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कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवद गीता का पाठ किया

कोलकाता.  पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों के साधुओं और साध्वियों सहित लाखों श्रद्धालुओं ने रविवार दोपहर कोलकाता के प्रतिष्ठित ब्रिगेड परेड ग्राउंड में भगवद गीता पाठ में हिस्सा लिया। आयोजकों ने यह जानकारी दी। भगवा वस्त्र पहने साधुओं ने आयोजन स्थल पर गीता की प्रतियों से एक स्वर में श्लोक पढ़े, जबकि बजरंगबली और भगवान राम की तस्वीरों वाले भगवा झंडे आयोजन स्थल पर लहरा रहे थे। आयोजकों के अनुसार, लगभग एक लाख लोग धर्मग्रंथ के प्रथम, नौवें और अठारहवें अध्याय के सामूहिक पाठ में शामिल हुए। प्रतिभागियों में पूर्व बर्धमान के मेमारी से अपने चार दोस्तों के साथ आए एक युवक देबराज रॉय भी शामिल थे। सभी तिलक लगाए हुए थे और उन्होंने भगवा पगड़ी पहन रखी थी तथा उनमें से एक के हाथ में झंडा था। लोगों ने राष्ट्र ध्वज भी लहराए और बार-बार ‘हरे कृष्ण हरे हरे, गीता पथ घरे घरे' का नारा लगाया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू वोट बैंक को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम के आयोजन के दावों के बारे में पूछे जाने पर, रॉय ने  कहा, "हम किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हुए हैं। लेकिन हमारा मानना ​​है कि हिंदुओं को राजनीतिक मान्यताओं से ऊपर उठकर एकजुट होना चाहिए और अपनी आध्यात्मिक विरासत, आस्था व संस्कृति के प्रति सम्मान रखना चाहिए। हम विभिन्न धर्मों और आस्थाओं के लोगों के साथ सद्भाव से रहने में विश्वास करते हैं।" दक्षिण 24 परगना के बिरही निवासी और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से जुड़े सम्राट सरकार ने कहा कि वह अकेले ही इस कार्यक्रम में शामिल हुए, ताकि व्यवस्थित तरीके से श्लोकों के पाठ में हिस्सा ले रहे लाखों लोगों के उत्साहपूर्ण माहौल का हिस्सा बन सकें। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी, पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी और विधायक अग्निमित्रा पॉल सहित वरिष्ठ भाजपा नेता आयोजन में मौजूद थे। कार्तिक महाराज के नाम से जाने जाने वाले स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज तथा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री जैसे प्रमुख धार्मिक नेताओं के साथ-साथ विभिन्न मठों के साधु भी इसमें शामिल हुए। ‘पंच लाखो कोंठे गीता पाठ' (पांच लाख स्वरों द्वारा गीता पाठ) नामक इस कार्यक्रम का आयोजन 'सनातन संस्कृति संसद' द्वारा किया गया था। यह विभिन्न मठों और धार्मिक संस्थानों के भिक्षुओं और आध्यात्मिक नेताओं का एक समूह है। पॉल ने कहा, "गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है, यह भारत के सभी 140 करोड़ लोगों के लिए है।"
आयोजकों ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य पश्चिम बंगाल की आध्यात्मिक विरासत को जागृत करना और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। उन्होंने दावा किया कि यह राज्य और संभवतः देश में इस तरह का सबसे बड़ा सामूहिक पाठन कार्यक्रम है।
कार्तिक महाराज ने कहा, "विभाजन के माहौल में आध्यात्मिक अभ्यास शांति और दिशा बहाल कर सकता है।" उन्होंने कहा कि हजारों लोगों ने इसमें भाग लेने का संकल्प लिया है। विभिन्न हिंदू मठों द्वारा संचालित स्टाल पर गीता के लघु संस्करण, धार्मिक पुस्तकें और पूजा सामग्री बेची गईं। पाठ के बाद प्रसाद वितरण के लिए स्टाल पर लंबी कतारें लग गईं।
भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए व्यापक प्रबंध किए गए थे और उम्मीद थी कि पांच लाख लोग इसमें शामिल होंगे। तीन बड़े मंच बनाए गए थे और मध्य कोलकाता में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। आध्यात्मिक नेतृत्व गीता मनीषी महामंडल के स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज ने किया।

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