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हरिद्वार (उत्तराखंड). बॉलीवुड के ‘ही मैन' धर्मेंद्र की अस्थियां बुधवार को यहां गंगा में विसर्जित की गयीं। उनके पारिवारिक पुरोहित ने यह जानकारी दी। पुरोहित ने बताया कि अस्थि विसर्जन कर्म से मीडिया और आम लोगों को पूरी तरह से दूर रखा गया था। धर्मेंद्र (89) का पिछले माह 24 नवंबर को निधन हो गया था और मुंबई में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। अभिनेता के पारिवारिक पुरोहित पंडित संदीप पाराशर श्रोत्रिय ने बताया कि हरकी पौड़ी पर धर्मेंद्र की अस्थियां विसर्जित की गयीं। उन्होंने बताया कि अस्थि विसर्जन के पूर्व की कर्मकांड विधि निजी होटल में संपन्न करायी गयी। क्षोत्रिय ने बताया कि इसके बाद सन्नी देओल के बेटे करण देओल और परिजन उनके साथ एक दोपहिया वाहन से हरकी पौड़ी पहुंचे और वहां अस्थि विसर्जन किया गया। पुरोहित ने बताया कि अस्थि विसर्जन संबंधी विधियां सन्नी देओल ही करना चाहते थे मगर उनके जाने पर भीड़ एकत्र होने की आशंका से धर्मेंद्र के पौत्र करण ने इन्हें पूरा किया। पुरोहित के मुताबिक अभिनेता सन्नी देओल और बॉबी देओल परिजनों के साथ मंगलवार को ही हरिद्वार पहुंच गए थे और इसी दिन अस्थि विसर्जन किया जाना था, लेकिन एक परिजन के समय से नहीं पहुंच पाने के कारण यह नहीं हो पाया। पुरोहित ने बताया कि यहां अस्थि विसर्जन कर्म के वक्त धर्मेंद्र की पत्नी हेमामलिनी और उनकी तरफ से कोई भी मौजूद नहीं था।
- -टी सहदेवभिलाई नगर। तालपुरी बी ब्लॉक के क्लब हाउस प्रांगण में पतंजलि योगपीठ के प्रशिक्षित साधकों द्वारा निःशुल्क योग एवं चिकित्सा शिविर लगाया गया है। यह शिविर शनिवार तक चलेगा। जिसमें प्रशिक्षित साधक योगासनों के साथ-साथ लोगों को एक्यूप्रेशर के माध्यम से शरीर के विभिन्न बिंदुओं पर उंगलियों और हथेलियों से दबाव डालकर दर्द, तनाव और अन्य लक्षणों से राहत दिलाने के साथ ही डायबिटीज, माइग्रेन, कमर दर्द, नसों में खिंचाव को दूर करने जैसे उपायों की भी जानकारी भी दे रहे हैं। इसके अलावा एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति से पेट साफ करने, गैस से मुक्ति दिलाने तथा अच्छी नींद लेने के तरीके भी सिखाए जा रहे हैं।पांच दिनों तक चलने वाले इस शिविर में लोगों से ग्रीवा चालन, स्कंध खिंचाव, स्कंध चक्र, कटिशक्ति संचालन, घुटना संचालन, ताड़ासन, वृक्षासन, पाद हस्तासन, अर्द्धचक्रासन, त्रिकोणासन, दंडासन, भद्रासन, वज्रासन, अर्द्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतु बंधासन, उत्तान पादासन, अर्द्ध हलासन, पवन मुक्तासन, शवासन, कपालभाति, अनुलोम विलोम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यानासन कराया जाएगा। शिविर में योग प्रशिक्षक टीआर सोनी, एन एस पटेल, मुख्य योग प्रशिक्षक आर पी शर्मा तथा न्यूरोथैरेपिस्ट श्रीनिवास राव की विशेष सेवाएं ली जा रही हैं। शिविर आयोजन समिति में एसोसिएशन के अध्यक्ष कुबेर देशमुख, पार्षद सविता ढवस, रवींद्र देवांगन, बी तुलसी, हंसमणि राय, निर्मला चंद्राकर, गीता सिंह और गौरी देवांगन शामिल हैं।
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के लिए बन रहे नए परिसर को ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा। एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत बन रहा यह परिसर अब अंतिम चरण में है। इससे पहले इसे ‘एक्जीक्यूटिव इनक्लेव’ के नाम से जाना जाता था।‘सेवा तीर्थ’ में और क्या-क्या होगा?नया परिसर न सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय का मुख्य केंद्र होगा, बल्कि इसमें मंत्रिमंडल सचिवालय (Cabinet Secretariat), राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (National Security Council Secretariat) और इंडिया हाउस (India House) भी शामिल होंगे। ‘इंडिया हाउस’ में टॉप-लेबल की कूटनीतिक मुलाकातें और वार्ताएं आयोजित की जाएंगी।अधिकारियों ने बताया कि ‘सेवा तीर्थ’ एक ऐसा कार्यस्थल होगा, जिसे सेवा की भावना को प्रतिबिंबित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जहां राष्ट्रीय प्राथमिकताएं मूर्त रूप लेंगी। उन्होंने कहा कि भारत के सार्वजनिक संस्थान एक शांत लेकिन गहन बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं।‘सत्ता’ से ‘सेवा’ की ओर बढ़ रहा शासन का विचारअधिकारियों के मुताबिक शासन का विचार ‘सत्ता’ से ‘सेवा’ और अधिकार से उत्तरदायित्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक भी है। राज्यों के राज्यपालों के आधिकारिक आवास ‘राजभवन’ का भी नाम भी बदलकर ‘लोक भवन’ रखा जा रहा है।अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शासन के क्षेत्रों को ‘कर्तव्य’ और पारदर्शिता को प्रतिबिंबित करने के लिए नया रूप दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हर नाम, हर इमारत और हर प्रतीक अब एक सरल विचार की ओर इशारा करते हैं- सरकार सेवा के लिए है।’’कल्याण का बोध कराता है नया नामसरकार ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक वृक्षों से घिरे मार्ग के पूर्ववर्ती नाम ‘राजपथ’ को बदलकर ‘कर्त्तव्य पथ’ किया था। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास का नाम 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक यह नाम कल्याण का बोध कराता है, न कि विशिष्टता का, तथा यह प्रत्येक निर्वाचित सरकार के भविष्य के कार्यों की याद दिलाता है।केन्द्रीय सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन है, जो एक विशाल प्रशासनिक केंद्र है, जिसका निर्माण इस विचार के इर्द-गिर्द किया गया है कि सार्वजनिक सेवा एक प्रतिबद्धता है। अधिकारियों ने कहा, ‘‘ये बदलाव एक गहरे वैचारिक परिवर्तन का प्रतीक हैं। भारतीय लोकतंत्र सत्ता की बजाय जिम्मेदारी और पद की बजाय सेवा को चुन रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नामों में बदलाव मानसिकता में भी बदलाव है। आज, वे सेवा, कर्तव्य और नागरिक-प्रथम शासन की भाषा बोलते हैं।’’
- -केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में मौसमी इन्फ्लूएंजा सहित श्वसन संबंधी बीमारियों की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है-भारत श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, निगरानी में कोई असामान्य वृद्धि नहीं दिखीनई दिल्ली। सर्दियों में फैलने वाले इन्फ्लूएंजा को रोकने के लिए की गई तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए , केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. सुनीता शर्मा, संयुक्त सचिव (लोक स्वास्थ्य) श्रीमती वंदना जैन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक प्रो. (डॉ.) रंजन दास और आपदा प्रबंधन (डीएम) प्रकोष्ठ तथा एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के विशेषज्ञों ने भाग लिया।कर्तव्य भवन 1 में बैठक के दौरान, सचिव (स्वास्थ्य) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि भारत में आमतौर पर इन्फ्लूएंजा के दो मौसमी चरम अनुभव होते हैं - अगस्त-अक्टूबर (मानसून चरम) और जनवरी-मार्च (शीतकालीन चरम)।