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नई दिल्ली। हर वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व ग्रामीण महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के योगदान, संघर्ष और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ग्रामीण महिलाएं कृषि, पशुपालन, जल-संरक्षण, वनों की देखभाल और परिवार के पोषण में अहम भूमिका निभाती हैं। वे न केवल अपने परिवार की आधारशिला होती हैं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
विश्व ग्रामीण महिला दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सतत विकास और खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान तब तक संभव नहीं है, जब तक ग्रामीण महिलाओं को समान अवसर और अधिकार नहीं दिए जाएंगे। ग्रामीण महिलाएं खेतों में काम करती हैं, बीज बोती हैं, फसलों की देखभाल करती हैं और घर-परिवार की जिम्मेदारियों को भी निभाती हैं। वे अक्सर कठिन परिस्थितियों में भी अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए कार्य करती हैं। इसके बावजूद, उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, भूमि अधिकारों और वित्तीय संसाधनों तक पर्याप्त पहुंच नहीं मिल पाती। यह असमानता विकास में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए, विश्व ग्रामीण महिला दिवस का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण, समान अधिकारों की प्राप्ति और संसाधनों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना है।इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर 2007 को की थी, और इसे पहली बार वर्ष 2008 में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि जब ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर दिए जाते हैं, तब पूरा समुदाय प्रगति करता है। यह दिवस कृषि और ग्रामीण विकास में महिलाओं के योगदान को मान्यता देने का एक माध्यम है।आज के समय में ग्रामीण महिलाएं न केवल खेती-बाड़ी तक सीमित हैं, बल्कि वे स्वयं सहायता समूहों, लघु उद्योगों और उद्यमिता के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही हैं। सरकार और विभिन्न सामाजिक संस्थाएं उन्हें सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं। यह आवश्यक है कि हम ग्रामीण महिलाओं के श्रम का सम्मान करें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करें। विश्व ग्रामीण महिला दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संदेश है कि जब ग्रामीण महिलाएं मजबूत होंगी, तो समाज, अर्थव्यवस्था और राष्ट्र भी मजबूत होंगे। उनका सशक्तिकरण ही एक समृद्ध और समानता आधारित विश्व की नींव है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को कहा कि चूना पत्थर (लाइमस्टोन) को अब पूरी तरह से प्रमुख खनिज के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है। इस कदम से कारोबार में आसानी होगी, क्योंकि अब खनन पट्टाधारक चूना पत्थर को किसी भी उद्देश्य के लिए बेच या उपयोग कर सकेंगे और खनिज सामग्री के कृत्रिम नियामकीय विभेद की पाबंदियां भी नहीं होंगी। पहले, उपयोग के आधार पर चूना पत्थर को कभी लघु खनिज और कभी प्रमुख खनिज सामग्री माना जाता है।
अगर इसका उपयोग निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल होने वाला चूना बनाने के लिए होता था तो इसे लघु खनिज घोषित किया जाता था। वहीं सीमेंट, रसायन, उर्वरक, चीनी और इस्पात निर्माण जैसे उद्योगों में इस्तेमाल होने पर यह प्रमुख खनिज माना जाता था। खान मंत्रालय ने कहा कि लघु खनिज के खनन के मौजूदा पट्टाधारकों को प्रमुख खनिज श्रेणी में सुचारू रूप से स्थानांतरित करने के लिए 13 अक्टूबर, 2025 को आदेश जारी किया गया। इससे चूना पत्थर के मौजूदा लघु खनिज पट्टों को किसी व्यवधान के बगैर प्रमुख खनिज खदान के रूप में संचालित किया जाएगा। मंत्रालय ने यह निर्णय नीति आयोग के सदस्य की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयीय समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया है। समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अनुशंसा की थी। चूना पत्थर की उपलब्धता निर्माण सामग्री के लिए कम हुई है, क्योंकि अब अधिकांश चूना पत्थर सीमेंट, रासायनिक उद्योग, उर्वरक इकाइयों, चीनी कारखानों और अन्य क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है। इस बदलाव से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय बढ़ेगी, बल्कि सीमेंट उद्योग में खदान से चूना पत्थर की उपलब्धता बढ़ने से देश में सीमेंट निर्माण क्षमता का तेजी से विस्तार भी संभव होगा। इससे निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी। -
बनिहाल/जम्मू. जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक घटना में पिता-पुत्र की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 45 वर्षीय शबीर अहमद गनिया को उस वक्त दिल का दौरा पड़ा जब उनके बीमार बेटे साहिल अहमद (14) ने अस्पताल ले जाते वक्त अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। यह घटना बनिहाल के तैथर इलाके में हुई, जब शबीर अपने बेटे को अस्पताल ले जा रहे थे। रास्ते में साहिल की तबीयत बिगड़ी और उसने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। बेटे की मौत का सदमा शबीर बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिससे उनकी भी मौके पर ही मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि दोनों के शवों को सुबह बनिहाल के उप-जिला अस्पताल लाया गया।
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नयी दिल्ली. भारतीय डाक विभाग ने मंगलवार को कहा कि वह 15 अक्टूबर से अमेरिका के लिए सभी श्रेणियों की अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं बहाल करने जा रहा है। डाक विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिकी सीमा-शुल्क एवं सीमा संरक्षण (सीबीपी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप, भारत से अमेरिका जाने वाली डाक खेप पर शुल्क दर घोषित सामान मूल्य का 50 प्रतिशत तय की गई है जो नए शुल्क नियमों के तहत लागू होगी। डाक विभाग ने कहा, “विभाग यह घोषणा करते हुए प्रसन्न है कि 15 अक्टूबर, 2025 से अमेरिका के लिए सभी श्रेणियों की अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं दोबारा शुरू की जा रही हैं।” विभाग ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन के कार्यकारी आदेश 14324 के आने के बाद 22 अगस्त को डाक सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। विभाग ने कहा, "डाक सेवाओं का निलंबन अमेरिकी सरकार के नए नियामकीय प्रावधानों के कारण आवश्यक था, जिनमें आयात शुल्क के संग्रह और भुगतान की प्रक्रिया शामिल है।" डाक विभाग ने कहा कि डाक उत्पादों पर कोई अतिरिक्त बुनियादी या उत्पाद-विशिष्ट शुल्क नहीं लगाया गया है, जो उन्हें कूरियर या वाणिज्यिक खेप से अलग करता है। बयान में कहा गया, “यह लाभकारी शुल्क संरचना कुल लागत बोझ को काफी कम करती है और डाक के जरिये सामान भेजने को एमएसएमई, शिल्पकारों, छोटे व्यापारियों और ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए किफायती एवं प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक विकल्प बनाती है।” इसके साथ ही डाक विभाग ने कहा कि वस्तु या माल का वितरण शुल्क सहित भुगतान (डीडीपी) और योग्य पार्टी सेवाओं के लिए ग्राहकों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा डाक शुल्क पहले की ही तरह लागू रहेंगे ताकि निर्यातकों को सस्ती दरें मिलती रहें और वे नए अमेरिकी आयात नियमों का पालन कर सकें। बयान के मुताबिक, यह कदम एमएसएमई इकाइयों का समर्थन करने और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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जम्मू/ सेना की पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के पास भारत से लड़ने की क्षमता नहीं है, लेकिन वह फिर से पहलगाम जैसे हमले करने की कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर' का दूसरा चरण और भी घातक होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत को हजारों जख्म देकर खून बहाने की अपनी नीति पर कायम है और सेना इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस बार हम जो कार्रवाई करेंगे वह पहले से भी जोरदार होगी। यह (ऑपरेशन सिंदूर का अगला चरण) और भी ज़्यादा घातक होगा। इसमें कोई शक नहीं है।'' वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर' का अगला चरण पहले वाले से अधिक घातक होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान भविष्य में पहलगाम जैसे हमले कर सकता है, उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान की सोच में बदलाव नहीं आएगा, वह ऐसी हरकतें करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘उसमें हमसे युद्ध लड़ने की क्षमता नहीं है। वे युद्ध नहीं लड़ना चाहते। वह ‘भारत को हज़ार जख्मों से लहूलुहान करने' की अपनी नीति के तहत ऐसी हरकतें करता है।'' सैन्य कमांडर ने कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उसकी चौकियां और हवाई अड्डे तबाह कर दिए, लेकिन वह फिर से कुछ (पहलगाम जैसा हमला) करने की कोशिश कर सकता है। हमें तैयार रहना होगा। हम पूरी तरह तैयार हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार की कार्रवाई पहले से भी ज़्यादा घातक होगी।'' इससे पहले, पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहलगाम की तरह फिर से हमला करने की कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘उनमें हमारा सीधा सामना करने की हिम्मत नहीं है। पाकिस्तान अपने मंसूबों से बाज नहीं आएगा, लेकिन भारतीय सेना उसे नाकाम करने के लिए तैयार है। इसके लिए हमें लोगों, खासकर पूर्व सैनिकों, का समर्थन चाहिए। हमें उम्मीद है कि पूर्व सैनिक हमारा साथ देंगे। -
नयी दिल्ली. भाजपा ने मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 71 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को क्रमशः तारापुर तथा लखीसराय सीटों से और छह राज्य मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। सूची में नौ महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। इनमें मौजूदा मंत्री रेणु देवी का भी नाम है, जो बेतिया विधानसभा क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ेंगी। वर्तमान विधायक एवं अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह एक और कार्यकाल के लिए जमुई सीट से चुनाव लड़ेंगी। मौजूदा मंत्री मंगल पांडे सीवान से, नितिन नबीन बांकीपुर से, नीतीश मिश्रा झंझारपुर से, कृष्ण कुमार मंटू अमनौर से और प्रेम कुमार गया टाउन से चुनाव लड़ेंगे। पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कटिहार सीट से, संजय सरोगी दरभंगा से, कुंदन कुमार बेगूसराय से, रोहित पांडे भागलपुर से, कुमार प्रणय मुंगेर से और रामकृपाल यादव दानापुर से चुनाव लड़ेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा। मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
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हैदराबाद. छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के छह सदस्यों ने मंगलवार को तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने यह जानकारी दी। शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों द्वारा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के कुछ घंटे बाद ही छह माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। भद्राद्री कोठागुडेम के पुलिस अधीक्षक बी रोहित राजू ने एक विज्ञप्ति के हवाले से कहा कि तेलंगाना सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति तथा सीआरपीएफ के सहयोग से पुलिस द्वारा संचालित सामुदायिक संपर्क पहल "ऑपरेशन चेयुथा" के तहत विकासात्मक और कल्याणकारी गतिविधियों से आकर्षित होकर माओवादी कैडर ने नक्सलवाद का रास्ता त्याग दिया और अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया। एसपी ने बताया कि इस वर्ष अब तक विभिन्न कैडरों के कुल 326 माओवादियों ने भद्राद्री कोठागुडेम जिला पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने कहा कि वे सभी अब शांतिपूर्वक रह रहे हैं और तेलंगाना सरकार द्वारा दी गई व्यापक पुनर्वास सहायता का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन चेयुथा के तहत व्यापक विकास गतिविधियां चलाई जा रही हैं जिनमें सड़क संपर्क, स्कूल, अस्पताल, पेयजल, बिजली आदि में सुधार शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारा लक्ष्य सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा सेवाएं पहुंचाना है। हम आदिवासी समुदायों से आग्रह करते हैं कि वे समझें कि माओवादी समूहों के साथ सहयोग, चाहे वह आस्था के कारण हो या भय के कारण, प्रगति नहीं लाएगा। केवल लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों के माध्यम से ही क्षेत्र का विकास किया जा सकता है।"
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मानेसर (हरियाणा). केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों के मुख्यालयों, प्रशिक्षण केंद्रों और ‘लॉन्च पैड्स' को तबाह कर दिया गया तथा अब आतंकवादियों के लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है। आतंकवाद-रोधी ‘ब्लैक कैट' कमांडो बल राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) के 41वें स्थापना दिवस पर यहां उसके मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि भारतीय सुरक्षा बल जमीन के अंदर घुसकर हर आतंकवादी कृत्य की सजा देने के लिए कृतसंकल्प हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकवादी मुख्यालयों, उनके प्रशिक्षण केंद्रों और लॉन्च पैड्स को नष्ट किया है...ऑपरेशन महादेव में हमारे सुरक्षा बलों ने पहलगाम में आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सटीक कार्रवाई की। इससे नागरिकों का सुरक्षा बलों पर विश्वास और भी मजबूत हुआ है।'' भारतीय रक्षा बलों ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत मई में पाकिस्तान एवं इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी बुनियादी ढांचे और रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था। पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने आतंकवाद को ‘बिल्कुल बर्दाश्त न करने की नीति' अपनाई है। शाह ने कहा कि अगर कोई अनुच्छेद 370 (जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले) के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक, हवाई हमले और ऑपरेशन सिंदूर तक आतंकवादियों के खिलाफ सरकार के अभियान का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों और आतंकी समूहों की जड़ों पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी चाहे कहीं भी छिपे हों, हमारे सुरक्षा बलों ने साबित कर दिया है कि अब आतंकवादियों के लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। हमारे सैनिक धरती की गहराइयों में जाकर हर आतंकवादी कृत्य का दंड देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।'' उन्होंने कहा कि 2019 से केंद्र सरकार ने देश को आतंकी खतरों से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
