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- खंडवा. मध्यप्रदेश सरकार ने मंगलवार रात मशहूर गीतकार प्रसून जोशी को खंडवा में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान से अलंकृत किया। भारतीय सिने जगत के हरफनमौला सितारे किशोर कुमार की जन्मस्थली खंडवा में आयोजित समारोह के दौरान जोशी को वर्ष 2024 का राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस से शामिल होते हुए किशोर कुमार के मस्ती भरे अंदाज वाले किस्सों को याद किया और उन्हें ‘मध्यप्रदेश का अनमोल रतन' करार दिया। उन्होंने गीतकार जोशी को बधाई देते हुए कहा कि वह ‘शब्दों के जादूगर' हैं और उनके लिखे गीत श्रोताओं को आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाते हैं। यादव ने राज्य के काबीना मंत्री विजय शाह की मांग पर घोषणा की कि खंडवा में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान समारोह अब हर साल दो दिन आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने किशोर कुमार का मशहूर गीत ‘जिंदगी एक सफर है सुहाना' भी गुनगुनाया। सम्मान प्राप्त करने के बाद गीतकार जोशी ने राज्य सरकार का आभार जताया। उन्होंने कहा,‘‘जब किशोर दा का निधन हुआ तब मैं विद्यालय में पढ़ रहा था, लेकिन मैंने अपने करियर में न जाने कितने गीत यह सोचकर लिखे हैं कि काश वह जिंदा होते और मेरे लिखे गानों को अपनी आवाज देते।'' जोशी ने कहा कि किशोर कुमार के भीतर का कलाकार ‘बालसुलभ' था और उनमें यह स्वाभाविक खूबी बिना किसी प्रयास के हमेशा जीवित रही। ‘तारे जमीन पर', ‘रंग दे बसंती' और ‘भाग मिल्खा भाग' सहित कई फिल्मों के लिए मशहूर गीत लिखने वाले जोशी ने कहा, ‘‘आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आजकल तकनीक की मदद से ऐसे गीत बन रहे हैं जिन्हें न तो कोई व्यक्ति लिख रहा है, न ही कोई व्यक्ति उनका संगीत निर्देशन कर रहा है और न ही कोई व्यक्ति उन्हें गा रहा है। ऐसे वक्त में किशोर दा की बड़ी याद आती है जिनमें किसी भी तरह की कृत्रिमता और बनावट नहीं थी।'' प्रदेश सरकार सिनेमा जगत में अभिनय, पटकथा लेखन, गीत लेखन और निर्देशन के क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाली हस्तियों को हर साल राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान से नवाजती है। वर्ष 1997 में स्थापित इस सम्मान के तहत पांच लाख रुपये की सम्मान राशि और प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। इससे पहले, यह सम्मान ऋषिकेश मुखर्जी, नसीरुद्दीन शाह, गुलजार, कैफी आजमी, बीआर चोपड़ा, अमिताभ बच्चन, गोविंद निहलानी, जावेद अख्तर, श्याम बेनेगल, यश चोपड़ा, देव आनंद, सलीम खान, समीर, प्रियदर्शन, वहीदा रहमान, अमिताभ भट्टाचार्य, धर्मेंद्र और राजकुमार हिरानी को दिया जा चुका है।
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नई दिल्ली। इंटरनेट और स्मार्टफोन ने आज के समय में सोशल मीडिया तक सभी की पहुंच को आसान बना दिया है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू होने से सिर्फ दो महीने पहले, इंस्टाग्राम ने बड़ा फैसला लिया है। फोटो शेयरिंग ऐप ने किशोरों के लिए उपलब्ध कंटेंट में बदलाव किया है और युवाओं के अकाउंट पर पेरेंटल कंट्रोल को सख्ती से लागू कर दिया है।
इंस्टाग्राम की मूल कंपनी, मेटा ने ग्लोबल अनाउंसमेंट की। कहा कि 13 से 18 साल के बच्चों के लिए उपलब्ध सामग्री अमेरिका की पीजी (पेरेंटल गाइडेंस)-13 रेटिंग के बराबर होगी, जिससे किशोरों के अकाउंट में हिंसक या वयस्क सामग्री सीमित हो जाएगी।कंपनी किशोरों के साथ अपने एआई इंटरैक्शन को पीजी-13 अनुभव में भी बदलेगी, क्योंकि सोशल मीडिया कंपनी के चैटबॉट्स के लिए दिशानिर्देशों में चैटबॉट को “बच्चों को रोमांटिक या अश्लील बातचीत में शामिल करने” की अनुमति देने की खबरों पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है।किशोर अब उन अकाउंट्स को भी फॉलो नहीं कर पाएंगे जिन्हें उम्र के हिसाब से अनुचित सामग्री शेयर करने वाला माना जाता है, जैसे कि वे अकाउंट जिन्होंने अपने बायो में ओनली फैंस अकाउंट्स को लिंक किया है। जो किशोर पहले से ही इन अकाउंट्स को फॉलो कर रहे हैं, वे उस सामग्री को देख या उससे इंटरैक्ट नहीं कर पाएंगे, डीएम नहीं भेज पाएंगे या टिप्पणियां नहीं देख पाएंगे। नियम में बदलाव से प्रभावित होने वाले अकाउंट्स को सूचित किया जाएगा कि किशोर अब उनके अकाउंट को फॉलो नहीं कर पाएंगे।ब्लॉक किए गए सर्च टर्म्स को शराब या खून-खराबे जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला तक विस्तारित किया जाएगा। द गार्जियन के मुताबिक इंस्टाग्राम की सार्वजनिक नीति की वैश्विक निदेशक, तारा हॉपकिंस ने कहा कि इन बदलावों के तहत “गे” या “ट्रांस” जैसे एलजीबीटीक्यू शब्दों को ब्लॉक नहीं किया जाएगा।माता-पिता किशोरों को पोस्ट के नीचे टिप्पणियां देखने, छोड़ने या प्राप्त करने से रोकने के लिए एक सख्त सेटिंग का उपयोग कर पाएंगे, और यह सुविधा किशोरों द्वारा की जाने वाली एआई बातचीत को भी और प्रतिबंधित करेगी। ये बदलाव मंगलवार से अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में किशोर अकाउंट्स पर धीरे-धीरे लागू होंगे और साल के अंत तक पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। -
नई दिल्ली। गोवा के कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का बीते मंगलवार को अचानक कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। उनके परिवार ने इस खबर की पुष्टि की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवि नाइक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक समर्पित लोक सेवक बताया, जिन्होंने गोवा के विकास में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “गोवा सरकार में मंत्री रवि नाइक के निधन से दुखी हूं। उन्हें एक अनुभवी प्रशासक और समर्पित लोक सेवक के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने गोवा के विकास को समृद्ध बनाया। वे विशेष रूप से वंचितों और हाशिए पर रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।”
रवि नाइक गोवा की राजनीति के एक दिग्गज नेता थे, जिनका राजनीतिक जीवन चार दशकों से भी अधिक लंबा रहा। उन्होंने 1980 के दशक में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और गोवा की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बन गए। नाइक दो बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे-पहली बार 1991 में कुछ समय के लिए और दूसरी बार 1994 में। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 850 दिनों तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, वे 1998 से 1999 तक लोकसभा सांसद भी रहे। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने गोवा के कई महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व किया।रवि नाइक 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों से कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार में उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी ‘एक्स’ पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री रवि नाइक के निधन से गहरा दुख हुआ है। मुख्यमंत्री और प्रमुख विभागों के मंत्री के रूप में उनकी दशकों की सेवा ने राज्य के शासन और लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके नेतृत्व, विनम्रता और जनकल्याण में योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”रवि नाइक को एक ऐसे नेता के रूप में जाना जाता था जो जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े रहते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में वंचित और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए लगातार काम किया। गोवा के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा। -
-मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अस्पताल पहुंचकर घायल हुए लोगों और उनके परिजनों से मुलाकात की
