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- लंबे, घने और मुलायम बाल हर व्यक्ति को पसंद होते हैं। लेकिन कई कारणों की वजह से लोगों को मनचाहे बाल नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में अकसर लोग अपने बालों की लंबाई बढ़ाने के लिए हेयर केयर ट्रीटमेंट लेते हैं। वहीं, कई लोग नैचुरल तरीके से बालों को बढ़ाना पसंद करते हैं। अगर आप भी प्राकृतिक तरीके से अपने बाल बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो इन तीनों का अलग-अलग इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल को एक साथ मिलाकर लगाया जाता है, तो इससे अधिक लाभ मिल सकता है। तो चलिए, जानते हैं बालों को बढ़ाने के लिए एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैसे लगाएं?1. एलोवेरा बालों के विकास को बढ़ावा देता है। एलोवेरा में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं, जो स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखते हैं। साथ ही हेयर फॉलिकल्स को भी मजबूत बनाते हैं। इससे बाल मजबूत बनते हैं और बालों का विकास तेजी से होता है। एलोवेरा में मॉइश्चराइजिंग गुण भी होते हैं, जो बालों को मुलायम और चमकदार भी बनाते हैं। एलोवेरा ड्राई बालों से छुटकारा दिला सकता है।2. कैस्टर ऑयल या अरंडी का तेल भी बाल के विकास में मदद कर सकता है। कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल करने से बालों को 2 से 3 गुना बढ़ाया जा सकता है। अरंडी का तेल स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। इससे बालों को बढ़ने में मदद मिलती है। अरंडी का तेल बालों की ड्राईनेस को भी कम कर सकता है। इससे बालों को बढ़ाने में मदद मिलती है और बाल खूबसूरत बनते हैं।3. विटामिन ई स्कैल्प और बालों को हेल्दी बनाने में मदद करता है। विटामिन ई कैप्सूल में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रभाव होते हैं, जो बालों के विकास को बनाए रखने में सहायता करते हैं। विटामिन ई कैप्सूल को त्वचा के साथ ही बालों के लिए भी अच्छा माना जाता है। आप बालों की ग्रोथ करने के लिए विटामिन ई कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।बालों पर एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैसे लगाएं?बाल बढ़ाने के लिए आप एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई को एक साथ मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए आप 5-6 चम्मच एलोवेरा जेल लें। इसमें कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल ऑयल डालें। अब इन सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसे अपने बालों और स्कैल्प पर अच्छी तरह से लगा लें। एक घंट बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें। सप्ताह में 1-2 बार इस पेस्ट को लगाने से बालों की ग्रोथ में मदद मिलेगी। साथ ही, बाल मुलायम, चमकदार और खूबसूरत भी बनेंगे।
- गर्मियों की शुरुआत में बाजार में ककड़ी खूब मिलती है। यह एक बेहतरीन फूड है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है और गर्मियों के दौरान इसका सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी भी माना जाता है। यह न सिर्फ गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर को हाइड्रेट और एनर्जेटिक भी रखता है। इसमें विटामिन ए, के, और सी जैसे जरूरी विटामिन मौजूद होते हैं, साथ ही इसमें पोटेशियम से भी भरपूर होती है। शरीर को स्वस्थ रखने के अलावा, जो लोग वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए भी यह इसका सेवन बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। आप इसे अपनी वेट लॉस डाइट में शामिल करके अपनी वेट लॉस जर्नी में तेजी ला सकते हैं।इस लेख में हम आपको वेट लॉस के लिए ककड़ी खाने के फायदे और इसे डाइट में शामिल करने के आसान तरीके बता रहे हैं।ककड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। इसमें पोषक तत्वों तो भरपूर मात्रा में होते हैं, लेकिन फैट 0 होता है और कैलोरी भी लगभग न के बराबर होती है। साथ ही इसमें पानी और डाइट्री फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं। यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करती है और एनर्जेटिक रखती है। इसमें मौजूद फाइबर आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराने, साथ ही पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करता है। इससे भोजन का पाचन और उनसे पोषक तत्वों को अवशोषण बेहतर होता है। यह पेट संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। इसका सेवन करने से भूख कम लगती है और क्रेविंग्स भी कंट्रोल रहती हैं, जो इसे वेट लॉस करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन स्नैक बनाता है।वजन घटाने के लिए ककड़ी का सेवन कैसे करेंवजन घटाने के लिए ककड़ी को डाइट में शामिल करने का सबसे आसान तरीका है, इसका सलाद के रूप में सेवन करना। आप भोजन से पहले इसका सेवन कर सकते हैं, ऐसा करने से आप ओवरईटिंग से बचेंगे और कम कैलोरी का सेवन करेंगे। इससे पाचन भी दुरुस्त रहेगा। इसके अलावा आप शाम के समय स्नैक्स के रूप में ककड़ी का सेवन कर सकते हैं। या फिर ब्रेकफास्ट और लंच के बीच में भी ककड़ी खा सकते हैं। इस तरह आपको दैनिक कैलोरी की खपत को कम करने में मदद मिलेगी। नियमित इसका सेवन करने आपको जल्द वेट लॉस में मदद मिलेगी।
- आज से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। कई लोग नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं तो कुछ 9 दिन के व्रत रखते हैं। व्रत का सिर्फ सात्विक ही नहीं बल्कि धार्मिक महत्व भी हो। व्रत रखना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन व्रत के दौरान अक्सर लोग ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिससे सेहत हो नुकसान पहुंच सकता है। शारदीय नवरात्रि के मौके पर जो श्रद्धालु व्रत रख रहे हैं उन्हें आज हम बताने जा रहे हैं कि उपवास के दौरान आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।खाली पेट न रहेंकिसी भी व्रत को करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप पूरे दिन खाली पेट रहें। खाली पेट उपवास करने से कमजोरी, चक्कर आना, घबराहट जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए व्रत के दौरान हमेशा खाली पेट न रहें। हर 3 से 4 घंटे पर जूस, फल या किसी भी एक ड्राई फ्रूट का सेवन जरूर करें।2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएंव्रत के दौरान खाना नहीं खाया जाता है, लेकिन पानी पीना जरूरी होती है। व्रत में आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी मिले और शरीर अंदर से हाइड्रेटेड रहे इसके लिए दिन में कम से कम 2 से 3 पानी जरूर पिएं। व्रत में शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए आप नारियल पानी का भी सेवन कर सकते हैं। पानी कम पीने से सिर दर्द, चक्कर आना और जीभ के सूखने जैसी समस्या हो सकती है।एक साथ ज्यादा मात्रा में खाने से बचेकई बार व्रत के दौरान लोगों को ज्यादा भूख लगती है तो वो एक बार में ही सब कुछ एक साथ खाना ही सही मानते हैं। एक साथ सबकुछ खाने के बाद पूरा दिन भूखे रहने से पेट में दर्द, कब्ज और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए व्रत में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही चीजें खाएं।तली हुई चीजों से बनाएं दूरीनवरात्रि के दौरान कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पूरा दिन व्रत रखते हैं और रात में कुट्टू के आटे की डीप फ्राई पूड़ी, आलू की सब्जी जैसी चीजों का सेवन करते हैं। पूरा दिन भूखा रहने के बाद अगर आप इतना तला या मसालेदार खाना खाते हैं तो ये सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। व्रत के दौरान तली हुई चीजों से परहेज करें। इसके बजाय नट्स, ड्राई फ्रूट्स और फल का सेवन करें।
