'डिजिटल अरेस्ट' धोखाधड़ी में 1.2 करोड़ रुपये गंवाने के कुछ हफ्ते बाद बुजुर्ग व्यक्ति की मौत
पुणे. पुणे में कथित तौर पर ‘‘डिजिटल अरेस्ट'' धोखाधड़ी में 1.2 करोड़ रुपये गंवाने वाले 83 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति की एक महीने बाद ही दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि धोखाधड़ी करने वालों ने खुद को पुलिस और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर्मी बताकर बुजुर्ग व्यक्ति और उनकी पत्नी को फंसाया था। उन्होंने बताया कि जालसाजों ने सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को धमकी दी और दावा किया कि उनका नाम एक प्रमुख व्यक्ति से जुड़े धन शोधन मामले में सामने आया है। साइबर पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘बुजुर्ग व्यक्ति की पत्नी ने दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत के एक सप्ताह बाद मंगलवार को इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई।'' ‘डिजिटल अरेस्ट' एक धोखाधड़ी है जिसका उद्देश्य भय, छल और धमकी का इस्तेमाल करके पीड़ितों से पैसे ऐंठना है। धोखेबाज खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर गिरफ्तारी और बैंक खाते जब्त करने आदि की धमकियां देकर पीड़ितों को ‘‘कानूनी कार्रवाई'' से बचने के लिए पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं। पुणे के इस बुजुर्ग को अगस्त में एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को कोलाबा पुलिस थाने का एक अधिकारी बताया। साइबर पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘फोन करने वाले ने ‘नरेश गोयल धन शोधन मामले' का हवाला दिया और उन बुजुर्ग व्यक्ति से कहा कि उनकी संलिप्तता सामने आई है लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। एक अन्य वीडियो कॉल के दौरान दो जालसाजों ने खुद को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विजय खन्ना और सीबीआई अधिकारी दया नायक बताते हुए धमकी दी कि उन्हें और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।'' पुलिस ने बताया कि इसके बाद दंपति को घंटों तक वीडियो कॉल पर रहने के लिए मजबूर किया गया, जिसके दौरान उन्हें बताया गया कि वे ‘‘डिजिटल अरेस्ट'' हैं। पुलिस के अनुसार, उनके बैंक खातों की पुष्टि करने के बहाने जालसाजों ने कथित तौर पर उन्हें 16 अगस्त से 17 सितंबर के बीच कई खातों में 1.19 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया और आश्वासन दिया कि बाद में राशि वापस कर दी जाएगी। पिछले सप्ताह दिल का दौरा पड़ने से उन बुजुर्ग व्यक्ति की मृत्यु हो गई।

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