नई दिल्ली। राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को एक बस में आग लगने की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। आर्मी स्टेशन के पास जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर चलती बस में अचानक भड़की आग ने 20 यात्रियों की जान ले ली।राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्वीट किया, "जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचकर जैसलमेर बस दुर्घटना में घायल हुए लोगों और उनके परिजनों से मुलाकात की। डॉक्टरों से उनके उपचार की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के बाद, मैंने उन्हें हर संभव चिकित्सा सहायता और सर्वोत्तम उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मैं ईश्वर से सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।"
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन सहित कई नेताओं ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया। जिला प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिए हैं और डीएनए जांच के जरिए मृतकों की पहचान की प्रक्रिया चल रही है।राष्ट्रपति मुर्मु ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “जैसलमेर, राजस्थान में एक बस में आग लगने से कई लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। मैं शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूँ और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।”
वहीं, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एक्स पोस्ट में लिखा, “जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर बस में आग लगने से हुई जनहानि अत्यंत हृदय विदारक है। इस हादसे में अपनों को खोने वाले परिजनों के प्रति गहन संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें, तथा अधिक से अधिक यात्रियों की रक्षा करें।”उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी हादसे पर दुख जताया। उपराष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स पोस्ट में लिखा, “राजस्थान के जैसलमेर में बस में आग लगने की दुखद घटना में हुई जान-माल की हानि से अत्यंत दुखी हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”हादसे पर पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी ने भी दुख जताया। उन्होंने इस घटना को हृदय विदारक और दुखद बताते हुए कहा कि इस हादसे ने पूरे देश और प्रदेश को व्यथित कर दिया है। जब उन्हें इस घटना की जानकारी मिली तो वे भी स्तब्ध रह गए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जिला प्रशासन से राहत-बचाव कार्य की जानकारी ली। इस दर्दनाक हादसे में मौके पर ही 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक गंभीर रूप से घायल यात्री को जोधपुर रेफर किया गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।उन्होंने आगे कहा कि मृतकों के शव बुरी तरह जल चुके हैं, जिसके कारण पहचान करना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन ने डीएनए जांच के जरिए शवों की पहचान कराने की प्रक्रिया शुरू की है। इस त्रासदी से परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और पूरा प्रदेश उनके साथ खड़ा है। प्रारंभिक जांच में हादसे का कारण शॉर्ट सर्किट सामने आया है, हालांकि विस्तृत जांच के बाद ही वास्तविक कारणों का खुलासा होगा। जिला प्रशासन और राहत दलों की त्वरित कार्रवाई की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मौके पर पहुंचकर दमकल विभाग ने आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी भयानक थी कि पूरी बस कुछ ही मिनटों में राख हो गई।प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत और एसपी अभिषेक शिवहरे ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और राहत कार्यों की निगरानी की। जैसलमेर प्रशासन और पुलिस इस घटना की गहन जांच में जुट गए हैं। - नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश का दौरा करेंगे। जहां वह कुरनूल में लगभग 13,430 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित करेंगे। पीएम मोदी श्रीशैलम में भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी वरला देवस्थानम में पूजा और दर्शन करेंगे। साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को मनाने के लिए श्रीशैलम में श्री शिवाजी स्फूर्ती केंद्र का दौरा करेंगे।कार्यक्रम के अनुसार लगभग 11:15 बजे, वह नंदयाल जिले के श्रीशैलम में श्री भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी वरला देवस्थानम में पूजा और दर्शन करेंगे। इसके बाद करीब 12:15 बजे वह श्रीशैलम में श्री शिवाजी स्फूर्ति केंद्र का दौरा करेंगे।इसके बाद प्रधानमंत्री कुरनूल जाएंगे जहां वे दोपहर लगभग 2:30 बजे लगभग 13,430 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास और राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस अवसर पर वे एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।श्रीशैलम में पीएमपीएम भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी वरला देवस्थानम में पूजा और दर्शन करेंगे, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और 52 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर की अनूठी विशेषता एक ही मंदिर परिसर में एक ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ का सह-अस्तित्व है, जो इसे पूरे देश में अपनी तरह का एक अनूठा मंदिर बनाता है।पीएम शिवाजी स्फूर्ति केंद्र का भी दौरा करेंगे, जो एक स्मारक परिसर है जिसमें एक ध्यान मंदिर (ध्यान कक्ष) शामिल है जिसके चारों कोनों पर चार प्रतिष्ठित किलों – प्रतापगढ़, राजगढ़, रायगढ़ और शिवनेरी – के मॉडल स्थापित हैं। इसके केंद्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की गहन ध्यान मुद्रा में एक प्रतिमा स्थापित है। यह केंद्र श्री शिवाजी स्मारक समिति द्वारा संचालित है, जिसकी स्थापना श्रीशैलम में 1677 में छत्रपति शिवाजी महाराज की इस पवित्र तीर्थस्थल की ऐतिहासिक यात्रा के उपलक्ष्य में की गई थी।कुरनूल, पीएमपीएम मोदी लगभग 13,430 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये परियोजनाएँ उद्योग, विद्युत पारेषण, सड़क, रेलवे, रक्षा विनिर्माण, और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सहित प्रमुख क्षेत्रों में फैली हुई हैं, जो क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने, औद्योगीकरण को गति देने और राज्य में समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।पीएम 2,880 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से कुरनूल-III पूलिंग स्टेशन पर पारेषण प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना में 765 केवी डबल-सर्किट कुरनूल-III पूलिंग स्टेशन-चिलकलुरिपेटा ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण शामिल है, जिससे रूपांतरण क्षमता में 6,000 एमवीए की वृद्धि होगी और देश के विकास को गति देने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का बड़े पैमाने पर संचरण संभव होगा।इस दौरान पीएम कुरनूल में ओर्वाकल औद्योगिक क्षेत्र और कडप्पा में कोप्पर्थी औद्योगिक क्षेत्र की आधारशिला भी रखेंगे, जिन पर कुल 4,920 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) और आंध्र प्रदेश औद्योगिक अवसंरचना निगम लिमिटेड (एपीआईआईसी) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, ये आधुनिक, बहु-क्षेत्रीय औद्योगिक केंद्र प्लग-एंड-प्ले अवसंरचना और वॉक-टू-वर्क अवधारणा से युक्त हैं। इनसे 21,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने और लगभग एक लाख रोजगार सृजित होने की उम्मीद है, जिससे आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में औद्योगिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।सड़क अवसंरचना को बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री 960 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले सब्बावरम से शीलानगर तक छह लेन वाले ग्रीनफील्ड राजमार्ग की आधारशिला रखेंगे, जिसका उद्देश्य विशाखापत्तनम में भीड़भाड़ कम करना और व्यापार एवं रोजगार को सुविधाजनक बनाना है। इसके अलावा, लगभग 1,140 करोड़ रुपये की छह सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा, जिनमें पिलेरू-कलूर खंड का चार लेन का निर्माण, कडप्पा/नेल्लोर सीमा से सीएस पुरम तक चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 165 पर गुडीवाड़ा और नुजेला रेलवे स्टेशनों के बीच चार लेन का रेल ओवर ब्रिज (आरओबी), राष्ट्रीय राजमार्ग 565 पर काओंगी-ओंगी 1 नदी पासपास और राष्ट्रीय राजमार्ग 544डीडी पर एन. गुंडलापल्ली शहर में बाईपास किए गए खंड का सुधार शामिल है। इन परियोजनाओं से सुरक्षा में सुधार होगा, यात्रा का समय कम होगा और पूरे आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय संपर्क मजबूत होगा।पीएम मोदी 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की कई प्रमुख रेलवे परियोजनाओं का शिलान्यास और राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इन परियोजनाओं में कोट्टावलसा-विजयनगरम चौथी रेलवे लाइन और पेंडुर्ती व सिंहाचलम उत्तर के बीच रेल फ्लाईओवर का शिलान्यास, और कोट्टावलसा-बोड्डावारा खंड और शिमिलिगुड़ा-गोरपुर खंड के दोहरीकरण को राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है। ये परियोजनाएँ भीड़भाड़ कम करेंगी, तेज़ और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करेंगी, यात्रियों और माल की सुगम आवाजाही को सुगम बनाएँगी और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देंगी।