वर्ष 2014-15 के दौरान मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि को याद करते हुए, श्री नड्डा ने वर्तमान स्थिति पर अद्यतन जानकारी मांगी तथा पूछा कि क्या वर्तमान में प्रचलित वायरस के प्रकारों में ऐतिहासिक रुझानों से कोई भिन्नता है।राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि विश्व स्तर पर और भारत में भी इन्फ्लूएंजा की गतिविधि कम बनी हुई है। निगरानी से संकेत मिलता है कि परिसंचारी स्ट्रेन सामान्य मौसमी रूप- H3N2 और इन्फ्लूएंजा बी (विक्टोरिया) ही बने हुए हैं, जिनमें H1N1 का एक छोटा सा अनुपात है। मंत्री को लगभग वास्तविक समय निगरानी तंत्रों से भी अवगत कराया गया, जिनमें शामिल हैं: आईडीएसपी का इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन रोग (एसएआरआई) निगरानी नेटवर्क, मीडिया स्कैनिंग के माध्यम से एआई-संचालित घटना-आधारित निगरानी और श्वसन रोगजनकों के लिए आईसीएमआर की प्रहरी निगरानी। सभी प्रणालियाँ वर्तमान में इन्फ्लूएंजा के मामलों में असामान्य वृद्धि के कोई संकेत नहीं दिखाती हैं।एनसीडीसी के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) रंजन दास ने यह भी बताया कि एनसीडीसी इस महीने के अंत में इन्फ्लूएंजा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर आयोजित करेगा, जिसमें प्रमुख मंत्रालय, विभाग और राज्य सरकारें शामिल होंगी, ताकि इन्फ्लूएंजा की तैयारियों की व्यापक समीक्षा की जा सके और आगे की योजना बनाई जा सके।श्री नड्डा ने चल रही तैयारियों की सराहना की और सभी राज्य नोडल अधिकारियों के साथ इन्फ्लूएंजा की तैयारियों की समीक्षा करने और सभी केंद्र सरकार के अस्पतालों की तैयारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में तैयारियों की समीक्षा अगले एक पखवाड़े के भीतर पूरी कर ली जाए। मंत्री ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी करने की भी सलाह दी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर नियमित रूप से मॉक-ड्रिल आयोजित करने को कहा।
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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को बताया कि व्यापार घाटे में कमी, सेवा निर्यात में वृद्धि और प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्रेषण के कारण सितंबर तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) कम होकर 12.3 अरब डॉलर या जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रह गया। देश की बाहरी स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक चालू खाते का घाटा (सीएडी) पिछले साल की इसी तिमाही में 20.8 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था। इससे पहले जून तिमाही में यह सिर्फ 2.4 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.2 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा कम होकर 15 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.8 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 25.3 अरब डॉलर या जीडीपी का 1.3 प्रतिशत था। जुलाई-सितंबर तिमाही में माल व्यापार घाटा सालाना आधार पर कम होकर 87.4 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह 88.5 अरब डॉलर था। भुगतान संतुलन के आंकड़ों के अनुसार सेवा क्षेत्र से शुद्ध प्राप्तियां पिछले साल के 44.5 अरब डॉलर से बढ़कर 50.9 अरब डॉलर हो गईं। विशेष रूप से कंप्यूटर सेवाओं के निर्यात में वृद्धि हुई है। आरबीआई ने बताया कि द्वितीयक आय खाते के तहत व्यक्तिगत हस्तांतरण सालाना आधार पर 34.4 अरब डॉलर से बढ़कर इस तिमाही में 38.2 अरब डॉलर हो गईं। इन प्राप्तियों में मुख्य रूप से विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा धन प्रेषण शामिल है। -
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि नवंबर के दौरान उसके कार्यालयों में 2,000 रुपये के 74 करोड़ रुपये के नोट और वापस आए। केंद्रीय बैंक ने बताया कि इसके साथ ही, 29 नवंबर तक 2,000 रुपये मूल्य के 5,743 करोड़ रुपये के नोट चलन में रह गए हैं। इस साल 31 अक्टूबर को 5,817 करोड़ रुपये चलन में थे। आरबीआई ने 19 मई, 2023 को 2,000 रुपये मूल्य के बैंक नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी। उन्नीस मई, 2023 की स्थिति के अनुसार, उस समय चलन में 2,000 रुपये के बैंक नोट का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। दो हजार रुपये के बैंक नोट को जमा करने या बदलने की सुविधा सात अक्टूबर, 2023 तक देश की सभी बैंक शाखाओं में उपलब्ध थी। चलन से हटाये गये 2,000 रुपये के बैंक नोट को बदलने की सुविधा 19 मई, 2023 से रिजर्व बैंक के 19 निर्गम कार्यालयों में उपलब्ध है। आरबीआई के निर्गम कार्यालय नौ अक्टूबर, 2023 से लोगों और इकाइयों से उनके बैंक खातों में जमा करने के लिए भी 2,000 रुपये के बैंक नोट स्वीकार कर रहे हैं। इसके अलावा, लोग देश के भीतर भारतीय डाक से भी 2,000 रुपये के नोट आरबीआई के किसी भी निर्गम कार्यालय में भेज रहे हैं। यह पैसा उनके बैंक खाते में जमा हो जाता है। बैंक नोटों को जमा/विनिमय करने वाले 19 आरबीआई कार्यालय अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नयी दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम में हैं। उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के बैंक नोट को चलन से हटाने के बाद 2,000 रुपये के बैंक नोट जारी किये गये थे। रिजर्व बैंक ने कहा कि ये नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे।
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नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को बताया कि पिछले पांच साल में 2,04,268 निजी कंपनियां बंद हुई हैं। इन्हें कंपनी अधिनियम 2013 के तहत ‘‘विलय, रूपांतरण, विघटन या कंपनियों की पंजी से नाम हटाए जाने के कारण बंद कर दिया गया है। कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में पूछे गये एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में 20,365 निजी कंपनियां बंद हुईं, जबकि 2023-24 और 2022-23 में यह संख्या क्रमशः 21,181 और 83,452 थी। बंद हुई निजी कंपनियों की संख्या 2021-22 में 64,054 और 2020-21 में 15,216 थी।
