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भारत उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाली अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का समर्थन कर रहा: प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाली अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का समर्थन कर रहा है और इस क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा दे रहा है ताकि देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में उभर सके। नीति निर्माताओं, नवप्रवर्तकों और वैश्विक दूरदृष्टि वाले लोगों के वार्षिक प्रमुख आयोजन के तहत पहले ‘उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश में नवाचार के आधुनिक परिवेशी तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुधार पेश किए हैं। सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान, विकास एवं नवाचार कोष का भी आरंभ किया। उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण निवेश का उद्देश्य जनता को लाभ पहुंचाना और अवसरों के नए रास्ते खोलना है।
   मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य निजी क्षेत्र में भी अनुसंधान और विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार उच्च-जोखिम और उच्च-प्रभाव वाली परियोजनाओं के वास्ते विशेष रूप से पूंजी आवंटित की जा रही है जिससे अभूतपूर्व प्रयासों के लिए समर्थन सुनिश्चित हो रहा है।'' उन्होंने कहा कि सरकार ‘अनुसंधान में सुगमता' पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि भारत में नवाचार का एक आधुनिक परिवेशी तंत्र विकसित हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारी सरकार ने वित्तीय नियमों और खरीद नीतियों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। इसके अलावा हमने प्रयोगशाला से बाजार तक प्रारूप के परिवर्तन को तेज करने के लिए प्रोत्साहन और आपूर्ति श्रृंखला ढांचे को सुव्यवस्थित किया है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय दोगुना हो गया है जो नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजीकृत पेटेंट की संख्या में 17 गुना की प्रभावशाली वृद्धि हुई है। स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े परिवेशी तंत्र के रूप में उभरा है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने और विकास एवं उन्नति के नए अवसर पैदा करने के लिए ‘अनुसंधान रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब नवाचार समावेशी होता है तो उसके नेता सबसे बड़े लाभार्थी बनकर उभरते हैं और भारतीय महिलाएं इसका एक प्रमुख उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके योगदान को, विशेष रूप से अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की प्रगति पर चर्चाओं में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। एक दशक पहले भारत में महिलाओं द्वारा दायर पेटेंट की संख्या सालाना 100 से भी कम थी। आज, यह संख्या प्रति वर्ष बढ़कर 5,000 से अधिक हो गई है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) की शिक्षा प्राप्त करने वालों में 43 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो वैश्विक औसत से काफी ऊपर है। मोदी ने कहा कि महान उपलब्धियों की नींव तब पड़ती है जब विज्ञान का पैमाना व्यापक होता है, नवाचार समावेशी होता है और तकनीक परिवर्तन को गति देती है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 से 11 वर्षों में भारत ने इस दृष्टिकोण को व्यवहार में साकार किया है। भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं रह गया है। यह तकनीक के माध्यम से परिवर्तन का अग्रणी बन गया है।

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