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घर बनवाते समय या खरीदते समय वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए। दरअसल वास्तु के नियमों से घर में खुशहाली और सुख समृद्धि आती है। अगर इन टिप्स को न देखा जाए तो कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। घर में बरकत और धन-धान्य के लिए भी ये वास्तु टिप्स महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन टिप्स के लिए आपको घर में कुछ निर्माण तुड़वाने की जरूरत नहीं, बस घर में कुछ छोटे-छोटे उपाय करके घर में सुख समृद्धि पा सकते हैं।
घर में एक तरफ तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए। एक तरफ सिर्फ दो दरवाजे ही वास्तु के हिसाब से सही माने जाते हैं।घऱ में अगर खाना बनाते हैं तो पहली रोटी गाय के लिए निकालें।वास्तु में सूखे फूल रखना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि घर में सूखे और आर्टिफिशियल फूल नहीं होने चाहिए।घर में अगर कोई चीज टूट गई हो, तो उसे घर से बाहर कर दें। कबाड़ घर में रखने से नकारात्मकता आती है।घर का दरवाजा दो फाटक वाला ही होना चाहिए, साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर के मुख्य दरवाजे में किसी प्रकार की जंग आदि न लगी हो।घर की सेंट्रल टेबल गोल नहीं होनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि घर में गोल टेबल और गोल आइना नहीं रखना चाहिए।वास्तु के अनुसार घर में मोरपंक आदि भी रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि घर की तिजोरी में मोरपंख को खड़ा करके रखना चाहिए। इससे घर में धन की कमी नहीं होती है और मां लक्ष्मी का वास होता है। -
धन के लिए बेस्ट माने जाते हैं ये चार रत्न, किन राशियों को करेंगे सूट
हर राशि के लिए अलग-अलग रत्न निर्धारित किए गए हैं। रत्न हमेशा ज्योतिष से कुंडली में ग्रहों की स्थिति दिखाकर ही पहनने चाहिए . बिना किसी जानकारी के रत्न धारण नहीं करने चाहिए। कहा जाता है अगर बिना जानकारी के रत्न पहना तो यह नाकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। ज्योतिष और रत्न शास्त्र में इन चार रत्नों को धन के लिए बहुत बेस्ट बताया गया है।सुनहला रत्न धन के मामले में बहुत खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे धारण करने से घर में धन संचित होता है। इसे पुखराज का सब्सीट्यूट भी कहते हैं। इसे पहनने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।अगर काम कोई काम चलता नहीं और आपकी इनकम का साधन नहीं है तो जेड स्टोन बहुत सही रत्न है। इससे पहनने से आपका नया काम चल पड़ेगा।नौकरी करते हैं औऱ कन्या राशि है तो पन्ना बहुत ही खास है। इस राशि के लोगों को पन्ना पहनना चाहिए। इसे पहनने से नौकरी में प्रमोशन और सुख समृद्धि आती है।पुखराज ब़ृहस्पति का रत्न है। इसे सुख सौभाग्य के लिए पहना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस रत्न को पहनने से जीवन में समृद्धि आती है। -
वास्तु शास्त्र के अनुसार कई प्रकार के वास्तु नियमों को न मानकर कई जगह धन कभी ठहरता नहीं है। धन का संचय करना इसकी वजह से काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें घर में वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं , ऐसे ही टिप्स के बारे में जिन्हें अपनाकर आप धन का संचय कर सकते हैं।
1.अगर आपके घर का दरवाजा आवाज करता है तो तुरंत इसका समाधान करें, वरना इससे आपको धन की समस्या हो सकती है। इसलिए बाहर का दरवाजा बिल्कुल भी आवाज न करे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
2.घर में अगर दवाइयां रखते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि घर के उत्तर पूर्व में दवाइयां न रखें। ऐसा करने से घर में बीमारी खत्म नहीं होती, और धन की समस्या भी बन जाती है।
3. अगर की दक्षिण पूर्व दिशा में नीला रंग है तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वहां से नीला रंग हटा दें। इस दिशा में पीला या गुलाबी रंग रखें। ऐसा करने से आपके घर में धन का आगमन रहेगा।
4.इस रंग के न पहनें कपड़े- वास्तु शास्त्र में काले रंग को अशुभ माना गया है। काला रंग नकारात्मकता को दर्शाता है। ऐसे में करियर में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए काले रंग के कपड़े ना पहनें। - किसी को भी रक्षा सूत्र बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है-येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ इसके पीछे एक कथा प्रचलित है।भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि का मान मर्दन किया और उन्हें पाताल का राज्य दे दिया। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए दैत्यराज बलि पाताल तो चले गए किन्तु वहाँ जाकर उन्होंने नारायण की घोर तपस्या की। जब श्रीहरि प्रसन्न हुए तब बलि ने वरदान माँगा कि वे वही पाताल में रहें। तब भगवान विष्णु वहीँ पाताललोक में स्थित हो गए। जब माँ लक्ष्मी को इस बात की जानकारी हुई तब वे घबरा कर पाताललोक पहुँची और दैत्यराज बलि की कलाई में रेशम की डोर बांध कर अपनी रक्षा की गुहार लगाई। इससे बलि ने देवी लक्ष्मी को अपनी भगिनी मानते हुए उन्हें उनकी रक्षा का वचन दिया। तब देवी लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि से अपने पति को वापस मांग लिया। तब से भाइयों द्वारा बहनों को वचन के साथ-साथ कुछ उपहार देने की प्रथा भी चली और दैत्यराज बलि के नाम पर इस पर्व का एक नाम "बलेव" भी पड़ा। यही कारण है कि रक्षासूत्र बांधते हुए हम इस मन्त्र का उच्चारण करते हैं: येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ - अर्थात: जिस सूत्र से महान दानवेन्द्र बलि को बाँधा गया था, उसी रक्षासूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ। अत: हे रक्षे (राखी) तुम अपने संकल्प से कभी विचलित ना होना। तभी से आज तक ये मन्त्र किसी भी प्रकार के रक्षा सूत्र को बाँधते समय बोला जाता है।