बंद हो चुकी निजी कंपनियों के कर्मचारियों के पुनर्वास के बारे में पूछे गए सवाल पर मंत्री ने कहा कि सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। इस बीच, 2021-2022 से शुरू होकर पांच वित्तीय वर्षों में 1,85,350 कंपनियों को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, और इस वित्तीय वर्ष में 16 जुलाई तक 8,648 संस्थाओं को हटाया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या मुखौटा कंपनियों का उपयोग धनशोधन गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, मल्होत्रा ने कहा कि कंपनी अधिनियम, 2013 में ऐसी कंपनी को परिभाषित नहीं किया गया है। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से बात की और उन्हें चक्रवात 'दित्वा' से प्रभावित सभी क्षेत्रों में पुनर्वास प्रयासों में निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। मोदी ने टेलीफोन पर बातचीत में श्रीलंका में हुई जान-माल की हानि और तबाही पर संवेदना व्यक्त की और कहा कि भारत के लोग संकट की इस घड़ी में द्वीपीय राष्ट्र के लोगों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़े हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति दिसानायके ने आपदा के मद्देनजर भारत की सहायता के लिए गहरा आभार व्यक्त किया तथा बचाव दलों और राहत सामग्री को त्वरित तौर पर भेजने की की सराहना की। इसमें कहा गया है कि दिसानायके ने भारत के समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए श्रीलंका के लोगों की ओर से सराहना भी व्यक्त की। बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति दिसानायके को ‘ऑपरेशन सागर बंधु' के तहत श्रीलंका को भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया, जिससे संकटग्रस्त लोगों को बचाव और राहत प्रदान की जा सके।" मोदी ने दिसानायके को आश्वासन दिया कि भारत अपने विजन ‘महासागर' और 'फर्स्ट रिस्पॉंडर ' के रूप में अपनी स्थापित स्थिति के अनुरूप, आने वाले दिनों में श्रीलंका को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करना जारी रखेगा, क्योंकि श्रीलंका पुनर्वास प्रयास कर रहा है, सार्वजनिक सेवाएं फिर से शुरू कर रहा है, और प्रभावित क्षेत्रों में आजीविका बहाल करने की दिशा में काम कर रहा है। दोनों नेताओं ने निकट संपर्क में रहने पर सहमति व्यक्त की।
पिछले सप्ताह श्रीलंका के कुछ हिस्सों में आए चक्रवात ‘दित्वा' ने विनाश का तांडव मचाया, जिससे 316,366 परिवारों के 11,51,776 लोग प्रभावित हुए। चक्रवात के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या सोमवार शाम छह बजे तक 366 हो गई, जबकि 367 लोग लापता हैं। -
पुणे. पुणे के हिंजवडी इलाके में सोमवार शाम एक बस ने फुटपाथ पर चल रहे छह वर्षीय लड़के और उसकी आठ वर्षीय बहन को कुचल दिया जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस हादसे में मृतकों की छोटी बहन सहित तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
हिंजवडी पुलिस थाने के अधिकारी ने बताया कि बस चालक कथित तौर पर नशे में था और उसे पकड़ लिया गया है।अधिकारी ने बताया कि सोमवार शाम को एक निजी कंपनी की बस ने फुटपाथ पर चल रहे तीन भाई-बहनों समेत पांच पैदल यात्रियों को टक्कर मार दी। उन्होंने बताया कि हादसे के शिकार तीनों भाई-बहन स्कूल से लौट रहे थे। अधिकारी ने बताया, ‘‘इस दुर्घटना में छह साल के एक लड़के और उसकी आठ साल की बहन की मौत हो गई, जबकि उनकी छोटी बहन गंभीर रूप से घायल हो गई। दो अन्य पैदल यात्री भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। -
पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बोलते हैं, तो विश्व के नेता ध्यान से सुनते हैं और ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि भारत की ताकत सामने आ रही है और देश को उसका उचित स्थान मिल रहा है। आरएसएस की स्थापना के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि किसी को जयंती या शताब्दी समारोह जैसे महत्वपूर्ण अवसरों का जश्न मनाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि दिए गए कार्य को निर्धारित समय के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखना चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “संघ यही करता आया है। संघ ने चुनौतियों का सामना करते हुए और कई तूफानों से जूझते हुए भले ही 100 साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम आत्मचिंतन करें कि पूरे समाज को एकजुट करने के काम में इतना समय क्यों लगा।” उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि जब भारत आगे बढ़ता है, तो वैश्विक समस्याएं हल हो जाती हैं, संघर्ष कम हो जाते हैं और शांति कायम होती है। भागवत ने कहा, “यह बात इतिहास में दर्ज है और हमें इसे फिर से साकार करना होगा। यह समय की मांग है। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियां भारत से इसकी मांग करती हैं और इसीलिए संघ के स्वयंसेवक पहले दिन से ही इस मिशन को पूरा करने के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं।” आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के बलिदानों पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने उन्हें दिए गए मिशन को पूरा करने की अपनी यात्रा कई बाधाओं और चुनौतियों के बीच शुरू की थी। उन्होंने संघ के शुरुआती महीनों और वर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उनके काम से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। भागवत ने कहा, “उन्होंने (संघ के स्वयंसेवकों ने) सफलता के बीज बोए और अपना जीवन समर्पित करके परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया। हमें उनका आभारी होना चाहिए।'' वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “प्रधानमंत्री (मोदी) को वैश्विक स्तर पर इतने ध्यान से क्यों सुना जा रहा है? उन्हें इसलिए सुना जा रहा है, क्योंकि भारत की ताकत अब उन जगहों पर प्रकट होने लगी है, जहां उसे उचित रूप से प्रकट होना चाहिए। इसने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है।” सभा को एक किस्सा सुनाते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि एक बार उनसे कहा गया था कि संघ 30 साल देरी से आया है। भागवत ने कहा, “मैंने जवाब दिया कि हम देरी से नहीं आए। बल्कि, आपने हमें देरी से सुनना शुरू किया।”
उन्होंने कहा कि जब संघ संवाद और सामूहिक कार्य की ताकत की बात करता है, तो इसका तात्पर्य पूरे समाज से होता है। भागवत ने कहा, “हमारी नींव विविधता में एकता में निहित है। हमें साथ मिलकर चलना होगा और इसके लिए धर्म आवश्यक है।” उन्होंने कहा, “भारत में सभी दर्शन एक ही स्रोत से उत्पन्न हुए हैं। चूंकि, सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है, इसलिए हमें सद्भाव के साथ आगे बढ़ना होगा।” -
नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने हमेशा राष्ट्र के सम्मान को बरकरार रखा है और दृढ़ संकल्प तथा वीरता के साथ नागरिकों की रक्षा की है। भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले बीएसएफ को उसके स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बीएसएफ कर्मियों और उनके परिवारों को उनके स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।'' उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘बीएसएफ ने हमेशा राष्ट्र के सम्मान को बरकरार रखा है और दृढ़ संकल्प तथा फौलादी इरादों के साथ नागरिकों की रक्षा की है।'' उन्होंने कहा कि बीएसएफ ने अपने सर्वोच्च बलिदान से देशभक्ति की जो लौ जलाए रखी है, वह देश की भावी पीढ़ियों को रास्ता दिखाते रहेगी। शाह ने कहा, ‘‘कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को सलाम।''
