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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने साढ़े पांच साल में 6.15 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले: सरकार

नयी दिल्ली. सरकार ने संसद को सूचित किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने पिछले साढ़े पांच साल में 6.15 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाल दिए हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों और मौजूदा वित्त वर्ष में 30 सितंबर, 2025 (अनंतिम डेटा) तक कुल 6,15,647 करोड़ रुपये का ऋण बट्टे खाते में डाल दिया है।'' उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 से सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कोई पूंजी नहीं डाली है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों ने अपने वित्तीय प्रदर्शन में काफी सुधार किया है, वे लाभ में आ गए हैं और अपनी पूंजीगत स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। चौधरी ने कहा कि ये बैंक अब अपनी पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार स्रोत और आंतरिक स्रोतों पर निर्भर हैं और उन्होंने 1 अप्रैल 2022 से 30 सितंबर 2025 तक इक्विटी और बॉन्ड के जरिए बाजार से 1.79 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है। उन्होंने कहा कि बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड से मंज़ूर नीति के मुताबिक, चार साल पूरे होने पर गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) को बट्टे खाते में डालते हैं। चौधरी ने अपने उत्तर में यह भी कहा कि ऋण को बट्टे खाते में डालने (राइट-ऑफ करने) का मतलब यह नहीं है कि कर्जदारों की चुकाने की देनदारी खत्म हो जाएगी। उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत में बैंक और वित्तीय संस्थान पारंपरिक रूप से निर्यात वित्तपोषण का मुख्य स्रोत रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों (वित्त वर्ष 20-21 से 24-25) में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, सिडबी और एक्जिम बैंक द्वारा दिया गया कुल निर्यात ऋण 21.71 लाख करोड़ रुपये था। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में चौधरी ने कहा कि सितंबर 2025 तक पिछले साढ़े चार सालों में 3,588.22 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि इनमें से 238.83 करोड़ रुपये वापस हासिल किये जा चुके हैं। मंत्री ने कहा कि देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन बढ़ने के साथ ही पिछले कुछ सालों में डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी समेत साइबर ठगी के मामले भी बढ़े हैं। 

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