- हिन्दू धर्म में पेड़ पौधे और फूलों का काफी विशेष महत्व माना जाता है। उनमें से एक है अपराजिता का फूल। अपराजिता के फूल को हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है। बगीचों और घरों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला अपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। अपराजिता का फूल मोर पंख जैसा दिखता है। यह फूल भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। इसके अलावा नीले रंग का यह फूल शनि देव को प्रसन्न करने में भी काफी मददगार होता है। अपराजिता के फूल को धर्म के अलावा ज्योतिष में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में अपराजिता के फूलों के लिए ऐसे कारगर उपाय बताए गए हैं जो तेजी से असर दिखाते हैं। बात चाहे धन प्राप्ति की हो या नौकरी-व्यवसाय में सफलता पाने की, अपराजिता फूल का उपाय इन सभी के लिए बहुत कारगर होता है। आइए जानते हैं अपराजिता फूल के विशेष उपाय-धन प्राप्ति के उपाय: धन की कमी को दूर करने के लिए और बहुत धन प्राप्त करने के लिए सोमवार या शनिवार को अपराजिता के 3 फूल बहते पानी में फेंक दें। कुछ ही देर में आपको फर्क समझ में आने लगेगा।नौकरी में प्रमोशन पाने के उपाय: अगर प्रमोशन या नई नौकरी पाने का हर प्रयास विफल हो रहा है, तो साक्षात्कार से पहले अपराजिता के 6 फूल, फिटकरी के 5 टुकड़े और कमर पर पट्टी बांधकर देवी मां को अर्पित करें। फिर अगले दिन उस बेल्ट को किसी लड़की को दे दें और फूलों को पानी में बहा दें। वहीं फिटकरी के टुकड़े जेब में रखें और इंटरव्यू के लिए जाएं। आपको सफलता अवश्य मिलेगी।मनोकामना पूर्ति के उपाय: यदि आपकी कोई मनोकामना लंबे समय तक अधूरी रह जाती है तो अपराजिता के फूलों की माला मां दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु को अर्पित करें। ईश्वर शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।इस दिन लगाएं पौधाअपराजिता का पौधा गुरुवार और शुक्रवार को घर में लगाना चाहिए। गुरुवार भगवान विष्णु को समर्पित है और शुक्रवार भगवान लक्ष्मी को समर्पित है। इन दोनों दिनों में अपराजिता का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। आपके घर मां लक्ष्मी जी का आगमन होगा।
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सुखों के प्रदाता शुक्र का राशि परिवर्तन होने वाला है. रविवार, 7 अगस्त को शुक्र मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे. शुक्र का यह राशि परिवर्तन सुबह करीब साढ़े पांच बजे होगा. इसके बाद शुक्र 31 अगस्त तक इसी राशि में रहेंगे. ज्योतिषियों का दावा है कि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) से पहले शुक्र का यह गोचर चार राशियों के लिए बहुत लकी साबित होने वाला है.
वृषभ
आपके दांपत्य जीवन में सुधार आएगा. नौकरी में पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी. मानसिक समस्याएं दूर होंगी. लंबे समय से चली आ रही आर्थिक तंगी से मुक्त होंगे. लंबे समय से कर्ज में डूबा रुपया भी वापस मिल सकता है. इस दौरान सूर्य देव को जल अर्पित करें. गुलाबी आपका शुभ रंग रहेगा.
सिंह
सिंह राशि वाले प्रत्येक कार्यों में सफलता पाएंगे. नौकरी-व्यापार के लिए समय बहुत ही शुभ रहने वाला है. पेशेवर जीवन में आपके द्वारा किए गए कार्यों की खूब प्रशंसा होगी. आर्थिक मोर्चे पर धन कमाने के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे. नौकरी-व्यापार में अच्छे लाभ की संभावना है. आपका शुभ रंग हरा है.
कन्या
कन्या राशि के जातकों की अर्थिक स्थिति मजबूत होगी. करोबार में लाभ बढ़ेगा. जमीन या वाहन खरीदने के लिए समय बहुत ही शुभ है. रिश्तों को प्राथमिकता देंगे. भाई-बहनों से रिश्ते बेहतर होंगे. इस गोचर के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना शुरू करें. आपका शुभ रंग है नीला.
मीना
मीन राशि में संतान की उन्नति के योग बन रहे हैं. धन कमाने के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे. छात्रों के लिए समय अनुकूल रहेगा. परीक्षाओं में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे. शुक्र गोचर के बाद खाने की वास्तु का दान करें. आपका शुभ रंग है जामुनी - हिंदू कैलेंडर में श्रावण मास के बाद भाद्रपद का महीना आता है। भाद्रपद को भादो भी कहते हैं। इसमें कई खास व्रत-त्योहार आते हैं। इन्हीं में से एक है कजरी तीज। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्योहार मनाने की परंपरा है। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा से पति को दीर्घायु और घर में सुख-संपन्नता का वरदान प्राप्त होता है। आइए कजरी तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में जानते हैं.....कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। हालांकि कुवांरी लड़कियों के लिए भी इस व्रत को बहुत फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यताएं हैं कि शादीशुदा या कुंवारी लड़कियां अगर सच्चे मन से कजरी तीज का उपवास करें तो उन्हें सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है।कजरी तीज की तिथिकजरी तीज का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा। तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा।कजरी तीज की पूजन विधिकजरी तीज के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। फिर नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। इसके बाद नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। माता को काजल और वस्त्र अर्पित करें और फल-फूल चढ़ाएं।पूजा में इस्तेमाल होने वाले कलश पर रोली से टीका लगाकर कलावा बांधें। पूजा स्थल पर तेल या घी का दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें। रात में चंद्रमा के दर्शन और अघ्र्य देने के बाद ही व्रत खोलें।
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सनातन परंपरा में प्रत्येक दिन किसी किसी देवता या ग्रह विशेष की पूजा, व्रत और तीज-त्योहार आदि को लिए रहता है. यदि बात करें अगस्त महीने की तो इस साल इसमें कई बड़े प्रमुख पर्व, उत्सव और व्रत पड़ेंगे. इस माह जहां सावन की पूर्णिमा पर भाई और बहन के स्नेह से जुड़ा रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा तो वहीं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और गणेश उत्सव जैसे बड़े महापर्व भी पड़ेंगे. इनके साथ हर महीने में पडऩे वाली एकादशी, प्रदोष व्रत जैसे कई व्रत एवं तुलसी जयंती भी मनाई जाएगी. आइए जानते हैं कि अगस्त महीने में कब कौन सा त्योहार पड़ेगा.
नाग पंचमी
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पडऩे वाली पंचमी तिथि को नाग पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है जो कि इस साल 02 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन सुख-सौभाग्य की कामना लिए नाग देवता की पूजा का विधान है.
रक्षाबंधन एवं श्रावण पूर्णिमा
भाई-बहनों के स्नेह से जुड़ा पावन पर्व रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को पड़ता है. इस साल यह पावन पर्व 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु और वरलक्ष्मी के लिए भी विशेष रूप से व्रत रखा जाता है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
सनातन परंपरा में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस साल यह पावन पर्व 18-19 अगस्त को मनाया जाएगा. 18 अगस्त को स्मार्त को और 19 अगस्त को वैष्णव परंपरा के तहत जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
कब पड़ेगा एकादशी व्रत
अगस्त के महीने में भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाले दो एकादशी पड़ेंगी. इनमें से पहली पुत्रदा एकादशी 08 अगस्त 2022 को और दूसरी अजा एकादशी 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा.