बीएसएफ अपनी 193 बटालियनों और 2.76 लाख से अधिक कर्मियों के साथ देश के आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों का निर्वहन करने के अलावा पाकिस्तान के साथ 2,279 किलोमीटर लंबी सीमा तथा बांग्लादेश के साथ 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा और निगरानी करता है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को काले धन से जुड़े एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि इसका कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है कि पिछले एक दशक में कितनी ‘‘अघोषित आय'' देश से बाहर ले जाई गई। तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला रॉय ने लिखित प्रश्न किया था कि पिछले 10 वर्षों में कितना काला धन देश में वापस लाया गया और कितना देश से बाहर ले जाया गया? इसके लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, ‘‘आयकर अधिनियम, 1961 या धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 में 'काले धन' के रूप में कोई अभिव्यक्ति नहीं है।'' काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 एक जुलाई, 2015 को लागू हुआ था।
उनका कहना था कि इस कानून के लागू होने पर इसके तहत अघोषित संपत्ति घोषित करने की एकमुश्त तीन महीने की मियाद दी गई थी जिसमें 684 खुलासे हुए और 4,164 करोड़ रुपये का धन शामिल था। मंत्री ने बताया कि ऐसे मामलों में कर और जुर्माने के रूप में लगभग 2,476 करोड़ रुपये की राशि वसूल की गई। उनका कहना है कि पिछले 10 वर्षों में कानून के तहत कर/जुर्माने/ब्याज के रूप में 339 करोड़ रुपये की वसूली की गई। चौधरी ने यह भी कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में देश से बाहर ले जाई गई अघोषित आय की मात्रा के संबंध में कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है।'' -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि संसद ‘ड्रामा' करने की जगह नहीं है, यह काम करने की जगह है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष संसद को चुनावी हार के बाद “हताशा निकालने का मंच” बना रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्र को राजनीतिक ड्रामे का रंगमंच नहीं बनाना चाहिए, बल्कि यह रचनात्मक और परिणामोन्मुखी बहस का मंच होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विपक्ष चाहे तो वह उसे राजनीति में सकारात्मकता लाने के कुछ सुझाव देने को तैयार हैं। मोदी ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमें ज़िम्मेदारी की भावना से काम करने की ज़रूरत है। संसद ड्रामा करने की जगह नहीं है, यह काम करने की जगह है।'' पिछले सत्रों के दौरान संसदीय कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नाटक के लिए बहुत जगह है; जो लोग यह करना चाहते हैं, वे इसे करते रहें। संसद नाटक के लिए जगह नहीं है; यह काम करने की जगह है।'' हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में राजग को मिली शानदार जीत से उत्साहित मोदी ने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यहां तक कि आप देश भर में ऐसा कर सकते हैं। आपने वहां बोला है जहां आप हार गए हैं। आप वहां भी बोल सकते हैं जहां आपको हार का सामना करना बाकी है। लेकिन संसद में, ध्यान नीति पर होना चाहिए, न कि नारों पर।'' बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों की कार्यवाही बार बार बाधित हुई थी। विपक्ष ने इस बार भी कहा है कि संसद में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा उसकी प्राथमिकता है और वह अपनी मांग शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से उठाएगा। मोदी ने कहा कि कुछ समय से संसद का इस्तेमाल या तो चुनावों के लिए कथित तैयारी के लिए या चुनाव में हार के बाद अपनी हताशा निकालने के लिए किया जा रहा है। बिहार चुनावों में विपक्ष की करारी हार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष चुनावी नतीजों से विचलित है और हार को पचा नहीं पा रहा। प्रधानमंत्री ने कहा, “हार अवरोध पैदा करने का आधार नहीं बननी चाहिए, और जीत भी अहंकार में नहीं बदलनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि बिहार में रिकॉर्ड मतदान लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए चुनावी हार के बाद के अवसाद से बाहर आना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से विपक्ष जो “खेल” खेल रहा है, वह अब जनता को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा, “उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए — मैं उन्हें कुछ सुझाव देने को तैयार हूं।” उन्होंने सभी दलों से, संसद के उद्देश्य को समझने और “हार की हताशा से बाहर आने” की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ विपक्षी दलों के नेताओं के हालिया बयानों से लगता है कि वे चुनावी परिणामों को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “एक-दो दल हैं जो अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे। कल मैंने जो उनके बयान सुने, उनसे ऐसा लगता है कि हार ने उन्हें बेहद परेशान किया है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि युवा सांसदों की नई पीढ़ी को मौके दिए जाने चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘सदन को उनके अनुभवों से फायदा होना चाहिए और इस सदन के ज़रिए देश को भी उनके नए नज़रिए से फायदा होना चाहिए।'' प्रधानमंत्री ने उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन को भी राज्यसभा के सभापति के तौर पर पहले सत्र की अध्यक्षता करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का यह पहला सत्र है। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हुआ और इसमें 15 बैठकें निर्धारित हैं। -
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को देशभर में डिजिटल-अरेस्ट स्कैम से जुड़े मामलों की जांच के लिए सीबीआई को स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि सीबीआई एफआईआर न होने पर भी उन खातों को फ्रीज कर सकती है जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधों और फ्रॉड में किया गया हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल-अरेस्ट स्कैम देश की प्रमुख जांच एजेंसी का तत्काल ध्यान खींचता है, इसलिए सीबीआई को सबसे पहले इन मामलों की जांच करने का निर्देश दिया गया है।
जांच के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में शामिल बैंकरों की भूमिका की स्वतंत्र जांच के लिए भी सीबीआई को पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को मामले में जोड़ा और उनसे यह जानकारी देने के लिए कहा कि कब एआई/एमएल आधारित सिस्टम का उपयोग संदिग्ध खातों की पहचान और अपराध की राशि को तुरंत फ्रीज करने के लिए किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत काम करने वाले सभी इंटरमीडियरीज को सीबीआई को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश भी दिया गया।अभी तक जिन राज्यों ने सीबीआई को सामान्य सहमति नहीं दी है, उन्हें आईटी एक्ट के तहत जांच के लिए सहमति देने का निर्देश दिया गया ताकि पूरे देश में व्यापक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधों की व्यापकता और उनके क्रॉस-बॉर्डर स्वरूप को देखते हुए, सीबीआई इंटरपोल से भी सहायता ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं की ओर से सिम कार्ड जारी करने में गंभीर लापरवाही हुई है, जिसमें एक ही नाम पर कई सिम कार्ड भी शामिल हैं। इसलिए दूरसंचार विभाग को उपायों का प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया गया है ताकि सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोका जा सके।