- हरा लहसुन पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सेलेनियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही, इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण भी मौजूद होते हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं हरा लहसुन खाने के फायदे -इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएहरे लहसुन का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट होती है। दरअसल, इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही, यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भी भरपूर होता है। इसके सेवन से आप बैक्टीरिया और वायरस की चपेट में आने से बच सकते हैं।पाचन तंत्र दुरुस्त रखेहरा लहसुन खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होती है और पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। नियमित रूप से हरे लहसुन का सेवन करने से पेट में गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करेहरे लहसुन का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इसमें मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसे खाने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होता है।मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदहरा लहसुन हमारी ब्रेन हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण यह अल्जाइमर जैसे रोगों के खिलाफ प्रभावी रूप से काम करता है।जोड़ों के दर्द से दिलाए राहतहरे लहसुन में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से होता है, जिससे जोड़ो के दर्द और सूजन से राहत मिलती है।हरे लहसुन का सेवन आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। हालांकि, अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से अधिकतर लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें एसिडिटी भी शामिल है। जब की गैस्ट्रिक ग्लैंड, एसिड का अधिक उत्पादन करने लगती है, तो इसी स्थिति को एसिडिटी कहते हैं। एसिडिटी बनने पर पेट और सीने में जलन होने लगती है। साथ ही अपच, हार्टबर्न, गैस्ट्रिक सूजन जैसे लक्षणों का भी सामना करना पड़ता है। वैसे तो एसिडिटी की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन इन 4 बीमारियों वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है। तो चलिए, जानते हैं इन बीमारियों के बारे में-1. पेप्टिक अल्सरपेप्टिक अल्सर एक दर्दनाक बीमारी है। इसमें खुले घाव होते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत और छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में बनते हैं। पेप्टिक अल्सर वाले लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पेट दर्द पेल्टिक अल्सर का सबसे आम लक्षण है। लेकिन जिन लोगों को पेप्टिक अल्सर होता है, उन्हें पेट में जलन यानी एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा पेट का फूलना, उल्टी, मतली और वजन कम होना भी पेप्टिक अल्सर के लक्षण हो सकते हैं।2. हर्नियाहर्निया एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें शरीर का कोई आंतरिक अंग दूसरे हिस्से में पहुंच जाता है। हर्निया की समस्या बेहद पीड़ादायक हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को पेट में असहनीय दर्द हो सकता है। इसके अलावा हर्निया से पीड़ित लोगों को एसिडिटी या पेट में जलन का भी सामना करना पड़ता है। यानी हर्निया की बीमारी वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या ज्यादा हो सकती है। उल्टी, मुंह का खराब स्वाद और खट्टी डकारें भी हर्निया के लक्षण होते हैं।3. अस्थमाअस्थमा की बीमारी से पीड़ित लोगों को भी एसिडिटी से परेशान होना पड़ सकता है। इसे दमा और सांस फूलने की बीमारी भी कहा जाता है। अस्थमा वाले लोगों को सांस फूलने, सांस लेने में दिक्कत, अत्यधिक खांसी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इन लोगों को थकान भी अधिक बनी रहती है। एसिडिटी की समस्या भी अस्थमा वाले रोगियों में देखने को मिल सकती है। लेकिन ऐसा सभी मामलों में नहीं होता है।4. पित्त वाले लोगों मेंआयुर्वेद के अनुसार जिन लोगों को पित्त बढ़ने की दिक्कत होती है, उन्हें भी एसिडिटी की समस्या से ज्यादा परेशान होना पड़ता है। दरअसल, जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तो गर्मी बढ़ने लगती है। इसकी वजह से व्यक्ति को पेट और सीने में जलन महसूस हो सकती है। साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। अगर आप भी पित्त प्रकृति के हैं, तो इसे कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आपकी दिक्कत बढ़ सकती है।
- अधिकतर लोग सेँधा नमक का सेवन व्रत के दौरान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपके स्वास्थ्य को कई लाभ होंगे। जी हां, सेधा नमक आपकी मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन को कम करने के साथ-साथ वजन कम करना, पांचन संबंधी परेशानी दूर करना इत्यादि में फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा में इसके सेवन से आपके शरीर को नुकसान भी हो सकता है। आइए जानते हैं सेंधा के फायदे और नुकसान क्या हैं?सेंधा नमक के फायदेसेंधा नमक का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इसके साथ ही यह आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है। आइए जानते हैं सेंधा नमक के अन्य लाभ क्या हैं?मांसपेशियों की ऐंठन करे दूरसेंधा नमक के सेवन से आपकी मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन की परेशानियों को दूर किया जा सकता है। दरअसल, सेंधा नमक में इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को कंट्रोल करने का गुण होता है जो मांसपेशियों की ऐंठन को कम कर सकता है। अगर आपकी मांसपेशियों में सूजन, दर्द या ऐंठन की परेशानी हो रही है तो इस स्थिति में गुनगुने पानी में सेंधा नमक को मिक्स करके पिएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।पाचन की परेशानी से दिलाए राहतपाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए सेंधा नमक का सेवन करें। सेंधा नमक का सेवन करने से सीने में जलन, खट्टी डकार, कब्ज इत्यादि की परेशानी को दूर किया जा सकता है।गले की खराश करे दूरबदलते मौसम के साथ गले में खराश, सर्दी जुकाम की परेशानी होना काफी आम हो जाता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए सेंधा नमक आपके लिए लाभकारी हो सकता है। इससे गले में फंसे बैक्टीरियल समस्याओं से राहत पा सकते हैं। इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिक्स करके गरारे करें।मसूड़ों की परेशानीमसूड़ों की समस्याओं जैसे- दर्द, सूजन इत्यादि को दूर करने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिक्स करके इससे कुल्ला करें। साथ ही खाने में इसे एड करें। इससे काफी लाभ मिलेगा।मेटाबॉलिज्म करे बूस्टसेंधा नमक का सेवन करने से आपकी मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया बूस्ट हो सकती है। यह एलर्जी की समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। साथ ही शारीरिक कार्य प्रणाली में सुधार करता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो नियमित रूप से सेंधा नमक का सेवन करें।सेंधा नमक के नुकसान --सेंधा नमक में आयोडीन की मात्रा काफी तम होती है इससे अगर आप लंबे समय तक सेंधा नमक खाते हैं तो इससे घेंघा रोग हो सकता है।-सेंधा नमक के अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है।-सेंधा नमक के कारण वॉटर रिटेंशन की परेशानी हो सकती है।-सेंधा नमक आपके शरीर में सूजन का कारण बन सकता है।
