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- पुणे. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य ''गठबंधन की राजनीति'' की तरह है, जहां निष्ठाएं लगातार बदलती रहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे परिदृश्य में लचीला रुख अपनाते हुए अपने हितों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जयशंकर पुणे साहित्य महोत्सव में राष्ट्रीय पुस्तक ट्रस्ट के निदेशक युवराज मलिक के साथ 'कूटनीति से विमर्श' विषय पर बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में एक दौर गठबंधन की राजनीति का था। आज की दुनिया भी गठबंधन की राजनीति जैसी ही है।किसी के पास बहुमत नहीं है। किसी गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं है। इसलिए लगातार समीकरण बदलते रहते हैं, सौदे होते रहते हैं, कोई ऊपर जाता है तो कोई नीचे। यह पूरी तरह से बहुध्रुवीय दुनिया है, जहां कई साझेदार हैं।" जयशंकर ने कहा कि इस अस्थिर स्थिति से निपटने के लिए उनका मंत्र भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेना था। उन्होंने कहा, "हमें बहुत लचीला रुख अपनाना होगा। कभी-कभार आप किसी एक मुद्दे पर किसी के साथ होते हैं और किसी दूसरे मुद्दे पर किसी दूसरे के साथ। इन सबके बावजूद मेरा एक ही सिद्धांत है - जो मेरे देश के हित में हो। जो भी मेरे देश के हित में हो, वही मेरा फैसला होगा।" इस साहित्य महोत्सव का आयोजन पुणे पुस्तक महोत्सव के साथ किया जा रहा है।अपनी एक पुस्तक के उस अंश के बारे में पूछे जाने पर, जिसमें उन्होंने प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के संबंधों पर चर्चा की है, जयशंकर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश की विदेश नीति का प्रबंधन कहीं अधिक जटिल हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘किताब लिखते समय मैं इस बात पर विचार कर रहा था कि भारत की समग्र विदेश नीति का एक वाक्य में वर्णन करने के लिए किन शब्दों का चुनाव करूं।'' उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में अमेरिका से संबंध बनाना, चीन का प्रबंधन करना और रूस को आश्वस्त करना, ये सभी चीजें अधिक जटिल हो गई हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन युद्ध और भारत पर मॉस्को से दूरी बनाए रखने के दबाव के कारण ‘रूस को आश्वस्त करना' विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जापान को शामिल करना भी अधिक जटिल हो गया है। वे अपनी गति से चलते हैं और हम उन्हें तेज गति से चलने के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं।'' उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभरा है और उसके साथ अधिक जुड़ाव की आवश्यकता है।भारत के पड़ोस के बारे में उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध उन देशों की विषमता और अस्थिर घरेलू राजनीति से प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसी देश हमसे छोटे हैं और भारत से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। उनकी आंतरिक राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी वे हमारी प्रशंसा करते हैं, कभी हमारी आलोचना करते हैं। ऐसे में चुनौती यह है कि इन संबंधों को यथासंभव स्थिर कैसे रखा जाए।'' उदाहरण देते हुए जयशंकर ने कहा कि हाल ही में श्रीलंका में आए चक्रवात पर भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और सबसे पहले मदद के लिए पहुंचा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसियों से पूछिए कि कोविड के दौरान उन्हें टीके कहां से मिले - भारत से। यूक्रेन युद्ध के दौरान जब पेट्रोल और उर्वरकों की आपूर्ति बाधित हुई, तो भारत ने मदद की।'' विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को परिवार के मुखिया की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एक-दो सदस्य भले ही नाराज हो जाएं, लेकिन पड़ोस की देखभाल करना हमारी ज़िम्मेदारी है।'' प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान जब उनसे पूछा गया कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न स्थितियों में भारत कैसे प्रतिक्रिया देता है, तो जयशंकर ने मजाकिया अंदाज में कहा कि वे इस प्रश्न को इस तरह से पूछेंगे कि, ‘‘आप कब चुप रहते हैं और कब बोलते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में परिस्थिति पर निर्भर करता है।आज के बहुध्रुवीय विश्व में यदि आप चुप रहेंगे, तो दुनिया आपको दबा देगी। उन्हें लगता है कि आपको दबाया जाए तो आप रक्षात्मक हो जाएंगे और हाशिए पर चले जाएंगे, इसलिए अपनी आवाज उठाना जरूरी है।'' शिक्षा पूरी करने के बाद युवा भारतीय पेशेवरों के काम के लिए विदेश जाने के कारण कथित ‘प्रतिभा पलायन' के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ऐसे लोगों को भी देखा है ‘‘जो दो साल, तीन साल या पांच साल के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन वापस आकर यहां व्यवसाय स्थापित कर लेते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘विश्व की सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनी में अधिकांश कर्मचारी भारत से हैं।'' उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रतिभा की मांग है। उन्होंने कहा, ‘‘रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान समझौते के समय, वे भारतीयों को रूस में आकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रति इच्छुक थे।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘भले ही यूरोप में प्रवासन को लेकर बहस चल रही हो, लेकिन भारतीयों को अच्छी नजर से देखा जाता है। भारतीयों को पारिवारिक और मेहनती माना जाता है। वे तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवर के रूप में जाने जाते हैं। आज भारत का एक वैश्विक ब्रांड है। युवाओं को दुनिया को एक वैश्विक कार्यस्थल के रूप में देखना चाहिए।''--
