क्या होता है दीपदान? जानिए कार्तिक मास में दीपदान का महत्व और तरीका
कार्तिक मास हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना होता है, जो कि बहुत ही पवित्र माना गया है. यह मास जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है. इस दौरान भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी की पूजा को बहुत महत्व दिया गया है. इसके अलावा, कार्तिक मास में दीपदान करना बेहद खास माना जाता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि दीपदान क्या होता है, दीपदान करने की विधि और कार्तिक मास में दीपदान का क्या महत्व होता है.
दीपदान क्या होता है?
दीपदान का अर्थ है दीपक जलाकर किसी उपयुक्त स्थान पर दान करना या रखना. दीपदान किसी देवता, पवित्र नदी या किसी विद्वान ब्राह्मण के घर किया जाता है. मुख्य रूप से दीपदान जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है. दीपदान को ज्ञान और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक भी माना जाता है. खासकर कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्व है और इससे अक्षय पुण्य मिलता है.
कार्तिक मास में दीपदान का महत्व
कार्तिक मास में दीपदान बहुत शुभ फल देने वाला माना जाता है. कार्तिक मास में दीपदान करने से व्यक्ति को दिव्य कान्ति से युक्त होने और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होने का लाभ मिलता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में दान करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल सकती है और अगले जन्म में महान कुल में जन्म लेने का आशीर्वाद भी मिलता है.
मोक्ष और पुनर्जन्म से मुक्ति:- कार्तिक मास में दीपदान करने से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है.
दिव्य कान्ति की प्राप्ति:- कार्तिक मास में श्रीकेशव के निकट अखंड दीपदान करने से व्यक्ति दिव्य कान्ति से युक्त हो जाता है.
पुण्य की प्राप्ति:- कार्तिक माह में दीपदान करने से सभी यज्ञों और तीर्थों का फल प्राप्त होता है, जो कि अन्य दान-पुण्य से प्राप्त होने वाले फल से कहीं ज्यादा है.
पापों का नाश:- कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करके दीपदान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है.
अगले जन्म में शुभ फल:- कार्तिक मास में तुलसी के सामने दीपक जलाने से व्यक्ति के अगले जन्म में एक महान कुल में जन्म लेने की संभावना बनती है.
कार्तिक मास में दीपदान करने से कौन सा लोक प्राप्त होता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में दीपदान करने से विष्णु लोक, लक्ष्मी लोक और मोक्ष जैसे लोक प्राप्त होते हैं. साथ ही, कार्तिक मास में दीपदान करने से अक्षय पुण्य भी मिलता है. कार्तिक मास में मंदिर में दीपदान से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. वहीं, नदी घाट पर दीपदान दान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. घर के मुख्य द्वार या तुलसी के पौधे के पास दीपदान करने से धन और समृद्धि आती है और सभी पाप नष्ट होते हैं.
दीपदान कब करें?
दीपदान विशेष रूप से कार्तिक मास में किया जाता है, जो दीपदान का महीना कहलाता है. इसके अलावा, दीपावली, नरक चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भी दीपदान करना महत्वपूर्ण माना जाता है. दीपदान इसे अंधेरा होने पर यानी सूर्योदय से पहले (ब्रह्म मुहूर्त) या सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. दीपदान घर के पूजा स्थान, तुलसी के पौधे के पास, नदी या तालाब के घाट पर और मंदिरों में किया जाता है.
दीपदान करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
कार्तिक मास में दीपदान करते समय ‘शुभं करोति कल्याणं’ मंत्र बोलना चाहिए, जिसका अर्थ है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन-संपदा देने वाली और शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है.
कार्तिक मास में दीप दान कैसे करें?
दीपक तैयार करें:- एक मिट्टी का दीपक लेकर उसमें घी या तिल का तेल भरें. फिर एक रुई की बत्ती बनाकर दीपक में रखें.
स्थान चुनें:- किसी नदी या तालाब के किनारे, घर के मंदिर या तुलसी के पौधे के पास दीपदान कर सकते हैं.
दीपदान करें:- दीपक को सीधे जमीन पर रखने के बजाय चावल या सप्तधान के ऊपर रखें, ताकि भूमि को नुकसान न पहुंचे.
प्रार्थना और मंत्र:- दीपक जलाते समय भगवान का स्मरण करें और अपनी मनोकामना बोलनी चाहिए.
जल अर्पित करें:- दीपक के साथ थोड़ा जल भी अर्पित करें.
वापस घर आएं:- दीपक जलाने और पूजन करने के बाद बिना देखे वापस घर आ जाएं.
दीपदान करने के नियम---
दीपदान में दीपों की संख्या और बत्तियां मनोकामना के अनुसार तय की जाती हैं.
अगर नदी के पास नहीं जा सकते, तो घर पर ही नदी का आवाहन करके दीपदान कर सकते हैं.
दीपदान करते समय एक दीपक से दूसरा दीपक नहीं जलाना चाहिए.

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