शाह ने कहा कि इनमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को सक्रियता से आगे बढ़ाना भी शामिल है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण की वैज्ञानिक जांच के लिए भी एक प्रणाली स्थापित की है, आतंकवादी समूह ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' पर प्रतिबंध लगाया है और देशभर में आतंकवादी समूहों पर खुफिया जानकारी एकत्र करने एवं साझा करने के लिए बहु-एजेंसी केंद्र को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार हमने नये आपराधिक कानूनों में आतंकवाद को परिभाषित किया है और अदालतों में पहले पाई गई कमियों को पूरा किया है। अब तक, हमने 57 से ज़्यादा व्यक्तियों और कई संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया है।'' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनएसजी ने देश में संगठित अपराध और आतंकवाद के खिलाफ बहुत महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी है। शाह ने कहा कि एनएसजी ने 1984 के बाद से कई गंभीर हमलों में अपनी बहादुरी से राष्ट्र की रक्षा की है, जिनमें ऑपरेशन अश्वमेध, ऑपरेशन वज्र शक्ति और ऑपरेशन धांगु सुरक्षा शामिल हैं। शाह ने कहा, ‘‘एनएसजी की बहादुरी देखकर देश के हर नागरिक को लगता है कि राष्ट्र की सुरक्षा बेहद सुरक्षित हाथों में है। पूरा देश एनएसजी की बहादुरी पर गर्व करता है। मैं इसके लिए एनएसजी के जवानों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।'' एनएसजी गृह मंत्रालय के अधीन एक संघीय आकस्मिक बल है। इसकी स्थापना 1984 में हुई थी और इसके ‘ब्लैक कैट' कमांडो उच्च जोखिम वाले अतिविशिष्ट व्यक्तियों (वीआईपी) की सुरक्षा के अलावा विशिष्ट आतंकवाद-रोधी और अपहरण-रोधी अभियानों का भी जिम्मा संभालते हैं। शाह ने कहा कि सरकार उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बल का छठा केंद्र स्थापित करने जा रही है।
एनएसजी के पांच मौजूदा केंद्र मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और गांधीनगर में हैं।
गृह मंत्री ने एनएसजी के विशेष अभियान प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला भी रखी, जिसका निर्माण आठ एकड़ क्षेत्र में 141 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। यह अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र न केवल एनएसजी के लिए होगा, बल्कि देश भर के आतंकवाद-रोधी दस्तों के कर्मियों को भी प्रशिक्षित करेगा। शाह ने कहा कि इससे आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई और मजबूत होगी।
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राजस्थान के जैसलमेर जिले में बड़ा हादसा
जैसलमेर। राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर बाद जोधपुर जा रही एक निजी बस में आग लगने से 20 लोग जिंदा जल गए और 16 गंभीर रूप से झुलस गए। पुलिस ने बताया कि 57 यात्रियों को लेकर बस अपराह्न करीब तीन बजे जैसलमेर से रवाना हुई थी। जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर बस के पिछले हिस्से से धुआं निकलने लगा। चालक ने बस को सड़क किनारे रोका। हालांकि कुछ ही पलों में आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। उसने बताया कि स्थानीय निवासी और राहगीर मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य में मदद की। सेना के जवान भी मदद के लिए आगे आए। दमकल और पुलिस को सूचित किया गया और घायल यात्रियों को इलाज के लिए जैसलमेर के जवाहर अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने बताया कि गंभीर रूप से घायल 16 यात्रियों को जोधपुर के एक अस्पताल में रेफर किया गया है।
पुलिस ने बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। पोकरण से भाजपा के विधायक प्रताप पुरी ने 20 लोगों की मौत की पुष्टि की। उन्होंने कहा, बस में 19 यात्रियों की मौत हो गई और एक ने जोधपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। पुरी ने बताया कि जैसलमेर से रवाना होने के दस मिनट बाद ही बस में आग लग गई।
घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंगलवार रात जैसलमेर पहुंचे और अधिकारियों ने उन्हें घटना की जानकारी दी। जैसलमेर जिला प्रशासन ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही उसने तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया।
जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने अधिकारियों को घायलों के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और अन्य नेताओं ने इस हादसे पर दुख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों के उचित उपचार और प्रभावितों को हर संभव सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। -
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में बनी तीन मिलावटी दवाओं की पहचान की है, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रही कोल्ड्रिफ कफ सिरप शामिल है। यह सिरप भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी द्वारा बनाई गई थी। कुछ ही हफ्ते पहले मध्य प्रदेश में कई बच्चों की मौत के बाद यह मामला सामने आया, जिससे पूरे देश में चिंता बढ़ गई।
डब्ल्यूएचओ की जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में एक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) बहुत अधिक मात्रा में मिला है। बता दें कि डीईजी एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। यह किडनी और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। कोल्ड्रिफ सिरप में इस रसायन की मात्रा 48 प्रतिशत से भी ज्यादा पाई गई, जबकि सुरक्षित मात्रा केवल 0.1 प्रतिशत तक होनी चाहिए।कोल्ड्रिफ के अलावा दो और सिरप भी डब्ल्यूएचओ की चेतावनी में शामिल हैं। पहली रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और दूसरी शेप फार्मा की रीलाइफ। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील की है कि अगर ये सिरप किसी भी देश में मिलते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत डब्ल्यूएचओ को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।कोल्ड्रिफ सिरप को लेकर जब जांच हुई, तो श्रीसन फार्मास्युटिकल्स की दवा बनाने की अनुमति सरकार ने तुरंत रद्द कर दी। साथ ही कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद तमिलनाडु राज्य में सभी दवा कंपनियों की फैक्ट्रियों की गहन जांच शुरू कर दी गई है, ताकि यह देखा जा सके कि कहीं और भी गुणवत्ता में कोई लापरवाही तो नहीं बरती जा रही।