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अयोध्या . अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भक्तों ने तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का दान दिया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। मिश्र ने बताया कि 2022 में शुरू हुए निधि समर्पण अभियान के बाद से देश भर से श्रद्धालुओं ने उदारतापूर्वक दान दिया है तथा राम मंदिर निर्माण के लिए भक्तों ने तीन करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर परियोजना की कुल लागत लगभग 1800 करोड़ रुपये आंकी गई है और अब तक लगभग 1500 करोड़ रुपये का बिल तैयार हो चुका है। मिश्र ने कहा कि 2022 के बाद दान देने वाले समेत सभी दानदाताओं को आगामी 25 नवंबर को होने वाले ध्वजारोहण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे और मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। बुधवार को ध्वजारोहण समारोह का परीक्षण किया गया। मिश्र ने बताया कि प्रधानमंत्री के 70 एकड़ के मंदिर परिसर में शेषावतार मंदिर, कुबेर टीला और सप्त मंडपम भी जाने की उम्मीद है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष के अनुसार मुख्य मंदिर के अंदर एक बार में पांच हजार से आठ हजार श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था की गई है। दक्षिणी निकास द्वार तक दर्शन मार्ग में लगभग 20 मिनट लगेंगे जबकि सुग्रीव किले तक पूरे मार्ग में लगभग 40 मिनट लगेंगे। मिश्र ने बताया कि ध्वजारोहण समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप देने और प्रधानमंत्री के दौरे एवं कार्यक्रम के विवरण पर चर्चा के लिए राम मंदिर निर्माण समिति की एक बैठक हुई। उन्होंने बताया कि समिति प्रधानमंत्री से अनुरोध करेगी कि वह ऋषियों और संतों के आश्रमों को दर्शाने वाले भित्तिचित्रों एवं सप्त मंदिर क्षेत्र को देखने के लिए समय निकालें। उन्होंने बताया कि सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए ध्वजारोहण समारोह में आठ हजार से अधिक लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। मिश्र ने बताया कि मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले दानदाताओं, कंपनियों, आपूर्तिकर्ताओं और श्रमिकों को 25 नवंबर के बाद राम मंदिर परिसर में एक भव्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
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नयी दिल्ली. भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को जल्द पूरा करने से बड़े बदलाव संभव हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि ये बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करने के नजरिये से होंगे। उन्होंने 27 देशों के यूरोपीय संघ के एक उच्चस्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद यह बात कही। सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने के लिए भारत आया है। जयशंकर ने कहा, ‘‘इस बात पर चर्चा हुई कि भारत और यूरोपीय संघ कैसे तालमेल को अधिकतम कर सकते हैं और सहयोग को मजबूत कर सकते हैं। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर हो सकती है और लोकतांत्रिक ताकतें मजबूत होंगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को शीघ्र पूरा कर इन उद्देश्यों में बड़ा अंतर ला सकता है।'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने दिसंबर तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता जताई है।
- नयी दिल्ली. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के कम उपयोग के ‘‘गंभीर जोखिम'' का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि करीब 1.20 करोड़ युवा हर साल कार्यबल से जुड़ रहे हैं लेकिन इनमें से केवल 10 प्रतिशत ही ‘ग्रीन स्किल' से युक्त होते हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2047 तक 3.5 करोड़ हरित नौकरियां पैदा हो सकती हैं।‘ग्रीन स्किल' वह ज्ञान, योग्यताएं, मूल्य और दृष्टिकोण हैं जो संसाधन-कुशल समाज में रहने, उसे विकसित करने और समर्थन देने के लिए आवश्यक हैं। यूनिसेफ युवा ने ‘सतत भारत के लिए युवा: हरित कौशल और रोजगार पथ' नाम से रिपोर्ट जारी की है। इसे कैपजेमिनी, सेक्टर स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एससीजीजे), काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) और सत्व के सहयोग से तैयार किया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2022 और 2023 के बीच वैश्विक स्तर पर कम से कम एक ‘ग्रीन स्किल' की आवश्यकता वाली नौकरियों का अनुपात 22.4 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन ऐसे कौशल वाले श्रमिकों की हिस्सेदारी केवल 12.3 प्रतिशत बढ़ी है, जिससे मांग और प्रतिभा के बीच असंतुलन बढ़ रहा है। भारत में 80.8 करोड़ लोगों की उम्र 35 वर्ष से कम हैं। अध्ययन के मुताबिक 2047 तक 3.5 करोड़ तक हरित रोजगार सृजित किये जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हालांकि, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 करोड़ युवा कार्यबल से जुड़ते हैं जिनमें से केवल 10 प्रतिशत को ही किसी प्रकार का ‘ग्रीन स्किल' प्राप्त होता है, जिससे इसके जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा उपयोग न हो पाने का जोखिम बना रहता है।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अंतर कई संरचनात्मक चुनौतियों में निहित है।इसके मुताबिक पहली चुनौती ‘ग्रीन स्किल' का असमान वितरण है। दिल्ली और मुंबई जैसे टियर-1 शहरों में हरित रोज़गार सृजन का दबदबा है, जबकि जयपुर, इंदौर, विशाखापत्तनम, अहमदाबाद, कोयंबटूर, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ जैसे टियर-2 और टियर-3 शहरों के वित्त वर्ष 2028 तक हरित रोजगार में 40 प्रतिशत तक योगदान देने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरी चुनौती, पारंपरिक कौशल कार्यक्रम भी विरासत क्षेत्रों पर केंद्रित रहते हैं। इसके मुताबिक तीसरी चुनौती ग्रामीण, निम्न आय या हाशिए पर रहने वाले समुदायों के युवाओं में हरित करियर अपनाने के लिए जागरूकता, पहुंच और अनुकूल परिस्थितियों (जैसे परिवहन, वजीफा या उद्योग संपर्क) का अभाव है। रिपोर्ट में कृषि, निर्माण, वस्त्र, अपशिष्ट प्रबंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को हरित रोजगार सृजन के लिए प्राथमिकता वाले पांच क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है। इसमें नीति निर्माताओं, उद्योग और नागरिक समाज से आग्रह किया गया है कि वे न्यायसंगत और समावेशी हरित परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण, वित्तपोषण और रोजगार रणनीतियों को संरेखित करें। अध्ययन के तहत 18-29 वर्ष की आयु के 670 प्रतिभागियों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि केवल 37 प्रतिशत लोग ही हरित क्षेत्रों या स्थिरता से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के बारे में जानते थे। रिपोर्ट के मुताबिक चर्चाओं के दौरान महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले युवाओं के सामने अतिरिक्त बाधाओं के बारे में जानकारी मिली, जैसे कि आवाजाही पर रोक, सीमित मार्गदर्शन के अवसर और सामाजिक मानदंड जो प्रशिक्षण और रोजगार तक पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं।