- बालों के अच्छे विकास के लिए जितना आपका खानपान जरूरी है, उतनी ही बालों में तेल लगाना भी है। क्योंकि भोजन आपको सिर्फ आंतरिक रूप से पोषण प्रदान करता है, लेकिन तेल लगाने से बालों को बाहरी रूप से पोषण प्रदान करने में भी मदद मिलती है। आमतौर पर लोग बालों में सरसों, नारियल, बादाम का तेल, अरंडी और जैतून के तेल के प्रयोग करते हैं। लेकिन जब बालों की ग्रोथ बढ़ाने की बात आती है, तो जैतून और अरंडी के तेल का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। लेकिन लोगों के बीच में यह भी कंफ्यूजन देखने को मिलती है कि बालों के विकास के लिए दोनों में कौन से तेल अधिक लाभकारी है। किसे लगाने से बाल ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं? इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों ही तेल बालों के लिए बहुत लाभकारी हैं। लेकिन जब बालो के तेजी से विकास की बात आती है, तो इस स्थिति में जैतून के तेल का प्रयोग अधिक लाभकारी माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह विटामिन ई से भरपूर होता है। यह बालों को पोषण प्रदान करने और स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही दो मुंहे और रूखे बालों की समस्या दूर करता है। बालों के विकास के लिए जैतून का तेल आदर्श होता है।लेकिन अगर बालों में डैंड्रफ और फंगस की समस्या है, तो इस स्थिति में अरंडी का तेल अधिक लाभकारी होता है। स्कैल्प में मौजूद गंदगी और डैंड्रफ भी बालों के विकास को रोकते हैं, साथ ही हेयर फॉल और बालों से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करते हैं। इस स्थिति में अरंडी के तेल का प्रयोग करने से उनकी समस्याएं दूर हो सकती हैं और बालों के विकास में मदद मिल सकती है।बालों के विकास के लिए दोनों में से कौन से तेल का प्रयोग करें?बालों को स्वस्थ रखने और उनकी ग्रोथ बढ़ाने के लिए आप दोनों ही तेलों को समान मात्रा में मिलाकर लगा सकते हैं। इस तरह आपके बालों को दोनों का लाभ मिलेगा। अरंडी का तेल वैसे भी काफी गाढ़ा होता है, इसलिए बहुत से लोग इसका प्रयोग करने से बचते हैं। लेकिन जैतून के तेल में मिलाकर लगाने से यह पतला हो जाता है और बालों में आसानी से अवशोषित हो जाता है। इस तरह दोनों का प्रयोग करने से आपकी बालों से जुड़ी लगभग सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
- अगर आपको कब्ज की समस्या है तो रोजाना खीरे का सेवन कर सकते हैं। आगे जानते हैं इस समस्या में किसी तरह करें खीरे का सेवन?खीरे का जूस पिएंखीरे से मेटाबॉलिज्म तेज होता है। मेटाबॉलिज्म तेज होने से आपको आपको मल त्याग में परेशानी नहीं होती है। कब्ज की समस्या होने पर आप खीरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप करीब दो खीरे का जूस निकाल लें और इसमें एक नींबू का रस मिला दें। साथ ही इसमें एक चुटकी काला नमक भी मिला सकते हैं।खीरे का सलादखीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है। इससे आपके पेट में मल सॉफ्ट बनता है। जिससे सुबह मल त्याग करते समय आपको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके लिए आप बाजार से करीब दो से चार खीरे ले आएं और इसे सलाद की तरह खा सकते हैं।खीरे की स्मूदीखीरे की स्मूदी से आप कब्ज की समस्या में आराम पा सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप खीरे को मिक्स में पिस लें। इसके बाद इसमें धनिया और पुदीने के पत्तों को मिक्स में डाल कर पीस लें और खीरे की स्मूदी में मिला दें। इसके अलावा आप इसमें एक चुटकी भर नमक भी मिला सकते हैं।खीरा का रायताभारत में त्योहारों पर खीरे का रायता खाया जाता है। इससे पेट की समस्याओं में आराम मिलता है। साथ ही ये पाचन क्रिया को भी बेहतर करता है। रायता बनाने के लिए आपके पास खीरा, दही और जीरे का पाउडर व काले नमक की आवश्यकता होती है। इन सभी को अपनी आवश्यकतानुसार मिलाकर आप रायता बनाएं और डाइट में इसे शामिल करें।कब्ज में किस तरह से फायदेमंद होता है खीरा?-खीरा खाने से आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। सुबह के समय खीरा खाने से आपकी भूख शांत होती है।-पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए आप खीरे का सेवन कर सकते हैं।-आपके शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने में खीरा सहायक होता है।-खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है, जो आपके मल को नरम बनाती है।बाजार में खीरा आसानी से उपलब्ध होता है। ये आपकी कई समस्या को दूर करने के साथ कब्ज में भी लाभकारी होता है। सुबह के समय खीरा खाना ज्यादा उपयोगी होता है, लेकिन आप इसे अपने आहार के साथ भी ले सकते हैं।
- बहुमूल्य और गुणकारी मसालों में से एक हरड़ सेहत से लेकर सौंदर्य तक हर चीज़ का ख्याल रखती है। इस पेड़ की जड़, तना और फल सभी कुछ गुणकारी है। इसे हरीतकी कहकर भी पुकारा जाता है, जो त्रिफला रस या चूरन में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। पांच रसों से परिपूर्ण हरड़ में खटास, मिठास, तीखापन, कसैला और कड़वाहट पाई जाती है। इसे आप चूस सकते हैं। पाउडर के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही रस और काढ़े के रूप में भी पी सकते हैं।एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेंटरी गुणों से भरपूर हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होती है। हरड़ में प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीज़, विटामिन्स, आयरन और कॉपर पाया जाता है। मौसमी बीमारियों को दूर रखने में कारगर हरड़ की तासीर गर्म हरेती है। इसमें 24 से 32 फीसदी टैनिन पाया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें 18 अमीनो एसिड और फॉस्फोरिक, सक्सिनिक, क्विनिक और शिकिमिक एसिड भी कम मात्रा में मिलता है। ये फल जैसे जैसे पकता है, वैसे वैसे इसमें टैनिन की संख्या कम और टॉक्सिंस की वृद्धि होने लगती है। जानते हैं इसके फायदेस्किन एलर्जीत्वचा संबधी रोगों में हरड़ का काढ़ा बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा हरड़ का चूरन खाने से शरीर में ब्लड फ्लो नियमित होता है और नई कोशिकाओं का भी विकास होने लगता है।दांतों की समस्यादांत में दर्द के चलते हरड़ के चूरन को मुंह के अंदर लगाएं। इससे राहत मिलती है। इसके अलावा हरड़ और कत्थे को मिलाकर लेने से दांतों का मज़बूती मिलती है। हरड़ पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग में लाने से दांत संबधी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। खाने खाने के बाद अगर आप अपने दांत साफ नहीं करते हैं, तो दांतों पर एक परत जम जाती है। इस चिपचिपी परत से जीवाणु मूंह में पनपने लगते हैं।जख्मों के लिए लाभकारीइसके लिए घावों को हरड़ के पानी से धोएं। उसके बाद दो ग्राम हरड़ को पांच ग्राम मक्खन में मिलाएं। उसके बाद उसे जख्म पर लगा दें। इससे जख्त जल्दी सूखने लगता है।यूरिन के दौरान जलनदो से पांच ग्राम हरड़ पाउडर लें। उसमें एक चम्मच शहद को मिला लें। इसके सेवन से यूरिन में जलन और इससे संबधी बाकी समस्याएं हल हो जाएंगी।डाइजेस्टिव सिस्टमहरड़ को चूसने से वो धीरे धीरे भोजन का रस बना देती है जो आसानी से हज़म हो जाता है। इस प्रकार से इनडाइजेशन की समस्या अपने आप हल हो जाती है। ऐसे में खाने के बाद हरड़ कैण्डी या हरड़ चूरन को ले सकते हैं। इसके नियमित सेवन से वेट रिडक्शन में भी फायदा मिलता है।सेवन से पहले इन बातों का रखें ख्याल- प्रेग्नेंट महिलाओं को हरड़ का चूरन लेने से बचना चाहिए।-अगर आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही हरड़ का सेवन करें।-इसके अधिक सेवन से जलन की समस्या हो सकती है।-इसमें पाए जाने वाले लैक्सेटिव तत्व के चलते ज्यादा मात्रा में खाने से दस्त का कारण भी सि़द्ध हो सकती है।
- कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड वैसेल्स में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल एक वैक्स जैसा पदार्थ होता है। शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल जरूरी है , लेकिन इसकी मात्रा ज्यादा हो जाए, तो बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाने से मोटापा, हार्ट डिसीज, हाई बीपी, डायबिटीज आदि समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों को इसका असर आंखों में भी दिखता है।आंखें कमजोर हो सकती हैंकोलेस्ट्रॉल बढऩे के साथ आंखें कमजोर होने लगती है। अचानक से व्यकित अंधेपन की ओर नहीं बढ़ता। लेकिन सामान्य दिखने वाली चीजें भी धुंधली नजर आने लगती हैं। आंखों से दिखना कम हो जाने पर आंखों की जांच तुरंत करवानी चाहिए। जिन लोगों की आंखें पहले से ही कमजोर हैं, उन्हें उच्च कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा असर पड़ता है।कॉर्निया को प्रभावित करता हैकोलेस्ट्रॉल बढऩे का बुरा असर कॉर्निया पर पड़ता है। मरीज की आंख में आर्कस सेनिलिस नाम की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में कॉर्निया के चारों ओर भूरे या पीले रंग से छल्ले बन जाते हैं। कॉर्निया में कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण ऐसा होता है। इसका इलाज सर्जरी से किया जाता है।रेटिना को प्रभावित करता हैकोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩे का बुरा असर रेटिना पर पड़ता है। कोलेस्ट्रॉल बढऩे के कारण रेटिनल वेन ऑक्लुजन नाम की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी में रेटिना तक खून ले जाने वाली कोशिकाएं ब्लॉक हो जाती हैं। ग्लूकोमा, डायबिटीज, हाई बीपी और ब्लड डिसआर्डर के मरीजों को ये समस्या ज्यादा होती है।आंखों के आसपास पीलापन बढ़ सकता हैहाई कोलेस्ट्रॉल के कारण आंखों के आसपास की त्वचा पीली हो जाती है। ऐसा कोलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण होता है। आंखों के आसपास छोटे दाने भी नजर आते हैं। इस समस्या को जैंथिलास्मा के नाम से जानते हैं। जो लोग स्मोकिंग करते हैं या जिन्हें डायबिटीज या हाई बीपी है उन्हें ये समस्या ज्यादा परेशान करती है।उच्च कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए क्या करें?--हाई कोलेस्ट्रॉल का स्तर जांचने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है। समय-समय पर डॉक्टर की सलाह पर खून की जांच करवाते रहें।-खून में बैड कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों को अपनाएं। जैसे- एक्सरसाइज करना, पानी का सेवन, हेल्दी डाइट लेना आदि।-अपनी डाइट में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।-मीठी चीजों का सेवन न करें।-जंक फूड और फास्ट फूड का सेवन न करें।-अलसी के बीजों को हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक माना जाता है।-खाने में लहसून की कली, मेथी के दाने और नींबू पानी का सेवन करें। इससे कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद मिलती है।
- जीरावन पाउडर को इंदौर की शान कहा जाता है। यह एक ऐसा टेस्टी मसाला जिस के बगैर शायद हम कुछ चीजें बनाने का सोच भी नहीं सकते हंै , जैसे पोहा कई तरह के नमकीन ,पापड़ ,सलाद और सबसे स्पेशल गराडू आदि बहुत सी चीजों में इसका उपयोग किया जाता है । इसे हम घर पर भी आसानी से बना सकते है ।आइए जानते है जीरावन बनाने की रेसिपी-आवश्यक सामग्री -खड़ा धनिया 40 ग्राम , जीरा 30 ग्राम, सौफ ,30 ग्राम, लौंग 10-12 , काली मिर्च 10-12, जायफल 1/2 , तेजपत्ता 5-6 , दाल चीनी एक छोटा टुकड़ा , हरी इलायची 5-6 , खड़ी लाल मिर्च 10-15, बड़ी इलायची 2-3 । इन सब मसालों को एक कड़ाही में हल्की मंदी आंच में सेंक लें । जब सारे खड़े मसाले अच्छी तरह से सिंक जाएं तो इसमें मिलाएं जिंजर पाउडर 1टी स्पून , अमचूर पाउडर 3टी स्पून , नमक 20 ग्राम , हल्दी 1टी स्पून, हींग 1/4 टी स्पून, जावित्री 10 ग्राम, ,काला नमक 1/2 टी स्पून । यह सारे मसाले सेंक कर ठंडा करके मिक्सर में अच्छी तरह से ग्राइंड करें । थोड़ा रुक रुक कर इसे अच्छे से थोड़ा दरदरा पीस कर तैयार करें । किसी साफ डिब्बे में रख कर आप इसे 4-5 माह तक इस्तेमाल कर सकते हंै ।---
- हार्ट अटैक या हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाव करने के लिए डॉक्टर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने की सलाह दे देते हैं। दिल को मजबूत करने के लिए आप अपनी डाइट में डैंडेलियन (सिंहपर्णी) की चाय को शामिल कर सकते हैं। सिंहपणी एक छोटा का पौधा है। इस पौधे पर पीले रंग का फूल आते हैं। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में डैंडेलियन (सिंहपर्णी) के फूल, जड़ और पत्तियों का इस्तेमाल बहुत किया जाता था। इसके पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन ए, सी और डी, लोहा, मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है। नियमित तौर पर डैंडेलियन का सेवन किया जाए तो ये कई बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर छपे एक शोध के मुताबिक, डैंडेलियन में हाई पोटेशियम पाया जाता है। लगभग 100 ग्राम डैंडेलियन में 397 मिलीग्राम से ज्यादा पोटेशियम पाया जाता है। हाई पोटेशियम होने के कारण डैंडेलियन शरीर का ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही, डैंडेलियन नसों को साफ करके ब्लड फ्लो को सुधारता है। ब्लड फ्लो और ब्लड प्रेशर सही रखने से हार्ट को हेल्दी बनाने में मदद मिलती है।सिंहपर्णी की चाय बनाने की रेसिपी --एक पैन में 2 कप पानी गर्म करें। गर्म पानी में 2 से 3 चम्मच कटी हुई सूखी सिंहपर्णी की जड़ काटकर डालें। सिंहपर्णी की जड़ को 5 से 10 मिनट के लिए उबालें और इसे कप में छानें। कप में छानने के बाद आप सिंहपर्णी की चाय का आम चाय की तरह का आनंद ले सकते हैं। अगर आपको सिंहपर्णी की चाय का स्वाद पसंद नहीं आ रहा है, तो इसमें शहद मिलाया जा सकता है।सिंहपर्णी की चाय सेहत के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है, लेकिन इसका एक निश्चित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। अगर इस चाय का ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो ये पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
- होली का त्यौहार रंग-गुलाल, गुजिया और ठंडाई के बिना अधूरा है। होली के मौके पर ठंडाई पीने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। रंगों की मस्ती के बीच ठंडाई का स्वाद इस त्यौहार की खुशियों को डबल कर देता है। ठंडाई को दूध, सूखे मेवों, गुलाब की पंखुड़ियों और मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि ठंडाई हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। ठंडाई पीने से शरीर और दिमाग को ठंडक मिलती है। ठंडाई पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, जिससे पेट में गैस, एसिडिटी और कब्ज आदि समस्याओं से राहत मिलती है। इससे पेट की जलन और पेट फूलने की समस्या भी दूर होती है। इतना ही नहीं, ठंडाई में मौजूद पोषक तत्व शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं।होली पर ठंडाई पीने के फायदे -इम्यूनिटी बूस्ट होती हैठंडाई पीने से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है। दरअसल, ठंडाई में इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे इलायची और सौंफ एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। इसके अलावा, ठंडाई में विटामिन, प्रोटीन, मिनरल आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। ठंडाई पीने से सर्दी-जुकाम, बुखार और संक्रमण से बचाव होता है।पाचन को दुरुस्त रखेठंडाई पीने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। ठंडाई सौंफ का प्रयोग किया जाता है, जो फाइबर से भरपूर होती है। साथ ही, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं, जो पेट की जलन को शांत करने में मदद करते हैं। होली पर ठंडाई पीने से पाचन क्रिया बेहतर बनती है। इससे पेट में गैस, एसिडिटी, कब्ज और ब्लोटिंग की समस्या दूर होती है।शरीर को एनर्जी मिलेगीठंडाई में दूध, ड्राई फ्रूट्स और नट्स आदि का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी चीजें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। ऐसे में अगर आप होली पर ठंडाई का सेवन करेंगे, तो आप पूरे दिन ऊर्जावान और एक्टिव महसूस करेंगे। साथ ही, थकान भी महसूस नहीं होगी।