नवंबर में सीएमएस-03 उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा: इसरो प्रमुख नारायणन
बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख वी नारायणन ने बृहस्पतिवार को बताया कि संगठन ने अपने भारी-भरकम रॉकेट एलवीएम-3 के दो प्रक्षेपणों की योजना बनाई है, जो इस साल के अंत तक दो उपग्रहों सीएमएस-03 और निजी अमेरिकी संचार उपग्रह ब्लूबर्ड को कक्षा में स्थापित करेंगे। नारायणन ने कहा कि 30 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह अभी ‘कैलिब्रेशन' चरण में है और 10-15 दिनों के भीतर यह सक्रिय हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘उपग्रह बेहतर स्थिति में है और दोनों पेलोड अच्छी तरह काम कर रहे हैं।''
इसरो प्रमुख ने ‘उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन 2025' की घोषणा के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अंतरिक्ष एजेंसी के भविष्य के मिशनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गगनयान परियोजना पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है।
नारायणन ने कहा, ‘‘अगले महीने की शुरुआत में, हम सीएमएस-03 उपग्रह को स्थापित करने के लिए एलवीएम3-एम5 को प्रक्षेपित करेंगे।'' इसरो अधिकारियों के अनुसार, सीएमएस-03 जिसे जीसैट7-आर के नाम से भी जाना जाता है और इसे दो नवंबर को प्रक्षेपित किये जाने की उम्मीद है। नारायणन ने कहा कि अमेरिकी कंपनी का 6.5 टन वजनी उपग्रह ब्लूबर्ड-6 इस वर्ष के अंत तक प्रक्षेपित किये जाने की उम्मीद है। इसरो प्रमुख ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें उपग्रह मिल गया है और हम प्रक्षेपण के लिए काम कर रहे हैं तथा प्रक्षेपण के लिए रॉकेट को तैयार किया जा रहा है।'' इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये जाने वाले सबसे भारी वाणिज्यिक उपग्रहों में से एक, ब्लूबर्ड-6 को 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत लाया गया। इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 की प्रगति के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि परियोजना अभी डिजाइन चरण में है। उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल हम डिज़ाइन चरण और इसकी स्वीकृत परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
साथ ही, मूलभूत मानकों के तहत बुनियादी ढांचा भी तैयार कर रहे हैं।'' चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर लैंडर और रोवर को उतार कर चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी के नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना हैं। इसके तहत चंद्रमा से एक अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करना, चंद्र कक्षा में उक्त लैंडर को यान से जोड़ने की क्षमता का प्रदर्शन करना और नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना शामिल है। नारायणन ने भारत के स्वदेशी नेविगेशन उपग्रह प्रणाली ‘नाविक' के बारे में बताया, ‘‘हमारे पास चार उपग्रह हैं और हम तीन और उपग्रह बना रहे हैं। हां, कुछ रुकावटें जरूर आईं, लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं।'' उन्होंने आगे कहा, ‘‘नाविक नेविगेशन प्रणाली भी तीन नए सैटेलाइट के साथ 18 महीनों में पूरी हो जाएगी।'' उन्होंने एनवीएस-02 उपग्रह में तकनीकी खराबी के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘उपग्रह दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चला गया है और वाल्व में खराबी के कारण हम इसे वृत्ताकार कक्षा में नहीं ले जा सके।'' उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए गठित विफलता विश्लेषण समिति ने जांच पूरी कर ली है और दोष का पता लगा लिया है। नारायणन ने कहा,‘‘समिति की सिफारिशें सरकार के समक्ष रखी जाएंगी।''
इसरो प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष मिशन 2047 की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने कहा कि भारत के लगभग 56 उपग्रह कक्षा में हैं, जो देश के आम आदमी की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन से चार वर्षों में उपग्रहों की संख्या लगभग तीन गुना तक बढ़ा दी जाएगी और 2027 तक हम गगनयान कार्यक्रम पूरा कर लेंगे।' नारायणन ने कहा, ‘‘हम 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का अपना केंद्र स्थापित करने जा रहे हैं और पहले मॉड्यूल के लिए हमें परियोजना की मंजूरी मिल गई है और अभी काम चल रहा है तथा इसे 2028 तक कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा।'' अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान के बारे में उन्होंने कहा कि पहले प्रक्षेपण की क्षमता केवल 35 किलोग्राम थी, जिसे वर्ष 1980 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘आज हम अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान के ज़रिए पृथ्वी की निचली कक्षा में लगभग 30,000 किलोग्राम वजन ले जाने की बात कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने मानवयुक्त चंद्र मिशन को संभव बनाने के लिए रॉकेट बनाने के लिए दिशानिर्देश भी दिए हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम अभी अवधारणा के चरण में हैं। हमने डिजाइन पूरी नहीं की है, लेकिन इसे लगभग 75,000 से 80,000 किलोग्राम भार उठाना होगा। इस दिशा में काम जारी है।'' इसरो प्रमुख के मुताबिक, इसरो ने अब तक 34 देशों के लगभग 433 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजे हैं। इनमें से लगभग 95 उपग्रह पिछले दस वर्षों के दौरान भेजे गए हैं।


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