- नयी दिल्ली. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित चार विकसित देश पेरिस समझौते के बाद से तेल और गैस का इस्तेमाल चरणबद्ध ढंग से खत्म करने में बाधा डाल रहे हैं। मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और नॉर्वे इस दिशा में प्रगति को पटरी से उतारने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। दूसरी ओर बाकी दुनिया ने जीवाश्म ईंधन उत्खनन को या तो धीमा कर दिया है या कम कर दिया है। शोध संस्थान ऑयल चेंज इंटरनेशनल ने ‘‘ग्रह विध्वंसक: पेरिस समझौते के बाद से वैश्विक उत्तरी देश हालात को बिगाड़ रहे'' शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह बात कही।इसमें कहा गया कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और नॉर्वे ने मिलकर 2015 और 2024 के बीच अपने तेल और गैस उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि की, जबकि शेष विश्व में कुल मिलाकर उत्खनन में दो प्रतिशत की गिरावट आई। पेरिस समझौते के बाद से तेल और गैस उत्खनन में हुई शुद्ध वैश्विक वृद्धि में अकेले अमेरिका का योगदान 90 प्रतिशत से अधिक रहा है। इससे प्रतिदिन लगभग 1.1 करोड़ बैरल तेल के बराबर उत्पादन बढ़ा है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में पांच गुना से भी अधिक है। प्रमुख उत्पादकों में ऑस्ट्रेलिया का उत्पादन 77 प्रतिशत बढ़ा, जबकि कनाडा और नॉर्वे ने क्रमशः 28 प्रतिशत और सात प्रतिशत उत्पादन बढ़ाया। इसके विपरीत सऊदी अरब, अल्जीरिया और कतर जैसे कई वैश्विक दक्षिण देशों ने उत्पादन को स्थिर रखा है या इसे कम कर दिया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देश तेल और गैस राजस्व पर कहीं अधिक निर्भर हैं, फिर भी वे जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के लिए अमीर देशों की तुलना में अधिक संयम बरत रहे हैं। ऑयल चेंज इंटरनेशनल के वैश्विक नीति प्रमुख रोमेन इउआलेन ने कहा, ‘‘10 साल पहले पेरिस में, देशों ने तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का वादा किया था, जो जीवाश्म ईंधन के विस्तार और उत्पादन को खत्म किए बिना असंभव है। जलवायु संकट के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार अमीर देशों ने यह वादा नहीं निभाया है। इसके बजाय, उन्होंने आग में घी डाला है और आवश्यक धनराशि रोक दी है।''
- नयी दिल्ली. देश में लोगों के बीच सेवानिवृत्ति के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक धनराशि को लेकर जागरूकता अब भी बहुत कम है। हालांकि, 10 में से सात लोगों का मानना है कि एक करोड़ रुपये का कोष उनके आरामदायक सेवानिवृत्त जीवन के लिए पर्याप्त होगा। एक्सिस मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की वार्षिक अध्ययन रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है।‘भारत सेवानिवृत्ति सूचकांक अध्ययन' रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सेवानिवृत्ति सूचकांक वर्ष 2022 के 44 से बढ़कर 2025 में 48 पर पहुंच गया है। यह सुधार मुख्य रूप से बेहतर फिटनेस आदतों, नियमित स्वास्थ्य जांच और बीमा कवरेज में वृद्धि के कारण हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि लोगों का वित्तीय आत्मविश्वास स्थिर बना हुआ है, लेकिन सेवानिवृत्ति कोष को लेकर उनकी समझ थोड़ी कमजोर है। स्वास्थ्य तैयारी में सबसे ज्यादा सुधार देखा गया है, जिससे पता चलता है कि भारत अब सेवानिवृत्ति सुरक्षा का आधार संपूर्ण स्वास्थ्य यानी ‘वेलनेस' को मानने लगा है। यह सर्वेक्षण देश के 28 शहरों में 25 से 65 वर्ष आयु वर्ग के 2,242 लोगों के बीच किया गया था।इनमें से आधे वेतनभोगी और आधे स्वरोजगार वाले हैं, जिनकी वार्षिक आय पांच लाख रुपये या उससे अधिक है। सर्वे के मुताबिक, 50 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सेवानिवृत्ति की योजना कमाई शुरू होने के साथ और 35 वर्ष की आयु से पहले शुरू कर देनी चाहिए। एक्सिस मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुमित मदान ने कहा, “यह वार्षिक अध्ययन इस बात का संकेत है कि अब उपभोक्ता अधिक जागरूक, स्वास्थ्य को लेकर सजग और दीर्घकालिक वित्तीय योजना को लेकर अधिक आत्मविश्वासी हो रहे हैं।” मदान ने कहा कि अब अगली चुनौती सेवानिवृत्ति के बाद की सुकून वाली जिंदगी के लिए पर्याप्त कोष बनाने और मानसिक दृढ़ता बढ़ाने की है। इस अध्ययन में पहली बार विदेश से लौटे कामगारों और अस्थायी काम करने वाले गिग पेशेवरों को भी अलग वर्ग के रूप में शामिल किया गया है।
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नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने के लिए मिलकर काम करने पर बुधवार को सहमति व्यक्त की। ताकाइची (64) जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने शिगेरु इशिबा का स्थान लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ताकाइची के पदभार ग्रहण करने के बाद उनके साथ अपनी पहली बातचीत में उन्हें बधाई दी और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-जापान के बीच मजबूत संबंध अहम हैं। मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के साथ गर्मजोशी भरी बातचीत हुई। उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी और आर्थिक सुरक्षा, रक्षा सहयोग पर केंद्रित भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के हमारे साझा दृष्टिकोण पर चर्चा की।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात पर सहमत हुए कि भारत-जापान के बीच मजबूत संबंध वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए बेहद जरूरी हैं।'' प्रधानमंत्री मोदी अगस्त में जापान गए थे जहां उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इशिबा से मुलाकात की थी।