याददाश्त मजबूत होती हैठंडाई में सूखे मेवों का इस्तेमाल किया जाता है, जो कई तरह के विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं। ये पोषक तत्व न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। ठंडाई पीने से मेमोरी पावर बूस्ट होती है और तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है।ठंडाई बनाने की रेसिपीसामग्री4 कप दूध1/2 कप बादाम, काजू, पिस्ता2 चम्मच सौंफ के बीज2 चम्मच खसखस2 चम्मच खरबूजे के बीज2 चम्मच सूखे गुलाब की पंखुड़ियां4-5 काली मिर्च1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर1/2 चम्मच केसर की कलियांस्वादानुसार चीनीविधिहोली पर ठंडाई बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में खसखस, सौंफ, तरबूज के बीज, काली मिर्च, इलायची, गुलाब की पाखुंडियां और सूखे मेवे डालकर 1-2 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें। उसके बाद दूसरे बर्तन में थोड़ा सा दूध लें और उसमें केसर की कलियों को भिगोकर रख दें। बाद में सभी सूखे मेवों और नट्स को अच्छी तरह से ब्लेंड करके स्मूद पेस्ट बना ले। अब इसमें केसर वाला दूध और ठंडा दूध मिला दें। फिर सभी चीजों को अच्छी तरह ब्लेंड कर लें। थोड़ी देर फ्रिज में ठंडा कर लें और फिर बर्फ के टुकड़े डालकर इसका आनंद लें।
- मसाला थेपला गुजरात का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है।आप इसे नाश्ते में चाय के साथ भी कहा सकते हैं और सफर पर साथ ले जाने के लिए भी रख सकते है। इन्हें आप मेथी,लौकी या सादा मसाले के साथ भी बना सकते हैं।सामग्रीगेहूं का आटा-एक प्यालाबेसन-2 बड़े चम्मच1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर1/4छोटा चम्मच हल्दी पाउडर1/4 छोटा चम्मच जीरा पाउडर1/4 छोटा चम्मच कसूरी मेथी-3 बड़े चम्मच अजवायन1/4 छोटा चम्मच अदरक-लहसुन हरीमिर्च पेस्टएक बड़ा चम्मच तिल2 चम्मच दहीतेलआटा, बेसन व चावल का आटा मिलाएं। सभी मसाले व कसूरी मेथी मिलाएं (इसमें ताजी मेथी भी डाल सकते हैं)। दो बड़े चम्मच दही ,थोड़ा तेल व अदरक लहसुन-हरीमिर्च पेस्ट मिलाएं। पानी की सहायता से नरम गूंथ लें। छोटी-छोटी रोटी (थेपला) बनाकर तेल की सहायता से सेकें।--
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होली का नाम सुनते ही आंखों के सामने रंग-बिरंगे गुलाल के साथ तन और मन को ठंडक पहुंचाने वाली ठंडाई की तस्वीर भी सामने आने लगती है। रंग और मौज-मस्ती के इस त्योहार पर ठंडाई बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं ठंडाई का सेवन सिर्फ परंपरा निभाने के लिए ही नहीं किया जाता है बल्कि गर्मियों में इसका सेवन करने से सेहत को स्वाद के साथ-साथ अनजाने में ही कई फायदे भी मिलते हैं। ऐसे में आइए जानते गर्मी के मौसम में ठंडाई पीने से सेहत को मिलते हैं क्या-क्या फायदे।
ठंडाई पीने से सेहत को मिलते हैं ये गजब के फायदे-
बनी रहती है पेट की सेहत-
गर्मी के मौसम में ठंडाई पीने से पाचन तंत्र को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है। ठंडाई में डाली जाने वाली सौंफ में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो गर्मियों में पेट को ठंडा रखने के साथ पेट फूलने की समस्या को भी दूर रखते हैं। इसके अलावा गर्मी के दिनों में अक्सर मुंह में छाले हो जाते हैं। इससे बचने के लिए नियमित ठंडाई का सेवन करने से भी लाभ होता है।
याददाश्त होती है मजबूत-
ठंडाई में डाले जाने वाले ड्राई फ्रूट्स और कई तरह के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। जिनका सेवन करने से शारीरिक फायदे ही नहीं बल्कि मानसिक फायदे भी मिलते हैं। इसका नियमित सेवन आपकी याददाश्त को मजबूत बनाने के साथ तनाव और चिंता को भी कम करने का काम करता है। सूखे मेवे से बनाई गई ठंडाई दिमाग को पोषण देने का काम करती है। यह दिमाग ठंडा रखती है जिससे तनाव और चिड़चिड़ेपन से भी राहत मिलती है।
इम्यूनिटी होती है बूस्ट-
ठंडाई में डाली जाने वाली सभी चीजें शरीर को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती हैं। जिससे व्यक्ति की इम्यूनिटी मजबूत बनती है और वह सर्दी-जुकाम, बुखार जैसे वायरल संक्रमण की चपेट में कम आता है।
कब्ज की समस्या करें दूर-
गर्मियों में ज्यादा तला-भुना और मसालेदार भोजन करने से ज्यादातर लोगों को पेट में कब्ज की समस्या होने लगती है। लेकिन ठंडाई में डाली जाने वाली खसखस पोषक तत्वों का खजाना है। खसखस में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जिसकी वजह से यह पेट के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। इसके अलावा यह पेट की गैस, ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।
एनर्जी लेवल रखें अच्छा-
ठंडाई में डाले जाने वाले नट्स, ड्राई फ्रूट्स और बीज शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने का काम करते हैं। वहीं ठंडाई बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला दूध एनर्जी ड्रिंक के रूप में काम करता है। जिससे गर्मियों में थकान महसूस नहीं होती है और व्यक्ति एक्टिव बना रहता है।
- - मौसम बदलने के साथ ही वायरल बुखार की समस्या शुरू हो जाती है। कई लोग हल्का बुखार और मौसमी बीमारियां होने पर घर पर ही इलाज करते हैं। ऐसे में बुखार को ठीक करने और इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए कुछ पत्तों की मदद ली जा सकती हैं।धनिया के पत्तेधनिया के पत्ते शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। बुखार कम करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। धनिया के पत्ते और बीजों में फाइटोन्यूट्रिएंट्स गुण पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत करके शरीर को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए 1/2 लीटर पानी में धनिया पत्ते डालकर इस पानी को पिएं। ऐसा करने से वायरल फीवर कम होने के साथ सर्दी, खांसी और जुकाम की परेशानी भी आसानी से दूर होगी।तुलसी के पत्तेऔषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के पत्ते शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो मौसमी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं। इनका इस्तेमाल करने के लिए तुलसी की चाय पी जा सकती है, इसके पत्ते पानी से निगले जा सकते है और इसका पानी बनाकर पीया जा सकता है।सहजन के पत्तेसहजन के पत्ते शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो बुखार को कम करने के साथ इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है। सहजन के पौधे की छाल शरीर से विषैले टॉक्सिनस बाहत निकालकर शरीर को हेल्दी रखने में मदद करती हैं।ऑरिगेनो के पत्तेऑरिगेनो के पत्ते शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। ऑरिगेनो के पत्तों में कारवाक्रोल नामक तत्व पाया जाता है, जो बुखार कम करने के साथ मौसमी बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। पानी में ऑरिगेनो के पत्तों को उबालकर उसमें हल्दी मिलाकर पीने से बुखार कम करने में मदद मिलती है।सेज के पत्तेसेज के पत्ते शरीर की कई समस्याओं को आसानी से दूर करते हैं। इसमें सैफिसिनोलाइड यौगिक गुण पाए जाते हैं, जो बुखार आदि में होने वाली समस्याओं को ठीक करने में मदद करता हैं। सेज के पत्तों को काढ़ा बनाकर पीया जा सकता है।इन पत्तों की मदद से बुखार को कम किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें बुखार बढऩे पर डॉक्टर को दिखाकर ही दवाई लें।
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अक्सर खान-पान में गड़बड़ी, इनएक्टिव लाइफस्टाइल और तनाव पेट गैस का कारण बनने लगते हैं। आज के समय में ज्यादातर लोग पेट गैस की समस्या से परेशान रहते हैं। जिससे राहत पाने के लिए उन्हें कई बार दवा तक का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन लंबे समय तक दवा का सेवन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। कैनेडियन सोसाइटी ऑफ इंटेस्टाइनल रिसर्च के अनुसार पेट में गैस तब बनती है जब भोजन करते हुए हवा शरीर में प्रवेश कर जाती है। इससे शरीर में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन शरीर में आ जाता है। अगर आपको भी पेट गैस की समस्या अक्सर परेशान करती है तो आप कुछ देसी उपाय आजमाकर इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
