राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025: शोध और जागरूकता के ज़रिए कैंसर से मुकाबले की तैयारी
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय ने कैंसर के प्रति सार्वजनिक जागरूकता और शुरुआती पहचान को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। कैंसर आज भी विश्वभर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। कई देशों में मुख, गर्भाशय ग्रीवा (cervical) और स्तन कैंसर के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत इस चुनौती से निपटने के लिए शिक्षा, स्क्रीनिंग और समग्र स्वास्थ्य अभ्यासों (holistic health practices) पर अधिक ज़ोर दे रहा है।
कैंसर का एक बड़ा हिस्सा उन कारणों से जुड़ा है जिन्हें रोका जा सकता है — जैसे तंबाकू सेवन, अस्वस्थ आहार, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, शराब का सेवन, पर्यावरणीय प्रदूषण और एचपीवी संक्रमण। शुरुआती पहचान से कैंसर के इलाज की संभावना कई गुना बढ़ जाती है, खासकर स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और मुख कैंसर के मामलों में जिन्हें शुरुआती चरण में पहचाना जा सकता है। तंबाकू से दूर रहना, शराब का सीमित उपयोग, पौध-आधारित आहार लेना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और प्रदूषण से बचाव — ये सभी कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आयुष एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्रतापराव जाधव ने कहा कि जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए सक्रिय और जन-केंद्रित दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के विभिन्न प्रयास — जैसे एकीकृत कैंसर देखभाल केंद्र, सहयोगी अनुसंधान और सामुदायिक कार्यक्रम — यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि सस्ती, समग्र और सहयोगी देखभाल देश के हर नागरिक तक पहुँचे। उन्होंने कहा कि आधुनिक ऑन्कोलॉजी (oncology) और आयुष पद्धतियों के एकीकृत मॉडल से विशेष रूप से कमजोर वर्गों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय ने बताया कि मंत्रालय का बढ़ता हुआ एकीकृत कैंसर देखभाल नेटवर्क, साक्ष्य-आधारित और रोगी-केंद्रित समाधानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence), सहयोगी शोध मंच और टीएमसी–ACTREC, आर्य वैद्यशाला, एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ साझेदारी के माध्यम से नए चिकित्सीय शोध, लक्षण प्रबंधन और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।
आयुष मंत्रालय अपने प्रमुख उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से एकीकृत कैंसर देखभाल का विस्तार कर रहा है, जिनमें मुंबई स्थित टीएमसी–ACTREC में इंटीग्रेटिव केयर और आयुष ड्रग डिस्कवरी पर कार्य हो रहा है। ये केंद्र इन-सिलिको, प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल अध्ययन, विशेष ओपीडी और क्षमता निर्माण (capacity building) में सहायता कर रहे हैं। आर्य वैद्यशाला, कोट्टक्कल में स्थित केंद्र ने जीवन की गुणवत्ता और सहायक उपचार पर ध्यान केंद्रित किया है। पिछले दो वर्षों में इस केंद्र ने 26,356 कैंसर रोगियों का प्रबंधन किया है, जिनमें 338 फेफड़ों के कैंसर के मरीज शामिल हैं।
मंत्रालय ने दोहराया कि कैंसर की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और एकीकृत सहायक देखभाल भारत की रणनीति के केंद्र में रहनी चाहिए। जागरूकता बढ़ाना, स्क्रीनिंग की पहुंच में सुधार करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है। ये प्रयास आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को आयुष प्रणाली की रोकथाम और सहायक क्षमताओं के साथ जोड़ने के विज़न को सशक्त बनाते हैं, जिससे राष्ट्रीय कैंसर बोझ को कम किया जा सके और रोगियों एवं समुदायों के कल्याण में सुधार हो सके।

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