भारत और जापान ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें रक्षा संबंधों की रूपरेखा और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए 10-वर्षीय रोडमैप शामिल था। - चेन्नई. तमिलनाडु पुलिस ने मंगलवार को कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक को ईमेल मिले हैं जिनमें दावा किया गया है कि अभिनेता रजनीकांत और धनुष के आवासों पर बम रखे गए हैं। चेन्नई के तेनाम्पेट की पुलिस के अनुसार रजनीकांत के घर पर बम की धमकी वाला पहला ईमेल 27 अक्टूबर को सुबह लगभग 8.30 बजे प्राप्त हुआ था। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जब हमने संपर्क किया तो हमें बताया गया कि उन्हें बम निरोधक दस्ते की सहायता की आवश्यकता नहीं है।'' उसी दिन शाम 6.30 बजे दूसरा धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ और रजनीकांत की टीम ने फिर से सुरक्षा जांच से इनकार कर दिया। अभिनेता धनुष को भी उसी दिन बम की धमकी वाला ईमेल मिला।पुलिस अधिकारी के मुताबिक धनुष ने भी इस सिलसिले में पुलिस की सहायता लेने से इनकार कर दिया।हाल के सप्ताहों में कई प्रमुख व्यक्तियों को इसी प्रकार के धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए हैं।पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘ साइबर अपराध पुलिस ईमेल पर नजर रख रही है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को आठवें वेतन आयोग के गठन से संबंधित नियमों एवं शर्तों को मंजूरी दे दी। आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन ढांचे में बदलाव एक जनवरी, 2026 से प्रभावी हो जाने का अनुमान है। वेतन आयोग की सिफारिशों से लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और 69 लाख पेंशनधारक लाभान्वित होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आठवें वेतन आयोग के गठन से संबंधित नियमों एवं शर्तों को मंजूरी दी गई। सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को इस फैसले की जानकारी दी। वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं में संशोधन संबंधी सिफारिशें करेगा। आयोग को अपने गठन की तारीख से 18 माह के भीतर अंतिम रिपोर्ट और उससे पहले अंतरिम रिपोर्ट पेश करनी होगी। मंत्रिमंडल का यह निर्णय आयोग को स्थापित करने की जनवरी, 2025 में दी गई सैद्धांतिक मंजूरी के नौ माह बाद आया है। यह फैसला बिहार विधानसभा के लिए छह एवं 11 नवंबर को होने वाले मतदान के ऐन पहले लिया गया है। मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति देसाई को आयोग का प्रमुख बनाने के साथ भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), बेंगलूर के प्रोफेसर पुलक घोष को अंशकालिक सदस्य और पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन को सदस्य-सचिव बनाने का भी फैसला किया। न्यायमूर्ति देसाई इस समय भारतीय प्रेस परिषद की चेयरमैन हैं। इससे पहले वह जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग और उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की मसौदा समिति की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्ति के बाद यह उनका चौथा प्रमुख कार्यभार होगा। वैष्णव ने आयोग की सिफारिशें लागू होने की तारीख के बारे में पूछे जाने पर कहा, “इसकी विशिष्ट तिथि अंतरिम रिपोर्ट आने के बाद ही तय की जाएगी, लेकिन ज्यादा संभावना है कि यह एक जनवरी, 2026 से प्रभावी हो जाएगी।” आमतौर पर हर 10 वर्ष के अंतराल पर केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाती हैं। इस परिपाटी को देखते हुए आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के भी जनवरी, 2026 से लागू किए जाने की संभावना है। सातवां वेतन आयोग फरवरी, 2014 में गठित हुआ था और उसकी सिफारिशें एक जनवरी, 2016 से लागू की गई थीं।केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन की क्रय शक्ति में महंगाई के कारण होने वाली गिरावट की भरपाई के लिए उनके महंगाई भत्ते में हर छह महीने पर बढ़ोतरी की जाती है। इसी के अनुरूप बदलाव सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दी जाने वाली महंगाई राहत में भी किया जाता है। इसके अलावा राज्यों में भी सरकारें अपने कर्मचारियों एवं पेंशनधारकों के लिए केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बदलाव करती हैं।
- नयी दिल्ली. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि जटिल और एक-दूसरे से आपस में जुड़ी हुईं चुनौतियों के इस मुश्किल दौर में, समुद्री सुरक्षा को अब केवल खतरों को रोकने के संकीर्ण नजरिये से नहीं देखा जा सकता। नौसेना प्रमुख ने यहां ‘इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग' 2025 में अपने संबोधन में कहा कि इसे प्रोफेसर रीकमैन के 'डायनैक्सिक चैलेंज' के तौर पर समझने की जरूरत है, जो एक ऐसी चुनौती है जो गतिशील और जटिल दोनों है। नौसेना 28 से 30 अक्टूबर तक मानेकशॉ सेंटर में तीन दिन के सम्मेलन का आयोजन कर रही है, जिसमें कई देशों के नौसेना अधिकारी और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘सदियों से, समुद्र सबसे पुराने रास्ते रहे हैं -- जो सिर्फ वाणिज्य और संस्कृति ही नहीं, बल्कि जिज्ञासा और हिम्मत भी (एक जगह से दूसरी जगह) ले जाते हैं।'' उन्होंने कहा कि देशों की किस्मत तय करने से लेकर मानवता का भविष्य लिखने तक, समुद्र हमेशा से ‘‘हमारी साझा किस्मत'' का सबसे सच्चा पैमाना रहा है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि जटिल और एक-दूसरे से आपस में जुड़़ी हुईं चुनौतियों के इस मुश्किल दौर में, समुद्री सुरक्षा को अब सिर्फ खतरे को रोकने के संकीर्ण नजरिये से नहीं देखा जा सकता।