इसके अलावा, सभी राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे जल्दी से जल्दी राज्य साइबरक्राइम सेंटर स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आदेश फिलहाल केवल डिजिटल-अरेस्ट स्कैम से संबंधित हैं और अन्य प्रकार के साइबर अपराधों की निगरानी के संबंध में निर्णय बाद में लिया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सुनिश्चित करेंगे कि गृह मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय उचित रूप से प्रतिनिधित्व करें और उनकी राय कोर्ट के सामने रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी नियमों के तहत सभी राज्यों में दर्ज FIR या साइबर अपराध मामलों में शामिल मोबाइल डिवाइस का डेटा सुरक्षित रखा जाए।- -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ टेलीफोन पर वार्ता की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने साइक्लोन दित्वाह के कारण श्रीलंका में हुई जनहानि और व्यापक तबाही पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में भारत के लोग पूरी दृढ़ता और समर्थन के साथ श्रीलंका के नागरिकों के साथ खड़े हैं।
राष्ट्रपति डिसानायके ने भारत की समय पर और प्रभावी सहायता के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने भारत द्वारा आपदा राहत कार्यों में भेजी गई बचाव टीमों और राहत सामग्री की सराहना की और श्रीलंका के लोगों की ओर से भी धन्यवाद प्रकट किया।प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति को आश्वासन दिया कि भारत, वर्तमान में जारी ऑपरेशन सागर बंधु के तहत, प्रभावित लोगों की मदद और राहत कार्यों में लगातार समर्थन देता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत, अपने ‘विजन महासागर’ और ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ के रूप में स्थापित स्थिति के अनुसार, श्रीलंका के पुनर्वास प्रयासों, सार्वजनिक सेवाओं की बहाली और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की आजीविका की पुनर्स्थापना में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करता रहेगा।दोनों नेताओं ने यह भी सहमति व्यक्त की कि वे निकट संपर्क में रहेंगे और आवश्यक समन्वय जारी रखेंगे।- -
नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (BWC) की 50वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया की 60 प्रतिशत वैक्सीन का उत्पादन करता है और 20 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक दवाइयों की सप्लाई करता है।
विदेश मंत्री ने कहा, “मैं आज आपसे कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने का आग्रह करता हूं। पहला, भारत दुनिया की 60 प्रतिशत वैक्सीन बनाता है।दूसरा, भारत दुनिया की 20 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक दवाइयों की आपूर्ति करता है, और अफ्रीका की 60 प्रतिशत जेनेरिक दवाइयां भारत से जाती हैं।तीसरा, भारत में लगभग 11,000 बायोटेक स्टार्टअप हैं, जबकि 2014 में इनकी संख्या केवल 50 थी। आज यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम है। चौथा, डिजिटल हेल्थ में बड़ी प्रगति के साथ हमारा हेल्थकेयर निवेश तेजी से बढ़ा है। पांचवां, हमारा रिसर्च नेटवर्क-ICMR, DBT लैब्स, एडवांस्ड BSL-3 और BSL-4 सुविधाएं – कई तरह के जैविक खतरों का पता लगाने और उनका जवाब देने की क्षमता रखता है।”उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत प्राइवेट सेक्टर ने इस प्रगति को गति दी है। इसने उत्पादन बढ़ाने, दबाव में नवाचार करने और वैश्विक पहुंच को प्रबंधित करने की क्षमता दिखाई है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल शुरू की। ‘वैक्सीन मैत्री’, अर्थात ‘वैक्सीन फ्रेंडशिप’, को वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से शुरू किया गया था, जिसके तहत 100 से अधिक कम विकसित और कमजोर देशों को लगभग 300 मिलियन वैक्सीन डोज और चिकित्सा सहायता प्रदान की गई। इनमें से कई सहायता निःशुल्क थी। इसका संदेश स्पष्ट था- गंभीर स्वास्थ्य संकट के समय एकजुटता ही जीवन बचाती है। भारत हमेशा एक भरोसेमंद वैश्विक साझेदार रहेगा।उन्होंने आगे कहा कि भारत एक जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में संवेदनशील और दोहरे उपयोग वाले सामान तथा तकनीक के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में भारत का रिकॉर्ड भी मजबूत है। भारत उन सामानों और तकनीकों के निर्यात को नियंत्रित करता है, जिनका उपयोग परमाणु, जैविक, रासायनिक या अन्य सामूहिक विनाशकारी हथियारों के विकास में हो सकता है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को लागू करने के लिए एक व्यापक कानूनी और नियामक ढांचा तैयार किया है। यह प्रस्ताव सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने और संबंधित सामग्री एवं तकनीक के निर्यात नियंत्रण को मजबूत करने पर केंद्रित है।जयशंकर ने कहा कि भारत न केवल BWC और CWC जैसी बहुपक्षीय संधियों का सदस्य है, बल्कि वासेनार अरेंजमेंट, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (AG) सहित तीन प्रमुख बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं का भी सक्रिय सदस्य है। ऑस्ट्रेलिया ग्रुप इस सम्मेलन के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि यह दोहरे उपयोग वाले केमिकल्स, जैविक सामग्री और संबंधित उपकरणों पर नियंत्रण से जुड़ा है। इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया ग्रुप की 40वीं वर्षगांठ है और हमें खुशी है कि AG के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में हमारे साथ मौजूद हैं। -
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि वे 2 दिसंबर को गुजरात के वडोदरा में ‘सरदार सभा’ को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में चल रही राष्ट्रीय गतिविधियों का हिस्सा है। यह सभा ‘राष्ट्रीय पदयात्रा’ से जुड़ी है, जिसका उद्देश्य देश में एकता, अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना है। आज सोमवार को ‘सरदार150’ पदयात्रा अपने पांचवें दिन वडोदरा पहुंची। यहां लोगों ने उत्साह के साथ सफाई अभियान, वृक्षारोपण, सांस्कृतिक कार्यक्रम, गांव सभाएं और सरदार गाथा जैसी गतिविधियों में भाग लिया। पदयात्रा अब तक कुल 72 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है और सरदार पटेल के विचारों और संदेशों को लोगों तक पहुंचा रही है।
