सकारात्मक ऊर्जा के लिए इसे घर में रखें
क्राइसोकोला एक प्रकार का उपरत्न है, जो एक चिकना तथा रेशेदार पत्थर है। यह उपरत्न चिकना होता है। कई बार यह पारभासी को कई बार यह अपारदर्शी रुप में पाया जाता है। इस उपरत्न को देखने पर फिरोजा का आभास होता है। क्राइसोकोला काफी कुछ फिरोजा से मिलता-जुलता है। कई बार इसे देखकर रंगें हुए कैल्सीडोनी व तुरमलीन उपरत्न का भी भ्रम पैदा होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपरत्न शांति, सौहार्द, बुद्धि तथा विवेक का सूचक माना जाता है। यह अशांति के समय व्यक्ति को शांत रखता है और विचारों में उग्रता नहीं आने देता। यह व्यक्ति को अध्यक्षता करने के लिए बढा़वा देता है। विचारों में तटस्थता तथा स्पष्टता लाता है। यह घबराहट तथा चिड़चिड़ेपन में कमी करता है। जब व्यक्ति बहस, लडा़ई और रिश्ता टूटने से मानसिक रुप से परेशान होता है और रहने के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा अधिक हो जाती है तब इस उपरत्न को उपयोग में लाने से वातावरण तथा व्यक्तिगत भावनाएं शुद्ध हो जाती हैं।
माना जाता है कि इस उपरत्न को घर में रखने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आफिस में रखने से सभी व्यक्ति आपस में मिलकर काम करते हैं। इस उपरत्न को आफिस के कैश रजिस्टर या कैश रखने वाले लॉकर के पास रखा जाए तो धन में वृद्धि होती है। जातक का भाग्य बली होता है। वातावरण में खुशहाली रहती है। मानसिक स्तर अच्छा रहता है।यदि व्यक्ति विशेष को किसी बात से अकारण डर लगता है अथवा तनाव या अपराध भावना जागृत होती है तब इस उपरत्न को धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से जातक को आंतरिक ऊर्जा प्राप्त होती है और वह स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल ढा़लने में सक्षम होता है।
स्फटिक ओपल के साथ प्राप्त हुए क्राइसोकोला को ही आभूषण बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस उपरत्न में तांबे का समिश्रण होता है। इसलिए यह तांबे की खानों के आसपास पाया जाता है। एलात उपरत्न, क्राइसोकोला की ही एक श्रेणी है और यह विभिन्न श्रेणियों में हरे तथा नीले रंगों के मिश्रण में पाया जाता है।
शुद्ध रुप में पाया जाने वाला क्राइसोकोला गहने बनाने के उद्देश्य से बहुत ही नर्म होता है, लेकिन यह क्वार्टज रुप में पाए जाने से कुछ सख्त हो जाता है। यह उपरत्न नीले-हरे रंग में पाया जाता है। फिरोजा जैसे रंग में पाए जाने से क्राइसोकोला कई कीमती रत्नों के उपरत्न के रुप में उपयोग में लाया जा सकता है।
--
Leave A Comment