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सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल-अरेस्ट मामलों में CBI को फ्री-हैंड्स जांच का दिया आदेश

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को देशभर में डिजिटल-अरेस्ट स्कैम से जुड़े मामलों की जांच के लिए सीबीआई को स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि सीबीआई एफआईआर न होने पर भी उन खातों को फ्रीज कर सकती है जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधों और फ्रॉड में किया गया हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल-अरेस्ट स्कैम देश की प्रमुख जांच एजेंसी का तत्काल ध्यान खींचता है, इसलिए सीबीआई को सबसे पहले इन मामलों की जांच करने का निर्देश दिया गया है।

जांच के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में शामिल बैंकरों की भूमिका की स्वतंत्र जांच के लिए भी सीबीआई को पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को मामले में जोड़ा और उनसे यह जानकारी देने के लिए कहा कि कब एआई/एमएल आधारित सिस्टम का उपयोग संदिग्ध खातों की पहचान और अपराध की राशि को तुरंत फ्रीज करने के लिए किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत काम करने वाले सभी इंटरमीडियरीज को सीबीआई को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश भी दिया गया।
अभी तक जिन राज्यों ने सीबीआई को सामान्य सहमति नहीं दी है, उन्हें आईटी एक्ट के तहत जांच के लिए सहमति देने का निर्देश दिया गया ताकि पूरे देश में व्यापक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधों की व्यापकता और उनके क्रॉस-बॉर्डर स्वरूप को देखते हुए, सीबीआई इंटरपोल से भी सहायता ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं की ओर से सिम कार्ड जारी करने में गंभीर लापरवाही हुई है, जिसमें एक ही नाम पर कई सिम कार्ड भी शामिल हैं। इसलिए दूरसंचार विभाग को उपायों का प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया गया है ताकि सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोका जा सके।
इसके अलावा, सभी राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे जल्दी से जल्दी राज्य साइबरक्राइम सेंटर स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आदेश फिलहाल केवल डिजिटल-अरेस्ट स्कैम से संबंधित हैं और अन्य प्रकार के साइबर अपराधों की निगरानी के संबंध में निर्णय बाद में लिया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सुनिश्चित करेंगे कि गृह मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय उचित रूप से प्रतिनिधित्व करें और उनकी राय कोर्ट के सामने रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी नियमों के तहत सभी राज्यों में दर्ज FIR या साइबर अपराध मामलों में शामिल मोबाइल डिवाइस का डेटा सुरक्षित रखा जाए।-

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