दिन की शुरुआत अरबिंदो आश्रम में योग से हुई। इसके बाद “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत वृक्षारोपण किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नगर शामिल हुए। इस अभियान में स्थानीय लोगों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। पदयात्रा अरबिंदो आश्रम से आगे बढ़ते हुए नवलखी मैदान, खंडेराव बाजार मार्ग, कीर्ति स्तंभ, प्रतिमा पुष्पांजलि स्थल (FTE कॉलेज), वडोदरा शहर विस्तार, भारतीय विद्या भवन, मकरपुरा बस केंद्र, जंबुवा (आइडियल स्कूल), आलमगीर (हनुमान मंदिर) और बाबरिया कॉलेज (KPGU) से होती हुई त्रिमंदिर, वरनामा पहुंची।एक महत्वपूर्ण क्षण वह रहा जब पदयात्री और अतिथि मार्ग में रुके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुना, जिसमें उन्होंने फिटनेस, अनुशासन और सामूहिक कल्याण पर जोर दिया। इसके बाद ‘माय भारत’ के स्वयंसेवकों और पदयात्रियों ने रास्ते, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर सफाई अभियान चलाया और नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। जंबुवा में आयोजित सरदार गाथा कार्यक्रम का विषय “आधुनिक भारत के निर्माता” था। इस कार्यक्रम के तहत प्रदर्शनी में सरदार पटेल की मजदूरों के अधिकार मजबूत करने और श्रमिक संगठनों को एकजुट करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया गया।कार्यक्रम में पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी और सांसद हेमांग जोशी सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे। मनसुख मंडाविया ने कहा कि यह पदयात्राएं आत्मनिर्भर भारत और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल उनके जीवन की प्रेरणा हैं।वेंकैया नायडू ने युवाओं से आग्रह किया कि वे सरदार पटेल और छत्रपति शिवाजी जैसे महान नेताओं के जीवन से प्रेरणा लें। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति एकता, अनुशासन और सहयोग की शक्ति से लगातार आगे बढ़ रही है और आज भारत विश्व के प्रमुख देशों के बीच आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। सरदार @150 पदयात्रा आगे बढ़ती जा रही है और सरदार पटेल की एकता, अनुशासन और जनसेवा की प्रेरणा को देशभर में फैलाते हुए नागरिक सहभागिता को मजबूत कर रही है। - पुणे. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि वह अब भी बांग्लादेश को मित्र कहना पसंद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि पड़ोसी देश में स्थिति सुधरेगी। पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध-प्रदर्शन के कारण शेख हसीना सरकार गिर गई थी, जिसके बाद वहां एक ऐसी सरकार बनी, जिसका भारत के प्रति दोस्ताना रुख नहीं रहा है। भारत में शरण लेने वाली हसीना को 17 नवंबर को एक विशेष न्यायाधिकरण ने उनकी गैरमौजूदगी में ‘मानवता के खिलाफ अपराध' का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। बांग्लादेश ने कहा है कि वह भारत से जल्द से जल्द हसीना के प्रत्यर्पण की उम्मीद करता है।नौसेना प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह बांग्लादेश को मित्र के अलावा कुछ और कहने से अब भी परहेज करेंगे, क्योंकि यह एक अस्थायी और क्षणिक दौर हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इंतजार करना होगा। बांग्लादेश में अभी चुनाव होने बाकी हैं, इसलिए हमें अभी अपनी टिप्पणी बचाकर रखनी चाहिए।'' नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम यहां उनके कर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। मैंने आज सुबह ही एनडीए से पास आउट हुए एक बांग्लादेशी अधिकारी कैडेट से मुलाकात की। सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के बाद, मेरी पहली यात्रा बांग्लादेश की निर्धारित थी। एक और राजधानी की यात्रा का भी प्रस्ताव था, लेकिन मैंने मना कर दिया। (मैंने कहा) मुझे बांग्लादेश जाना चाहिए, जो हमारा पहला साझेदार है। गर्मजोशी, आतिथ्य और भारत ने जो कुछ किया है, उसके प्रति अद्भुत भावना थी।'' उन्होंने कहा कि वह हमेशा आशावादी और आश्वस्त रहेंगे कि जहां तक बांग्लादेश का सवाल है, चीजें बदल जाएंगी। वह यहां नौसेना फाउंडेशन पुणे इकाई द्वारा आयोजित ‘भारतीय नौसेना : भू-राजनीति, प्रौद्योगिकी और रणनीति के बीच नौवहन' विषय पर एडमिरल जेजी नाडकर्णी स्मारक व्याख्यान देने के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र में शामिल हुए थे। पाकिस्तानी नौसेना द्वारा स्वदेशी हाइपरसोनिक पोत रोधी बैलिस्टिक मिसाइल एसएमएएसएच के सफल परीक्षण से जुड़े सवाल पर एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हम भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी तैयारी कर रहे हैं। हमारे कई वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। यह विघटनकारी और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में से एक है, जिस पर हम डीआरडीओ और उद्योग के साथ सहयोग कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह चुनौती सभी प्रतिभाशाली लोगों के सामने रखी है और हम आपके सुझावों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकारी स्तर पर खतरे और आवश्यक प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से स्वीकार किया गया है और बहुत से लोग इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।'' यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय नौसेना को उसी तरह एकीकृत किया गया है, जिस तरह ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायु सेना और सशस्त्र बलों की वायु रक्षा को एकीकृत किया गया था, एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' अब भी जारी है और इससे जुड़ी किसी भी चीज पर चर्चा से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘तीनों सेनाओं की वायु रक्षा एकीकृत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान ऐसा किया गया था और नौसेना पूरी तरह से इस राह पर है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या दक्षिण चीन सागर में चीन के जासूसी जहाजों की मौजूदगी मिसाइल परीक्षणों में देरी का कारण बन रही है, नौसेना प्रमुख ने ‘न' में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भी चीनी जासूसी जहाजों की मौजूदगी से जुड़ी खबरें पढ़ी हैं, लेकिन मुझे इसके चलते किसी भी परीक्षण में देरी होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह किसी की मनगढ़ंत कहानी हो सकती है, या फिर किसी उद्देश्य के चलते फैलाया जा रहा विमर्श भी हो सकता है।
- रांची. झारखंड में पारा गिरने के साथ ही प्रवासी पक्षी जलाशयों की ओर रुख कर रहे हैं और अपनी चहचहाहट एवं रंगीन दृश्यों से पक्षी प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं। हर साल की तरह, इस बार भी हजारों प्रवासी पक्षी अपने मूल क्षेत्रों पर पड़ रहे अत्यधिक ठंड से बचने के लिए झारखंड को अपना शीतकालीन ठिकाना बना रहे हैं। एशियाई जलपक्षी गणना (एडब्ल्यूसी) के झारखंड समन्वयक सत्य प्रकाश ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘ये पक्षी भोजन के लिए और मध्य एशिया, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया और तिब्बती पठार में पड़ने वाली अत्यधिक ठंड से खुद को बचाने के लिए झारखंड में सर्दियों के मौसम के दौरान बांधों, झीलों, नदियों और अभयारण्यों जैसे विभिन्न जलाशयों में शरण लेते हैं।'' उन्होंने बताया कि उधवा झील पक्षी अभयारण्य (साहिबगंज), पतरातू बांध (रामगढ़), तोपचांची झील, तिलैया और मैथन बांध (धनबाद), कांके और रूक्का बांध (रांची), डिमना झील (जमशेदपुर), बास्का बांध (चतरा) और अन्य जल निकायों में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि साहिबगंज स्थित उधवा अभयारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए पसंदीदा स्थानों में से एक रहा है। उन्होंने बताया कि साहिबगंज जिले में स्थित इस 565 हेक्टेयर के अभयारण्य में गंगा नदी की दो प्राकृतिक अप्रवाही झीलें हैं, जिनमें पटौरा और बरहले शामिल हैं। साहिबगंज प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) प्रबल गर्ग ने बताया कि यह राज्य का एकमात्र रामसर स्थल है और लगभग 160 पक्षी प्रजातियों का घर है। गर्ग के अनुसार, सर्दियों में सबसे ज्यादा आने वाले पक्षियों में काला धारीदार हंस, उत्तर धारीदार बत्तख, मुर्गाबी, कलहंस, गैडवॉल, गुरगल बत्तख और लाल चोंच एवं लाल कलगी वाली बत्तख शामिल हैं जबकि लाल अंजन, घोंघिल, लिटिल ग्रेब और कौड़िल्ला अभयारण्य की साल भर की पक्षी विविधता में योगदान करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हर साल लगभग 25,000 से 30,000 प्रवासी पक्षी राज्य के जलाशयों में आते हैं।