- नयी दिल्ली. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमण ने मंगलवार को कहा कि कानूनी फर्म और लॉ स्कूल मिलकर देश के विधिक परिदृश्य में परिवर्तनकारी बदलाव लेकर आए हैं, जिससे शिक्षा और पेशेवर उत्कृष्टता दोनों को बढ़ावा मिला है। वह यहां दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) के नए कार्यालय भवन और विवाद समाधान केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। वेंकटरमण ने कहा, “लॉ फर्म और लॉ स्कूल मिलकर भारत के कानूनी परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, जिससे शिक्षा और पेशेवर उत्कृष्टता दोनों में वृद्धि हुई है। मैंने हमेशा देश में लॉ फर्म के विकास का समर्थन किया है, क्योंकि उनके योगदान के बिना, कानूनी शिक्षा और यह पेशा आज जितना फल-फूल रहा है, उतना फल-फूल नहीं पाता।”उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह भवन भारत के लॉ स्कूलों के सहयोग से उन्नत प्रशिक्षण और बौद्धिक विकास का आधार बनेगा, तथा ऐसी नई पीढ़ी के वकीलों को तैयार करेगा, जो इस पेशे में केवल एक विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि न्याय की आजीवन साधना के रूप में प्रवेश करेंगे।” एसआईएलएफ के अध्यक्ष ललित भसीन ने कहा कि नया एसआईएलएफ विवाद समाधान केंद्र कानूनी उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देता है। उन्होंने कहा, “मध्यस्थता, सुलह और कानूनी अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ, यह केंद्र सौहार्दपूर्ण विवाद निपटान के लिए एक निःशुल्क मंच के रूप में काम करेगा।”
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार सितंबर, 2025 तक पिछले 12 महीनों में 25.45 टन बढ़कर 880 टन हो गया है। केंद्रीय बैंक का स्वर्ण भंडार सितंबर, 2024 के अंत में 854.73 टन था और यह बढ़कर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के अंत में 880.18 टन हो गया। इसमें 25.45 टन की वृद्धि हुई। आरबीआई ने अप्रैल-सितंबर, 2025 के विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन पर अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘सितंबर, 2025 के अंत तक रिजर्व बैंक के पास 880.18 टन सोना था, जिसमें से 575.82 टन घरेलू स्तर पर था।''मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, 290.37 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया है, जबकि 13.99 टन सोना जमा के रूप में रखा गया है। मूल्य (अमेरिकी डॉलर) के संदर्भ में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मार्च, 2025 के अंत तक 11.70 प्रतिशत था और यह बढ़कर सितंबर, 2025 के अंत तक लगभग 13.92 प्रतिशत हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर, 2024 के अंत तक 705.78 अरब अमेरिकी डॉलर था और यह घटकर सितंबर, 2025 के अंत तक 700.09 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
- नयी दिल्ली. विमान हादसों की जांच करने वाले अधिकारियों और विमानन पेशेवरों को वैश्विक मानकों पर प्रशिक्षण देने के लिए देश में एक राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा। एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। नागर विमानन सचिव समीर कुमार सिन्हा ने कहा कि विमानन सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार नियामकीय और जांच संबंधी भूमिकाओं में पेशेवरों की संख्या दोगुनी कर रही है। उन्होंने कहा, “भारत क्षेत्र में अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा केंद्र स्थापित कर रहा है, जो विमान दुर्घटना के जांचकर्ताओं और विमानन पेशेवरों को प्रशिक्षित करेगा। यह हमारी दीर्घकालिक दृष्टि को दर्शाता है कि हम विश्वस्तरीय सुरक्षा ढांचा और मानव संसाधन तैयार करें।”सिन्हा ने एशिया-प्रशांत दुर्घटना जांच समूह की 13वीं बैठक के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। यह बैठक पहली बार भारत में आयोजित हो रही है। उद्घाटन कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने 12 जून को हुए एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए 260 लोगों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा। इस हादसे की जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) कर रहा है। एएआईबी के महानिदेशक जी वी जी युगांधर ने कहा कि विभिन्न देशों में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की सिफारिशों का कार्यान्वयन अब भी एक ‘अस्पष्ट क्षेत्र' बना हुआ है। उन्होंने कहा, “सभी दुर्घटनाओं का अध्ययन अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के तहत किया जाता है, लेकिन इसकी सिफारिशों का पालन प्रत्येक देश के अपने विवेक पर निर्भर होता है।” युगांधर ने बताया कि दुनियाभर में विमान हादसे की जांच करने वाली एजेंसियों के सामने प्रशिक्षित जांचकर्ताओं की कमी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत अपने विमानन अनुसंधान और सामग्री परीक्षण प्रयोगशालाओं के जरिये सदस्य देशों को तकनीकी सहायता देने के लिए भी तैयार है।
- नयी दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने एक फरवरी, 2026 को पेश होने वाले वित्त वर्ष 2026-27 के आम बजट में अपेक्षित कर बदलावों और कर अनुपालन में आसानी पर उद्योग जगत से सुझाव मांगे हैं। आम बजट से पहले व्यापार और उद्योग संघों को भेजे गए एक पारंपरिक संदेश में राजस्व विभाग की कर अनुसंधान इकाई ने उनसे 10 नवंबर तक अपने सुझाव भेजने को कहा है। ये सुझाव शुल्क संरचना, दरों में बदलाव और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के आधार को व्यापक बनाने, और अनुपालन को आसान बनाने से संबंधित हो सकते हैं। संदेश में कहा गया है, ‘‘आपके सुझावों को उत्पादन, कीमतों, राजस्व प्रभावों और किसी अन्य जानकारी के बारे में प्रासंगिक सांख्यिकीय जानकारी द्वारा पूरक और उचित ठहराया जा सकता है।'' मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसी वस्तु के लिए उलट शुल्क ढांचे (आईडीएस) में सुधार के लिए यदि कोई अनुरोध हो, तो उसे उस वस्तु के निर्माण के प्रत्येक चरण में मूल्यवर्धन द्वारा समर्थित होने चाहिए। प्रत्यक्ष करों के संबंध में, मंत्रालय ने कहा कि मध्यम अवधि में सरकार की नीति कर प्रोत्साहनों, कटौतियों और छूटों को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और साथ ही कर दरों को युक्तिसंगत बनाने की है।
- हजारीबाग. झारखंड के हजारीबाग में मंगलवार को एक तालाब में नहाने के दौरान चार नाबालिगों समेत पांच लोग डूब गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि सभी मृतक 12-20 वर्ष की आयु वर्ग के थे और उनमें से दो बहनें थीं।अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने कहा, ‘‘कटकमसांडी थाना क्षेत्र के साहपुर पंचायत क्षेत्र की तीन लड़कियां, 12 वर्षीय एक लड़का और 20 वर्षीय एक युवती आज दोपहर तालाब में नहाने गए थे, तभी डूबने से उनकी मौत हो गई।'' कुमार ने बताया कि सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेजा गया है।अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों की पहचान दो बहनें रिंकी कुमारी (16) और रिया कुमारी (14) के अलावा पूजा कुमारी (20) और साक्षी कुमारी (16) के रूप में की गई है। अधिकारियों ने बताया कि 12 वर्षीय लड़के का नाम पता नहीं चल सका है।