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नादिया जिले के राणाघाट उपमंडल के ताहेरपुर में एक वर्चुअल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह गंगा नदी बिहार से होकर पश्चिम बंगाल में बहती है, उसी प्रकार इस साल बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत अगले वर्ष पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भी दोहराई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खराब मौसम के कारण खुद रैली में उपस्थित नहीं हो सके। कम दृश्यता के कारण उनका हेलीकॉप्टर ताहेरपुर के पास स्थित हेलीपैड पर उतर नहीं सका और कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लौट आया, जहां से उन्होंने ताहेरपुर की रैली को वर्चुअल रूप से संबोधित किया।रैली को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कुछ और मुद्दे भी हैं जिन्हें मैं राणाघाट में उठाना चाहता था, लेकिन खराब मौसम के कारण मैं स्वयं रैली में शामिल नहीं हो सका। उन्होंने एक्स पर लिखा कि मैं हर मतुआ और नामशूद्र परिवार को आश्वस्त करता हूं कि हम हमेशा उनकी सेवा करेंगे। वे टीएमसी की दया पर निर्भर नहीं हैं। उन्हें भारत में गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है; यह हमारी सरकार द्वारा लाए गए सीएए के कारण संभव हुआ है। पश्चिम बंगाल में भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के बाद हम मतुआ और नामाशूद्र समुदायों के लिए और भी अधिक काम करेंगे।पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की जनता को आश्वासन दिया है कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद घुसपैठियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता ने हाल के वर्षों में बहुत कुछ सहा है। पश्चिम बंगाल की नारी शक्ति की स्थिति अत्यंत दयनीय है। पश्चिम बंगाल जैसा फुटबॉल प्रेमी राज्य टीएमसी की वजह से शर्मसार हुआ है। हाल की घटना ने कई फुटबॉल प्रेमी युवाओं के दिलों को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अगर टीएमसी मोदी का विरोध करना चाहती है, तो वह सौ बार कर सकती है। अगर टीएमसी भाजपा का विरोध करना चाहती है, तो वह बार-बार कर सकती है। लेकिन टीएमसी पश्चिम बंगाल के विकास को क्यों रोक रही है? उनकी राजनीति स्वार्थ से भरी है।प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा गति और व्यापकता में विश्वास रखती है। भाजपा सुशासन में विश्वास रखती है। लेकिन टीएमसी को सिर्फ कटौती और कमीशन की चिंता है। टीएमसी के असहयोगी रवैये के कारण आवास, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में हजारों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने बार-बार दिखाया है कि वे जंगल राज की वापसी में रुचि नहीं रखते। अब समय आ गया है कि हम पश्चिम बंगाल में टीएमसी के कारण व्याप्त महा जंगल राज से खुद को मुक्त करें। पश्चिम बंगाल के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए 13,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए गए हैं। 750 से अधिक पीएम-भाजपा केंद्र हैं जो सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराते हैं।पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों को सशक्त बनाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। 52 लाख घरों को मंजूरी दी जा चुकी है, जो इस बात का प्रमाण है कि हम हर व्यक्ति के लिए एक छत सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य के एक करोड़ से अधिक परिवार जल जीवन मिशन से लाभान्वित हुए हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा सरकार बनने पर काम और भी तेजी से होगा ताकि लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई जा सके।उन्होंने कहा कि हम सभी जो भारतीय संस्कृति की महानता में विश्वास रखते हैं, उनके लिए नादिया का विशेष महत्व है। यह भूमि श्री चैतन्य महाप्रभु से जुड़ी है। इस भूमि का इतिहास सेवाभाव से समृद्ध है, एक ऐसा भाव जो मेरे मतुआ बहनों और भाइयों में झलकता है। इसलिए, नादिया और पश्चिम बंगाल के विकास के लिए काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