मध्य प्रदेश में बच्चों की मौतों के बाद हरकत में आई केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की। इस सलाह में कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दिया जाए। इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे सिरप केवल जरूरत होने पर ही दिए जाएं। सरकार ने डॉक्टरों और फार्मेसियों को चेतावनी दी है कि बच्चों के लिए दवाइयों को बहुत सावधानी से लिखें और बेचें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना देश की दवा कंपनियों की निगरानी प्रणाली में बड़ी खामी को उजागर करती है। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि भारत में दवा बनाने की प्रक्रिया पर सख्त नियंत्रण रखा जाए और हर बैच की कड़ी जांच की जाए। - गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) । महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक भूपति केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो का सदस्य था और उस पर छह करोड़ रुपये का ईनाम था। उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने सोमवार रात करीब 10 बजे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं को होदरी गांव से पुलिस वाहनों में गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय लाया गया, जहां उन्होंने 54 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारी ने बताया कि जब्त हथियारों में सात एके-47 और नौ इंसास राइफल शामिल हैं।उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं में केंद्रीय समिति का एक सदस्य, दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) के तीन सदस्य और प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की एक संभागीय समिति के 10 सदस्य शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी की थी। हालांकि, हाल के महीनों में उनके और शीर्ष नक्सली नेतृत्व के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण आंतरिक संघर्ष छिड़ गया। सूत्रों ने कहा कि भूपति ने दावा किया था कि सशस्त्र संघर्ष विफल हो गया है और घटते जन समर्थन और सैकड़ों कार्यकर्ताओं के हताहत होने का हवाला देते हुए शांति व संवाद की ओर रुख करने की अपील की थी। सूत्रों ने बताया कि उसके इस रुख का अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने विरोध किया, जिन्होंने किसी अन्य नेता के नेतृत्व में लड़ाई जारी रखने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय नक्सली नेतृत्व के दबाव में, भूपति अंततः हथियार डालने के लिए तैयार हो गया, संगठन छोड़ने की घोषणा की और अपने समर्थकों के साथ गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। हाल के महीनों में, गढ़चिरौली जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या बढ़ रही है। भूपति और 60 नक्सलियों के आत्मसमर्पण को राज्य में माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इस साल की शुरुआत में भूपति की पत्नी तारक्का ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था। वह प्रतिबंधित आंदोलन की दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति की सदस्य थी। तीन अक्टूबर को राज्य पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य में नक्सल आंदोलन समाप्ति की ओर है। फडणवीस ने कहा था, "हम माओवाद को खत्म करने के करीब हैं। महाराष्ट्र में, यह कभी भी खत्म हो सकता है।"
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नयी दिल्ली. नोबेल पुरस्कार विजेता ओल्गा टोकार्चुक, बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक, शतरंज के दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद, ब्रिटिश अभिनेता और लेखक स्टीफन फ्राई और पूर्व राजनयिक-लेखक गोपाल कृष्ण गांधी उन 350 वक्ताओं में शामिल हैं जो 15 जनवरी से शुरू हो रहे जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) के 19वें संस्करण में भाग लेंगे। आयोजकों ने सोमवार को यह घोषणा की। "दुनिया का सबसे बड़ा साहित्यिक शो" कहे जाने वाले इस महोत्सव का आयोजन 15 जनवरी से 19 जनवरी तक जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में होगा। इस महोत्सव में श्रोताओं को 350 वक्ताओं को सुनने का अवसर मिलेगा जो कथा साहित्य, कविता और इतिहास से लेकर कला, विज्ञान, गणित, चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य तक के विविध विषयों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। जेएलएफ में जलवायु परिवर्तन, व्यापार, भू-राजनीति और संघर्ष, लैंगिकता, अनुवाद, सिनेमा, नस्ल और पहचान जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक विषयों पर भी गहराई से चर्चा की जाएगी। प्रसिद्ध इतिहासकार और महोत्सव के सह-निदेशक विलियम डेलरिम्पल ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, "जेएलएफ लिखित शब्दों और मौखिक परंपराओं का उत्सव है, जो कहानियों और साहित्य से मिलती प्रेरणा और पीढ़ियों से उसके जुड़ाव की शक्ति का प्रमाण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष, जब हम एक बार फिर गुलाबी नगरी में एकत्रित हो रहे हैं, तो हम दुनिया भर के प्रतिभाशाली लेखकों, विचारकों और स्वप्नदर्शियों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। यह साहित्य का एक ऐसा उत्सव है जो लेखन और पठन, दोनों के विचारों को प्रज्ज्वलित करता है।" इस बार वक्ताओं की सूची में उपन्यासकार शोभा डे, प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार आनंद नीलकांतन, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता अनुराधा रॉय, वरिष्ठ फिल्म समीक्षक भावना सोमाया और प्रसिद्ध लेखक मनु जोसेफ, रुचिर जोशी, केआर मीरा जैसी प्रसिद्ध भारतीय हस्तियां शामिल हैं। उनके साथ ब्रिटिश इतिहासकार एलेनोर बैराक्लो, लोकप्रिय लेखिका हैली रूबेनहोल्ड, प्रसिद्ध कला ‘क्यूरेटर' हेलेन मोल्सवर्थ, जीवनी लेखक जॉन ली एंडरसन, चीनी-ब्रिटिश लेखक जंग चांग, उपन्यासकार केट मोसे और लेबनानी पत्रकार व लेखिका किम घटास जैसे प्रशंसित अंतरराष्टीय नाम शामिल हैं। लेखिका और महोत्सव की सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा, "जेएलएफ में हमारे सत्र और विषय संस्कृतियों और महाद्वीपों को छूते हैं, साथ ही भारतीय भाषाओं और साहित्य की समृद्ध विविधता पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हैं। हम अपनी दुनिया की बदलती वास्तविकताओं, भू-राजनीतिक ज्वलंत मुद्दों, एआई की उभरती वास्तविकताओं, भाषा की अभिव्यक्ति और साहित्यिक स्वरूपों की पड़ताल करते हैं।" हमेशा की तरह ही जेएलएफ में जयपुर बुकमार्क (जेबीएम) के 13वें संस्करण का भी आयोजन किया जाएगा जो प्रकाशकों, साहित्यिक एजेंटों, अनुवादकों और लेखकों के लिए अग्रणी ‘‘बी2बी प्लेटफॉर्म'' है और उद्योग सहयोग और वैश्विक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
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नयी दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सोमवार को अपने सात करोड़ से अधिक सदस्यों को आंशिक निकासी के नियमों में बड़ी छूट देते हुए पात्र राशि के 100 प्रतिशत तक की निकासी की मंजूरी दे दी। सेवानिवृत्ति कोष निकाय के केंद्रीय न्यासी मंडल (सीबीटी) की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि अब ईपीएफओ के अंशधारक सदस्य भविष्य निधि में कर्मचारी एवं नियोक्ता के हिस्से सहित पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे। इसके साथ आंशिक निकासी के जटिल 13 प्रावधानों को आसान बनाने हुए अब तीन श्रेणियों में शामिल कर दिया गया है। इनमें आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा क्रमशः 10 और पांच बार कर दी गई है। विशेष परिस्थितियों में निकासी के लिए अब कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी, जिससे कई दावे अब अस्वीकार नहीं होंगे। इसके अलावा सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को भी अब घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।