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नई दिल्ली। हर वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व ग्रामीण महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के योगदान, संघर्ष और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ग्रामीण महिलाएं कृषि, पशुपालन, जल-संरक्षण, वनों की देखभाल और परिवार के पोषण में अहम भूमिका निभाती हैं। वे न केवल अपने परिवार की आधारशिला होती हैं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
विश्व ग्रामीण महिला दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सतत विकास और खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान तब तक संभव नहीं है, जब तक ग्रामीण महिलाओं को समान अवसर और अधिकार नहीं दिए जाएंगे। ग्रामीण महिलाएं खेतों में काम करती हैं, बीज बोती हैं, फसलों की देखभाल करती हैं और घर-परिवार की जिम्मेदारियों को भी निभाती हैं। वे अक्सर कठिन परिस्थितियों में भी अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए कार्य करती हैं। इसके बावजूद, उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, भूमि अधिकारों और वित्तीय संसाधनों तक पर्याप्त पहुंच नहीं मिल पाती। यह असमानता विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए, विश्व ग्रामीण महिला दिवस का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण, समान अधिकारों की प्राप्ति और संसाधनों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना है।इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर 2007 को की थी, और इसे पहली बार वर्ष 2008 में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि जब ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर दिए जाते हैं, तब पूरा समुदाय प्रगति करता है। यह दिवस कृषि और ग्रामीण विकास में महिलाओं के योगदान को मान्यता देने का एक माध्यम है।आज के समय में ग्रामीण महिलाएं न केवल खेती-बाड़ी तक सीमित हैं, बल्कि वे स्वयं सहायता समूहों, लघु उद्योगों और उद्यमिता के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही हैं। सरकार और विभिन्न सामाजिक संस्थाएं उन्हें सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं। यह आवश्यक है कि हम ग्रामीण महिलाओं के श्रम का सम्मान करें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करें। विश्व ग्रामीण महिला दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संदेश है कि जब ग्रामीण महिलाएं मजबूत होंगी, तो समाज, अर्थव्यवस्था और राष्ट्र भी मजबूत होंगे। उनका सशक्तिकरण ही एक समृद्ध और समानता आधारित विश्व की नींव है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को कहा कि चूना पत्थर (लाइमस्टोन) को अब पूरी तरह से प्रमुख खनिज के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है। इस कदम से कारोबार में आसानी होगी, क्योंकि अब खनन पट्टाधारक चूना पत्थर को किसी भी उद्देश्य के लिए बेच या उपयोग कर सकेंगे और खनिज सामग्री के कृत्रिम नियामकीय विभेद की पाबंदियां भी नहीं होंगी। पहले, उपयोग के आधार पर चूना पत्थर को कभी लघु खनिज और कभी प्रमुख खनिज सामग्री माना जाता है।
अगर इसका उपयोग निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल होने वाला चूना बनाने के लिए होता था तो इसे लघु खनिज घोषित किया जाता था। वहीं सीमेंट, रसायन, उर्वरक, चीनी और इस्पात निर्माण जैसे उद्योगों में इस्तेमाल होने पर यह प्रमुख खनिज माना जाता था। खान मंत्रालय ने कहा कि लघु खनिज के खनन के मौजूदा पट्टाधारकों को प्रमुख खनिज श्रेणी में सुचारू रूप से स्थानांतरित करने के लिए 13 अक्टूबर, 2025 को आदेश जारी किया गया। इससे चूना पत्थर के मौजूदा लघु खनिज पट्टों को किसी व्यवधान के बगैर प्रमुख खनिज खदान के रूप में संचालित किया जाएगा। मंत्रालय ने यह निर्णय नीति आयोग के सदस्य की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयीय समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया है। समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अनुशंसा की थी। चूना पत्थर की उपलब्धता निर्माण सामग्री के लिए कम हुई है, क्योंकि अब अधिकांश चूना पत्थर सीमेंट, रासायनिक उद्योग, उर्वरक इकाइयों, चीनी कारखानों और अन्य क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है। इस बदलाव से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय बढ़ेगी, बल्कि सीमेंट उद्योग में खदान से चूना पत्थर की उपलब्धता बढ़ने से देश में सीमेंट निर्माण क्षमता का तेजी से विस्तार भी संभव होगा। इससे निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी। -
बनिहाल/जम्मू. जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक घटना में पिता-पुत्र की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 45 वर्षीय शबीर अहमद गनिया को उस वक्त दिल का दौरा पड़ा जब उनके बीमार बेटे साहिल अहमद (14) ने अस्पताल ले जाते वक्त अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। यह घटना बनिहाल के तैथर इलाके में हुई, जब शबीर अपने बेटे को अस्पताल ले जा रहे थे। रास्ते में साहिल की तबीयत बिगड़ी और उसने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। बेटे की मौत का सदमा शबीर बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिससे उनकी भी मौके पर ही मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि दोनों के शवों को सुबह बनिहाल के उप-जिला अस्पताल लाया गया।
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नयी दिल्ली. भारतीय डाक विभाग ने मंगलवार को कहा कि वह 15 अक्टूबर से अमेरिका के लिए सभी श्रेणियों की अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं बहाल करने जा रहा है। डाक विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिकी सीमा-शुल्क एवं सीमा संरक्षण (सीबीपी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप, भारत से अमेरिका जाने वाली डाक खेप पर शुल्क दर घोषित सामान मूल्य का 50 प्रतिशत तय की गई है जो नए शुल्क नियमों के तहत लागू होगी। डाक विभाग ने कहा, “विभाग यह घोषणा करते हुए प्रसन्न है कि 15 अक्टूबर, 2025 से अमेरिका के लिए सभी श्रेणियों की अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं दोबारा शुरू की जा रही हैं।” विभाग ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन के कार्यकारी आदेश 14324 के आने के बाद 22 अगस्त को डाक सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। विभाग ने कहा, "डाक सेवाओं का निलंबन अमेरिकी सरकार के नए नियामकीय प्रावधानों के कारण आवश्यक था, जिनमें आयात शुल्क के संग्रह और भुगतान की प्रक्रिया शामिल है।" डाक विभाग ने कहा कि डाक उत्पादों पर कोई अतिरिक्त बुनियादी या उत्पाद-विशिष्ट शुल्क नहीं लगाया गया है, जो उन्हें कूरियर या वाणिज्यिक खेप से अलग करता है। बयान में कहा गया, “यह लाभकारी शुल्क संरचना कुल लागत बोझ को काफी कम करती है और डाक के जरिये सामान भेजने को एमएसएमई, शिल्पकारों, छोटे व्यापारियों और ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए किफायती एवं प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक विकल्प बनाती है।” इसके साथ ही डाक विभाग ने कहा कि वस्तु या माल का वितरण शुल्क सहित भुगतान (डीडीपी) और योग्य पार्टी सेवाओं के लिए ग्राहकों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा डाक शुल्क पहले की ही तरह लागू रहेंगे ताकि निर्यातकों को सस्ती दरें मिलती रहें और वे नए अमेरिकी आयात नियमों का पालन कर सकें। बयान के मुताबिक, यह कदम एमएसएमई इकाइयों का समर्थन करने और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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जम्मू/ सेना की पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के पास भारत से लड़ने की क्षमता नहीं है, लेकिन वह फिर से पहलगाम जैसे हमले करने की कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर' का दूसरा चरण और भी घातक होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत को हजारों जख्म देकर खून बहाने की अपनी नीति पर कायम है और सेना इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस बार हम जो कार्रवाई करेंगे वह पहले से भी जोरदार होगी। यह (ऑपरेशन सिंदूर का अगला चरण) और भी ज़्यादा घातक होगा। इसमें कोई शक नहीं है।'' वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर' का अगला चरण पहले वाले से अधिक घातक होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान भविष्य में पहलगाम जैसे हमले कर सकता है, उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान की सोच में बदलाव नहीं आएगा, वह ऐसी हरकतें करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘उसमें हमसे युद्ध लड़ने की क्षमता नहीं है। वे युद्ध नहीं लड़ना चाहते। वह ‘भारत को हज़ार जख्मों से लहूलुहान करने' की अपनी नीति के तहत ऐसी हरकतें करता है।'' सैन्य कमांडर ने कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उसकी चौकियां और हवाई अड्डे तबाह कर दिए, लेकिन वह फिर से कुछ (पहलगाम जैसा हमला) करने की कोशिश कर सकता है। हमें तैयार रहना होगा। हम पूरी तरह तैयार हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार की कार्रवाई पहले से भी ज़्यादा घातक होगी।'' इससे पहले, पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहलगाम की तरह फिर से हमला करने की कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘उनमें हमारा सीधा सामना करने की हिम्मत नहीं है। पाकिस्तान अपने मंसूबों से बाज नहीं आएगा, लेकिन भारतीय सेना उसे नाकाम करने के लिए तैयार है। इसके लिए हमें लोगों, खासकर पूर्व सैनिकों, का समर्थन चाहिए। हमें उम्मीद है कि पूर्व सैनिक हमारा साथ देंगे। -
नयी दिल्ली. भाजपा ने मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 71 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को क्रमशः तारापुर तथा लखीसराय सीटों से और छह राज्य मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। सूची में नौ महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। इनमें मौजूदा मंत्री रेणु देवी का भी नाम है, जो बेतिया विधानसभा क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ेंगी। वर्तमान विधायक एवं अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह एक और कार्यकाल के लिए जमुई सीट से चुनाव लड़ेंगी। मौजूदा मंत्री मंगल पांडे सीवान से, नितिन नबीन बांकीपुर से, नीतीश मिश्रा झंझारपुर से, कृष्ण कुमार मंटू अमनौर से और प्रेम कुमार गया टाउन से चुनाव लड़ेंगे। पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कटिहार सीट से, संजय सरोगी दरभंगा से, कुंदन कुमार बेगूसराय से, रोहित पांडे भागलपुर से, कुमार प्रणय मुंगेर से और रामकृपाल यादव दानापुर से चुनाव लड़ेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा। मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
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हैदराबाद. छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के छह सदस्यों ने मंगलवार को तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने यह जानकारी दी। शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों द्वारा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के कुछ घंटे बाद ही छह माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। भद्राद्री कोठागुडेम के पुलिस अधीक्षक बी रोहित राजू ने एक विज्ञप्ति के हवाले से कहा कि तेलंगाना सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति तथा सीआरपीएफ के सहयोग से पुलिस द्वारा संचालित सामुदायिक संपर्क पहल "ऑपरेशन चेयुथा" के तहत विकासात्मक और कल्याणकारी गतिविधियों से आकर्षित होकर माओवादी कैडर ने नक्सलवाद का रास्ता त्याग दिया और अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया। एसपी ने बताया कि इस वर्ष अब तक विभिन्न कैडरों के कुल 326 माओवादियों ने भद्राद्री कोठागुडेम जिला पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने कहा कि वे सभी अब शांतिपूर्वक रह रहे हैं और तेलंगाना सरकार द्वारा दी गई व्यापक पुनर्वास सहायता का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन चेयुथा के तहत व्यापक विकास गतिविधियां चलाई जा रही हैं जिनमें सड़क संपर्क, स्कूल, अस्पताल, पेयजल, बिजली आदि में सुधार शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारा लक्ष्य सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा सेवाएं पहुंचाना है। हम आदिवासी समुदायों से आग्रह करते हैं कि वे समझें कि माओवादी समूहों के साथ सहयोग, चाहे वह आस्था के कारण हो या भय के कारण, प्रगति नहीं लाएगा। केवल लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों के माध्यम से ही क्षेत्र का विकास किया जा सकता है।"
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मानेसर (हरियाणा). केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों के मुख्यालयों, प्रशिक्षण केंद्रों और ‘लॉन्च पैड्स' को तबाह कर दिया गया तथा अब आतंकवादियों के लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है। आतंकवाद-रोधी ‘ब्लैक कैट' कमांडो बल राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) के 41वें स्थापना दिवस पर यहां उसके मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि भारतीय सुरक्षा बल जमीन के अंदर घुसकर हर आतंकवादी कृत्य की सजा देने के लिए कृतसंकल्प हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकवादी मुख्यालयों, उनके प्रशिक्षण केंद्रों और लॉन्च पैड्स को नष्ट किया है...ऑपरेशन महादेव में हमारे सुरक्षा बलों ने पहलगाम में आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सटीक कार्रवाई की। इससे नागरिकों का सुरक्षा बलों पर विश्वास और भी मजबूत हुआ है।'' भारतीय रक्षा बलों ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत मई में पाकिस्तान एवं इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी बुनियादी ढांचे और रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था। पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने आतंकवाद को ‘बिल्कुल बर्दाश्त न करने की नीति' अपनाई है। शाह ने कहा कि अगर कोई अनुच्छेद 370 (जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले) के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक, हवाई हमले और ऑपरेशन सिंदूर तक आतंकवादियों के खिलाफ सरकार के अभियान का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों और आतंकी समूहों की जड़ों पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी चाहे कहीं भी छिपे हों, हमारे सुरक्षा बलों ने साबित कर दिया है कि अब आतंकवादियों के लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। हमारे सैनिक धरती की गहराइयों में जाकर हर आतंकवादी कृत्य का दंड देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।'' उन्होंने कहा कि 2019 से केंद्र सरकार ने देश को आतंकी खतरों से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