आइए जानते हैं पेट गैस से राहत देंगे ये उपाय-
छाछ-
छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड गैस्ट्रिक एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में जब कभी आपको गैस की समस्या परेशान करे तो आप एक गिलास छाछ में थोड़ी सी काली मिर्च और धनिया का रस मिलाकर पी लें। इस उपाय को करने से आपको गैस से जल्दी राहत मिल जाएगी।
योग-
पेट में गैस बनने पर योगा करने से आपको लाभ मिल सकता है। योग करने से पेट की गैस तुरंत निकल सकती है। पेट की गैस से राहत पाने के लिए आप पवनमुक्तासन, भुजंगासन, प्राणायाम आदि का अभ्यास कर सकते हैं।
सोडा-
पेट में गैस बनने पर आप सोडे का सेवन भी कर सकता है। सोडा पेट की गैस को तुरंत निकालने में मदद कर सकता है। इसके बाद गैस बनने पर एक गिलास पानी लें। इसमें थोड़ा सा बेकिंग सोडा डालें और पी लें।
सौंफ-
पेट में गैस बनने पर आप सौंफ चबा सकते हैं। सौंफ में मौजूद तत्व पेट की गैस को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए खाना खाने के बाद सौंफ और मिश्री का सेवन करें। आप चाहें तो सौंफ को पानी में उबालकर भी पी सकते हैं।
मालिश-
मालिश करने से पेट में बनने वाली गैस से छुटकारा मिल सकता है। इसके लिए आप किसी भी तेल को हाथ पर लेकर उसे पेट पर लगाते हुए हल्के हाथों से मालिश करें। पेट के अलावा आप हाथों और पैरों की मालिश भी कर सकते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होगा और पेट की गैस में भी तुरंत आराम मिल सकता है। -
शरीर की बाकी चीजों की तरह दांतों का साफ होना भी बेहद जरूरी है। हमारी स्माइल पर्सनैलिटी का जरूरी हिस्सा है। हालांकि कुछ लोग दांतों के पीलेपन के कारण परेशान रहते हैं। कुछ लोग रोजाना अच्छी तरह से दांतों को साफ करते हैं, लेकिन इसके बाद भी दांतों में पीलापन आ जाता है तो कई बार साफ-सफाई और हाइजीन का पूरा ध्यान न रखना भी इसका एक कारण हो सकता है। आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. दीक्षा भावसार ने अपने लेटेस्ट इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए बताया है कि कैसे आप ओरल हाईजीन मेंटेन कर सकते हैं और कैसे दांतों का पीलापन दूर होगा।
ऑयल पुल्लिंग
ओरल आईजीन मेंटेन करने का ये एक बेहतरीन प्रोसेस है। मुंह में तेल घुमाने को आयल पुल्लिंग कहते हैं। कई सितारे भी इस ट्रिक को फॉलो करते हैं। यह आपके मसूड़ों और दांतों से रोगाणुओं को हटाने में मदद करता है। यह मुंह के छालों को दूर करने में मदद करता है और मांसपेशियों का भी व्यायाम करता है,जिससे उन्हें मजबूती और टोनिंग मिलती है। इसे करने के लिए तिल/सरसों या नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 15-20 मिनट तक तेल को मुंह में घुमाकर थूक दें।
नीम और बबूल की टहनियों का इस्तेमाल
ये जड़ी-बूटियां एंटी-माइक्रोबियल गुणों से पूण होती हैं। इन्हें चबाने से एंटी-बैक्टीरियल एजेंट रिलीज होते हैं जो मुंह के हेल्थ को बनाए रखने में मदद करते हैं। ऐसी टहनी चुनें जो आपकी छोटी उंगली जितनी मोटी हो। ब्रश की तरह बनाने के लिए एक कोने पर चबाएं और थोड़े-थोड़े अंतराल में बेसिन में थूकें। इसे पूरे मसूड़ों और दांतों पर ब्रश करें।
टंग स्क्रेपिंग
ओरल कैविटी की सफाई और टॉक्सिन्स हटाने के लिए जीभ साफ करना सबसे अच्छा है। कॉपर या स्टेनलेस स्टील के टंग स्क्रेपर से अपनी जीभ को रोजाना साफ करें।
हर्बल माउथ रिंस
त्रिफला या यष्टिमधु का काढ़ा एक अच्छा माउथ रिंसर के रूप में काम करता है। ओरल हाईजीन बनाए रखने के लिए इससे माउथ रिंस करें। इस बनाने के लिए त्रिफला या यष्टिमधु को पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए। इसे गुनगुना होने पर इस्तेमाल करें।
दिन में दो बार ब्रश करें
एक्सपर्टी की मानें तो आपको हर खाने के बाद ब्रश करना जरूरी है, खासतौर पर चॉकलेट जैसी चिपचिपी चीजें खाने के बाद। हालांकि, ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है इसलिए दिन में दो बार ब्रश करें। - सेहतमंद रहने के लिए जड़ी-बूटियां और हर्बल चाय का इस्तेमाल सदियों से किया जाता आ रहा है। लेमनग्रास टी भी उन्हीं में से एक है जो शरीर को कई फायदे पहुंचाने में मदद कर सकती है।लेमनग्रास के अद्भुत फायदे --वजन होता है कमलेमनग्रास की चाय में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। यह आपके वजन को कम करने में मदद करता है। इस घास से बनी चाय पीने से आपका पेट भी भरता है और आप कम खाने से बच जाते हैं। चाय में पॉलीफेनोल्स होते हैं जो एनर्जी और फैट ऑक्सीकरण को बढ़ाने के लिए पाए जाते हैं, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। इसका इस्तेमाल बॉडी डिटॉक्स के लिए भी किया जाता है, और यह आपके मेटाबॉलिज्म को किकस्टार्ट करता है। इसे पर्याप्त मात्रा में पीने से आपको पानी का वजन कम करने में मदद मिलती है।किडनी फंक्शनिंग होती है बेहतरलेमनग्रास टी एक अच्छे डिटॉक्स के रूप में काम करती है और यह किडनी को भी साफ करने में मदद कर सकती है। यह हमेशा उनके कामकाज में सुधार कर सकता है। लेमन ग्रास में मूत्रवर्धक गुण होता है। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की जरूरत हो सकती है। इससे शरीर के टॉक्सिन पेशाब के जरिए बाहर निकल सकते हैं। ऐसे में ये किडऩी फंक्शनिंग को बेहतर बना सकती है।कोलेस्ट्रॉल होगा मैनेजकोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में लेमन ग्रास फायदेमंद हो सकती है। रिपोर्ट की मानें तो लेमन ग्रास से अपच, गैस्टिक की समस्या और पेट संबंधित परेशानियों से राहत मिल सकती है। लेमनग्रास टी के एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आपके श्वसन तंत्र की कंजेशन को कम कर सकते हैं, जिससे गले की खराश से राहत मिलती है। चाय में शरीर से टॉक्सिन को साफ करने में मदद मिलती है।गहरी नींद मिलेगीलेमनग्रास टी का शांत प्रभाव पड़ता है, जो गहरी नींद में मदद कर सकता है। यह अनिद्रा और चिड़चिड़ापन को दूर करने में भी मदद कर सकती है।एंग्जायटी वालों के लिए फायदेमंदरिपोर्ट की मानें तो लेमनग्रास के शांत प्रभाव चिंता को कम करने में मदद करते हैं। इसकी खुशबू से आप मन को शांत कर सकते हैं।कैंसर से निपटने में मददगाररिपोट्र्स की मानें तो लेमनग्रास का अर्क कैंसर के शुरुआती स्टेज को रोक सकता है। स्टडी से पता चला है कि कैसे लेमनग्रास का अर्क कैंसर के इलाज के लिए एक गैर विषैले विकल्प हो सकता है। कुछ रिपोर्ट की मानें तो लेमनग्रास प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में भी मदद करती है।लेमनग्रास चाय कैसे बनाएं--4 कप पानी2 कप कटे हुए लेमनग्रास के डंठलकैसे बनाएं--- एक मीडियम सॉस पैन में, पानी को तेज आंच पर उबालने के लिए ले आएं।- लेमनग्रास के डंठल डालकर 5 मिनट तक उबालें।- फिर इसे छान लें। और गरम या ठंडा परोसें।आप चाहें तो अपनी रोजाना की काली चाय में लेमनग्रास डाल सकते हैं।