- नयी दिल्ली. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने मंगलवार को कहा कि देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय को भारत में निर्मित उत्पादों का उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने पार्टी के ‘हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी' अभियान में लोगों की भागीदारी का आह्वान किया। राज्यसभा सदस्य यहां भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसका उद्देश्य पार्टी कार्यकर्ताओं को स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने की शपथ दिलाना था। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “सभी को अपने दैनिक जीवन में केवल भारतीय निर्मित उत्पादों का उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए... सभी को इस राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल होना चाहिए, स्वदेशी को अपनी दैनिक आदत और गौरव का विषय बनाना चाहिए, और एक मजबूत आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के निर्माण के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा कहा है कि आत्मनिर्भर भारत केवल सरकारी योजनाओं से हासिल नहीं किया जा सकता, इसके लिए जनभागीदारी और जन आंदोलन की जरूरत है।” सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और उनके नेतृत्व में “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के सिद्धांत पर चलते हुए कई सुधार लाए गए हैं। उन्होंने कहा, “पारदर्शी, कुशल और व्यापार-अनुकूल प्रणाली बनाने के लिए 1,550 से अधिक अप्रचलित कानूनों को निरस्त कर दिया गया है और 35,000 से अधिक अनुपालन आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया गया है।” भाजपा नेता ने कहा कि इन सुधारों से शासन की गुणवत्ता में ऐतिहासिक सुधार हुआ है और निवेश, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिला है। सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान आर्थिक आकार के मामले में भारत विश्व में 11वें स्थान पर था, जो आज चौथे स्थान पर है और अनुमान है कि जल्द ही यह जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत लगातार चार वर्षों से सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।भाजपा ने सिंह को उद्धृत करते हुए कहा, “2014 से पहले भ्रष्टाचार चरम पर था, अधिकारी और मंत्री जेल में थे, और निवेशक भारत में व्यापार करने से हिचकिचाते थे। यहां तक कि भारतीय उद्यमी भी विदेशों में उद्योग लगाना पसंद करते थे।” भाजपा ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए तीन महीने लंबा राष्ट्रव्यापी अभियान ‘हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी' शुरू किया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि पार्टी भारत में निर्मित सभी वस्तुओं को स्वदेशी मानती है, जिसमें देश में विदेशी कंपनियों द्वारा उत्पादित वस्तुएं भी शामिल हैं।
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नयी दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2050 तक भारत न केवल अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक सौर ऊर्जा मांग के एकीकरण और नवाचार, विनिर्माण तथा ज्ञान के आदान-प्रदान का केंद्र बनने का लक्ष्य भी रखता है। राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के आठवें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु कार्रवाई और ग्रामीण समृद्धि के बीच तालमेल टिकाऊ वृद्धि की कुंजी है। भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में चौथे, पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर मौजूद होने का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा, “यह हमारे मजबूत नीतिगत ढांचे और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।” उन्होंने कहा कि देश की स्थापित सौर क्षमता 120 गीगावाट को पार कर चुकी है, जो वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान' (पीएम-कुसुम) किसानों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के साथ भारत की इस प्रतिबद्धता को भी मजबूत कर रहा है कि वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की 40 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से आएगी। राष्ट्रपति ने कहा, “भारत वर्ष 2050 तक केवल अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह वैश्विक सौर मांग को एकीकृत करने, नवाचार और विनिर्माण को प्रोत्साहित करने वाला केंद्र भी बनना चाहता है।” उन्होंने महिलाओं की भागीदारी को टिकाऊ वृद्धि का अहम हिस्सा बताते हुए कहा कि आईएसए की ‘सोलर फॉर शी' पहल नीतियों, वित्तीय सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बना रही है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की शुरुआत 2015 में हुई थी और इसका स्थापना सम्मेलन 2018 में नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था। मुर्मू ने कहा कि सौर ऊर्जा का विस्तार ऊर्जा के लोकतांत्रीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे नागरिक न केवल उपभोक्ता बल्कि परिवर्तन के सहभागी बनेंगे। उन्होंने आईएसए के सदस्य देशों से ‘मेगावॉट की बजाय जीवन में आई रोशनी, सशक्त परिवारों और व्यापक रूप से बदले समुदायों से प्रगति मापने' की अपील भी की।