वन विभाग ने प्रभागीय वन अधिकारियों को वन सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने को कहा है, जो जलाशयों में गतिविधियों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर तुरंत वन अधिकारियों को सूचित करने के लिए भी कहा गया है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी में श्री कृष्ण मठ पहुंचकर लक्ष कंठ गीता पारायण प्रोग्राम में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने एक लाख़ श्रद्धालुओं के साथ सामूहिक रूप से श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया। उन्होंने कृष्ण गर्भगृह के सामने बने सुवर्ण तीर्थ मंडप का भी उद्घाटन किया और पवित्र कनकना किंदी के लिए कनक कवच (सोने का आवरण) समर्पित किया।
जगद्गुरु श्री श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने विश्व गीता पर्याय- लक्ष्य कंठ गीता परायण में पीएम मोदी का अभिनंदन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक लाख़ श्रद्धालुओं के साथ सामूहिक रूप से श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया।पीएम मोदी ने ‘लक्षकंठ गीता’ सामूहिक जाप कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गीता के पवित्र श्लोकों का पाठ सदियों से होता आ रहा है, लेकिन जब लाखों लोग एक साथ इन श्लोकों का जाप करते हैं तो एक अनोखी ताकत पैदा होती है। यह मन को मजबूत करती है और अंदर की शांति को स्थिर करती है। यही वह एनर्जी है जो आध्यात्मिकता को बढ़ाती है और यही वह ऊर्जा है जो सामाजिक एकता को गहरा करती है।उन्होंने कहा कि उनके लिए उडुपी की धरती पर पहुंचना हमेशा ही एक अद्भुत अनुभव रहा है और इस बार यह अवसर कई कारणों से और भी खास बन गया है। उन्होंने गुजरात और उडुपी के बीच आध्यात्मिक संबंधों को याद करते हुए बताया कि यहां स्थापित भगवान श्री कृष्ण की विग्रह की पूजा पहले द्वारका में माता रुक्मिणी करती थीं। बाद में जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने इस प्रतिमा को उडुपी में स्थापित किया।पीएम मोदी ने कहा, “मेरा जन्म गुजरात में हुआ है। गुजरात और उडुपी के बीच गहरा और विशेष संबंध रहा है। इस प्रतिमा के दर्शन ने मुझे आत्मीय और आध्यात्मिक आनंद दिया है।” उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण ने युद्ध की भूमि पर गीता का संदेश दिया था और भगवत गीता हमें सिखाती है कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी ज़रूरी है, हम लाल किले की प्राचीर से श्री कृष्ण की करुणा का संदेश देते हैं और उसी प्राचीर से हम मिशन सुदर्शन चक्र का भी उद्घोष करते हैं, देश ने ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई में हमारा संकल्प देखा है। हम शांति स्थापित करना भी जानते हैं और शांति की रक्षा करना भी जानते हैं।”उडुपी की राजनीतिक और सामाजिक परंपराओं को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र जनसंघ और भाजपा के सुशासन मॉडल का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 1968 में उडुपी के लोगों ने जनसंघ के वीएस आचार्य को नगरपालिका परिषद में विजयी बनाकर एक नए गवर्नेंस मॉडल की नींव रखी थी।इस दौरान, पीएम मोदी ने अयोध्या यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ ही दिन पहले 25 नवंबर को राम जन्मभूमि मंदिर में धर्म ध्वज स्थापित किया गया और इस ऐतिहासिक क्षण को पूरे देश ने देखा। अयोध्या से उडुपी तक श्री राम के अनगिनत भक्तों ने इस पावन पल का साक्षात्कार किया। पूरा राष्ट्र जानता है कि राम मंदिर आंदोलन में उडुपी की क्या महत्वपूर्ण भूमिका रही है।प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष वे समुद्र के भीतर स्थित श्री द्वारका जी के दर्शन करने गए थे और वहां से भी उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि तीन दिन पहले ही वे गीता की भूमि कुरुक्षेत्र में थे और अब भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उडुपी पहुंचना उनके लिए अत्यंत संतोष का अवसर है।आपको बता दें, कार्यक्रम में लगभग 1 लाख लोगों ने एक साथ भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया, जिसे पीएम मोदी ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व ने भारत की हजारों वर्षों की दिव्यता का साक्षी भाव से दर्शन किया है।पीएम मोदी कर्नाटक के उडुपी में कई प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। जब प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो शुरू हुआ। हजारों लोग सड़कों पर खड़े नजर आए, जो काफिले के गुजरने पर खुशी मना रहे थे। जुलूस का रास्ता भगवा झंडों, झंडियों और बैरिकेड्स से ढका हुआ था। पीएम मोदी 14 साल बाद उडुपी पहुंचे हैं। इससे पहले वे उडुपी तब आए थे, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। -
डिंडोरी (मध्यप्रदेश). छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में 18 से 19 वर्ष के बाद चार वन परिक्षेत्रों में साल प्रजाति के तकरीबन 5,000 ऐसे पेड़ों पर कटाई का खतरा मंडरा रहा है, जो बोरर कीट के प्रकोप के कारण खोखले हो गए हैं। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। साल के पेड़ मूल रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई) की कार्यवाहक निदेशक डॉ. नीलू सिंह ने बताया, ''हमारी टीम ने हाल ही में डिंडोरी का दौरा किया था। रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। मैं इसे पढ़ूंगी और भेजने से पहले इसे अंतिम रूप दूंगी।" उन्होंने कहा, "यह निश्चित रूप से बोरर का प्रकोप है। हमारे पास इस विषय में शोध का अनुभव है और हम उस पर काम करते हैं। इसका लक्षण है - जैसे पेड़ों का मरना। कीटों का यह प्रकोप समय-समय पर होते रहते हैं। मप्र में इस तरह का हमला 18-19 साल पहले हुआ था। यह एक चक्र है, और इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इन्हें काटना ही एकमात्र समाधान है।" वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 'कूप कटाई' के तहत जिले के गाड़ासरई उप वन मंडल के पूर्व करंजिया, दक्षिण करंजिया, बजाई और दक्षिण समनापुर वन परिक्षेत्र में बेहद ही उपयोगी साल के पेड़ों को चिह्नित किया गया है और अब इनकी कटाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ये वन परिक्षेत्र नर्मदा नदी के उद्गम स्थल और पवित्र नगरी अमरकंटक के आसपास हैं। उन्होंने बताया कि मृत, सूखे व गंभीर रूप से रोगग्रस्त और क्षतिग्रस्त पेड़ों को चिह्नित किए जाने और फिर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद कटाई की प्रक्रिया शुरू की जाती है। डिंडोरी के उपवनमंडलाधिकारी (एसडीओ) सुरेंद्र सिंह जाटव ने कहा, "यह कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इस बार प्रकोप कुछ ज्यादा ही प्रतीत हो रहा है।" उन्होंने कहा, "इसी के तहत सर्वे करके करीब 5000 पेड़ों को चिह्नित किया गया है। अब इन्हें काटा जा रहा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या इन वन परिक्षेत्रों में मौजूद साल के पेड़ों पर बोरर कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, जिसके कारण वे या तो सूख गए हैं या सूखने की कगार पर हैं, जाटव ने कहा कि चिह्नित पेड़ भी इसी श्रेणी में हैं। उन्होंने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि साल प्रजाति के वृक्षों को बोरर कीड़े प्रभावित कर रहे हैं।"