कब पड़ेगा प्रदोष व्रत
औढरदानी भगवान शिव की कृपा दिलाने वाला प्रदोष व्रत 09 अगस्त 2022 और 24 अगस्त 2022 तारीख को रखा जाएगा.
गणेश चतुर्थी व्रत
रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान ?श्री गणेश की पूजा और उत्सव से जुड़ा महापर्व इस साल 31 ?अगस्त से शुरु होगा. 10 दिनी गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरु होकर अनंत चतुर्दशी को पूर्ण होता है.
अगस्त 2022 के तीज-त्योहार
02 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - नाग पंचमी
05 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - दुर्गाष्टमी व्रत
08 अगस्त, 2022 (सोमवार) - पुत्रदा एकादशी
09 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
11 अगस्त, 2022 (गुरुवार) - रक्षाबंधन
12 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - श्रावण पूर्णिमा एवं वरलक्ष्मी व्रत
13 अगस्त, 2022 (शनिवार) - भाद्रपद मास प्रारम्भ
14 अगस्त, 2022 (रविवार) - कजरी तीज
15 अगस्त, 2022 (सोमवार) - संकष्टी चतुर्थी
17 अगस्त, 2022 (बुधवार) - हलषष्ठी व्रत, सिंह संक्रांति
19 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - श्री जन्माष्टमी
23 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - अजा एकादशी
24 अगस्त, 2022 (बुधवार) - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
25 अगस्त, 2022 (गुरुवार) - मासिक शिवरात्रि
27 अगस्त, 2022 (शनिवार) - भाद्रपद अमावस्या
30 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - हरतालिका तीज व्रत
31 अगस्त, 2022 (बुधवार) - गणेश चतुर्थी व्रत - हरियाली तीज आज मनाई जा रही है। इस दिन हरे रंग को पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसके पीछे का कारण और महत्व क्या है आइए जानें.-------------हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और पार्वती पूजा करने और व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, मेहंदी लगाती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। इस दिन पर महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। हरे रंग की चूडिय़ां पहनती हैं। श्रृंगार में हरे रंग की अधिकता ज्यादा होती है. लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि हरे रंग के कपड़े इस दिन क्यों पहने जाते हैं। इसका महत्व क्या है आइए जानें...हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्वहिंदू धर्म में इस रंग को बहुत ही पवित्र माना जाता है। सावन के महीने में इस रंग का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने में बारिश होती है. चारों ओर हरियाली नजर आती है। मॉनसून में मौसम बहुत ही सुहावना होता है। ये मौसम भीषण गर्मी से राहत पहुंचाता है। इससे मन शांत और खुश रहता है। इसलिए हरे रंग को प्रकृति का भी रंग माना जाता है. इस रंग को सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता कि भगवान शिव को हरा रंग बहुत ही पसंद है। ये रंग बुध का भी माना जाता है। इस रंग के कपड़े पहनने से कुंडली में बुध को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसलिए आप हरियाली तीज के दिन कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए इस रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं। यही कारण ही हरियाली तीज के दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।हरियाली तीज का महत्वहरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अविवाहित कन्याएं अगर इस दिन व्रत रखें तो उन्हें मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को उत्तम संतान के लिए भी रखा जाता है। इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
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जानिए गुलाब के फूल का वास्तु.... दिन को बनाएं खूबसूरत...
जब भी आप किसी से उसका फेवरेट फूल पूछते हैं तो ज्यादातर लोग गुलाब का ही नाम लेते हैं। यह स्वाभाविक बात है कि इंसान को गुलाब का फूल और इसकी खुशबू इंसान को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन वास्तु शास्त्र में आज इंदु प्रकाश से जानिए घर में गुलाब की पंखुड़ियां का महत्व।
क्या आप जानते हैं कि गुलाब की खुशबु से आपका पूरा दिन अच्छा हो सकता है। कहते हैं न जब दिन की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा दिन अच्छा बीतता है, सब काम ठीक से, बिना किसी रुकावट के हो जाते हैं। सुबह के समय वैसे भी वातावरण में ताजगी होती है और उस पर सुबह-सुबह ताजे गुलाबों की खुशबु। जब आप एक पॉजिटिविटी के साथ दिन की शुरुआत करते हैं तो आपका पूरा दिन अच्छा बीतता है। Vastu Shastra
पूर्व दिशा में रखें गुलाब की पंखुड़ियों की कटोरी
यह भी जाहिर है कि आपका मन खुश रहेगा तो आपके काम भी अच्छे से होंगे और आपको खुश देखकर आपके आस-पास के लोग भी प्रसन्न रहेंगे। आप गुलाब की पंखुड़ियों से भरी इस कटोरी को घर की पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
रूम फ्रेशनर और परफ्यूम का काम
गुलाब जहां घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है, वहीं इसकी खुशबू के कारण किसी केमिकल वाले रूम फ्रेशनर और परफ्यूम की जरूरत नहीं पड़ती। पूरा घर दिन भर भीनी खुशबू से महकता रहता है। -
सावन आते ही बहन और भाईयों को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की जल्दी होने लगती है, और होना भी जरूरी है क्योंकि यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। बता दें रक्षाबंधन सावन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त 2022, गुरुवार को है। इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ में राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वादा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 अगस्त को है। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
रक्षाबंधन के दिन करें ये खास उपाय--
रक्षाबंधन के दिन बहनों को भाईयों से पहले भगवान गणेश जी की पूजा अवश्य करना चाहिए।
गणेश जी को दूर्वा घास भी अर्पित करनी चाहिए। इसके अलावा चंदन, बेलपत्र और राखी भी गणेश भगवान को अर्पित करें। इससे भाई का क्रोध कम होता है और बहनों के लिए प्यार बढ़ता है।
इस दिन बहनों को भगवान शिव का भी जलाभिषेक करना चाहिए। इस उपाय को करने से भाई को हर मुसीबत से छुटकारा मिलता है।
सूर्यदेव को भी जल अर्पित करना चाहिए। इस उपाय को करने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है।
रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई को खाना बनाकर खिलाएं। इससे प्यार ज्यादा होता है।
रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधे। ध्यान रखें कि भूलकर भी भाद्रपक्ष में राखी नहीं बांधनी चाहिए। - मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ अवश्य करें। रोजाना सुबह- शाम श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मनवांछित फल देती हैं।
(श्री लक्ष्मी चालीसा):
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
श्री लक्ष्मी चालीसा
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
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रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व भाई और बहन के लिए बहुत ही खास होता है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार मनाया जाएगा. इस दिन हर बहन अपने भाई की उन्नति और सलामती की प्रार्थना करती है. माना जाता है कि इस दिन भाई को उनकी राशि )के अनुसार राखी बांधना बेहद शुभ होता है. आइए जानते हैं कि कौन सी राशि के भाई को किस रंग की राखी बांधनी चाहिए.