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नयी दिल्ली. दिल्ली में करीब 53 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर कृत्रिम वर्षा का प्रयोग किया गया। इस बार यह प्रयोग राष्ट्रीय राजधानी के वायु प्रदूषण संकट को कम करने के उद्देश्य से किया गया। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि दिल्ली में कृत्रिम वर्षा का पहला परीक्षण 1957 के मानसून के दौरान किया गया था जबकि दूसरा प्रयास 1970 के दशक की शुरुआत की सर्दियों में किया गया था। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने मंगलवार को आईआईटी-कानपुर के सहयोग से राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए मंगलवार को परीक्षण किया जो इस तरह का तीसरा प्रयोग था तथा अगले कुछ दिनों में और परीक्षणों की योजना बनाई गई है। अधिकारियों ने बताया कि कृत्रिम बारिश की खातिर रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और मेरठ की हवाई पट्टी पर उतरने से पहले बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे क्षेत्रों में रसायनों का छिड़काव किया। सिरसा ने एक वीडियो बयान में कहा, ‘‘सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी। इसने आठ झोंकों में रसायनों का छिड़काव किया और परीक्षण आधे घंटे तक चला।'' राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने के उद्देश्य से किया गया यह परीक्षण, सर्दियों के महीनों के दौरान बिगड़ती वायु गुणवत्ता में सुधार की दिल्ली सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। प्रत्येक झोंके में छिड़काव किये गए रसायन का वजन दो से 2.5 किलोग्राम था और परीक्षण आधे घंटे तक चला। रसायन का छिड़काव करने का प्रत्येक झोंका दो से ढाई मिनट का था। बादलों में 15 से 20 प्रतिशत आर्द्रता थी।'' यह परीक्षण सर्दियों के महीनों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को कम करने के लिए दिल्ली सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) की एक रिपोर्ट के अनुसार 1971 और 1972 में किए गए दूसरे परीक्षण राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला परिसर में किए गए थे जिसमें मध्य दिल्ली का लगभग 25 किलोमीटर का क्षेत्र शामिल था। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय भू-आधारित उत्प्रेरकों से निकलने वाले सिल्वर आयोडाइड कणों ने सूक्ष्म नाभिक के रूप में कार्य किया था, जिनके चारों ओर नमी संघनित होकर वर्षा की बूंदों में परिवर्तित हो गई थी। दिसंबर 1971 और मार्च 1972 के बीच 22 दिनों को प्रयोग के लिए अनुकूल माना गया। आईआईटीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 11 दिनों में कृत्रिम वर्षा कराई गई, जबकि शेष 11 दिनों को तुलनात्मक अध्ययन के उद्देश्य से नियंत्रण अवधि के रूप में रखा गया था। आंकड़ों के प्रारंभिक विश्लेषण से कृत्रिम वर्षा के दिनों में बारिश में वृद्धि की प्रवृत्ति का संकेत मिला जिससे यह पता चलता है कि उपयुक्त मौसम की स्थिति में कृत्रिम वर्षा वास्तव में शुरू की जा सकती है। पिछले कुछ वर्षों में देश भर में कृत्रिम वर्षा पर शोध का विस्तार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार मद्रास (अब चेन्नई) और पुणे के निकट नए केंद्र स्थापित किए गए जहां जमीन से और विमान के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराई जा सकती थी। आईआईटीएम के अनुसार कृत्रिम वर्षा एक ऐसी तकनीक है जिसमें वर्षा बढ़ाने के लिए बादल बनाने वाले कणों को बादलों में डाला जाता है।
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नयी दिल्ली. केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से कहा है कि वे पूर्व अग्निवीरों की निजी सुरक्षा एजेंसियों और प्रशिक्षण संस्थानों में भर्ती सुनिश्चित करें, क्योंकि उनके पास सशस्त्र बलों में काम करने का अनुभव है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सशस्त्र बलों में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले अग्निवीरों के आगे के कैरियर को दिशा देने के लिए सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पत्र भेजा है। जून 2022 में केंद्र ने अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की थी, जिसके तहत तीनों सेनाओं में साढ़े 17 से 21 साल की आयु वर्ग के युवाओं को चार वर्षों के लिए भर्ती करने का प्रावधान है। इनमें से 25 प्रतिशत युवाओं को अगले 15 वर्षों तक सेवा में बनाए रखने की व्यवस्था की गई है। अग्निवीरों का पहला बैच अगले साल अपना चार साल का सेवाकाल पूरा करेगा। पत्र में कहा गया है कि इस मंत्रालय के पुलिस दो प्रभाग को एक प्रणाली तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत सरकारी विभागों, एजेंसियों, बैंकों आदि द्वारा आउटसोर्स की गई सुरक्षा प्रदाता एजेंसियों में अग्निवीरों के समायोजन को सुनिश्चित किया जा सके। गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के निजी सुरक्षा एजेंसी विनियमन अधिनियम (पीएसएआरए) के नियंत्रण प्राधिकारियों को 11 सितंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “प्रभाग ने यह भी सूचित किया है कि सुरक्षा एजेंसियों में भारी भर्ती को देखते हुए, शीर्ष 10 सुरक्षा प्रदाता एजेंसियों को अग्निवीरों को नियुक्त करने के लिए संवेदनशील बनाया जा सकता है।” पत्र में पीएसएआरए की धारा 10(3) का हवाला दिया गया है, जिसके तहत सशस्त्र बलों में सेवा दे चुके व्यक्तियों को रोजगार में वरीयता देने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक निजी सुरक्षा एजेंसी, किसी व्यक्ति को निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में नियुक्त करते समय, ऐसे व्यक्ति को वरीयता दे सकती है, जिसने सेना, नौसेना, वायु सेना या संघ के किसी अन्य सशस्त्र बल, पुलिस या राज्यों की सशस्त्र कांस्टेबुलरी और होम गार्ड में सेवा दी हो। पत्र के मुताबिक, “अग्निवीरों के पास सेवा में लगभग चार साल का अनुभव होता है। इसलिए, निजी सुरक्षा एजेंसियां निजी सुरक्षा गार्ड और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति/नियोजन के दौरान उन्हें वरीयता दे सकती हैं।” इसमें कहा गया है कि नियंत्रक प्राधिकारी शीर्ष 10 सुरक्षा प्रदाता एजेंसियों को अग्निवीरों को अपने यहां नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। पत्र में कहा गया है कि राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों से भी इसी तरह की कार्रवाई करने का अनुरोध किया जा सकता है तथा उनके द्वारा नियुक्त सुरक्षा प्रदाता एजेंसियों को अग्निवीरों को अपने यहां नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
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नई दिल्ली। अयोध्या स्थित राम मंदिर में 25 नवंबर को श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि 25 नवंबर के कार्यक्रम के दौरान सिर्फ आमंत्रित लोगों को दर्शन का मौका मिलेगा। इसमें लगभग आठ हजार लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।
