कार्तिक स्नान क्या होता है और इसमें क्या करना चाहिए, तुलसी की पूजा कैसे करें
कार्तिक मास कल से शुरू होने वाला है। इस मास में मां तुलसी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में विष्णु भगवान जल में निवास करते हैं। इस महीने में तुलसी और जो मनुष्य कार्तिक में आंवले की जड़ में भगवान् विष्णुकी पूजा करता है, उसके सभी कष्ट का निवारण श्री विष्णु करते हैं। है। जैसे भगवान् विष्णुकी महिमाका पूरा-पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता है, उसी प्रकार आंवले और तुलसी के माहात्म्य का भी वर्णन नहीं हो सकता | जो आंवले और तुलसी की उत्पत्ति-कथा को भक्तिपूर्वक सुनता वो मोक्ष को पाता है। जो लोग कार्तिक मास में तुलसी का वृक्ष लगाते हैं, वे कभी यमराजको नहीं देखते। कार्तिक स्नान क्या होता है और इसमें क्या करना चाहिए, यहां पढ़ें सब कुछ
कार्तिक स्नान में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, वो भगवान विष्णु की कृपा पाता है। इसकी बाद तुलसी के पास दीपक जलाकर कार्तिक स्नान की कथा सुनी जाती है। पद्म पुराण में लिखा है कि पुष्कर आदि तीर्थ, गंगा आदि नदियां तथा वासुदेव आदि देवता--ये सभी तुलसीदल में निवास करते हैं। जो मनुष्य तुलसीकाष्ठ का चन्दन लगाता है, उसके शरीरको पाप नहीं लगता है।
कार्तिक मास के दौरान सात्विक आहार और संयम का खास महत्व है। इस दौरान तामसिक चीजों को ग्रहण नहीं किया जाता है। इस समय प्याज, लहसुन, मांस और मद्यपान का पूर्ण त्याग कर फल, दूध और सादा आहार लेने का विधान है। मां तुलसी की विशेष अराधना करनी चाहिए। सुबह-शाम तुलसी के सामने दीपक जलाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस मास में तुलसी का एक दीप कई दीप के बराबर माना जाता है।


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