राशि के अनुसार चुनें राखी के रंग
मेष राशि
मेष राशि के भाई को लाल रंग राखी बांधे.इससे भाई का स्वास्थ अच्छा रहेगा.
वृषभ राशि
इस राशि के भाई को सफेद रंग वाली रेशमी धागे की राखी बांधे. इसमें छह गांठे लगाएं. इससे उन्हें मानसिक शांति मिलेगी.
मिथुन राशि
इस राशि के भाई को हरे रंग की राखी बांधें. इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा, साथ ही भाई के अटके हुए काम बनने लगेंगे.
कर्क राशि
कर्क राशि वाले भाई को पीले रंग की रेशमी धागे वाली राखी बांधे. ऐसा करने से भाई को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी ओर रिश्तों में मजबूती बनी रहेगी.
सिंह राशि
सिंह राशि वाले भाई को पांच रंगों से बनी राखी बांधे और इसमें सात गांठे लगाएं.ऐसा करने से भाई के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी.
कन्या
कन्या राशि वाले भाई को सफेद या सिल्वर कलर की बांधे. इससे जीवन में आ रही रुकावटें दूर होंगी और भाई की रक्षा होगी.
तुला राशि
इस राशि के भाई को क्रीम कलर, सफेद या हल्के नीले रंग की राखी बांधें. इससे धन में वृद्धि होगी.
वृश्चिक राशि
इस राशि के भाई को गुलाबी, लाल या चमकीले रंग की राखी बांधे. इससे जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.
धनु राशि
इस राशि के भाई को सफेद या पीली डोरी वाली राखी बांधे. ऐसा करने से मानसिक शांति बनी रहेगी और व्यापार एवं नौकरी में तरक्की होगी.
मकर राशि
मकर राशि के भाई को मल्टीकलर राखी या फिर नीले रंग की राखी बांधे. इससे उनकी भाग्यवृद्धि होगी.
कुंभ राशि
इस राशि के भाई को ब्लू कलर की राखी बांधे. मनोबल मजबूत रहेगा और जीवन में आ रही परेशानियां दूर होंगी.
मीन राशि
इस राशि के भाई को लाल, पीला या नारंगी रंग राखी बांधे.इससे भाई के जीवन में खुशहाली आएगी. -
सावन का महीना शुरू होते ही लोग रक्षाबंधन के त्योहार का इंतजार करने लगते हैं. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक यह त्योहार हर तरफ रौनक लेकर आता है. यह त्योहार सावन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है और कहते हैं कि इस दिन यदि बहनें कुछ विशेष उपाय अपनाएं तो भाई की जिंदगी में खुशियां और तरक्की होती है।
रक्षाबंधन तिथि और शुभ मुहूर्त---
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 अगस्त को है और इसी दिन यह रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी.
रक्षाबंधन के दिन करें ये विशेष उपाय----
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन के दिन बहनों को भगवान गणेश जी पूजन अवश्य करना चाहिए. साथ ही गणेश जी को दूर्वा घास भी अर्पित करनी चाहिए. इसके अलावा चंदन, बेलपत्र और राखी भी गणेश भगवान को अर्पित करें. इससे भाई का क्रोध कम होता है.
रक्षाबंधन के दिन बहनों को भगवान शिव का भी जलाभिषेक करना चाहिए. इसके अलावा सुबह स्नान आदि कर सूर्यदेव को भी जल अर्पित करें. इस उपाय को करने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है और भाई को हर मुसीबत से छुटकारा मिलता है.
शास्त्रों में मुताबिक रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई को खाना बनाकर खिलाएं. ऐसा करना बेहद शुभ माना गया है.
साथ ही कोशिश करें कि रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधे. ध्यान रखें कि भूलकर भी भाद्रपक्ष में राखी नहीं बांधनी चाहिए. - आचार्य चाणक्य की कही हर बात बहुमूल्य है. उन्होंने जो बातें सैकड़ों वर्षों पहले की स्थितियों को देखकर कही थीं, उन्हें अगर आज के परिवेश में भी समझा जाए तो आपको उनकी बातें सही नजर आएंगी. आचार्य की बातों को अगर आपने जीवन में उतार लिया तो आपके लिए जीवन काफी आसान हो जाएगा. यहां जानिए आचार्य के वो 4 सबक जो आपके मुश्किल समय को जीवन में आने से रोकने में मददगार हैं.आचार्य चाणक्य ने लोगों को हमेशा दूसरों की बुराई करने से मना किया है. दूसरों की बुराई करके आप अपने अंदर भी बुराई ही पैदा करते हैं. इससे आपकी सोच नकारात्मक हो जाती है और आपके विचार दूषित हो जाते हैं. इसलिए दूसरों में कमी ढूंढने की बजाय स्वयं में कमी ढूंढने का प्रयास करें.आचार्य का कहना था कि धन हर किसी की आवश्यकता है, लेकिन धन कमाने के चक्कर में आप गलत राह न चुनें. गलत तरीके से धन आप बेशक बहुत तेजी से कमा सकते हैं, लेकिन बाद में आपको इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है. ये धन जितनी तेजी से आता है, उतनी ही तेजी से चला जाता है और व्यक्ति बर्बाद हो जाता है.आचार्य का कहना था अगर आप जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं तो दो बातों का खासतौर पर ध्यान रखें. पहली बात महिलाओं को पूरा सम्मान दें. महिलाओं को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. दूसरी बात, जहां भी रहें स्वच्छता के साथ रहें. जहां स्वच्छता नहीं होती, वहां मां लक्ष्मी का निवास नहीं होता. इसलिए शारीरिक स्वच्छता और निवास की स्वच्छता का खयाल रखें. वरना मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और आपका कमाया धन भी बीमारियों या अन्य फिजूल जगहों पर खर्च हो जाता है और घर में कभी बरकत नहीं रहती.आचार्य का कहना था कि हर व्यक्ति को लालच से हमेशा दूर रहना चाहिए. लालच वो अवगुण है जो आपसे कुछ भी करवा सकता है. आपको एकदम निचले स्तर तक ले जा सकता है. ऐसे में व्यक्ति अपने लिए स्वयं ही गड्ढा खोद लेता है.