सिर्फ आमंत्रित लोगों को ही भगवान के दर्शन का अवसर मिलेगा और लगभग 8,000 आमंत्रित लोगों के लिए व्यवस्था की जा रही है
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के समय मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। सिर्फ आमंत्रित लोगों को ही भगवान के दर्शन का अवसर मिलेगा और लगभग 8,000 आमंत्रित लोगों के लिए व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि अगले दिन से श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जाएगी।
नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि हमारा पूरा प्रयास होगा कि इस साल के आखिर तक राम जन्मभूमि परिसर में सभी मंदिर खोल दिए जाएं
नृपेंद्र मिश्र ने कहा, “क्या श्रद्धालु सभी क्षेत्रों में बिना सुरक्षा जांच के स्वतंत्र रूप से आ-जा सकेंगे, इस पर ट्रस्ट विचार कर रहा है। मेरा निरंतर प्रयास है कि यहां बनने वाली हर चीज श्रद्धालुओं को समर्पित हो।” उन्होंने यह भी कहा कि हमारा पूरा प्रयास होगा कि इस साल के आखिर तक राम जन्मभूमि परिसर में सभी मंदिर खोल दिए जाएं, वाटिकाएं खुल जाएं और कुबेर टीला तक भी श्रद्धालु पहुंच सकें । नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि यह जरूरी है कि कुछ जगह पर सीमित संख्या में ही जाया जा सकता है। जैसे कुबेर टीला में श्रद्धालु सीमित संख्या में ही जा सकते हैं। मंदिर के प्रथम तल पर भी सीमित संख्या होगी। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट पूरी तरह से हर जिम्मेदारी से काम में जुटा हुआ है। हमारी कोशिश है कि जल्दी से जल्दी काम पूरा करके श्रद्धालुओं के समक्ष जा सकें कि जो निर्माण कार्य हमें विश्वास के साथ दिया है, वह पूरा हो गया है। बता दें कि अयोध्या में 25 नवंबर को राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने एक दिन पहले जानकारी दी कि प्रधानमंत्री मोदी 25 नवंबर को मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे।(
- नयी दिल्ली. देश के प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने 2025 की तीसरी तिमाही में 1.48 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे किए। यह मात्रा-आधारित गतिविधि से मूल्य-आधारित निवेश की ओर एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही में पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के सौदों की संख्या एवं मूल्य में तेजी से वृद्धि हुई। उच्च मूल्य वाले लेनदेन की मात्रा में चार गुना वृद्धि हुई और अप्रैल-जून तिमाही की तुलना में मूल्य में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई। ग्रांट थॉर्नटन भारत डीलट्रैकर रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ वर्ष 2025 की तीसरी (जुलाई-सितंबर) तिमाही भारत के प्रौद्योगिकी सौदे परिदृश्य में एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक रहे। इसमें 80 सौदे दर्ज हुए जो तिमाही आधार पर 33 प्रतिशत की वृद्धि है। साथ ही मात्रा-आधारित गतिविधि से मूल्य-आधारित, विषय-केंद्रित निवेश की ओर बढ़ने का संकेत देता है। कुल घोषित सौदों का मूल्य 1.48 अरब अमेरिकी डॉलर था, जिसमें पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य वाले सौदों की संख्या चौगुनी हो गई तथा दूसरी (अप्रैल-जून) तिमाही की तुलना में मूल्य में पांच गुना से अधिक हो गई।''
- बांदा (उप्र). उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में धान के बोरों से लदे एक ट्रेलर ट्रक के चलती कार के ऊपर पलटने से दो युवकों की मौत हो गई और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। कल्यानपुर थाने के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि यह घटना चौडगरा-बिन्दकी मार्ग पर पहुर मोड़ के नजदीक रविवार देर रात तब हुई जब धान के बोरों से लदा एक ट्रेलर ट्रक अनियंत्रित होकर चलती कार के ऊपर पलट गया। अधिकारी ने बताया कि हादसे में कार सवार पंकज कुमार (30) और धीरू (26) की मौत हो गई और उनका साथी जसवंत (32) गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्होंने बताया कि हादसे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया है। अधिकारी ने बताया कि दोनों वाहनों को जब्त कर लिया गया है तथा मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
- तिरुवनंतपुरम. विश्व बैंक ने केरल के 40 करोड़ डॉलर के स्वास्थ्य कार्यक्रम का समर्थन करने का फैसला किया है। सोमवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, बैंक इसके लिए 28 करोड़ डॉलर (2400 करोड़ रुपये) का ऋण देगा जबकि शेष राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी। इसमें कहा गया कि 40 करोड़ डॉलर (3,400 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता समर्थित इस पहल का उद्देश्य केरल की जन स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना और उनकी दक्षता में सुधार लाना है। बयान के अनुसार, केरल ने 2023 में प्रारंभिक मंजूरी मिलने के बाद इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की और उसे केंद्र को सौंप दिया। राज्य और बैंक के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की वार्ता के बादविश्व बैंक की आमसभा ने इसे अंतिम मंजूरी दे दी। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह परियोजना राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, नया कार्यक्रम विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक आधुनिक सेवा वितरण मॉडल और भविष्य के लिए मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने में मदद करेगा।