ईपीएफओ ने यह भी तय किया है कि सदस्यों को अपनी अंशदान राशि का 25 प्रतिशत न्यूनतम शेष राशि के रूप में हमेशा बनाए रखना होगा। इससे सदस्य उच्च वार्षिक ब्याज सहित चक्रवृद्धि लाभ के जरिये अपने लिए बड़े सेवानिवृत्ति कोष का निर्माण कर सकेंगे। साथ ही, पूर्व निकासी की अवधि भी बढ़ा दी गई है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के परिपक्वता-पूर्व अंतिम निपटान की अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। आंशिक निकासी के नियमों को उदार बनाने की इस पहल से सदस्य सेवानिवृत्ति के लिए की गई बचत या पेंशन अधिकारों से कोई समझौता किए बगैर अपनी तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। ईपीएफओ के न्यासी मंडल ने ‘विश्वास योजना' भी लागू करने का फैसला किया है जिसका उद्देश्य भविष्य निधि अंशदान में विलंब पर लगने वाले दंड को कम करना और लंबित मुकदमों को समाप्त करना है। ‘विश्वास योजना' के तहत, अर्थदंड की दर को एक प्रतिशत प्रति माह तक सीमित कर दिया गया है। यह योजना छह महीने के लिए लागू होगी और जरूरत पड़ने पर छह महीने के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा सीबीटी ने ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक' के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को भी मंजूरी दी, जिससे कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) पेंशनधारकों को घर पर ही ‘डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र' (डीएलसी) जारी किया जा सकेगा। प्रत्येक प्रमाणपत्र का शुल्क मात्र 50 रुपये होगा, जिसे ईपीएफओ वहन करेगा। इसके साथ ईपीएफओ 3.0 पहल के तहत भविष्य निधि सेवाओं को आधुनिक बनाने के लिए सदस्य-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन की रूपरेखा को भी मंजूरी दी गई। इसमें कोर बैंकिंग समाधान को क्लाउड एवं एपीआई-आधारित मॉड्यूल से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य तेजी से, स्वचालित दावे, तुरंत निकासी, बहुभाषी स्वयं-सेवा और सहज पेरोल-संबद्ध योगदान सुनिश्चित करना है। केंद्रीय न्यासी मंडल ने ईपीएफओ के ऋण पोर्टफोलियो के लिए चार कोष प्रबंधकों का पांच साल के लिए चयन भी मंजूर किया, ताकि निवेश की विविधता और सदस्यों के भविष्य निधि बचत पर रिटर्न सुनिश्चित किया जा सके। मांडविया ने बैठक के दौरान ईपीएफओ की प्रमुख डिजिटल पहल का उद्घाटन किया, जिससे सेवा वितरण में पारदर्शिता, दक्षता और बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित होगा। श्रम मंत्रालय ने कहा कि इस निर्णय से ईपीएफओ के सदस्यों को वित्तीय सुरक्षा के साथ आधुनिक, डिजिटल और आसान सेवाओं का लाभ मिलेगा। -
नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र के लिए पीएम गति शक्ति पोर्टल खोल दिया गया है। इससे उन्हें अंतिम-छोड़ पर डिलिवरी सेवाओं को अनुकूलतम बनाने और बुनियादी ढांचा-आधारित एप्लिकेशन विकसित करने में मदद मिलेगी। यह एक वेबमंच है जो पीएम गतिशक्ति एनएमपी (राष्ट्रीय मास्टर प्लान) से चयनित गैर-संवेदनशील आंकड़ों तक विनियमित पहुंच प्रदान करता है। इससे निजी इकाइयों, सलाहकारों, शोधकर्ताओं और नागरिकों को बुनियादी ढांचा नियोजन और निवेश निर्णयों के लिए बेहतर विश्लेषण का लाभ उठाने में मदद मिलती है। उल्लेखनीय है कि लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के एकीकृत और नियोजित विकास के लिए अक्टूबर, 2021 में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान शुरू की गई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यूनिफाइड जियोस्पेशियल इंटरफेस (यूजीआई) के माध्यम से ‘पीएम गतिशक्ति पब्लिक' की शुरुआत की। गोयल ने कहा कि इसे भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) ने विकसित किया है और यह राष्ट्रीय भू-स्थानिक डेटा रजिस्ट्री (एनजीडीआर) द्वारा संचालित है। यह मंच उपयोगकर्ताओं को भौतिक और सामाजिक अवसंरचना परिसंपत्तियों से जुड़े 230 स्वीकृत आंकड़ों के सेट तक पहुंचने, साइट उपयुक्तता विश्लेषण, कनेक्टिविटी मैपिंग, अनुपालन जांच करने और उपयोगकर्ता-निर्धारित मानदंडों के आधार पर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा देता है। उपयोगकर्ता बहु-स्तरीय विभिन्न आंकड़ों को भी देख सकते हैं, जिससे बेहतर परियोजना डिजाइन, अंतर-एजेंसी समन्वय और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार निजी क्षेत्र को पीएम गति शक्ति पोर्टल से कुछ आंकड़ों तक पहुंच प्रदान करेगी। ट्रैक की लंबाई का विवरण, रेलवे स्टेशन, मालगाड़ियों के लिए अलग गलियारा, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग/जिला परतें, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, गोदाम जैसे आंकड़े निजी क्षेत्र को अंतिम छोड़ तक डिलिवरी सुविधाओं को अनुकूलतम बनाने, बुनियादी ढांचा-आधारित ऐप विकसित करने, स्मार्ट सिटी समाधान और तकनीक-संचालित लॉजिस्टिक प्रबंधन में मदद करेंगे। यह उन्हें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, आपदा प्रबंधन, कृषि क्षेत्र और खाद्य वितरण में सोच-विचार कर निर्णय लेने और बेहतर योजना बनाने में भी सक्षम बनाएगा। पोर्टल पर भूमि अभिलेखों, बंदरगाहों, वनों, स्कूलों, रेलवे स्टेशनों, जल निकायों, दूरसंचार टावर और राजमार्गों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध हैं। गोपनीयता और नीतिगत मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रमाणीकरण और आंकड़ा सुरक्षा व्यवस्था के साथ स्व-पंजीकरण के माध्यम से मंच तक पहुंच संभव है। गोयल ने पीएम गतिशक्ति के बारे में सूचना से संबंधित सार संग्रह भी जारी किया, जो सफल उपयोग के मामलों और बेहतर गतिविधियों की जानकारी देता है। साथ ही पीएम गतिशिक्ति नेशनल मास्टर प्लान डैशबोर्ड भी शुरू किया। उन्होंने मंत्रालयों, विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पारस्परिक शिक्षा और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान प्रबंधन प्रणाली (केएमएस) की भी शुरुआत की और पीएम गतिशक्ति - ऑफशोर पेश किया, जो कई क्षेत्रों में अपतटीय विकास की एकीकृत योजना और प्रबंधन के लिए एक अलग से बनाया गया डिजिटल मंच है। इसके अलावा, उन्होंने विकेंद्रीकृत, वास्तविक समय पर आंकड़ा उपलब्ध कराने और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए आंकड़े अपलोड करने और प्रबंधन प्रणाली की भी शुरुआत की। इसके अलावा आंकड़ा-संचालित स्थानीय बुनियादी ढांचे के विकास और समग्र क्षेत्रीय विकास को मजबूत करने के लिए 112 आकांक्षी जिलों के लिए प्रधानमंत्री गति शक्ति जिला मास्टर प्लान शुरू किया। गोयल ने कहा, ‘‘पीएम गतिशक्ति वृहद-स्तरीय योजना और सूक्ष्म-स्तरीय कार्यान्वयन के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में उभरी है।'' नेटवर्क प्लानिंग समूह ने पीएम गतिशक्ति के तहत 300 से अधिक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है, जिनमें एकीकृत योजना, अंतिम-छोड़ तक संपर्क सुविधा, बेहतर लॉजिस्टिक दक्षता और समन्वित परियोजना कार्यान्वयन शामिल हैं।