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हरियाली तीज 31 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी
सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज नाग पंचमी से दो दिन पहले आती है. हरियाली तीज पर महिलाएं व्रत रखती हैं और सोलह श्रंगार करती है. हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का मिलन हुआ था. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. हरियाली तीज को छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई 2022 को रविवार के दिन मनाई जाएगी. आइए जानते हैं किस शुभ योग में मनाई जाएगी हरियाली तीज.
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जुलाई 31, 2022 को सुबह 02 बजकर 59 मिनट पर शुरू
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 01, 2022 को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर खत्म
हरियाली तीज पर बनने जा रहा है ये शुभ योग
इस साल हरियाली तीज पर रवि योग बनने जा रहा है. रवि योग को शुभ फल देने वाला योग माना जाता है. किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए इस योग को श्रेष्ठ माना जाता है. माना जाता है कि रवि योग कई अशुभ योगों से होने वाली हानि से बचाता है. रवि योग पर सूर्य को अर्घ्य देना जातकों के लिए काफी शुभ और प्रभावशाली माना जाता है. हरियाली तीज पर रवि योग 31 अगस्त को शाम 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 अगस्त को सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.
हरियाली तीज पूजा विधि
इस दिन सुहागिन महिलाएं स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं. इसके बाद पूजा के लिए एक चौकी पर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा रखी जाती है. इसके बाद माता पार्वती का 16 श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र, भांग धतूरा और धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं. इसके बाद गणेश जी की पूजा करें और हरियाली तीज की कथा सुनें. फिर माता पार्वती और भगवान शिव की आरती करें. -
इस समय सावन का पावन माह चल रहा है। सावन का महीना भोलेनाथ को प्रिय होता है। सावन मास में विधि- विधान से भोलेनाथ की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में भोलेनाथ धरती में ही रहते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव की शरण में जो भी आता है भगवान शिव उसके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुछ राशियों पर भगवान शंकर की विशेष कृपा रहती है। इन राशि वालों के सहायक भोलेनाथ होते हैं।
आइए जानते हैं किन राशियों पर रहते हैं भगवान शंकर मेहरबान-
मेष राशि
मेष राशि के जातकों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मेष राशि के लोगों को शिव की अराधना करनी चाहिए।
मेष राशि के जातकों को सावन मास में रोजाना शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। शिवलिंग पर जल अर्पित करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मेष राशि के जातक किस्मत के धनी होते हैं।
मेष राशि के जातकों को जीवन में समस्याओं का सामना कम ही करना पड़ता है।
मकर राशि
मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। मकर राशि के जातकों पर भगवान शिव और शनिदेव की विशेष कृपा रहती है।
मकर राशि के जातकों को रोजाना भगवान शिव की पूजा- अर्चना करनी चाहिए।
मकर राशि के जातक ऊॅं नम: शिवाय का जप करें।
मकर राशि के जातक भाग्य के धनी होते हैं।
मकर राशि के जातक विनम्र होते हैं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं। कुंभ राशि के जातकों पर भी शनिदेव और भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है।
कुंभ राशि के जातकों को शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों को क्षमता के अनुसार दान भी करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
कुंभ राशि के जातक स्वभाव के सरल होते हैं। -
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है. इस महीने में हर भक्त मानो शिव के रंग में रंग जाता है. हर जगह बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव (Lord Shiv) को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. भगवान की कृपा और मनवांछित फल प्राप्ति के लिए लोग सावनभर भगवान की सेवा और भक्ति करते हैं. सावन के महीने (Sawan Month) के सोमवार का भी विशेष महत्व होता है. ज्यादातर शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखकर उस दिन शिव जी की विशेष आराधना करते हैं. माना जाता है कि इससे भक्त की कामना जरूर पूरी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन का सोमवार इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? आइए जानते हैं इसके बारे में.
इसलिए खास है सावन का सोमवार
कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में उन्होंंने अपना शरीर त्याग दिया. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया. कहा जाता है सावन के महीने में ही शिव जी उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसके बाद पार्वती जी का शिव जी के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा माह शिव जी और माता पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. चूंकि सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. जो शिव भक्त सामान्यत: सोमवार का व्रत नहीं भी रखते, वो भी सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखते हैं.
सावन के सोमवार का महत्व
कहा जाता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
सावन के सोमवार में ऐसे करें पूजन
सावन के सोमवार के दिन सुबह और शाम स्नान के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें. शिव जी और माता पार्वती को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद व गंगा जल से शिव परिवार को स्नान कराएं. फिर चंदन, फूल, फल, धूप, दीप, रोली, वस्त्र, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें. गणपति को दूर्वा अर्पित करें. शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें. सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें और अपनी कामना को शिव जी से पूरी करने की प्रार्थना करें. इसके बाद आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. - हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि इनकी कृपा से ही व्यक्ति को अन्न, वस्त्र और धन की प्राप्ति होती है। वहीं प्रत्येक मनुष्य की कामना रहती है कि उसके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहे, लेकिन कहा जाता है कि मां लक्ष्मी चंचला हैं। एक स्थान पर ठहरना उनका स्वभाव नहीं है। हालांकि यदि आप हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो ज्योतिष के कुछ उपाय करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें यदि आप प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर करते हैं तो आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। जिससे आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। प्रात: काल में मां लक्ष्मी का पूजन और उपाय करने से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं उपाय...