सजल महोत्सव-2025 मथुरा में डॉ. दीक्षा चौबे को सजल-भूषण सम्मान
-डॉ. दीक्षा चौबे के दो एकल सजल-संग्रहों का विमोचन
मथुरा/ धर्म- सनातन की महा नगरी और योगीराज की कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में हिंदी गीतिकाव्य नई विधा सजल का सप्तम समारोह स्थानीय आर. सी. ए. कन्या महा विद्यालय, के विशाल सभागार में संपन्न हुआ! कार्यक्रम की अध्यक्षता- साहित्यभूषण से विभूषित हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और हिंदी के सेवानिवृत आचार्य डा. महेश 'दिवाकर', डी. लिट. ( मुरादाबाद) ने की और मुख्यअतिथि प्रो. हरीशंकर मिश्र, हिंदी आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, और विशिष्ट अतिथि प्रो. राजेश गर्ग, हिंदी आचार्य- प्रयाग विश्व विद्यालय रहे! अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने के उपरांत डा. कृष्णा राजपूत, जबलपुर ने सरस्वती वंदना की!
वस्तुत: सद्य: प्रवर्तित हिंदी सजल साहित्य स्वत: स्फूर्त विधा है। स्थानीय आरसीए गर्ल्स (पीजी) कालेज के सभागार में सजल सर्जना समिति के सप्तम वार्षिकोत्सव में देश के विभिन्न भागों से जुटे 150 से अधिक साहित्यकारों/सजलकारों को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत आचार्य प्रो. हरिशंकर मिश्र ने कहा कि सजलकार सामाजिक चुनौतियों के प्रति सजग हैं तथा मानवीय मूल्यों के विस्तारण हेतु काम कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सजल विधा को प्रबन्धात्मक काव्य का रूप देकर इसे और भी अधिक उपयोगी बना सकते हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा के आचार्य प्रो. राजेश गर्ग ने कहा कि हर विषय पर सजलकार आज सफलतापूर्वक हस्तक्षेप कर रहा है तथा सजल के केन्द्र में मानवीय संवेदनाओं का बोध है।विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट बृजबिहारी सिंह ने सजल विधा से तन-मन-धन से जुडने तथा अन्य लोगों को जोड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि पूरे देश में साहित्य की सजल विधा का प्रचार- प्रसार आवश्यक है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे अन्तर्राष्ट्रीय कला मंच मुरादाबाद के संस्थापक डॉ. महेश 'दिवाकर' ने सजल सृजन के साथ-साथ इसमें शोध एवं समीक्षात्मक पक्ष पर बल देते हुए आयोजन की भूरि- भूरि प्रशंसा की! उन्होंने इस बात पर नाराजी भी जताई कि उत्तर प्रदेश शासन ने अभी तक सजल साहित्य को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है?
प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष डॉ. अनिल गहलौत ने समारोह में सजल विधा की अवधारणा एवं प्रयोजन की विस्तार से चर्चा की तथा समिति के सचिव इंजी.संतोष कुमार सिंह ने सजल सर्जना समिति की स्मारिका का लोकार्पण कराने के साथ-साथ समिति की वार्षिक प्रगति आख्या प्रस्तुत की।
समिति की ओर से सर्वश्रेष्ठ सजलकार के रूप में फिरोजाबाद के डॉ. राम सनेही लाल शर्मा 'यायावर', फिरोजाबाद को सजल-ऋषि सम्मान तथा इंजी.संतोष कुमार सिंह एवं अमर'अद्वितीय' को शिखर सम्मान से विभूषित किया गया। डॉ . दीक्षा चौबे को सजल-भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। डॉ. दीक्षा चौबे के दो सजल-संग्रह शंखनाद और बाल सजल मेरी नानी बड़ी सयानी का विमोचन हुआ।
समारोह में छह समूहों में सजल विधा की 84 सजल कृतियों के लोकार्पण के अतिरिक्त डॉ. किरन जैन अम्बाला, डॉ. डीपी साहू रायगढ, डॉ. चिरौंजी लाल यादव मैनपुरी व आरसीए कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र मित्तल को सजल रथी सम्मान से भी विभूषित किया गया।संस्था के सचिव इंजी. संतोष कुमार सिंह तथा राजस्थान से पधारीं श्रीमती रेखा लोढा स्मित ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में भारत के विभिन्न प्रातों से आये 75 सजलकारों ने अपनी सजल रचनाओं का पाठ किया ।







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