- नयी दिल्ली. केंद्र सरकार एक से 30 नवंबर तक पेंशनभोगियों के लिए राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान चलाएगी, जिसमें देश भर के 2,000 जिलों और उप-मंडल मुख्यालयों को शामिल किया जाएगा। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। यह अभियान 19 पेंशन वितरण बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), पेंशनभोगी कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए), सीजीडीए, दूरसंचार विभाग, रेलवे, यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के सुदूर हिस्सों में प्रत्येक पेंशनभोगी तक पहुंच सुनिश्चित करना है। यह पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) द्वारा आयोजित ऐसा चौथा अभियान होगा।इस वर्ष, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) अपने 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी जिलों में डीएलसी शिविर आयोजित करेगा। जो सभी श्रेणी के पेंशनभोगियों को, चाहे उनका बैंक कोई भी हो, उनके घर तक डीएलसी सेवाएं प्रदान करेगा। बयान में कहा गया, “19 पेंशन वितरण बैंक 300 शहरों में कई स्थानों पर शिविर लगाएंगे। इनमें वृद्ध, दिव्यांग या बीमार पेंशनभोगियों के घरों और अस्पतालों का दौरा भी शामिल है। 57 पंजीकृत पेंशनभोगी कल्याण संघ, बैंकों और आईपीपीबी के समन्वय से पेंशनभोगियों को संगठित करने और शिविर आयोजित करने में सहायता करेंगे।”
- चंडीगढ़. पंजाब के बरनाला जिले में करवा चौथ के अवसर पर नृत्य करते समय 59 वर्षीय एक महिला की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। उनके पड़ोसियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह घटना रविवार शाम को हुई। उपवास कर रहीं आशा रानी तापा कस्बे में नृत्य करते समय गिर पड़ीं। करवा चौथ एक त्योहार है जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं। पड़ोसियों के अनुसार, वह अन्य महिलाओं के साथ पंजाबी गाने पर नृ्त्य करते समय गिर गईं।एक पड़ोसी ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
- नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समूह खेती की वकालत करते हुए सुझाव दिया है कि छोटे और सीमांत किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलें उगाने और छोटे खेतों को मिलकर बड़ी जोत तैयार करने पर विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के साथ बातचीत की। किसानों के साथ यह संवाद 35,440 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली कृषि क्षेत्र की दो प्रमुख योजनाओं का शुभारंभ करने से पहले हुआ। इस मौके पर मोदी ने 24,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और 11,440 करोड़ रुपये के दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया। संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह किया।एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘उन्होंने एक चरणबद्ध नजरिया अपनाने का सुझाव दिया। इसके तहत भूमि के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती का परीक्षण करना और बाकी पर पारंपरिक तरीकों को जारी रखना शामिल है।'' विभिन्न राज्यों के कई किसानों ने प्रधानमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा किए। मध्य प्रदेश के जबलपुर के एक युवा उद्यमी ने अपनी एरोपोनिक आधारित आलू बीज खेती का प्रदर्शन किया, जिसमें आलू बिना मिट्टी के ऊर्ध्वाधर संरचनाओं में उगाए जाते हैं। बयान के मुताबिक, इसे देखकर मोदी ने मजाकिया अंदाज में इसे ‘जैन आलू' कहा, क्योंकि ऐसी उपज जैन धर्म को मानने वालों के आहार नियमों के अनुरूप हो सकती है, जो जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों से परहेज करते हैं। हरियाणा के हिसार जिले के एक किसान ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले काबुली चना उगाना शुरू किया था और अब तक प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल उपज प्राप्त कर चुके हैं। मोदी ने फसल को बदलकर खेती करने के बारे में पूछा, खासकर यह कि क्या इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद मिलती है और क्या दलहनी फसलों को कृषि प्रणाली में शामिल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। जवाब में, किसान ने कहा कि ऐसी फसलों को शामिल करना फायदेमंद साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि चना जैसे दलहन उगाने से न केवल अच्छी फसल मिलती है, बल्कि मिट्टी को नाइट्रोजन से भी समृद्ध किया जाता है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दलहन की खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि देश की पोषण सुरक्षा में भी योगदान देती है। बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने ‘समूह खेती' के विचार को प्रोत्साहित किया, जहां छोटे और सीमांत किसान एक साथ आकर अपनी जमीन को साझा कर सकते हैं, और उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने तथा बाजारों तक बेहतर पहुंच पाने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।'' एक किसान ने इस मॉडल का एक सफल उदाहरण देते हुए कहा कि लगभग 1,200 एकड़ में अब काबुली चना की खेती हो रही है, जिससे पूरे समूह के लिए बेहतर बाजार पहुंच और बेहतर आय प्राप्त हो रही है। मोदी ने सरकार द्वारा बाजरा और ज्वार जैसे मोटे अनाज (श्री अन्न) को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की, खासकर पानी की कमी वाले क्षेत्रों में। उन्होंने कहा, ‘‘जहां पानी की कमी है, वहां बाजरा जीवन रेखा है। बाजरे का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है।'' एक स्वयं सहायता समूह की महिला किसान ने 2023 में समूह में शामिल होने और अपनी पांच बीघा जमीन पर मूंग की खेती शुरू करने का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को एक बड़ी मदद बताया, जिससे उन्हें बीज खरीदने और जमीन तैयार करने में मदद मिली। एक किसान ने 2010 में एक होटल में सामान्य सी नौकरी करने से लेकर 250 से ज्यादा गिर गायों वाली एक गौशाला के मालिक बनने तक के अपने सफर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि पशुपालन मंत्रालय ने उन्हें 50 प्रतिशत सब्सिडी दी। प्रधानमंत्री ने इस पहल की सराहना की और वाराणसी के एक ऐसे ही प्रयोग का जिक्र किया, जहां परिवारों को गिर गायें इस शर्त पर दी जाती हैं कि वे पहली बछिया को वापस कर देंगे, जिसे बाद में दूसरे परिवारों को सौंप दिया जाता है। इस तरह एक स्थायी सामुदायिक श्रृंखला बन जाती है। कई प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के सकारात्मक प्रभाव के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने जलीय कृषि में अपार संभावनाओं पर जोर दिया और युवाओं को इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। सखी संगठन की एक प्रतिनिधि ने बताया कि कैसे यह आंदोलन सिर्फ 20 महिलाओं से शुरू हुआ था और अब डेयरी क्षेत्र में 90,000 महिलाओं तक पहुंच गया है। प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘सामूहिक प्रयासों से 14,000 से ज्यादा महिलाएं ‘लखपति दीदी' बन चुकी हैं।'' इस पहल की सराहना करते हुए, मोदी ने कहा कि यह सचमुच एक चमत्कार है। झारखंड के सरायकेला जिले के एक उद्यमी ने 125 वंचित आदिवासी परिवारों को गोद लिया और क्षेत्र में एकीकृत जैविक खेती शुरू की। एक किसान ने 2014 में अमेरिका में अपना आकर्षक करियर छोड़कर भारत लौटने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की अपनी यात्रा साझा की।