-यदि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो रहा हो, तो घर में कलह के साथ धन हानि भी होने लगती है। नकारात्मक ऊर्जा आपकी आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डालती है। इसके लिए आप प्रात: जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें तुलसी की पत्तियां डालकर कुछ देर रख दें। अब इस पानी को घर के सभी कोनों में और मुख्य द्वार पर छिड़कें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मान्यता है कि मां लक्ष्मी का आगमन होता है।-हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पूज्यनीय और पवित्र माना गया है। साथ ही इसे विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। ऐसे में अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य रखना चाहिए और प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए। तुलसी में जल चढ़ाते समय विष्णु जी के मंत्र, 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना चाहिए। इससे आपके घर की दरिद्रता दूर होती है आपके ऊपर विष्णु भगवान लक्ष्मी की कृपा रहती है। जिससे आपके घर में समृद्धि का वास होता है।-प्रतिदिन सुबह उठकर अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान करने के बाद शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करने से घर में देवी-देवताओं का वास होता है और लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।-प्रतिदिन जल्दी उठकर स्नानादि करके सूर्य को अघ्र्य अवश्य देना चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल और लाल सिंदूर डालकर सूर्य को अघ्र्य दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कार्य बनने लगते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यह कार्य सुबह जल्दी उठकर कर लेना चाहिए।---
- जिस प्रकार मनुष्य एक जैसा नहीं रहता । समय के साथ अलग-अलग परेशानियों का सामना करता रहता है । उसी प्रकार ग्रह की स्थिति भी बदलती रहती है। ग्रह की स्थिति बदलने से ही व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियों का, आर्थिक परेशानियों का और पारिवारिक झगड़ों का सामना करना पड़ता है ।वैसे ही अलग-अलग रिश्तों के लिए मंदिर में ध्वजारोहण करने से ग्रहों में सुधार होता है। शास्त्रों की मानें तो शिखर दर्शन ध्वजा को संपूर्ण फल प्रदान कारक कहा गया है । जैसे मनुष्य की संपूर्ण ऊर्जा का केंद्र सहस्त्रधार चक्र होता है उसी प्रकार मंदिर का केंद्र उसका ध्वज दर्शाता है। जो आकाशीय ब्रह्मांड ऊर्जा का टावर कहा जाता है ।। वैज्ञानिक अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है और ग्रहों के प्रभाव से शरीर में अनेक प्रकार के विकार आते हैं । अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार मंदिर में ध्वजा लगाएं।आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि किसी मंदिर के ध्वजारोहण से हम ग्रहों की मारक शक्ति व अपनी सहनशक्ति कैसे बढ़ाएं -सूर्य - सूर्य ग्रह पिता , ह्रदय और हड्डियों के कारक हैं। अगर पिता से संबंध अच्छे नहीं चल रहे हो या कुंडली में सूर्य का दोष हो तब पिता के नाम से ध्वजा लगाएं।चंद्र - यह ग्रह माता , मन और फेफड़े संबंधी कारक का ग्रह चंद्र है । पत्रिका में चंद्र दोष हो तो मां के नाम से मंदिर में ध्वजा लगाएं।मंगल - यह ग्रह भाई संबंधी है। यह ग्रह रक्त संबंधी दिक्कतें और अधिक क्रोध के कारक हैं। भाई संबंधी परेशानियों के लिए अपने भाई के नाम का ध्वजा लगाएं।।बुध - यह ग्रह त्वचा , ज्ञान और आंतों में दिक्कत जैसी समस्याओं के कारक है। अपने मामा के नाम से ध्वजा लगाएं।गुरु - लीवर जैसी समस्या,पति-पत्नी में विवाद, व आध्यात्मिक गुरु का कारक है । यह समस्याएं होने पर अपने पति-पत्नी या आध्यात्मिक गुरु के नाम से ध्वजा लगवाएं ।शुक्र- यह सुख -समृद्धि और आराम का कारक है । यौन संबंधित विकार होने पर या शुक्र ग्रह पीडि़त होने पर अपनी पत्नी के नाम से ध्वजा लगाएं ।शनि -बार-बार नौकरी में समस्या आना, कार्य में देरी होना, घुटने में दर्द या साढ़ेसाती के समय भी कानूनी समस्या आना शनि ग्रह पीडि़त दर्शाता है। इसके लिए अपने घर के नौकर के नाम से ध्वजा लगाएं।।राहु - राहु ग्रह लगाव का कारक है , शराब की आदत लगना, या कोई छुपा रोग होने पर अपने दादाजी के नाम से ध्वजा लगवाना फलकारी रहेगा।।केतु - केतु ग्रह नौकरी में अस्थिरता या क्रोनिक समस्याओं से पीडि़त होने पर अपने नाना जी के नाम से ध्वजा लगवाए। अलग-अलग तरह के ध्वज लगाने से ग्रहों में सुधार आएगा ।अक्सर लोग भगवान के सामने आंखें खोल-बंद करते रहते हैं। जबकि आध्यात्मिक शक्ति से आंखें स्वयं ही बंद होकर भगवान को याद करती हैं। अत: कभी मंदिर में दर्शन ना कर पाएं तब शिखर दर्शन ध्वजा दर्शन मात्र से ही मन को शांति मिलेगी । हवा में एक तरफ ध्वज लहरा रहा हो तो यह केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व दर्शाता है ।
- भगवान शिव पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्व पत्र और धतूरा भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं । माना जाता है कि बिल्व पत्र समर्पित करते ही शिव पूजा पूर्ण और सफल हो जाती है ।शिवजी के प्रिय पुष्प हैं—अगस्त्य, गुलाब (पाटला), मौलसिरी, कुशपुष्प, शंखपुष्पी, नागचम्पा, नागकेसर, जयन्ती, बेला, जपाकुसुम (अड़हुल), बंधूक, कनेर, निर्गुण्डी, हारसिंगार, आक, मन्दार, द्रोणपुष्प (गूमा), नीलकमल, कमल, शमी का फूल आदि । जो-जो पुष्प भगवान विष्णु को पसन्द है, उनमें केवल केतकी व केवड़े को छोड़कर सब शंकरजी पर भी चढ़ाए जाते हैं । भगवान शिव की पूजा में केतकी और केवड़े के पुष्पों का निषेध है। चम्पा के पुष्पों से शिव पूजन केवल भाद्रपदमास में किया जाता है ।शिव सहस्त्रनाम या शिव अष्टोत्तरशतनाम के एक-एक नाम को बोलते हुए शिवजी पर पुष्प या बेल पत्र चढ़ाये जाते हैं । शिव पुराण में मनोकामना सिद्धि के लिए एक लाख पुष्पों द्वारा शिव पूजा का विधान है किन्तु आज के युग में इतने पुष्प एक साथ न मिलने से 1008 या 108 पुष्पों द्वारा शिव पूजन किया जा सकता है ।माना जाता है कि कमल, बिल्वपत्र, शंखपुष्पों से शिवजी का पूजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि एक लाख पुष्पों से शिवजी का पूजन किया जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । इतने पुष्प न हों तो एक सौ आठ पुष्प से भी पूजन किया जा सकता है ।