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योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया : पीएम मोदी

  नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन का समापन दिवस है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े दुनियाभर के विशेषज्ञों ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे प्रसन्नता है कि भारत इस आयोजन के लिए एक मजबूत मंच के रूप में उभरा है और इसमें डब्ल्यूएचओ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस सफल आयोजन के लिए वे डब्ल्यूएचओ, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि डब्ल्यूएचओ का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन गुजरात के जामनगर में स्थापित हुआ है। वर्ष 2022 में पारंपरिक चिकित्सा की पहली वैश्विक शिखर बैठक का आयोजन विश्व ने बड़े भरोसे के साथ भारत को सौंपा था। यह हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर की प्रतिष्ठा और प्रभाव विश्व स्तर पर लगातार बढ़ रहा है। इस शिखर सम्मेलन की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
 प्रधानमंत्री ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का संगम देखने को मिला है। विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तृत संवाद हुआ, जिससे संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा मिला है, नियमों को सरल बनाया गया है और प्रशिक्षण तथा ज्ञान साझा करने के नए मार्ग खुले हैं। ये सहयोग आगे चलकर पारंपरिक चिकित्सा को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
 उन्होंने कहा कि सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी है, जो हमारी मजबूत साझेदारी को दर्शाती है। इनमें अनुसंधान को सशक्त करना, पारंपरिक चिकित्सा में डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ाना और ऐसे नियामक ढांचे तैयार करना शामिल है, जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ये सभी पहल पारंपरिक चिकित्सा को और मजबूत बनाएंगी।
 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का मार्ग दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से अधिक देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। बीते वर्षों में योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा गया है। योग पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का अभिन्न अंग है और इसने विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है।
 उन्होंने कहा कि आज दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस का उद्घाटन भी किया गया है, जो भारत की ओर से एक विनम्र उपहार है। यह एक वैश्विक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां से अनुसंधान, नियमन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। आयुर्वेद में संतुलन को ही स्वास्थ्य का पर्याय माना गया है। जिस शरीर में संतुलन बना रहता है, वही स्वस्थ होता है। आज संतुलन की पुनर्स्थापना केवल एक वैश्विक लक्ष्य ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक आवश्यकता बन चुकी है।
 प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवनशैली में हो रहे तीव्र बदलाव, शारीरिक श्रम में कमी और सुविधाओं की बढ़ती उपलब्धता मानव शरीर के लिए नई और अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा कर रही हैं। इसलिए पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं पर भी ध्यान देना होगा।
 उन्होंने कहा कि भविष्य को लेकर हमारी साझा जिम्मेदारी है। जब पारंपरिक चिकित्सा की बात आती है, तो सुरक्षा और प्रमाण से जुड़े सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आते हैं। भारत इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। इस सम्मेलन में अश्वगंधा का उदाहरण सामने रखा गया है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता आ रहा है। कोविड-19 के दौरान इसकी वैश्विक मांग तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग हुआ। भारत अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित सत्यापन के माध्यम से अश्वगंधा को वैश्विक स्तर पर प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। 

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