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नई दिल्ली। विश्व मानक दिवस हर साल 14 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मानकों के महत्व को समझाना और उन्हें जनता तक पहुंचाना है। इस दिन मानक बनाने वाली संस्थाओं जैसे आईएसओ और अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के योगदान को सराहा जाता है।
आईएसओ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 23 फरवरी 1947 को हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है और यह 165 देशों में मानक स्थापित करता है। आईएसओ के मानक तकनीकी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में विश्व स्तर पर गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने में मदद करते हैं।हमारे रोजमर्रा के कामों में जब हम कोई चीज खरीदते हैं, कोई सेवा लेते हैं या फिर कोई सामान बनाते हैं, तो वहां कुछ नियम या मानक होते हैं। ये मानक इसलिए बनाए जाते हैं ताकि चीजें सही तरीके से बनी रहें, सुरक्षित हों और सबके लिए बराबर हों। अगर ये मानक न हों, तो चीजें गड़बड़ हो सकती हैं, गुणवत्ता खराब हो सकती है और नुकसान भी हो सकता है।विश्व मानक दिवस का मकसद यही है कि लोग समझें कि मानक केवल नियम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी जिंदगी को बेहतर और आसान बनाते हैं। मानकों की वजह से हमें भरोसा होता है कि जो चीज हम खरीद रहे हैं, वो सुरक्षित और अच्छी है।विश्व मानक दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों को मानकों के फायदे समझाए जा सकें। ये मानक न सिर्फ उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार को भी आसान और पारदर्शी बनाते हैं। आज के समय में जब तकनीक तेजी से बढ़ रही है, तो मानकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।मानकों की वजह से उद्योगों को एक-दूसरे के साथ बेहतर तालमेल और सहयोग मिलता है, जिससे ग्राहक संतुष्ट रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका मोबाइल फोन चार्जर आईएसओ मानकों के अनुसार बना है, तो वह आपके फोन को सुरक्षित रखेगा और खराबी का खतरा कम होगा। - नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को गाजा पट्टी में इजराइल के सभी 20 जीवित बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और कहा कि भारत क्षेत्र में शांति लाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “ईमानदार प्रयासों” का समर्थन करता है। ट्रंप की गाजा शांति योजना के पहले चरण के तहत हमास ने दो साल से अधिक समय पहले बंधक बनाए गए इजराइली बंधकों को सोमवार को रिहा कर दिया। मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “हम दो साल से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखे गए सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं।” उन्होंने लिखा, “उनकी रिहाई उनके परिवारों के साहस, राष्ट्रपति ट्रंप के अथक शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के मजबूत संकल्प के प्रति सम्मान है।” मोदी ने कहा, “हम क्षेत्र में शांति लाने के राष्ट्रपति ट्रंप के ईमानदार प्रयासों का समर्थन करते हैं।”
- नयी दिल्ली,।” केंद्र सरकार एक से 30 नवंबर तक पेंशनभोगियों के लिए राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान चलाएगी, जिसमें देश भर के 2,000 जिलों और उप-मंडल मुख्यालयों को शामिल किया जाएगा। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी। यह अभियान 19 पेंशन वितरण बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), पेंशनभोगी कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए), सीजीडीए, दूरसंचार विभाग, रेलवे, यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के सुदूर हिस्सों में प्रत्येक पेंशनभोगी तक पहुंच सुनिश्चित करना है। यह पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) द्वारा आयोजित ऐसा चौथा अभियान होगा।इस वर्ष, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) अपने 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी जिलों में डीएलसी शिविर आयोजित करेगा। जो सभी श्रेणी के पेंशनभोगियों को, चाहे उनका बैंक कोई भी हो, उनके घर तक डीएलसी सेवाएं प्रदान करेगा। बयान में कहा गया, “19 पेंशन वितरण बैंक 300 शहरों में कई स्थानों पर शिविर लगाएंगे। इनमें वृद्ध, दिव्यांग या बीमार पेंशनभोगियों के घरों और अस्पतालों का दौरा भी शामिल है। 57 पंजीकृत पेंशनभोगी कल्याण संघ, बैंकों और आईपीपीबी के समन्वय से पेंशनभोगियों को संगठित करने और शिविर आयोजित करने में सहायता करेंगे।”
- अहमदाबाद,। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार से गुजरात के अहमदाबाद के तीन दिवसीय दौरे पर आएंगे। संघ के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। संघ की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरसंघचालक भागवत मंगलवार दोपहर अहमदाबाद पहुंचेंगे और आरएसएस पदाधिकारियों को संबोधित करेंगे। इसमें कहा गया, "बुधवार को, वह कोबा में प्रेक्षा विश्व भारती ध्यान केंद्र का दौरा करेंगे, आचार्य महाश्रमणजी से मिलेंगे और एक संबोधन देंगे। भागवत बृहस्पतिवार को अहमदाबाद से रवाना हो जाएंगे।"
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नई दिल्ली। पीएम मोदी ने कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद से सोमवार को मुलाकात की। इसमें दोनों देश के बीच व्यापार, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, कृषि और पारस्परिक विकास और समृद्धि के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस बैठक की जानकारी शेयर करते हुए पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,”कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद आपका स्वागत है। उनके साथ दोनों देश के बीच व्यापार, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, कृत रहीषि और पारस्परिक विकास और समृद्धि के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान में सहयोग बढ़ाने के रास्तों पर चर्चा की गई।”
