प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयकों पर संसदीय समिति विपक्ष को आमंत्रित करेगी
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयकों पर विचार कर रही संसदीय समिति ने बृहस्पतिवार को उन राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया जिन्होंने समिति का बहिष्कार किया है। संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त समिति की पहली बैठक में संवैधानिक विशेषज्ञों और बार एसोसिएशन के सदस्यों से परामर्श करने का भी निर्णय लिया गया। भाजपा सदस्य अपराजिता सारंगी ने बैठक की अध्यक्षता की। कई विपक्षी दलों ने समिति से दूरी बनाए रखी है और उनका तर्क है कि ये विधेयक कानून के उस मूल सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए। भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों के प्रभुत्व वाली 31 सदस्यीय समिति में राकांपा -शरद पवार नेता सुप्रिया सुले, अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और वाईएसआरसीपी सदस्य एस निरंजन रेड्डी ही विपक्षी सदस्य हैं। सारंगी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सभी सदस्य इस बात पर सहमत थे कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होना चाहिए। यह भी निर्णय लिया गया कि हमें राज्यों में जाकर समाज के सभी वर्गों - संवैधानिक विशेषज्ञों, बार एसोसिएशन के सदस्यों, विभिन्न स्तरों पर राज्य के अधिकारियों - को आमंत्रित करना चाहिए। हमने राज्यों में विपक्ष के नेताओं को भी आमंत्रित करने का निर्णय किया है।'' समिति के एक सदस्य ने बताया कि संसदीय समिति का बहिष्कार करने वाले राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का सुझाव दिया गया था, जिसे भारी समर्थन मिला। समिति की अगली बैठक 17 दिसंबर को होगी, जब गृह और विधि एवं न्याय मंत्रालयों के प्रतिनिधि उन्हें विचाराधीन विधेयकों के बारे में जानकारी देंगे।






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