- गैस बनना पेट की सबसे आम समस्याओं में से एक है। अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोगों को गैस के कारण छाती में भी गंभीर दर्द का अनुभव हो सकता है। यह दर्द छाती में दाईं या बाईं, दोनों तरफ देखने को मिल सकता है। पेट में गैस होना और इसके कारण छाती में दर्द की समस्या बहुत सामान्य है। यह स्थति तब पैदा होती है, जब हम तला-भुना, नमकीन, मसालेदार, पैकेज्ड फूड्स आदि का सेवन अधिक करते हैं। साथ ही कैफीनयुक्त ड्रिंक्स, सोडा, अल्कोहल आदि पीते हैं। हालांकि फूड एलर्जी के कारण भी पेट में गैस की समस्या हो सकती है। हालांकि, इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।अगर आपको भी पेट में गैस की वजह से छाती में दर्द होता है, तो आपको बता दें कि कुछ घरेलू उपायों की मदद से आप इस समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इस लेख में हम आपके ऐसे 5 घरेलू उपाय बता रहे हैं।गैस के कारण सीने में बाईं तरफ के लिए घरेलू उपाय-1. गर्म ड्रिंक्स का सेवन करेंगैस से छुटकारा पाने के लिए आप दिन में कई बार गर्म पानी और हर्बल चाय आदि का सेवन कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं तो हमारा पाचन तंत्र अतिरिक्त गैस को ट्रांस्फर करने में मदद करता है। जिससे छाती में जलन और दर्द की समस्या कम होती है।2. अदरक का सेवन करेंपाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में अदरक बहुत लाभकारी है। अगर आप सीधे तौर पर छोटा टुकड़ा अदरक चबाते हैं, या पानी में उबालकर इस पानी का सेवन करते हैं, तो इससे गैस को कम करे में मदद मिल सकती है। आप अपनी हर्बल चाय में भी अदरक शामिल कर सकते हैं।3. एक्सरसाइज करेंजब आप शारीरिक गतिविधियां करते हैं, तो यह पाचन तंत्र से गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। यही कारण है कि जब लोग थोड़ा चलते-फिरते हैं, तो उन्हें दर्द कम महसूस होता है। इसलिए कोशिश करें कि कुछ समय टहलें4. दही का सेवन करेंअगर आप दही में ईसबगोल सत्व को मिलाकर खाते हैं, यह भी पेट में गैस की समस्या दूर करने और पाचन को दुरुस्त करने में मदद मिलती है।5. जीरे का पानी पिएंअगर आप गर्म पानी में जीरा भूनकर, पीसकर इसका चूर्ण मिलाकर पीते हैं तो इससे गैस की समस्या दूर करने में मदद मिलती है।
- ज्यादातर भारतीय घरों में दाल और चावल बहुत ही स्वाद लेकर खाया जाता है। खासकर छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में खाने में दाल और चावल न हो तो भोजन अधूरा माना जाता है। कई लोगों को ऐसा लगता है कि दाल-चावल में खास पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। इसलिए कई लोग दाल और चावल खाने से बचते हैं। खासकर जो लोग वजन घटाना चाहते हैं वो दाल और चावल को देखते ही इग्नोर कर देते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि दाल और चावल खाने से वजन घटने की बजाय बढ़ जाएगा। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो बिल्कुल गलत सोचते हैं। दाल और चावल न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं बल्कि वजन घटाने में भी मदद करते हैं। आइए जानते हैं वजन घटाने में दाल- चावल कैसे मदद करता है और इसे खाने का सही तरीका क्या है?वजन घटाने में कैसे मदद करता है दाल -चावल?दाल प्रोटीन, फाइबर का अच्छा सोर्स है। दाल और चावल को जब एक साथ खाया जाता है, तो शरीर को कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ प्रोटीन और फाइबर भी मिलता है जो वजन घटाने में मदद करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक काब्र्स और फाइबर का एक साथ सेवन करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम बूस्ट करने में मदद मिलती है। मेटाबॉलिज्म सिस्टम स्ट्रांग रहने से शरीर का वजन और एक्स्ट्रा फैट घटाने में मदद मिलती है। एक्सपर्ट का कहना है कि दाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है जिससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। पेट के लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करने से आप एक्स्ट्रा फैट या जंक फूड खाने से बच जाते हैं, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।डाइटिशियन के मुताबिक वजन घटाने वाले लोग अपनी डाइट में सफेद चावल की बजाय ब्राउन राइस को शामिल कर सकते हैं। सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइस में अधिक मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।वजन घटाने के लिए कैसे खाएं दाल-चावल?डाइटिशियन के मुताबिक वजन घटाने के लिए दोपहर के लंच या रात के डिनर में दाल-चावल का सेवन किया जा सकता है। आप सप्ताह में 3 से 4 दिन दाल-चावल खाकर वजन को घटा सकते हैं।दाल-चावल बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान- जो लोग वजन घटाने के लिए डाइट में दाल -चावल को शामिल कर रहे हैं उन्हें इसे पकाते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:- दाल को पकाने के बाद उसमें तेल, रिफाइंड से तड़का न लगाएं।-दाल में तड़का लगाने के लिए आप प्रोसेसड ऑयल की बजाय घी का इस्तेमाल कर सकते हैं।-सफेद चावल की बजाय ब्राउन राइस का इस्तेमाल करें।-आप चाहें तो दाल में 2 से 3 तरह की सब्जियां मिलाकर पका सकते हैं।
- अनार खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। अनार में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है। अनार में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं, जो त्वचा को हेल्दी बनाने में काफी लाभकारी है। अनार शरीर के साथ-साथ त्वचा और बालों को हेल्दी रखता है। अकसर लोग अनार को छीलकर खाते हैं और इसके छिलके को फेंक देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनार की तरह अनार का छिलका भी हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। एनसीबीआई के अनुसार, अनार के छिलके में प्रोटीन, मिनरल्स, पोटैशियम, कैल्शियम, फेनोलिक एसिड, फ्लेवेनोइड्स, टैनिन और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। अनार के छिलके शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हैं। तो आइए, जानते हैं अनार के छिलकों के फायदे और इसके इस्तेमाल का तरीका-खांसी और गले की खराश से दिलाए आरामखांसी और गले की खराश से आराम दिलाने में अनार का छिलका काफी फायदेमंद हो सकता है। अनार के छिलके की एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। यह खांसी और संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। इसके लिए अनार के छिलके के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर गरारे करें। ऐसा करने से आपको गले की खराश और खांसी से जल्द राहत मिल सकती है।दिल की सेहत के लिए फायदेमंदअनार के छिलके दिल को स्वस्थ रखने में काफी फायदेमंद हैं। दरअसल, ये शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। अनार के छिलके शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचा सकते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच अनार के छिलके का पाउडर मिलाएं। इस मिश्रण को रोजाना पीने से हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का जोखिम कम होगा।पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करेअनार के छिलके पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पेट की सूजन और संक्रमण को दूर करने में फायदेमंद है। अनार के छिलके दस्त और बवासीर की सूजन को दूर करने में भी मददगार है। पाचन संबंधी समस्या होने पर आप अनार के छिलके के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।शरीर को डिटॉक्सिफाई करेअनार के छिलके एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होते हैं, इसलिए यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में फायदेमंद होते हैं। इसके साथ ही, यह लिवर और किडनी को भी स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होता है। अनार के छिलकों से तैयार चाय का सेवन करने से बॉडी डिटॉक्स होती है और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है।ओरल हेल्थ के लिए लाभकारीअनार के छिलके ओरल हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं। ये मुंह की बदबू, मसूड़े की सूजन और मुंह के छालों की समस्या को दूर करने में लाभकारी हो सकते हैं। इसके लिए आप धुप में सुखाए हुए अनार के छिलके को पानी में मिलाएं। दांतों को ब्रश से साफ करने के बाद इस मिश्रण से कुल्ला करें। ऐसा करने से आपके दांत स्वस्थ बनेंगे और सांसों की बदबू भी दूर होगी।