शाह ने कहा कि इनमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को सक्रियता से आगे बढ़ाना भी शामिल है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण की वैज्ञानिक जांच के लिए भी एक प्रणाली स्थापित की है, आतंकवादी समूह ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' पर प्रतिबंध लगाया है और देशभर में आतंकवादी समूहों पर खुफिया जानकारी एकत्र करने एवं साझा करने के लिए बहु-एजेंसी केंद्र को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार हमने नये आपराधिक कानूनों में आतंकवाद को परिभाषित किया है और अदालतों में पहले पाई गई कमियों को पूरा किया है। अब तक, हमने 57 से ज़्यादा व्यक्तियों और कई संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया है।'' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनएसजी ने देश में संगठित अपराध और आतंकवाद के खिलाफ बहुत महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी है। शाह ने कहा कि एनएसजी ने 1984 के बाद से कई गंभीर हमलों में अपनी बहादुरी से राष्ट्र की रक्षा की है, जिनमें ऑपरेशन अश्वमेध, ऑपरेशन वज्र शक्ति और ऑपरेशन धांगु सुरक्षा शामिल हैं। शाह ने कहा, ‘‘एनएसजी की बहादुरी देखकर देश के हर नागरिक को लगता है कि राष्ट्र की सुरक्षा बेहद सुरक्षित हाथों में है। पूरा देश एनएसजी की बहादुरी पर गर्व करता है। मैं इसके लिए एनएसजी के जवानों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।'' एनएसजी गृह मंत्रालय के अधीन एक संघीय आकस्मिक बल है। इसकी स्थापना 1984 में हुई थी और इसके ‘ब्लैक कैट' कमांडो उच्च जोखिम वाले अतिविशिष्ट व्यक्तियों (वीआईपी) की सुरक्षा के अलावा विशिष्ट आतंकवाद-रोधी और अपहरण-रोधी अभियानों का भी जिम्मा संभालते हैं। शाह ने कहा कि सरकार उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बल का छठा केंद्र स्थापित करने जा रही है।
एनएसजी के पांच मौजूदा केंद्र मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और गांधीनगर में हैं।
गृह मंत्री ने एनएसजी के विशेष अभियान प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला भी रखी, जिसका निर्माण आठ एकड़ क्षेत्र में 141 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। यह अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र न केवल एनएसजी के लिए होगा, बल्कि देश भर के आतंकवाद-रोधी दस्तों के कर्मियों को भी प्रशिक्षित करेगा। शाह ने कहा कि इससे आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई और मजबूत होगी।
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राजस्थान के जैसलमेर जिले में बड़ा हादसा
जैसलमेर। राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर बाद जोधपुर जा रही एक निजी बस में आग लगने से 20 लोग जिंदा जल गए और 16 गंभीर रूप से झुलस गए। पुलिस ने बताया कि 57 यात्रियों को लेकर बस अपराह्न करीब तीन बजे जैसलमेर से रवाना हुई थी। जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर बस के पिछले हिस्से से धुआं निकलने लगा। चालक ने बस को सड़क किनारे रोका। हालांकि कुछ ही पलों में आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। उसने बताया कि स्थानीय निवासी और राहगीर मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य में मदद की। सेना के जवान भी मदद के लिए आगे आए। दमकल और पुलिस को सूचित किया गया और घायल यात्रियों को इलाज के लिए जैसलमेर के जवाहर अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने बताया कि गंभीर रूप से घायल 16 यात्रियों को जोधपुर के एक अस्पताल में रेफर किया गया है।
पुलिस ने बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। पोकरण से भाजपा के विधायक प्रताप पुरी ने 20 लोगों की मौत की पुष्टि की। उन्होंने कहा, बस में 19 यात्रियों की मौत हो गई और एक ने जोधपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। पुरी ने बताया कि जैसलमेर से रवाना होने के दस मिनट बाद ही बस में आग लग गई।
घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंगलवार रात जैसलमेर पहुंचे और अधिकारियों ने उन्हें घटना की जानकारी दी। जैसलमेर जिला प्रशासन ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही उसने तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया।
जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने अधिकारियों को घायलों के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और अन्य नेताओं ने इस हादसे पर दुख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों के उचित उपचार और प्रभावितों को हर संभव सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। -
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में बनी तीन मिलावटी दवाओं की पहचान की है, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रही कोल्ड्रिफ कफ सिरप शामिल है। यह सिरप भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी द्वारा बनाई गई थी। कुछ ही हफ्ते पहले मध्य प्रदेश में कई बच्चों की मौत के बाद यह मामला सामने आया, जिससे पूरे देश में चिंता बढ़ गई।
डब्ल्यूएचओ की जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में एक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) बहुत अधिक मात्रा में मिला है। बता दें कि डीईजी एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। यह किडनी और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। कोल्ड्रिफ सिरप में इस रसायन की मात्रा 48 प्रतिशत से भी ज्यादा पाई गई, जबकि सुरक्षित मात्रा केवल 0.1 प्रतिशत तक होनी चाहिए।कोल्ड्रिफ के अलावा दो और सिरप भी डब्ल्यूएचओ की चेतावनी में शामिल हैं। पहली रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और दूसरी शेप फार्मा की रीलाइफ। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील की है कि अगर ये सिरप किसी भी देश में मिलते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत डब्ल्यूएचओ को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।कोल्ड्रिफ सिरप को लेकर जब जांच हुई, तो श्रीसन फार्मास्युटिकल्स की दवा बनाने की अनुमति सरकार ने तुरंत रद्द कर दी। साथ ही कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद तमिलनाडु राज्य में सभी दवा कंपनियों की फैक्ट्रियों की गहन जांच शुरू कर दी गई है, ताकि यह देखा जा सके कि कहीं और भी गुणवत्ता में कोई लापरवाही तो नहीं बरती जा रही।मध्य प्रदेश में बच्चों की मौतों के बाद हरकत में आई केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की। इस सलाह में कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दिया जाए। इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे सिरप केवल जरूरत होने पर ही दिए जाएं। सरकार ने डॉक्टरों और फार्मेसियों को चेतावनी दी है कि बच्चों के लिए दवाइयों को बहुत सावधानी से लिखें और बेचें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना देश की दवा कंपनियों की निगरानी प्रणाली में बड़ी खामी को उजागर करती है। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि भारत में दवा बनाने की प्रक्रिया पर सख्त नियंत्रण रखा जाए और हर बैच की कड़ी जांच की जाए। - गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) । महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक भूपति केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो का सदस्य था और उस पर छह करोड़ रुपये का ईनाम था। उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने सोमवार रात करीब 10 बजे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं को होदरी गांव से पुलिस वाहनों में गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय लाया गया, जहां उन्होंने 54 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारी ने बताया कि जब्त हथियारों में सात एके-47 और नौ इंसास राइफल शामिल हैं।उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं में केंद्रीय समिति का एक सदस्य, दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) के तीन सदस्य और प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की एक संभागीय समिति के 10 सदस्य शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी की थी। हालांकि, हाल के महीनों में उनके और शीर्ष नक्सली नेतृत्व के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण आंतरिक संघर्ष छिड़ गया। सूत्रों ने कहा कि भूपति ने दावा किया था कि सशस्त्र संघर्ष विफल हो गया है और घटते जन समर्थन और सैकड़ों कार्यकर्ताओं के हताहत होने का हवाला देते हुए शांति व संवाद की ओर रुख करने की अपील की थी। सूत्रों ने बताया कि उसके इस रुख का अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने विरोध किया, जिन्होंने किसी अन्य नेता के नेतृत्व में लड़ाई जारी रखने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय नक्सली नेतृत्व के दबाव में, भूपति अंततः हथियार डालने के लिए तैयार हो गया, संगठन छोड़ने की घोषणा की और अपने समर्थकों के साथ गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। हाल के महीनों में, गढ़चिरौली जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या बढ़ रही है। भूपति और 60 नक्सलियों के आत्मसमर्पण को राज्य में माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इस साल की शुरुआत में भूपति की पत्नी तारक्का ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था। वह प्रतिबंधित आंदोलन की दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति की सदस्य थी। तीन अक्टूबर को राज्य पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य में नक्सल आंदोलन समाप्ति की ओर है। फडणवीस ने कहा था, "हम माओवाद को खत्म करने के करीब हैं। महाराष्ट्र में, यह कभी भी खत्म हो सकता है।"
