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 1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरी

नई दिल्ली। सरकार 1 नवंबर से सरलीकृत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण प्रणाली शुरू करने जा रही है। इसके तहत नए आवेदकों को तीन कार्य दिवसों के भीतर मंजूरी मिल जाएगी। एक कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी। जीएसटी परिषद द्वारा अनुमोदित जीएसटी 2.0 के तहत यह नियम व्यवस्था को आसान बनाने और पंजीकरण प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप कम करने के उद्देश्य से लाया गया है।
नई व्यवस्था में स्वचालित रूप से पंजीकरण दो मामलों में उपलब्ध होगा। इनमें एक वे आवेदक हैं जो जोखिम और डेटा विश्लेषण के आधार पर सिस्टम द्वारा चिह्नित किए गए हैं। दूसरे वे जो स्वयं आकलन करते हैं कि उनकी आउटपुट कर देयता 2.5 लाख रुपये प्रति माह से अधिक नहीं होगी।
सीतारमण के अनुसार, लगभग 96 प्रतिशत नए आवेदकों को इस सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रिया से सीधा लाभ होगा।गाजियाबाद में नए सीजीएसटी भवन का उद्घाटन करने के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार का ध्यान अब नीति बनाने से क्षेत्रीय स्तर पर क्रियान्वयन की ओर स्थानांतरित हो रहा है। उन्होंने केंद्रीय और राज्य जीएसटी इकाइयों से आग्रह किया कि वे बिना किसी उलझन में पड़े इन सुधारों को लागू करें और यह सुनिश्चित करें कि सिस्टम विवेक से नहीं, बल्कि व्यवस्थित रूप से काम करे।सीतारमण ने कहा कि कर प्रशासन को करदाताओं के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए, जबकि कर चोरी के खिलाफ सख्ती बनाए रखनी चाहिए।उन्होंने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारियों से कहा, ‘करदाताओं को यह महसूस होना चाहिए कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे राष्ट्र के करदाता हैं। यदि करदाताओं में बुरे लोग शामिल हैं, तो उन्हें पकड़ने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करें। लेकिन हर किसी को संदेह की दृष्टि से न देखें।’ जीएसटी की नई व्यवस्था में सरकार ने दर स्लैब को भी युक्तिसंगत बनाया है।रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया सरल की गई है और स्वचालित रिफंड और जोखिम-आधारित ऑडिट सिस्टम शुरू किए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि ये उपाय सामूहिक रूप से व्यवस्था को अधिक कुशल, न्यायसंगत और विकासोन्मुखी बनाएंगे।
उन्होंने निर्देश दिया कि देश भर में जीएसटी सेवा केंद्रों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हों और वे सुलभ भी हों। प्रत्येक केंद्र में पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान करदाताओं का मार्गदर्शन करने के लिए हेल्पडेस्क होनी चाहिए। साथ ही फील्ड इकाइयां इन केंद्रों का आंतरिक ऑडिट करें और करदाताओं के समक्ष आने वाली दिक्कतों को तत्काल दूर करें। कर प्रशासन के भीतर ईमानदार व्यवस्था पर भी जोर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही समय पर पूरी होनी चाहिए।
 

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