- गेहूं के ज्वारे के बारे में, तो आपने हजारों बार सुना होगा। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इसको खाने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं। किसी संजीवनी से कम नहीं है ।गेंहू का ज्वारा. गेंहू के ज्वारे को इंग्लिश में वीटग्रास कहते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में ग्लूटाथियोन, विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स आदि पाए जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता हैं और शरीर में सूजन की समस्या आसानी से दूर होती है। इसमें विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है, जो मसूंड़ों को स्वस्थ रखने के साथ ही दांतों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता हैं। इसके सेवन से शरीर की कई बीमारियां दूर होती हैं। ये शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करता है। आइए जानते हैं गेहूं के ज्वारे खाने के फायदों के बारे में।पाचन तंत्र को करे मजबूतगेहूं के ज्वारे खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इनके सेवन से कब्ज, एसिडिटी, मितली, अपच, उल्टी और पेट फूलने जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। ये पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले प्रोटीन, अमीनो एसिड और विटामिन बी पचाने की क्षमता को बेहतर करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करेंगेहूं के ज्वारे खाने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता हैं। इसमें हाइपोलिपिडेमिक गुण पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करके हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है।डायबिटीज को करे कंट्रोलगेहूं के ज्वारे खाने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें एंटीहाइपरग्लाइसीमिया और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में डायबिटीज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। ये डायबिटीज के होने के खतरे को भी कम करता है।गठिया की समस्या को करे दूरगेहूं के ज्वार के सेवन से गठिया की समस्या आसानी से दूर होती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गठिया में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। नियमित इनके सेवन से शरीर हेल्दी रहता है।वजन कम करने में मददगारगेहूं के ज्वार खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। क्योंकि इसमें पोटैशियम और फाइबर की मात्रा पाई जाती हैं, जो वजन को कम करने के साथ पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। वजन को कम करने के लिए गेहूं के ज्वारे को आसानी से खाया जा सकता है। गेहूं के ज्वारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन ध्यान रखें इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- पनीर का फूल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इनका सेवन शुगर को कम करने, अनिद्रा की समस्या दूर करने और त्वचा के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेद में भी पनीर के फूलों का इस्तेमाल कई तरह की समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। पनीर के फूलों को ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।पनीर के फूल के फायदे1. डायबिटीज में लाभकारपनीर डोडा बेनिफिट्स फॉर डायबिटीज। डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हीं में से एक है पनीर के फूल या पनीर डोडा। पनीर के फूल इंसुलिन को संतुलन में रखने में मदद करता है। सर्दियों में मधुमेह को कंट्रोल में रखने के लिए पनीर के फूल एक बेहतरीन औषधि है।2. अनिद्रा की समस्या दूर करेरातभर नींद न आना की समस्या अनिद्रा होती है। आजकल के बढ़ते तनाव, चिंता की वजह से अधिकतर लोग मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, जो अनिद्रा का कारण बनता है। अगर आप अनिद्रा से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो पनीर के फूलों का सेवन कर सकते हैं। पनीर के फूल अनिद्रा से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद है।3. मोटापा कम करेपनीर के फूल फॉर वेट लॉस। गलत खान-पान, खराब लाइफस्टाइल मोटापे के मुख्य कारण हैं। अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो पनीर के फूलों को सेवन कर सकते हैं। पनीर के फूल में कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं। वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज के साथ ही पनीर के फूलों को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं।4. त्वचा के लिए फायदेमंदकील-मुहांसों, एंटी एजिंग, दाग-धब्बों जैसी त्वचा समस्याओं को दूर करने के लिए भी पनीर के फूलों के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए पनीर के फूल का पानी पी सकते हैं। आप चाहें तो पनीर के फूलों का पानी स्किन पर भी लगा सकते हैं। इससे आपको त्वचा संबंधी समस्याओं में काफी आराम मिलेगा।5. सर्दी-जुकाम और बुखार में लाभकारीपनीर के फूल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। पनीर के काढ़े का सेवन करके आप सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। सर्दी-जुखाम के लिए अच्छा घरेलू उपाय है।पनीर के फूल के नुकसान--अगर पनीर के फूलों का सेवन गलत तरीके से किया जाएगा, तो इससे उल्टी की समस्या हो सकती है।-पनीर के फूल का अधिक सेवन करने से गैस, एसिडिटी की समस्या पैदा हो सकती है।- डायरिया, दस्त की समस्या है तो इसके सेवन से बचें।-गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।-गंभीर बीमारी होने पर भी पनीर के फूल को एक्सपर्ट की राय में ही लेना चाहिए।
- कई बार खांसी की समस्या में सीने में दर्द महसूस होता है। अक्सर हम इस दर्द को सामान्य संक्रमण का कारण मानकर घरेलू उपायों को अपनाने लगते हैं। लेकिन इस समस्या की वजह से कई अन्य तरह के रोग होने का खतरा होता है। ऐसा दर्द सीने में बार-बार हो सकता है। आपको बता दें कि हार्ट और फेफड़ों से जुड़े कई बड़े रोगों का लक्षण खांसी और सीने में दर्द होता है। इस तरह के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।खांसी के साथ सीने में दर्द के कारणएक्यूट ब्रोंकाइटिसऑक्सीजन को फेफड़ों तक ले जाने और फेफड़ों से कार्बन डाई ऑक्सीजन बाहर लाने वाली नलियों में सूजन आ जाती है। कई बार सर्दी लगने पर लोगों को ऐसा महसूस होता है। इस नली में सूजन की वजह से सीने में दर्द महसूस होने लगता है और व्यक्ति को सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है।पेरिकार्डिटिसपेरिकार्डिटिस में हार्ट के चारों ओर द्रव से भरे टिश्यू की थैली होती है, जिसमें सूजन आ जाती है। इसकी वजह से व्यक्ति को सीने में दर्द महसूस होती है। ये एक तरह का हार्ट डिजीज है। इसके लक्षण व्यक्ति को तीन महीनों तक महसूस होते हैं। इसमें रोगी को थकान, सीने में दर्द, खांसी और बुखार होने लगता है।फ्लूसंक्रमण की वजह से आपको फ्लू की समस्या होती है। फ्लू होने पर व्यक्ति को मांसपेशियों में दर्द, बुखार, गले में दर्द, नाक का बहना, सिर दर्द और थकान महसूस होती है। इस समस्या में व्यक्ति को सीने में कफ हो जाता है और दर्द होने लगता है।सीओपीडीक्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों से जुड़ी समस्या है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा को भी शामिल किया जाता है। इस रोग में मरीज को सांस फूलने लगती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफडों की कार्यक्षमता प्रभावित करती है। इसमें फेफड़ों में सूजन से बलगम की समस्या बढ़ जाती है। इसमें सीने में जकडऩ और दर्द महसूस होता है।जीईआरडीएसिड रिफ्लक्स एक पाचन संंबंधी रोग है, ये पेट में एसिड बनने से होता है। इससे मरीज को खाना पचाने में परेशानी होती है। ऐसा होने पर व्यक्ति को उल्टी आने का मन करता है। इस समय मरीज को सीने में जलन और दर्द महसूस होता है।खांसी और सीने में दर्द के अन्य कारणनिमोनियाप्लूरल डिसऑर्डरअस्थमाप्लनरी इम्बॉलिस्मलंग कैंसर,फेफड़ों संबंंधी अन्य रोग, आदि।सीने में दर्द और खांंसी की समस्या यदि दो से चार सप्ताह से है, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।