- पुणे. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि आज दुनिया भारत को पहले की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक रूप में देखती है और देश की छवि में आया यह बदलाव एक निर्विवाद सच्चाई है। जयशंकर ने पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड विश्वविद्यालय) के 22वें दीक्षांत समारोह में कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा, ‘‘शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभर चुके हैं और अब कोई भी देश, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, सभी मुद्दों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘आज दुनिया हमें किस तरह से देखती है? इसका संक्षिप्त उत्तर यह है- पहले की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक और कहीं अधिक गंभीरता से। इसका कारण हमारा राष्ट्रीय ब्रांड और हमारी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दोनों हैं, जिनमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है।''विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया भारतीयों को मजबूत कार्य-नैतिकता वाले, प्रौद्योगिकी में दक्ष और परिवार-केंद्रित संस्कृति को अपनाने वाले लोगों के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, ‘‘विदेश में संवाद के दौरान मैं हमारे प्रवासी भारतीयों के बारे में अक्सर प्रशंसा के शब्द सुनता हूं। भारत में कारोबार करना आसान हो रहा है और जीवन-यापन में सहूलियत बढ़ रही है। इसी के साथ एक व्यक्ति, राष्ट्र और समाज के रूप में भारत के बारे में पुरानी रूढ़िवादी धारणाएं धीरे-धीरे पीछे छूट रही हैं।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रगति और आधुनिकीकरण की अपनी यात्रा में बेशक हमें अभी बहुत कुछ करना है, लेकिन हमारी छवि में यह बदलाव ऐसी वास्तविकता है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आंकड़े इस परिवर्तन की पुष्टि करते हैं।''मंत्री ने कहा कि शायद अन्य किसी चीज से अधिक, आज भारत को उसकी प्रतिभा और कौशल से परिभाषित किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन सभी ने हमारे राष्ट्रीय ब्रांड को आकार देने में मदद की है। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम भारतीय दुनिया से किस तरह संपर्क करते हैं? मैं फिर से स्पष्ट रूप से कहूंगा- पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास और क्षमता के साथ।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक अंतर पर ध्यान देना जरूरी है। अधिकतर देशों ने व्यापार, निवेश या सेवाओं जैसे आर्थिक संपर्कों के माध्यम से दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से यही हमारा मार्ग भी रहा है और इन सभी पैमानों पर निरंतर विकास हुआ है, लेकिन जो बात हमें अलग बनाती है, वह मानव संसाधनों की प्रासंगिकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रौद्योगिकी के साथ कदम मिलाकर चलना है और औद्योगिक कार्य-संस्कृति को आत्मसात एवं विकसित करना है, तो हमें पर्याप्त और आधुनिक विनिर्माण क्षमता विकसित करनी ही होगी। केवल तभी हम सेवा क्षेत्र में भी अपनी क्षमताओं को निखार सकते हैं।''विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे आय बढ़ती है और मांग में इजाफा होता है, सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं की एक व्यापक शृंखला को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करना होगा। इसके लिए हमें केवल अधिक इंजीनियर, चिकित्सकों और प्रबंधकों या वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों तथा वकीलों की ही नहीं, बल्कि शिक्षकों, शोधकर्ताओं, इतिहासकारों, कलाकारों और खिलाड़ियों की भी समान रूप से आवश्यकता होगी।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘ध्यान रखें कि पिछले एक दशक में हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या पहले की तुलना में मोटे तौर पर दोगुनी हो गई है तथा आगे और वृद्धि तथा सुधार की गुंजाइश है।'' मंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण ने हमारे सोचने और काम करने के तरीके को मूल रूप से बदल दिया है।उन्होंने कहा, ‘‘औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के बाद कई देश इसलिए आगे बढ़े और समृद्ध हुए, क्योंकि उनके भविष्य का नियंत्रण अब उनके पास है। विकल्पों की गुणवत्ता और बेहतर नीतियों ने इसमें निर्णायक भूमिका निभाई।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत के मामले में हमने देखा है कि नेतृत्व और शासन व्यवस्था हमारे आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न चरणों में किस प्रकार उतार-चढ़ाव लेकर आई है। इस दौर में सबसे अधिक लाभ चीन को हुआ है, लेकिन हमने भी अच्छा प्रदर्शन किया है..।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसके विपरीत पश्चिमी दुनिया का एक बड़ा हिस्सा अब यह महसूस करता है कि वह ठहराव का शिकार हो गया है और यह भावना धीरे-धीरे राजनीतिक अर्थ ग्रहण करती जा रही है।''
- इंदौर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की टिकाऊ नीतियों और बड़े संस्थागत सुधारों की तारीफ करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को भरोसा जताया कि भारत वर्ष 2027 के अंत तक जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। सिंधिया, ‘यंग आंतरप्रेन्योर्स फोरम भारत' की इंदौर में आयोजित ‘वाईईएफ भारत समिट 2025' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा,‘‘भारत कभी सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाता था। 2,000 साल पहले विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारत की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत इसी दृष्टिकोण से आगे बढ़ेगा और विश्व पटल पर नक्षत्र के रूप में उभरेगा।'' सिंधिया ने कहा,‘‘भारत 12 साल पहले विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर चुका है। 