भगवान शिव को कमल कितने प्रिय हैं इससे सम्बन्धित एक कथा पुराणों में मिलती है । देवताओं के कष्ट दूर करने के लिए भगवान विष्णु प्रतिदिन शिव सहस्त्रनाम के पाठ से शिवजी को एक सहस्त्र कमल चढ़ाते थे । एक दिन भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा करने के लिए एक कमल छुपा दिया । एक कमल कम होने पर भगवान विष्णु ने अपना एक कमल-नेत्र शिवजी के चरणों में अर्पित कर दिया । यह देखकर भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न हुए और दैत्यों के विनाश के लिए उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया ।-भाद्रपदमास में कदम्ब और चम्पा से शिव पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं ।-भगवान शिव पर बेला के फूल चढ़ाने से सुन्दर व सुशील पत्नी प्राप्त होती है ।-मुक्ति की कामना करने वाले मनुष्य को कुशा से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।-पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को लाल डंठल वाले धतूरे से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।-यश प्राप्ति के लिए अगस्त्य के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए।-मंजरियों से शिवजी की अर्चना करने से भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं ।-लाल और सफेद आक, अपामार्ग और श्वेत कमल के फूलों से शिवपूजन से मनुष्य भोग और मोक्ष प्राप्त करता है ।-काम-क्रोधादि के नाश के लिए मनुष्य को भगवान शिव की जपाकुसुम (अड़हुल) के पुष्पों से पूजा करनी चाहिए ।-रोग नाश और उच्चाटन आदि के लिए कनेर के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए ।-बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्पों से पूजा करने पर मनुष्य को आभूषणों की प्राप्ति होती है ।-चमेली के पुष्पों से शिव पूजन से वाहन की प्राप्ति होती है-अलसी के फूलों से महादेवजी का पूजन करने वाला मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।-शमी पत्रों से पूजन अनेक प्रकार के सुख व मोक्ष देने वाला है ।-जूही के फूलों से पूजा की जाए तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती ।-सुन्दर नए वस्त्र व सम्पत्ति की कामना पूर्ति के लिए कर्णिकार (कनेर) के फूलों से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए ।-निर्गुण्डी के पुष्पों से शिव पूजन करने से मन पवित्र व निर्मल हो जाता है ।-बिल्व पत्रों के पूजन करने से भगवान शिव समस्त मनोकामना पूर्ण करते हैं ।-हरसिंगार के पुष्पों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होती है ।-ऋतु अनुसार पुष्पों से शिवपूजन करने से संसार के आवागमन से मनुष्य मुक्त हो जाता है ।-राई के फूलों से शिवजी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है ।-आयु की इच्छावाला पुरुष एक लाख दूर्वाओं से शिवजी का पूजन करे ।भगवान शिव का पुष्पार्चन करते समय यह ध्यान रखें कि पुष्प स्वयं के पैसे से खरीदे गए हों, दूसरों के बगीचे से बगैर पूछे तोड़े गए पुष्पों से शिव पूजा सफल नहीं होती है । स्वयं भगवान शिव ने पुष्पदंत गंधर्व से कहा-Óअपने आराध्य की स्तुति अपने श्रम से प्राप्त पदार्थ से करनी चाहिए । चोरी के पुष्पों से की गयी मेरी अर्चना मुझे पसन्द नहीं आती है।Ó
- तुलसी के पवित्र पौधे का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है और शास्त्रों में भी इसका उल्लेख किया गया हैै। माना जाता है कि इसका संबंध भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी से हैै। ज्योतिष शास्त्र ही नहीं वास्तु शास्त्र में भी तुलसी के पौधे का महत्व बताया गया हैै। वास्तु के अनुसार इस पवित्र पौधे को घर में व्यवस्थित करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती हैै। घर की तरफ आने वाली नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता हैै। वास्तु के अनुसार इसके साथ कई दूसरे पौधे लगाकर भी घर में सुख एवं शांतिपूर्ण माहौल बनाया जा सकता हैै। माना जाता है कि सावन माह में शिव-पार्वती के साथ तुलसी के पौधे की पूजा एवं पाठ का प्रावधान होता हैै।आप सावन में वास्तु के अनुसार कुछ उपाय करके धन की कमी समेत जीवन की कई समस्याओं को दूर कर सकते हैंै। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि सावन में आप तुलसी के साथ किन अन्य पौधों को लगाकर घर की सुख-शांति को बनाए रख सकते हैंै। जानें इनके बारे में....तुलसी और शमी का पौधाआप घर में सावन के दौरान तुलसी के साथ शमी का पौधा भी रख सकते हैंै। सनातन धर्म में इन दोनों पौधों को बहुत पवित्र बताया गया है और इनकी पूजा करके जीवन की कई समस्याओं को दूर किया जा सकता हैै। कहते हैं कि शमी के पौधे क संबंध भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम से हैै। भगवान राम ने लंका पर आक्रमण से पहले इस पवित्र पौधे की पूजा की थीै। वहीं पांडवों ने अपने शस्त्र छुपाने के लिए इस पौधे की मदद ली थीै। सावन में इन दोनों पौधों को घर में लगाएं और नियमित रूप से पूजा पाठ करेंै। ध्यान रहे कि आपको इन्हें उत्तर दिशा में ही लगाना है.धतूरे और तुलसी का पौधाकहते हैं कि धतूरे के पौधे का संबंध भगवान शिव से होता है और तुलसी के पौधे के साथ इसे लगाकर उनकी कृपा हासिल करने में आपको बहुत मदद मिल सकती हैै। तुलसी के साथ धतूरे का पौधा लगाने से घर में बनी हुई नेगेटिव एनर्जी दूर होती हैै। साथ ही सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना रहता हैै। तुलसी के साथ अगर धतूरे का पौधा लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए खास दिन को चुनें। भले ही तुलसी के लिए रविवार का दिन शुभ माना जाए, लेकिन आपको धतूरे का पौधा घर में सोमवार के दिन लगाना चाहिए।
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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जुलाई को पड़ रही है. इसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. ऐसे में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. इस दौरान मुंडन, विवाह, सगाई और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन 10 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी से पहले विवाह के तीन शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं. आइए जानें कौन सी तारीख को पड़ रहें ये शुभ मुहूर्त.
शादी के तीन शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी से पहले शादी के केवल तीन शुभ मुहूर्त हैं. इनमें से एक 5 जुलाई, दूसरा 6 जुलाई और तीसरा 8 जुलाई को पड़ रहा है. ये दिन शादी के लिए बहुत ही शुभ है. इन 3 शुभ मुहूर्त के बाद 4 महीने तक शादी का कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है. इसके बाद देवउठनी एकादशी से शादी के शुभ मुहूर्त पड़ेंगे. देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर को पड़ रही है. 10 जुलाई के बाद तक शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. ऐसे में जिन लोगों को शादी करनी है वे इन 10 जुलाई से पहले इन 3 शुभ मुहूर्त में भी कर सकते हैं.
