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संसद ड्रामा करने की जगह नहीं, विपक्ष इसे हताशा निकालने का मंच बना रहा : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि संसद ‘ड्रामा' करने की जगह नहीं है, यह काम करने की जगह है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष संसद को चुनावी हार के बाद “हताशा निकालने का मंच” बना रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्र को राजनीतिक ड्रामे का रंगमंच नहीं बनाना चाहिए, बल्कि यह रचनात्मक और परिणामोन्मुखी बहस का मंच होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विपक्ष चाहे तो वह उसे राजनीति में सकारात्मकता लाने के कुछ सुझाव देने को तैयार हैं। मोदी ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमें ज़िम्मेदारी की भावना से काम करने की ज़रूरत है। संसद ड्रामा करने की जगह नहीं है, यह काम करने की जगह है।'' पिछले सत्रों के दौरान संसदीय कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नाटक के लिए बहुत जगह है; जो लोग यह करना चाहते हैं, वे इसे करते रहें। संसद नाटक के लिए जगह नहीं है; यह काम करने की जगह है।'' हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में राजग को मिली शानदार जीत से उत्साहित मोदी ने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यहां तक ​​कि आप देश भर में ऐसा कर सकते हैं। आपने वहां बोला है जहां आप हार गए हैं। आप वहां भी बोल सकते हैं जहां आपको हार का सामना करना बाकी है। लेकिन संसद में, ध्यान नीति पर होना चाहिए, न कि नारों पर।'' बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों की कार्यवाही बार बार बाधित हुई थी। विपक्ष ने इस बार भी कहा है कि संसद में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा उसकी प्राथमिकता है और वह अपनी मांग शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से उठाएगा। मोदी ने कहा कि कुछ समय से संसद का इस्तेमाल या तो चुनावों के लिए कथित तैयारी के लिए या चुनाव में हार के बाद अपनी हताशा निकालने के लिए किया जा रहा है। बिहार चुनावों में विपक्ष की करारी हार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष चुनावी नतीजों से विचलित है और हार को पचा नहीं पा रहा। प्रधानमंत्री ने कहा, “हार अवरोध पैदा करने का आधार नहीं बननी चाहिए, और जीत भी अहंकार में नहीं बदलनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि बिहार में रिकॉर्ड मतदान लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए चुनावी हार के बाद के अवसाद से बाहर आना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से विपक्ष जो “खेल” खेल रहा है, वह अब जनता को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा, “उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए — मैं उन्हें कुछ सुझाव देने को तैयार हूं।” उन्होंने सभी दलों से, संसद के उद्देश्य को समझने और “हार की हताशा से बाहर आने” की अपील की।
 प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ विपक्षी दलों के नेताओं के हालिया बयानों से लगता है कि वे चुनावी परिणामों को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “एक-दो दल हैं जो अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे। कल मैंने जो उनके बयान सुने, उनसे ऐसा लगता है कि हार ने उन्हें बेहद परेशान किया है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि युवा सांसदों की नई पीढ़ी को मौके दिए जाने चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘सदन को उनके अनुभवों से फायदा होना चाहिए और इस सदन के ज़रिए देश को भी उनके नए नज़रिए से फायदा होना चाहिए।'' प्रधानमंत्री ने उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन को भी राज्यसभा के सभापति के तौर पर पहले सत्र की अध्यक्षता करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का यह पहला सत्र है। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हुआ और इसमें 15 बैठकें निर्धारित हैं।

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