बोरर एक सुंडी कीट की प्रजाति है और इसका प्रजनन चक्र 15 दिन का होता है। मादा एक बार में 300 से 500 अंडे देती है। बोरर कीट मानसून खत्म होने के पश्चात ही वृक्षों में लगने लगते हैं और उम्र भर पेड़ में ही रहते हैं तथा इस दौरान एक हरे-भरे पेड़ को भी वे कुछ ही दिनों में चट कर जाते हैं। इस कीट के प्रकोप को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए वृक्षों का कटाव किया जाता है।जाटव ने बताया की पिछले दिनों जबलपुर से टीएफआरआई का एक दल आया था और उसने बोरर कीड़े के प्रभाव का निरीक्षण किया था। उन्होंने कहा कि इस जांच की रिपोर्ट अब तक उन्हें नहीं मिली है।करंजिया वन क्षेत्र के चेकपोस्ट पर पदस्थ वनकर्मी जयप्रकश पाठक ने पीटीआई वीडियो से बातचीत में दावा किया कि बड़ी संख्या में साल के पेड़ों में कीटाणु लगे हैं, जिसकी वजह से पेड़ खोखले हो गए हैं। उन्होंने कहा, "इन पेड़ों से बुरादा निकल रहा है। वह सूख रहे हैं। मेरे क्षेत्र में सड़क किनारे 50 से अधिक पेड़ सूख गए हैं। अंदर तो यह संख्या और भी अधिक होगी।" इसी क्षेत्र के ग्रामीण दलसिंह मार्को ने कहा, "जंगल नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। इन्हीं जंगलों के कारण पवित्र नगरी अमरकंटक का सौंदर्य है। साल बोरर ने बड़ा नुक़सान पहुंचाया है। बड़ा संकट मंडरा रहा है, जंगल ही नष्ट हो जाएंगे तो बचेगा क्या। सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी होगी।" साल के वृक्ष का वैज्ञानिक नाम शोरिया रोबस्टा है। यह डिप्टरोकार्पेसी परिवार की एक प्रजाति है। यह एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय एवं अर्धपर्णपाती वृक्ष है, जो हिमालय की तलहटी से लेकर 3000-4000 फुट की ऊंचाई (ऊंचाई 28 मीटर तथा गोलाई 25 फीट होती है) तक पाए जाते हैं। इस वृक्ष की उम्र लगभग 1000 वर्ष से अधिक होती है। -
नयी दिल्ली. खेती में नवाचर और उद्यमशीलता के लिए सात किसानों को पुरस्कार दिया गया है।
एक बयान के मुताबिक, यहां हुए पहले 'किसान ऑफ इंडिया सम्मान' में सात श्रेणी -- जैविक/ प्राकृतिक खेती, संरक्षित खेती, खाद्य प्रसंस्करएण, कृषि स्टार्ट-अप, डेयरी फार्मिंग, मत्स्यपालन और खेती में नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र -- में बेहतर काम करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया। राजस्थान के जोधपुर के एक उद्यमी, अमित सोनी ने बताया कि कैसे संसद में उनके बाजरे से बने चॉकलेट ट्रफल केक को काटा गया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसकी तारीफ की। सना खान को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 'मन की बात' प्रोग्राम में वर्मीकम्पोस्ट में उनके प्रयासों की तारीफ किए जाने के बाद ख्याति मिली। उन्हें युवाओं से खेती अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “ देश का भविष्य खेती में है। हम लोगों को खेती के साथ बने रहने और आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।” अवॉर्ड पाने वालों की तारीफ करते हुए, कृषि शोध एवं शिक्षण विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट ने एक वीडियो संदेश में कहा कि ये किसान अपनी नई खेती की तकनीकों से लाखों भारतीय किसानों के लिए एक शानदार मिसाल कायम कर रहे हैं। पुरस्कार पाने वालों में जैविक-प्राकृतिक खेती के लिए नरेंद्र सिंह मेहरा, संरक्षित खेती के लिए खेमा राम चौधरी, कृषि स्टार्ट-अप के लिए गुरप्रीत सिंह शेरगिल, रवींद्र मानिकराव मेटकर, डेयरी फार्मिंग के लिए सुरेंद्र अवाना, मत्स्यपालन के लिए शिव प्रसाद साहनी और कृषि में नई प्रौद्योगिकी के लिए अभिषेक धामा हैं। -
नयी दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू शनिवार से शुरू हो रही अखिल भारतीय न्यायाधीश बैडमिंटन चैंपियनशिप के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। विज्ञप्ति के अनुसार यह दो दिवसीय चैंपियनशिप 29 और 30 नवंबर को यहां त्यागराज खेल परिसर में आयोजित होगी। इसके अनुसार इसमें कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी उपस्थित रहेंगे।
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नयी दिल्ली. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यों में अनुबंध पर काम करने वाली कंपनियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक रेटिंग प्रणाली विकसित कर रहा है। मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बयान में कहा कि रेटिंग उद्देश्यों के लिए, अनुबंधों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाएगा। पहली श्रेणी में 100 करोड़ रुपये से लेकर 300 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं शामिल होंगी। दूसरी श्रेणी में 300 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं और तीसरी श्रेणी में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली परियोजनाएं होंगी। मंत्रालय ने कहा कि रेटिंग का कार्य वर्ष में एक बार किया जाएगा। पहली बार में 15 फरवरी तक पात्र परियोजनाओं को शामिल किया जाएगा और उन्हें 31 मार्च तक रेटिंग दी जाएगी। इसके बाद हर वर्ष 15 नवंबर तक पात्र परियोजनाओं को लिया जाएगा और उनकी रेटिंग 31 दिसंबर तक पूरी की जाएगी।
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नयी दिल्ली. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बृहस्पतिवार को कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी की बहादुरी पर आधारित फिल्म ‘120 बहादुर' को दिल्ली में कर मुक्त घोषित कर दिया गया है। गुप्ता ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि ‘120 बहादुर' 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के 120 सैनिकों के ‘असाधारण साहस, नेतृत्व और बलिदान' को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग ला में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री ने पोस्ट में कहा, ‘‘बहादुर सैनिकों के प्रति विशेष सम्मान के तौर पर दिल्ली सरकार ने 28 नवंबर से दिल्ली में फिल्म को कर-मुक्त करने का फैसला किया है।'' उन्होंने कहा कि यह फिल्म मेजर शैतान सिंह भाटी के प्रेरणादायक नेतृत्व पर प्रकाश डालती है।



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