क्यों नहीं होती हैं इन चार महीनों में शादी
हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से 4 महीने के लिए विष्णु भगवान योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन भगवान शिव को सौंप देते हैं. इस प्रकार 4 महीने तक भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. विष्णु भगवान देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक योग निद्रा में रहते हैं. इन 4 महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है. इसमें शादी, सगाई और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शामिल हैं. इसलिए इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें. - प्राचीन तंत्र शास्त्र में 64 योगिनियां बताई गई हैं। कहा जाता है कि ये सभी आद्यशक्ति मां काली की ही अलग-अलग कला है। इनमें दस महाविद्याएं तथा सिद्ध विद्याएं भी शामिल हैं। तंत्र के अनुसार घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां आद्यशक्ति ने 64 रुप धारण किए थे, जो कालांतर में 64 योगिनी कहलाईं। तंत्र शास्त्र में किसी भी महाविद्या का पूजन आरंभ करने से पूर्व 64 योगिनियों को सिद्ध करने का विधान बताया गया है। माना जाता है कि इन्हें सिद्ध करने के बाद विश्व में ऐसा कोई काम नहीं जो साधक नहीं कर सकता, अर्थात् साधक स्वयं ही ईश्वरमय हो जाता है।64 योगिनियों साधना के द्वारा वास्तु दोष, पितृदोष, कालसर्प दोष तथा कुंडली के अन्य सभी दोष दूर हो जाते हैं। इनके अलावा दिव्य दृष्टि (किसी का भी भूत, भविष्य या वर्तमान जान लेना) जैसी कई सिद्धियां बहुत ही आसानी से साधक के पास आ जाती है। परन्तु इन सिद्धियों का भूल कर भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अन्यथा अनिष्ट होने की आशंका रहती है।चौसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार है-(1) बहुरूपा (2) तारा (3) नर्मदा (4) यमुना (5) शांति (6) वारुणी (7) क्षेमकरी (8) ऐन्द्री (9) वाराही (10) रणवीरा (11) वानरमुखी (12) वैष्णवी (13) कालरात्रि (14) वैद्यरूपा (15) चर्चिका (16) बेताली (17) छिन्नमस्तिका (18) वृषवाहन (19) ज्वाला कामिनी (20) घटवारा (21) करकाली (22) सरस्वती (23) बिरूपा (24) कौवेरी (25) भालुका (26) नारसिंही (27) बिराजा (28) विकटानन (29) महालक्ष्मी (30) कौमारी (31) महामाया (32) रति (33) करकरी (34) सर्पश्या (35) यक्षिणी (36) विनायकी (37) विंध्यवासिनी (38) वीरकुमारी (39) माहेश्वरी (40) अम्बिका(41) कामायनी (42) घटाबरी (43) स्तुति (44) काली (45) उमा (46) नारायणी (47) समुद्रा (48) ब्राह्मी(49) ज्वालामुखी (50) आग्नेयी (51) अदिति (52) चन्द्रकान्ति (53) वायुवेगा (54) चामुण्डा (55) मूर्ति (56) गंगा (57) धूमावती (58) गांधारी (59) सर्व मंगला (60) अजिता (61) सूर्यपुत्री (62) वायु वीणा (63) अघोर (64) भद्रकालीतंत्र में 64 योगिनियों की साधना द्वारा मुख्यत: षटकर्मों सिद्ध किए जाते हैं। ये सभी अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न होने के कारण साधक को उसकी मनवांछित वरदान देने में सक्षम है। इन्हें सिद्ध कर लेने के बाद साधक जो भी चाहें कर सकता है। संक्षेप में इन्हीं को मातृका भी कहा जाता है और इनकी आराधना के द्वारा साधक विभिन्न प्रकार की दिव्य सिद्धियां प्राप्त कर चमत्कार दिखाने में सक्षम होते हैं।---
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हम सभी कहीं न कहीं जीवन को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग तो इसके लिए कड़ी मेहनत तक करते हैं, लेकिन फिर भी तरक्की उनसे दूरी बनाए रखती है. लोगों को लगने लगता है कि उनके काम या मेहनत में ही कोई कमी है. ज्योतिष या वास्तु ( Vastu ) शास्त्र की मानें तो इसके पीछे दोष भी हो सकते हैं. ये दोष आपको इस कदर प्रभावित करते हैं, जिसका असर लंबे समय तक नजर आता है. जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए लोग पूजा-पाठ, व्रत या इससे जुड़ी अन्य चीजें करते हैं. पूजा-पाठ के जरिए देवी-देवताओं को प्रसन्न करके जीवन में सुख एवं समृद्धि लाई जा सकती है. पूजा के लिए विशेष सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें नारियल, कलावा और पान के पत्ते भी शामिल होते हैं. क्या आप जानते हैं पान के पत्तों से कई समस्याओं का हल निकाला जा सकता है.
पूजा में विशेष महत्व रखने वाले पान के पत्तों के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय या विशेष बातें बताई गई हैं, जिन्हें अपनाकर आप समस्याओं को दूर कर सकते हैं और सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं. जानें इनके बारे में…
घर की नेगेटिविटी को करें दूर
हिंदू धर्म में बताया गया है कि पान के पत्तों में देवी-देवताओं का वास होता है और इसी कारण पूजा में इसका इस्तेमाल बहुत शुभ माना जाता है. घर में नेगेटिव एनर्जी को दूर करना चाहते हैं, तो भगवानों के समक्ष पान के पत्तों को चढ़ाएं. इसे आपके घर ही नहीं जीवन में भी पॉजिटिव माहौल बनेगा और आपको आने वाली समस्याओं से लड़ने की हिम्मत भी मिलेगी. काम में बाधा आ रही है, तो इसके लिए रविवार के दिन अपने साथ पान का पत्ता लेकर जरूर निकलें.
पान के पत्ते से भगवान शिव की उपासना
मान्यता है कि भगवान शिव को पान के पत्ते चढ़ाने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा भी बनी रहती है. भगवान शिव की उपासना करते समय उन्हें पान के पत्ते ही नहीं सुपारी, गुलकंद, सौंफ और कत्था से बना हुआ पान चढ़ाएं. भगवान को इसका भोग लगाने से आपके जीवन में जारी कष्ट दूर हो पाएंगे. आप इस उपाय को करने के लिए हर सोमवार का दिन चुन सकते हैं और आने वाले सावन के महीने में ऐसा करना बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
आर्थिक तंगी
खूब पैसा आने के बाद अगर वह हाथों में न टिके, तो ये स्थिति चिंता का विषय मानी जा सकती है. हम मेहनत पैसा कमाने के लिए करते हैं, ताकि सुख-सुविधाओं में कमी न आए, लेकिन अगर पैसा ही हमारे पास न रुके, तो कठिनाइयां ज्यादा तंग करती हैं. अगर आप इस तरह की आर्थिक तंगी को झेल रहे हैं, तो इसके लिए पान के पत्ते का उपाय करें. इसके लिए 5 पान के पत्ते लें और उन्हें माता लक्ष्मी के समक्ष चढ़ाएं. इसके बाद इन्हें एक धागे में बांधकर घर की पूर्व दिशा में बांध दें. इससे व्यापार और नौकरी दोनों में फायदा होगा.

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