अनीता आनंद ने इस बैठक के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा कि मैंने आज सुबह नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस गर्मी में जी7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की पीएम मोदी से हुई मुलाकात के बाद, कनाडा और भारत अपने देशों के बीच संबंधों को मजबूत कर रहे हैं, साथ ही कानून प्रवर्तन और सुरक्षा संवाद को बनाए रखते हुए और अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार कर रहे हैं।इसके अतिरिक्त, विज्ञान भवन में कनाडा की विदेश मंत्री ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से भी बातचीत की। बैठक की जानकारी देते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता जानकर मुझे बहुत खुशी हुई।हमारी चर्चा एनर्जी, टेक्नोलॉजी और फूड सिक्योरिटी के क्षेत्र में सहयोग पर केंद्रि। साथ ही, विश्वास और सम्मान पर आधारित पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार, निवेश और आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए भारत की तत्परता पर भी जोर दिया गया। इससे पहले, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी उनकी मुलाकात हुई और इसके बाद एक साझा बयान जारी भी किया गया। बयान में कहा गया कि दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर रोडमैप तैयार किया गया। दोनों मंत्रियों ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता एवं तनाव के समय में मजबूत साझेदारी जरूरी है। - रायपुर/ छत्तीसगढ़ में अब तक 1211.2 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा स्थापित राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक बस्तर जिले में सर्वाधिक 1633.3 मि.मी. वर्षा रिकार्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 554.0 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई है।रायपुर संभाग में रायपुर जिले में 1159.6 मि.मी., बलौदाबाजार में 1004.8 मि.मी., गरियाबंद में 1234.4 मि.मी., महासमुंद में 1065.1 मि.मी. और धमतरी में 1149.6 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है।बिलासपुर संभाग में बिलासपुर जिले में 1205.1 मि.मी., मुंगेली में 1183.0 मि.मी., रायगढ़ में 1396.7 मि.मी., सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 1116.1 मि.मी., जांजगीर-चांपा में 1413.5 मि.मी., सक्ती में 1274.2 मि.मी., कोरबा में 1179.3 मि.मी. और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 1112.9 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है।दुर्ग संभाग में दुर्ग जिले में 948.2 मि.मी., कबीरधाम में 892.0 मि.मी., राजनांदगांव में 1012.5 मि.मी., मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 1462.0 मि.मी., खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 919.1 मि.मी. और बालोद में 1317.0 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है।सरगुजा संभाग में सरगुजा जिले में 799.0 मि.मी., सूरजपुर में 1183.2 मि.मी., बलरामपुर में 1579.6 मि.मी., जशपुर में 1105.3 मि.मी., कोरिया में 1253.4 मि.मी. और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 1138.6 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है।बस्तर संभाग में कोंडागांव जिले में 1213.5 मि.मी., कांकेर में 1421.6 मि.मी., नारायणपुर में 1474.4 मि.मी., दंतेवाड़ा जिले में 1624.7 मि.मी., सुकमा जिले में 1312.5 मि.मी. और बीजापुर जिले में 1632.1 मि.मी. की औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है।
- नयी दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की वायु शाखा को अपने 50 साल से अधिक के इतिहास में पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर मिली है। बीएसएफ की वायु शाखा में पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर की नियुक्ति आंतरिक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद हुई है। इंस्पेक्टर भावना चौधरी और चार पुरुष अधीनस्थ अधिकारियों को हाल में बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने फ्लाइंग बैज प्रदान किए। सीमा सुरक्षा बल को 1969 से गृह मंत्रालय (एमएचए) की विमानन इकाई का संचालन करने का दायित्व सौंपा गया है और यह सभी अर्द्धसैनिक बलों और एनएसजी व एनडीआरएफ जैसे विशेष बलों की अभियानगत आवश्यकताओं को पूरा करता है। अधिकारियों ने बताया कि पांच अधीनस्थ अधिकारियों को ‘‘बीएसएफ वायु शाखा के प्रशिक्षकों द्वारा शुरू से ही प्रशिक्षित किया गया था और उन्होंने हाल में अपना दो महीने का प्रशिक्षण पूरा किया है।'' अगस्त से शुरू हुए दो महीने के आंतरिक प्रशिक्षण के दौरान पांचों कर्मियों को 130 घंटे तक प्रशिक्षित किया गया और उन्हें काम का वास्तविक अनुभव भी मिला क्योंकि बीएसएफ वायु शाखा की विभिन्न इकाइयों ने पंजाब और अन्य राज्यों में हाल में आई बाढ़ के दौरान भी परिचालन उड़ानें भरीं। बीएसएफ वायु सेना को अपने एमआई-17 हेलीकॉप्टर बेड़े में फ्लाइट इंजीनियरों की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘वायु सेना (आईएएफ) ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों के पहले बैच को प्रशिक्षित किया, लेकिन पांच कर्मियों के दूसरे बैच को विभिन्न बाधाओं के कारण वहां प्रशिक्षण नहीं मिल सका।'' अधिकारी ने बताया कि इसके बाद बीएसएफ ने अपनी वायु शाखा के लिए फ्लाइट इंजीनियरों को तैयार करने के वास्ते आंतरिक प्रशिक्षण आयोजित करने की अनुमति पाने के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया और इंस्पेक्टर चौधरी सहित पांच कर्मियों ने हाल में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। उन्होंने बताया कि इंस्पेक्टर चौधरी बीएसएफ वायु शाखा की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर हैं।
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नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को बताया कि भारत में लगभग 10.6 करोड़ घरों में किफायती एलपीजी का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही देश में हर दिन करीब 6.7 करोड़ लोग अपने वाहनों में ईंधन भरवाते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल और एलपीजी उपभोक्ता बनाता है।
हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा कि भारत गहरे पानी में तेल की खोज से लेकर हरित हाइड्रोजन और बायोएनर्जी तक के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक सुरक्षित, टिकाऊ और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य का निर्माण कर रहा है। मंत्री ने यह भी बताया कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक और एक वैश्विक रिफाइनिंग हब बन चुका है, जहां हर दिन करीब 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत होती है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऊर्जा केवल ईंधन नहीं, बल्कि नए भारत की धड़कन है, जो उद्योगों को शक्ति देती है, लोगों को जोड़ती है और 1.42 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करती है। उन्होंने बताया कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, भले ही वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं बनी हुई हों। देश की रिफाइनिंग क्षमता 215 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) से बढ़कर 258 एमएमटीपीए हो गई है। साथ ही जामनगर रिफाइनरी अब एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है, जो 100 से अधिक देशों को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करती है।पुरी ने बताया कि ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) राउंड 10 के तहत 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को तेल और गैस की खोज के लिए खोला गया है। एक्सप्लोरेशन के लिए आवश्यक मंजूरियों की संख्या 37 से घटाकर 18 कर दी गई है ताकि व्यापार करने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि अपस्ट्रीम सेक्टर में तेल की खोज और उत्पादन बढ़ाने के लिए 1.3 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है। इसके अलावा, 2022 से अब तक लगभग दस लाख वर्ग किलोमीटर पहले प्रतिबंधित ऑफशोर क्षेत्रों को फिर से खोज के लिए खोला गया है, जिससे भारत में तेल और गैस की खोज को नई गति मिली है।















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