आइसलैंड में पहली बार मच्छरों के पाए जाने की पुष्टि हुई
नयी दिल्ली. यूरोपीय देश आइसलैंड के एक नागरिक ने पिछले सप्ताह अपने घर पर मच्छर देखे और इसकी पुष्टि के लिए तस्वीरें भेजीं। एक वैज्ञानिक ने इसकी पुष्टि की है कि यह देश में मच्छरों के पाए जाने का पहला मामला है। हालांकि, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या मच्छरों ने खुद को आइसलैंड में स्थापित कर लिया है, आगे की निगरानी की आवश्यकता है। आइसलैंड के राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान के कीट विज्ञानी मैथियास अल्फ्रेडसन ने बताया कि मच्छरों की मौजूदगी से यह संकेत मिलता है कि वे हाल ही में यहां आए हैं, और संभवतः जहाजों या शिपिंग कंटेनरों के माध्यम से यहां पहुंचे हैं।
अल्फ्रेडसन ने कहा कि ‘कुलीसेटा एन्युलाटा' नामक प्रजाति के मच्छरों को ठंडे मौसम की आदत हो सकती है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्म परिस्थितियां मच्छरों के लिए यहां जीवित रहने और यहां स्थापित होना आसान बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि कुलीसेटा एन्युलाटा या सीएस. एन्युलाटा प्राकृतिक रूप से यूरोप के उत्तरी क्षेत्रों में पाया जाता है और यह शून्य से नीचे के तापमान को सहन कर सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के कारण, उच्च आर्द्रता और वर्षा जैसी स्थितियां मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बना सकती हैं। इससे मच्छर जनित संक्रामक रोग उन क्षेत्रों में भी फैलने लगे हैं, जहां पहले बहुत कम मामले दर्ज किए जाते थे। आइसलैंड पृथ्वी पर मच्छरों से अछूते कुछ चुनिंदा स्थानों में से एक है, तथा अंटार्कटिका भी एक ऐसा ही स्थान है।
अल्फ्रेडसन ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2019 से ब्योर्न हेजल्टासन (एक कीट उत्साही) वाइन रोपिंग नामक एक विधि के साथ प्रयोग कर रहे हैं, जो पतंगों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।'' इस विधि में एक लंबे कपड़े को लाल वाइन और चीनी के मीठे, किण्वित मिश्रण में भिगोया जाता है, जिसकी गंध से पतंगे आकर्षित होते हैं। कीट विज्ञानी अल्फ्रेडसन ने कहा, ‘‘16 अक्टूबर की शाम को, ब्योर्न को अपनी वाइन की रस्सियों पर एक अप्रत्याशित चीज मिली, एक कीड़ा जिसे उसने पहले मच्छर समझा। उन्होंने मुझे एक तस्वीर भेजी, और करीब से जांच करने पर पता चला कि यह एक मादा मच्छर था।''


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