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नयी दिल्ली. नोबेल पुरस्कार विजेता ओल्गा टोकार्चुक, बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक, शतरंज के दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद, ब्रिटिश अभिनेता और लेखक स्टीफन फ्राई और पूर्व राजनयिक-लेखक गोपाल कृष्ण गांधी उन 350 वक्ताओं में शामिल हैं जो 15 जनवरी से शुरू हो रहे जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) के 19वें संस्करण में भाग लेंगे। आयोजकों ने सोमवार को यह घोषणा की। "दुनिया का सबसे बड़ा साहित्यिक शो" कहे जाने वाले इस महोत्सव का आयोजन 15 जनवरी से 19 जनवरी तक जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में होगा। इस महोत्सव में श्रोताओं को 350 वक्ताओं को सुनने का अवसर मिलेगा जो कथा साहित्य, कविता और इतिहास से लेकर कला, विज्ञान, गणित, चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य तक के विविध विषयों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। जेएलएफ में जलवायु परिवर्तन, व्यापार, भू-राजनीति और संघर्ष, लैंगिकता, अनुवाद, सिनेमा, नस्ल और पहचान जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक विषयों पर भी गहराई से चर्चा की जाएगी। प्रसिद्ध इतिहासकार और महोत्सव के सह-निदेशक विलियम डेलरिम्पल ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, "जेएलएफ लिखित शब्दों और मौखिक परंपराओं का उत्सव है, जो कहानियों और साहित्य से मिलती प्रेरणा और पीढ़ियों से उसके जुड़ाव की शक्ति का प्रमाण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष, जब हम एक बार फिर गुलाबी नगरी में एकत्रित हो रहे हैं, तो हम दुनिया भर के प्रतिभाशाली लेखकों, विचारकों और स्वप्नदर्शियों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। यह साहित्य का एक ऐसा उत्सव है जो लेखन और पठन, दोनों के विचारों को प्रज्ज्वलित करता है।" इस बार वक्ताओं की सूची में उपन्यासकार शोभा डे, प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार आनंद नीलकांतन, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता अनुराधा रॉय, वरिष्ठ फिल्म समीक्षक भावना सोमाया और प्रसिद्ध लेखक मनु जोसेफ, रुचिर जोशी, केआर मीरा जैसी प्रसिद्ध भारतीय हस्तियां शामिल हैं। उनके साथ ब्रिटिश इतिहासकार एलेनोर बैराक्लो, लोकप्रिय लेखिका हैली रूबेनहोल्ड, प्रसिद्ध कला ‘क्यूरेटर' हेलेन मोल्सवर्थ, जीवनी लेखक जॉन ली एंडरसन, चीनी-ब्रिटिश लेखक जंग चांग, उपन्यासकार केट मोसे और लेबनानी पत्रकार व लेखिका किम घटास जैसे प्रशंसित अंतरराष्टीय नाम शामिल हैं। लेखिका और महोत्सव की सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा, "जेएलएफ में हमारे सत्र और विषय संस्कृतियों और महाद्वीपों को छूते हैं, साथ ही भारतीय भाषाओं और साहित्य की समृद्ध विविधता पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हैं। हम अपनी दुनिया की बदलती वास्तविकताओं, भू-राजनीतिक ज्वलंत मुद्दों, एआई की उभरती वास्तविकताओं, भाषा की अभिव्यक्ति और साहित्यिक स्वरूपों की पड़ताल करते हैं।" हमेशा की तरह ही जेएलएफ में जयपुर बुकमार्क (जेबीएम) के 13वें संस्करण का भी आयोजन किया जाएगा जो प्रकाशकों, साहित्यिक एजेंटों, अनुवादकों और लेखकों के लिए अग्रणी ‘‘बी2बी प्लेटफॉर्म'' है और उद्योग सहयोग और वैश्विक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
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नयी दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सोमवार को अपने सात करोड़ से अधिक सदस्यों को आंशिक निकासी के नियमों में बड़ी छूट देते हुए पात्र राशि के 100 प्रतिशत तक की निकासी की मंजूरी दे दी। सेवानिवृत्ति कोष निकाय के केंद्रीय न्यासी मंडल (सीबीटी) की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि अब ईपीएफओ के अंशधारक सदस्य भविष्य निधि में कर्मचारी एवं नियोक्ता के हिस्से सहित पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे। इसके साथ आंशिक निकासी के जटिल 13 प्रावधानों को आसान बनाने हुए अब तीन श्रेणियों में शामिल कर दिया गया है। इनमें आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा क्रमशः 10 और पांच बार कर दी गई है। विशेष परिस्थितियों में निकासी के लिए अब कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी, जिससे कई दावे अब अस्वीकार नहीं होंगे। इसके अलावा सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को भी अब घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।
ईपीएफओ ने यह भी तय किया है कि सदस्यों को अपनी अंशदान राशि का 25 प्रतिशत न्यूनतम शेष राशि के रूप में हमेशा बनाए रखना होगा। इससे सदस्य उच्च वार्षिक ब्याज सहित चक्रवृद्धि लाभ के जरिये अपने लिए बड़े सेवानिवृत्ति कोष का निर्माण कर सकेंगे। साथ ही, पूर्व निकासी की अवधि भी बढ़ा दी गई है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के परिपक्वता-पूर्व अंतिम निपटान की अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। आंशिक निकासी के नियमों को उदार बनाने की इस पहल से सदस्य सेवानिवृत्ति के लिए की गई बचत या पेंशन अधिकारों से कोई समझौता किए बगैर अपनी तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। ईपीएफओ के न्यासी मंडल ने ‘विश्वास योजना' भी लागू करने का फैसला किया है जिसका उद्देश्य भविष्य निधि अंशदान में विलंब पर लगने वाले दंड को कम करना और लंबित मुकदमों को समाप्त करना है। ‘विश्वास योजना' के तहत, अर्थदंड की दर को एक प्रतिशत प्रति माह तक सीमित कर दिया गया है। यह योजना छह महीने के लिए लागू होगी और जरूरत पड़ने पर छह महीने के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा सीबीटी ने ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक' के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को भी मंजूरी दी, जिससे कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) पेंशनधारकों को घर पर ही ‘डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र' (डीएलसी) जारी किया जा सकेगा। प्रत्येक प्रमाणपत्र का शुल्क मात्र 50 रुपये होगा, जिसे ईपीएफओ वहन करेगा। इसके साथ ईपीएफओ 3.0 पहल के तहत भविष्य निधि सेवाओं को आधुनिक बनाने के लिए सदस्य-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन की रूपरेखा को भी मंजूरी दी गई। इसमें कोर बैंकिंग समाधान को क्लाउड एवं एपीआई-आधारित मॉड्यूल से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य तेजी से, स्वचालित दावे, तुरंत निकासी, बहुभाषी स्वयं-सेवा और सहज पेरोल-संबद्ध योगदान सुनिश्चित करना है। केंद्रीय न्यासी मंडल ने ईपीएफओ के ऋण पोर्टफोलियो के लिए चार कोष प्रबंधकों का पांच साल के लिए चयन भी मंजूर किया, ताकि निवेश की विविधता और सदस्यों के भविष्य निधि बचत पर रिटर्न सुनिश्चित किया जा सके। मांडविया ने बैठक के दौरान ईपीएफओ की प्रमुख डिजिटल पहल का उद्घाटन किया, जिससे सेवा वितरण में पारदर्शिता, दक्षता और बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित होगा। श्रम मंत्रालय ने कहा कि इस निर्णय से ईपीएफओ के सदस्यों को वित्तीय सुरक्षा के साथ आधुनिक, डिजिटल और आसान सेवाओं का लाभ मिलेगा। -
नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र के लिए पीएम गति शक्ति पोर्टल खोल दिया गया है। इससे उन्हें अंतिम-छोड़ पर डिलिवरी सेवाओं को अनुकूलतम बनाने और बुनियादी ढांचा-आधारित एप्लिकेशन विकसित करने में मदद मिलेगी। यह एक वेबमंच है जो पीएम गतिशक्ति एनएमपी (राष्ट्रीय मास्टर प्लान) से चयनित गैर-संवेदनशील आंकड़ों तक विनियमित पहुंच प्रदान करता है। इससे निजी इकाइयों, सलाहकारों, शोधकर्ताओं और नागरिकों को बुनियादी ढांचा नियोजन और निवेश निर्णयों के लिए बेहतर विश्लेषण का लाभ उठाने में मदद मिलती है। उल्लेखनीय है कि लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के एकीकृत और नियोजित विकास के लिए अक्टूबर, 2021 में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान शुरू की गई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूनिफाइड जियोस्पेशियल इंटरफेस (यूजीआई) के माध्यम से ‘पीएम गतिशक्ति पब्लिक' की शुरुआत की। गोयल ने कहा कि इसे भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) ने विकसित किया है और यह राष्ट्रीय भू-स्थानिक डेटा रजिस्ट्री (एनजीडीआर) द्वारा संचालित है। यह मंच उपयोगकर्ताओं को भौतिक और सामाजिक अवसंरचना परिसंपत्तियों से जुड़े 230 स्वीकृत आंकड़ों के सेट तक पहुंचने, साइट उपयुक्तता विश्लेषण, कनेक्टिविटी मैपिंग, अनुपालन जांच करने और उपयोगकर्ता-निर्धारित मानदंडों के आधार पर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा देता है। उपयोगकर्ता बहु-स्तरीय विभिन्न आंकड़ों को भी देख सकते हैं, जिससे बेहतर परियोजना डिजाइन, अंतर-एजेंसी समन्वय और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार निजी क्षेत्र को पीएम गति शक्ति पोर्टल से कुछ आंकड़ों तक पहुंच प्रदान करेगी। ट्रैक की लंबाई का विवरण, रेलवे स्टेशन, मालगाड़ियों के लिए अलग गलियारा, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग/जिला परतें, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, गोदाम जैसे आंकड़े निजी क्षेत्र को अंतिम छोड़ तक डिलिवरी सुविधाओं को अनुकूलतम बनाने, बुनियादी ढांचा-आधारित ऐप विकसित करने, स्मार्ट सिटी समाधान और तकनीक-संचालित लॉजिस्टिक प्रबंधन में मदद करेंगे। यह उन्हें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, आपदा प्रबंधन, कृषि क्षेत्र और खाद्य वितरण में सोच-विचार कर निर्णय लेने और बेहतर योजना बनाने में भी सक्षम बनाएगा। पोर्टल पर भूमि अभिलेखों, बंदरगाहों, वनों, स्कूलों, रेलवे स्टेशनों, जल निकायों, दूरसंचार टावर और राजमार्गों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध हैं। गोपनीयता और नीतिगत मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रमाणीकरण और आंकड़ा सुरक्षा व्यवस्था के साथ स्व-पंजीकरण के माध्यम से मंच तक पहुंच संभव है। गोयल ने पीएम गतिशक्ति के बारे में सूचना से संबंधित सार संग्रह भी जारी किया, जो सफल उपयोग के मामलों और बेहतर गतिविधियों की जानकारी देता है। साथ ही पीएम गतिशिक्ति नेशनल मास्टर प्लान डैशबोर्ड भी शुरू किया। उन्होंने मंत्रालयों, विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पारस्परिक शिक्षा और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान प्रबंधन प्रणाली (केएमएस) की भी शुरुआत की और पीएम गतिशक्ति - ऑफशोर पेश किया, जो कई क्षेत्रों में अपतटीय विकास की एकीकृत योजना और प्रबंधन के लिए एक अलग से बनाया गया डिजिटल मंच है। इसके अलावा, उन्होंने विकेंद्रीकृत, वास्तविक समय पर आंकड़ा उपलब्ध कराने और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए आंकड़े अपलोड करने और प्रबंधन प्रणाली की भी शुरुआत की। इसके अलावा आंकड़ा-संचालित स्थानीय बुनियादी ढांचे के विकास और समग्र क्षेत्रीय विकास को मजबूत करने के लिए 112 आकांक्षी जिलों के लिए प्रधानमंत्री गति शक्ति जिला मास्टर प्लान शुरू किया। गोयल ने कहा, ‘‘पीएम गतिशक्ति वृहद-स्तरीय योजना और सूक्ष्म-स्तरीय कार्यान्वयन के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में उभरी है।'' नेटवर्क प्लानिंग समूह ने पीएम गतिशक्ति के तहत 300 से अधिक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है, जिनमें एकीकृत योजना, अंतिम-छोड़ तक संपर्क सुविधा, बेहतर लॉजिस्टिक दक्षता और समन्वित परियोजना कार्यान्वयन शामिल हैं।
- नयी दिल्ली. केंद्र सरकार एक से 30 नवंबर तक पेंशनभोगियों के लिए राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान चलाएगी, जिसमें देश भर के 2,000 जिलों और उप-मंडल मुख्यालयों को शामिल किया जाएगा। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। यह अभियान 19 पेंशन वितरण बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), पेंशनभोगी कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए), सीजीडीए, दूरसंचार विभाग, रेलवे, यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के सुदूर हिस्सों में प्रत्येक पेंशनभोगी तक पहुंच सुनिश्चित करना है। यह पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) द्वारा आयोजित ऐसा चौथा अभियान होगा।इस वर्ष, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) अपने 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी जिलों में डीएलसी शिविर आयोजित करेगा। जो सभी श्रेणी के पेंशनभोगियों को, चाहे उनका बैंक कोई भी हो, उनके घर तक डीएलसी सेवाएं प्रदान करेगा। बयान में कहा गया, “19 पेंशन वितरण बैंक 300 शहरों में कई स्थानों पर शिविर लगाएंगे। इनमें वृद्ध, दिव्यांग या बीमार पेंशनभोगियों के घरों और अस्पतालों का दौरा भी शामिल है। 57 पंजीकृत पेंशनभोगी कल्याण संघ, बैंकों और आईपीपीबी के समन्वय से पेंशनभोगियों को संगठित करने और शिविर आयोजित करने में सहायता करेंगे।”
- चंडीगढ़. पंजाब के बरनाला जिले में करवा चौथ के अवसर पर नृत्य करते समय 59 वर्षीय एक महिला की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। उनके पड़ोसियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह घटना रविवार शाम को हुई। उपवास कर रहीं आशा रानी तापा कस्बे में नृत्य करते समय गिर पड़ीं। करवा चौथ एक त्योहार है जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं। पड़ोसियों के अनुसार, वह अन्य महिलाओं के साथ पंजाबी गाने पर नृ्त्य करते समय गिर गईं।एक पड़ोसी ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
- नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समूह खेती की वकालत करते हुए सुझाव दिया है कि छोटे और सीमांत किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलें उगाने और छोटे खेतों को मिलकर बड़ी जोत तैयार करने पर विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के साथ बातचीत की। किसानों के साथ यह संवाद 35,440 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली कृषि क्षेत्र की दो प्रमुख योजनाओं का शुभारंभ करने से पहले हुआ। इस मौके पर मोदी ने 24,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और 11,440 करोड़ रुपये के दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया। संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह किया।एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘उन्होंने एक चरणबद्ध नजरिया अपनाने का सुझाव दिया। इसके तहत भूमि के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती का परीक्षण करना और बाकी पर पारंपरिक तरीकों को जारी रखना शामिल है।'' विभिन्न राज्यों के कई किसानों ने प्रधानमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा किए। मध्य प्रदेश के जबलपुर के एक युवा उद्यमी ने अपनी एरोपोनिक आधारित आलू बीज खेती का प्रदर्शन किया, जिसमें आलू बिना मिट्टी के ऊर्ध्वाधर संरचनाओं में उगाए जाते हैं। बयान के मुताबिक, इसे देखकर मोदी ने मजाकिया अंदाज में इसे ‘जैन आलू' कहा, क्योंकि ऐसी उपज जैन धर्म को मानने वालों के आहार नियमों के अनुरूप हो सकती है, जो जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों से परहेज करते हैं। हरियाणा के हिसार जिले के एक किसान ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले काबुली चना उगाना शुरू किया था और अब तक प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल उपज प्राप्त कर चुके हैं। मोदी ने फसल को बदलकर खेती करने के बारे में पूछा, खासकर यह कि क्या इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद मिलती है और क्या दलहनी फसलों को कृषि प्रणाली में शामिल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। जवाब में, किसान ने कहा कि ऐसी फसलों को शामिल करना फायदेमंद साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि चना जैसे दलहन उगाने से न केवल अच्छी फसल मिलती है, बल्कि मिट्टी को नाइट्रोजन से भी समृद्ध किया जाता है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दलहन की खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि देश की पोषण सुरक्षा में भी योगदान देती है। बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने ‘समूह खेती' के विचार को प्रोत्साहित किया, जहां छोटे और सीमांत किसान एक साथ आकर अपनी जमीन को साझा कर सकते हैं, और उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने तथा बाजारों तक बेहतर पहुंच पाने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।'' एक किसान ने इस मॉडल का एक सफल उदाहरण देते हुए कहा कि लगभग 1,200 एकड़ में अब काबुली चना की खेती हो रही है, जिससे पूरे समूह के लिए बेहतर बाजार पहुंच और बेहतर आय प्राप्त हो रही है। मोदी ने सरकार द्वारा बाजरा और ज्वार जैसे मोटे अनाज (श्री अन्न) को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की, खासकर पानी की कमी वाले क्षेत्रों में। उन्होंने कहा, ‘‘जहां पानी की कमी है, वहां बाजरा जीवन रेखा है। बाजरे का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है।'' एक स्वयं सहायता समूह की महिला किसान ने 2023 में समूह में शामिल होने और अपनी पांच बीघा जमीन पर मूंग की खेती शुरू करने का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को एक बड़ी मदद बताया, जिससे उन्हें बीज खरीदने और जमीन तैयार करने में मदद मिली। एक किसान ने 2010 में एक होटल में सामान्य सी नौकरी करने से लेकर 250 से ज्यादा गिर गायों वाली एक गौशाला के मालिक बनने तक के अपने सफर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि पशुपालन मंत्रालय ने उन्हें 50 प्रतिशत सब्सिडी दी। प्रधानमंत्री ने इस पहल की सराहना की और वाराणसी के एक ऐसे ही प्रयोग का जिक्र किया, जहां परिवारों को गिर गायें इस शर्त पर दी जाती हैं कि वे पहली बछिया को वापस कर देंगे, जिसे बाद में दूसरे परिवारों को सौंप दिया जाता है। इस तरह एक स्थायी सामुदायिक श्रृंखला बन जाती है। कई प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के सकारात्मक प्रभाव के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने जलीय कृषि में अपार संभावनाओं पर जोर दिया और युवाओं को इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। सखी संगठन की एक प्रतिनिधि ने बताया कि कैसे यह आंदोलन सिर्फ 20 महिलाओं से शुरू हुआ था और अब डेयरी क्षेत्र में 90,000 महिलाओं तक पहुंच गया है। प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘सामूहिक प्रयासों से 14,000 से ज्यादा महिलाएं ‘लखपति दीदी' बन चुकी हैं।'' इस पहल की सराहना करते हुए, मोदी ने कहा कि यह सचमुच एक चमत्कार है। झारखंड के सरायकेला जिले के एक उद्यमी ने 125 वंचित आदिवासी परिवारों को गोद लिया और क्षेत्र में एकीकृत जैविक खेती शुरू की। एक किसान ने 2014 में अमेरिका में अपना आकर्षक करियर छोड़कर भारत लौटने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की अपनी यात्रा साझा की।
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नई दिल्ली। विश्व मानक दिवस हर साल 14 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मानकों के महत्व को समझाना और उन्हें जनता तक पहुंचाना है। इस दिन मानक बनाने वाली संस्थाओं जैसे आईएसओ और अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के योगदान को सराहा जाता है।
आईएसओ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 23 फरवरी 1947 को हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है और यह 165 देशों में मानक स्थापित करता है। आईएसओ के मानक तकनीकी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में विश्व स्तर पर गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने में मदद करते हैं।हमारे रोजमर्रा के कामों में जब हम कोई चीज खरीदते हैं, कोई सेवा लेते हैं या फिर कोई सामान बनाते हैं, तो वहां कुछ नियम या मानक होते हैं। ये मानक इसलिए बनाए जाते हैं ताकि चीजें सही तरीके से बनी रहें, सुरक्षित हों और सबके लिए बराबर हों। अगर ये मानक न हों, तो चीजें गड़बड़ हो सकती हैं, गुणवत्ता खराब हो सकती है और नुकसान भी हो सकता है।विश्व मानक दिवस का मकसद यही है कि लोग समझें कि मानक केवल नियम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी जिंदगी को बेहतर और आसान बनाते हैं। मानकों की वजह से हमें भरोसा होता है कि जो चीज हम खरीद रहे हैं, वो सुरक्षित और अच्छी है।विश्व मानक दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों को मानकों के फायदे समझाए जा सकें। ये मानक न सिर्फ उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार को भी आसान और पारदर्शी बनाते हैं। आज के समय में जब तकनीक तेजी से बढ़ रही है, तो मानकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।मानकों की वजह से उद्योगों को एक-दूसरे के साथ बेहतर तालमेल और सहयोग मिलता है, जिससे ग्राहक संतुष्ट रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका मोबाइल फोन चार्जर आईएसओ मानकों के अनुसार बना है, तो वह आपके फोन को सुरक्षित रखेगा और खराबी का खतरा कम होगा। - नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को गाजा पट्टी में इजराइल के सभी 20 जीवित बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और कहा कि भारत क्षेत्र में शांति लाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “ईमानदार प्रयासों” का समर्थन करता है। ट्रंप की गाजा शांति योजना के पहले चरण के तहत हमास ने दो साल से अधिक समय पहले बंधक बनाए गए इजराइली बंधकों को सोमवार को रिहा कर दिया। मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “हम दो साल से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखे गए सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं।” उन्होंने लिखा, “उनकी रिहाई उनके परिवारों के साहस, राष्ट्रपति ट्रंप के अथक शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के मजबूत संकल्प के प्रति सम्मान है।” मोदी ने कहा, “हम क्षेत्र में शांति लाने के राष्ट्रपति ट्रंप के ईमानदार प्रयासों का समर्थन करते हैं।”
- नयी दिल्ली,।” केंद्र सरकार एक से 30 नवंबर तक पेंशनभोगियों के लिए राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान चलाएगी, जिसमें देश भर के 2,000 जिलों और उप-मंडल मुख्यालयों को शामिल किया जाएगा। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। यह अभियान 19 पेंशन वितरण बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), पेंशनभोगी कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए), सीजीडीए, दूरसंचार विभाग, रेलवे, यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के सुदूर हिस्सों में प्रत्येक पेंशनभोगी तक पहुंच सुनिश्चित करना है। यह पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) द्वारा आयोजित ऐसा चौथा अभियान होगा।इस वर्ष, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) अपने 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी जिलों में डीएलसी शिविर आयोजित करेगा। जो सभी श्रेणी के पेंशनभोगियों को, चाहे उनका बैंक कोई भी हो, उनके घर तक डीएलसी सेवाएं प्रदान करेगा। बयान में कहा गया, “19 पेंशन वितरण बैंक 300 शहरों में कई स्थानों पर शिविर लगाएंगे। इनमें वृद्ध, दिव्यांग या बीमार पेंशनभोगियों के घरों और अस्पतालों का दौरा भी शामिल है। 57 पंजीकृत पेंशनभोगी कल्याण संघ, बैंकों और आईपीपीबी के समन्वय से पेंशनभोगियों को संगठित करने और शिविर आयोजित करने में सहायता करेंगे।”

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