साल में कितनी बार आता है तीज का त्योहार? जानें हर तीज का महत्व और पूजन विधि
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज कहा जाता है. इस साल हरतालिका तीज का व्रत 27 अगस्त को रखा जाएगा. तीज हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है और यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है. तीज के शुभ अवसर पर महिलाएं व्रत रखती हैं, माता पार्वती और भगवान शिव की संयुक्त पूजा करती हैं. अपने पति की समृद्धि और दीर्घायु के लिए भगवान से आशीर्वाद मांगती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सालभर में कुल कितनी तीज मनाई जाती हैं और शास्त्रों में इनका क्या महत्व है. हिंदू कैलेंडर में अलग-अलग समय पर आने वाली तीन तीजों का वर्णन मिलता है- हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज. इन आज आपको तीज के त्योहारों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
हरियाली तीज--
हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है. इस त्योहार सावन के महीने की हरियाली मौसम के कारण इसका नाम हरियाली तीज कहलाता है. इस तीज का व्रत नवविवाहित महिलाओं के लिए होता है. इसे शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या पूरी की थी.
हरियाली तीज की पूजन विधि
हरियाली तीज के दिन शादीशुदा महिलाएं हरे कपड़े, चूड़ियां और मेहंदी लगाती हैं. साथ ही, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. भगवान को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करती हैं. इसके अलावा, इस तीज पर झूला झुलाने की परंपरा होती है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और रात को कथा सुनकर व्रत का पारण करती हैं.
कजरी तीज---
कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को आती है. इसे कजली तीज भी कहते हैं और कुछ क्षेत्रों में इसे सातुड़ी तीज भी कहा जाता है. कजरी तीज का त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान में मनाया जाता है. इस दिन राजस्थान के बूंदी शहर में माता पार्वती की विशाल शोभयात्रा का आयोजन भी किया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से चंद्रमा, भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है.
कजरी तीज की पूजन विधि
कजरी तीज पर भी महिलाएं सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं. पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करती हैं. फिर संध्याकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इसके बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं. इस दिन विशेष रूप से कजरी गीत भी गाएं जाते है. कुछ जगहों पर इस दिन नीम की पूजा करने की भी परंपरा है.
हरतालिका तीज
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इसे सबसे बड़ी और कठिन तीज माना जाता है. हरतालिका तीज के दिन महिलाएं बड़ी श्रद्धा से देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं और मनोवांछित फल के लिए प्रार्थना करते हैं. यह व्रत बहुत कठोर माना जाता है, क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है.
हरतालिका तीज पूजन विधि
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र व सुख-संपन्नता के लिए प्रार्थना करती हैं. साथ ही, महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करती हैं. लाल या हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं. माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती हैं. फिर पूरे दिन भजन-कीर्तन और कथा सुनाई जाती है.


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