- नयी दिल्ली. वैश्विक आर्थिक एवं व्यापार नीति की अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू मांग, कम मुद्रास्फीति, मौद्रिक सहजता और जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभाव के दम पर वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि की संभावना मजबूत बनी हुई है। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही गई। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा, ‘‘ आर्थिक एवं व्यापार नीति के मोर्चे पर अनिश्चितता की वैश्विक पृष्ठभूमि के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में गति पकड़ी। यह इसलिए और महत्वपूर्ण है क्योंकि अगस्त में अमेरिका ने भारत पर उच्च शुल्क लगाए थे।'' इसमें कहा गया कि विभिन्न आपूर्ति पक्ष उच्च आवृत्ति संकेतकों (एचएफआई) ने स्वस्थ रुझान प्रदर्शित किया है जबकि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों और त्योहारों से खपत में वृद्धि के साथ मांग की स्थिति में सुधार जारी है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘घरेलू मांग, अनुकूल मानसून की स्थिति, कम मुद्रास्फीति, मौद्रिक सहजता और जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभावों से वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि का दृष्टिकोण मजबूत बना हुआ है। परिणामस्वरूप, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के अपने वृद्धि दर के अनुमान को क्रमशः 6.4 प्रतिशत तथा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत कर दिया है।'' इसमें साथ ही कहा गया कि भारत का व्यापार प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है और मजबूत सेवा निर्यात ने वस्तु व्यापार घाटे की प्रभावी रूप से भरपाई कर दी है। रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत जारी रहने के बावजूद सितंबर, 2025 के वस्तु व्यापार के आंकड़ों ने निर्यात गंतव्यों के विविधीकरण के शुरुआती प्रमाण पेश किए हैं। कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह में वृद्धि से पता चलता है कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है। इसमें कहा गया कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने सहित हालिया नीतिगत उपायों से मुद्रास्फीति को मध्यम बनाए रखने एवं उपभोग मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है। साथ ही कहा गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में समग्र कीमतें नरम रहने की संभावना है।
- नयी दिल्ली. देश में कारोबारी धारणा लगातार तीन तिमाहियों तक बेहतर होने के बाद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कुछ कमजोर पड़ी है। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने सोमवार को जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा कि लगातार तीन तिमाहियों तक सुधार दर्ज करने के बाद यह गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त सीमा शुल्क का नतीजा है।एनसीएईआर ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में कारोबारी विश्वास सूचकांक (बीसीआई) घटकर 142.6 पर आ गया, जो अप्रैल-जून तिमाही में 149.4 था। हालांकि, यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 134.3 अंक की तुलना में बेहतर है। यह सूचकांक चार कारकों- अगले छह महीनों में आर्थिक स्थिति का अनुमान, कंपनियों की वित्तीय स्थिति, निवेश माहौल और उत्पादन क्षमता के उपयोग स्तर पर आधारित है। इनमें से तीन कारकों में धारणा कमजोर रही, जबकि उत्पादन क्षमता उपयोग में सुधार दर्ज हुआ। यह सर्वेक्षण रिपोर्ट सितंबर में देश के छह प्रमुख शहरों की 484 कंपनियों से मिले जवाबों पर आधारित है।एनसीएईआर की प्रोफेसर बर्नाली भंडारी के अनुसार, ‘‘वृहद-आर्थिक स्तर पर कारोबारी धारणाएं अधिक प्रभावित हुईं जबकि सूक्ष्म स्तर पर प्रभाव मिला-जुला रहा।'' सर्वे में यह भी पाया गया कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए सूचकांक थोड़ा बढ़ा है। यह पहली तिमाही के 137 से बढ़कर दूसरी तिमाही में 138 हो गया। हालांकि, बड़ी कंपनियों के मामले में यह सूचकांक सितंबर तिमाही में घटकर 149.9 पर आ गया जबकि जून तिमाही में यह 171.6 था।
- मुंबई. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि पांच अरब अमेरिकी डॉलर की ‘ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना' से देश का समुद्री व्यापार कई गुना बढ़ जाएगा। ‘भारत समुद्री सप्ताह' (आईएमडब्ल्यू) के चौथे संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर यहां शाह ने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक स्थिरता एवं नौसैनिक क्षमताएं हैं और उसने हिंद-प्रशांत तथा ‘ग्लोबल साउथ' के बीच की खाई को पाट दिया है। शाह ने कार्यक्रम में अपने भाषण में कहा, ‘‘ पांच अरब अमेरिकी डॉलर की ग्रेट निकोबार परियोजना समुद्री विश्व व्यापार को कई गुना बढ़ा देगी।'' भारत ने 2021 में इस महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचागत परियोजना का निर्माण शुरू किया जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में स्थित इस द्वीप का कायाकल्प करना है।शाह ने भारत के प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग में विश्वास करने की बात पर जोर दते हुए कहा कि समुद्री क्षेत्र में 10 लाख करोड़ रुपये के अवसर उपलब्ध हैं। सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि देश का लक्ष्य जहाज निर्माण के क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में शामिल होना और बंदरगाहों का विकास करके माल ढुलाई क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 10,000 एमएमटीपीए तक पहुंचाना है। शाह ने कहा कि मुंबई के निकट 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश से बन रहा वधावन बंदरगाह पहले ही दिन, दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में शामिल हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा समुद्री क्षेत्र में किए गए संरचनात्मक सुधारों ने भारत को वैश्विक समुद्री क्षेत्र में एक उभरती हुई शक्ति बना दिया है। उन्होंने कहा कि हम एक नया समुद्री इतिहास रचने के कगार पर हैं और गेटवे ऑफ इंडिया जल्द ही समुद्री सप्ताह जैसी पहल के माध्यम से ‘‘ गेटवे ऑफ वर्ल्ड में तब्दील हो जाएगा।''इसी कार्यक्रम में केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि केवल एक शांतिपूर्ण तथा कानून का पालन करने वाला समाज ही निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। उन्होंने गृह मंत्रालय में शाह के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा, स्थिरता और कानून व्यवस्था में हुई महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के सचिव विजय कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए 11 देशों से 1.5 लाख पंजीकरण प्राप्त हुए हैं। इसमें 350 से अधिक विदेशी वक्ता शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में विभिन्न उप-क्षेत्रों में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 680 निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इससे रोजगार के नए सात लाख अवसर उत्पन्न होंगे।

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