अनंत चतुर्दशी पर ही क्यों समाप्त होता है गणेश उत्सव?
देशभर में भक्तों ने 27 अगस्त को बड़े धूमधाम से अपने घरों में बप्पा का स्वागत किया और अब उनकी विदाई का समय करीब आ रहा है. 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान लोग गणेश जी की स्थापना कर विधिवत पूजा करते हैं.
10 दिवसीय गणेशोत्सव के दौरान पंडालों और घरों में बप्पा की विधिवत आराधना करते हैं, उनके प्रिय भोग लगाते हैं और फिर अंनत चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से उनका विसर्जन करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर ही क्यों होता है?
इस साल अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी और इसी दिन गणेश उत्सव का समापन हो जाएगा. गणेश उत्सव में भक्त 3, 5, 7 और 10 दिनों के लिए बप्पा को घर लाते हैं. 10वें दिन का गणपति विसर्जन अनंत चतुर्दशी पर ही होता है.
अनंत चतुर्दशी पर ही गणेश उत्सव क्यों समाप्त होता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है. अनंत चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी ने लगातार 10 दिन तक महाभारत लिखा, जिससे उनके शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया था.
गणेश जी के शरीर के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए महर्षि वेदव्यास ने उन्हें जल में डुबकी लगाने को कहा. और जिस दिन यह हुआ वह अनंत चतुर्दशी का दिन था. इसी वजह से अनंत चतुर्दशी के इस शुभ अवसर पर गणेश जी को शीतल करने की परंपरा के रूप में विसर्जन किया जाता है.
तब से लेकर आज तक गणेश जी की 10 दिनों के लिए स्थापना की जाती है और फिर 11वें यानी अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विसर्जित किया जाता है. इसी दिन गणेश उत्सव समाप्त हो जाता है. इसके बाद पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है.
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