह राजनीति में हाशिए पर हैं और एक बार फिर दोहराया कि वह साल 2029 के लोकसभा चुनाव में झांसी संसदीय सीट से ही चुनाव लड़ना चाहती हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘मैं राजनीति में हाशिए पर रत्ती बराबर भी नहीं हूं...मैंने पार्टी को सूचना दे दी है कि मैं 2029 में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं। पार्टी अगर चाहेगी तो मैं 2029 का चुनाव जरूर लडूंगी। लेकिन मैं लोकसभा का चुनाव सिर्फ झांसी से लडूंगी। अगर पार्टी कहेगी तो मैं ना नहीं कहूंगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘बाकी मुझे और किसी प्रकार की राजनीति में रुचि नहीं है।''
भारती ने कहा कि उनकी राजनीति में मुख्य रुचि गाय और गंगा से जुड़े कार्यों में है और इस सिलसिले में वह 29 अक्टूबर को गोपाष्टमी के अवसर पर 'गौ-संवर्धन अभियान' शुरू करेंगी। उन्होंने कहा कि यह अभियान डेढ़ साल तक चलेगा और इसमें ग्राम पंचायतों के सहयोग से किसानों को जोड़ा जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को लाडली बहना योजना की लाभार्थियों को दो गायें देनी चाहिए, जिससे वह उन्हें पाल भी सकेंगी और आत्मनिर्भर भी बन सकेंगी। भारती ने पिछले दिनों सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट कर कहा था कि यदि पार्टी कहेगी तो वह सिर्फ झांसी लोकसभा सीट से 2029 में चुनाव जरूर लड़ेंगी। भारती 2014 के लोकसभा चुनाव में झांसी संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गई थीं। उन्होंने इसी साल अगस्त में कहा था कि वह अभी राजनीति से दूर नहीं हुई हैं और समय आने पर चुनावी मैदान में उतरेंगी। भाजपा पिछले तीन लोकसभा चुनावों से लगातार झांसी सीट से विजयी रही है। वर्तमान में भाजपा के अनुराग शर्मा इस सीट से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। 
भारती ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' की परिकल्पना की पुरजोर वकालत की और कहा कि इससे विकास से जुड़ी कई सारी अड़चनें दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी इच्छा है कि 45 दिन में लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका, नगर निगम और नगर पंचायत के चुनाव सब निपटा दिए जाएं।'' भाजपा की वरिष्ठ नेता ने भगवान कृष्ण को ‘गोपाल' बोलने पर मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा जताई गई आपत्ति के बारे में कहा कि राजनीतिक नेताओं को धर्मशास्त्र का ‘मर्मज्ञ' नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान का गोपाल नाम हजारों साल पहले रखा गया है और उनका नाम गोपाल है तथा यह सभी की जुबान पर है। भारती ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘नेताओं को धर्मशास्त्र के सवाल से परहेज करना चाहिए। गोपाल नाम बहुत पुराना है।... और मोहन (मुख्यमंत्री मोहन यादव) तो गोपाल ही है एक प्रकार से। वह सहज भाव से बोलने वाला व्यक्ति है। बहुत सरल व्यक्ति है। यह तो... लोगों का काम है कि भगवान को कौन किस नाम से पुकारता है।'' मुख्यमंत्री यादव ने पिछले दिनों गोवर्धन पूजा के कार्यक्रम के मौके पर कहा था कि ‘उन्हें (
भगवान कृष्ण को) गलती से गोपाल बोलते हैं, ये उनसे थोड़ी जुड़ता है, जो गाय पाले वो गोपाल होता है।' भारती ने कहा कि राजनीतिक नेता शास्त्र के विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्हें अपने मनोभाव सार्वजनिक रूप से व्यक्त नहीं करने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘संतों पर छोड़ दो। भगवान कृष्ण, गोपाल हैं या माखन चोर हैं यह लोगों के व्यक्तिगत आनंद और भक्ति का विषय है। मुझे लगता है कि थोड़ा भोला भंडारी है हमारा मुख्यमंत्री मोहन यादव।'' भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के मुंह से यह बात निकल गई होगी और जब उनको बताया जाएगा तो उनको लगेगा कि उन्हें यह नहीं बोलना चाहिए था।
 

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