2027 के अंत तक हम जर्मनी को भी पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।"केंद्रीय मंत्री ने ब्रिटेन का नाम लिए बगैर कहा कि जिस देश ने भारत पर 200 साल तक राज किया, उस देश को भारत आर्थिक विकास की दौड़ में पहले ही पीछे छोड़ चुका है। सिंधिया ने जोर देकर कहा कि भारत की अडिगता देश को परिभाषित करती है। उन्होंने कहा,‘‘इस अडिगता ने भारत को 2.3 हजार अरब डॉलर की जीडीपी वाले देश से 4.5 हजार अरब डॉलर की जीडीपी वाले देश में बदल दिया है।'' उन्होंने कहा कि मोदी की अगुवाई वाली सरकार की टिकाऊ नीतियों और बड़े संस्थागत सुधारों की बदौलत देश विनिर्माण का बड़ा वैश्विक केंद्र की दिशा में अग्रसर है। सिंधिया ने कहा,‘‘हर कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री हम मंत्रियों को निर्देश देते हैं कि औपनिवेशिक कानूनों को कचरे के डिब्बे में डाल दिया जाए। वह हमें कहते हैं कि कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों से चर्चा की जाए और उनकी कठिनाइयों का निवारण किया जाए।'' मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, देश का सबसे तेज गति से बढ़ने वाला राज्य बनकर उभरा है। यादव ने सम्मेलन में बड़ी तादाद में मौजूद नव उद्यमियों से आह्वान किया कि वे नवाचार, स्पष्ट सोच और सामाजिक दायित्व के साथ आगे बढ़ें तथा सूबे में अधिकाधिक निवेश करें। मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘प्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल वातावरण, संसाधन और सुविधाएं हैं। राज्य सरकार निवेशकों को हरसंभव सहयोग देगी।" उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहली बार उद्योग विभाग को सीधे मुख्यमंत्री स्तर पर प्राथमिकता दी है ताकि निर्णय तेजी से हों और निवेशकों का विश्वास मजबूत हो। यादव ने कहा कि उद्योगों से जीवन संवारने की स्पष्ट नीति के साथ राज्य में नया संकल्प लिया गया है।उन्होंने कहा,‘‘यह नीति न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी।'' यादव ने यह भी बताया कि भोपाल में फरवरी के दौरान आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 32 लाख करोड़ रुपये के करार हुए थे जिनमें से छह लाख करोड़ रुपये के निवेश की परियोजनाओं की नींव रखी जा चुकी है।
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नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के वार्षिक पुरस्कार समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने भारत के परिधान निर्यात क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।
सभा को संबोधित करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि परिधान एवं वस्त्र क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है, जो 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। इसके अलावा यह क्षेत्र एक करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका को अप्रत्यक्ष रूप से सहारा देता है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 2% का योगदान देता है तथा विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में लगभग 11% की हिस्सेदारी रखता है।उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पीएम मित्र पार्क और समर्थ कौशल विकास कार्यक्रम जैसी प्रगतिशील नीतियों और योजनाओं के माध्यम से वस्त्र एवं परिधान उद्योग को मजबूत और बहुआयामी समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र को वैश्विक शक्ति के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से एक व्यापक ‘विजन 2030’ प्रस्तुत किया है।राधाकृष्णन इस बात पर जोर दिया कि सरकारी पहलें तभी अपने वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करती हैं, जब उद्योग जगत के भागीदार नवाचार और दृढ़ संकल्प के साथ प्रतिक्रिया देते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए सक्रिय रूप से संवाद और पहलों में जुटी हुई है, जिनमें चल रही मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ताएं भी शामिल हैं।सी.पी. राधाकृष्णन कहा कि वस्त्र उद्योग श्रम प्रधान है और कृषि के बाद देश में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। उन्होंने उद्योग में कार्यरत श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उपराष्ट्रपति कहा कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र के निर्यात में दोगुनी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे रोजगार के महत्वपूर्ण अतिरिक्त अवसर सृजित होंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि परिधान क्षेत्र विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में अग्रणी भूमिका निभाएगा।उपराष्ट्रपति सरकार और उद्योग के बीच एक सेतु के रूप में एईपीसी की भूमिका की सराहना की और ‘थ्रेड्स ऑफ टाइम: स्टोरी ऑफ इंडियाज़ टेक्सटाइल्स’ नामक इसकी कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, एईपीसी के अध्यक्ष सुधीर सेखरी, एईपीसी के उपाध्यक्ष डॉ. ए. शक्तिवेल तथा वस्त्र एवं परिधान उद्योग से जुड़े अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र सीमा बल के स्थापना दिवस पर उससे जुड़े सभी कर्मियों को हार्दिक बधाई दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एसएसबी का अटूट समर्पण सेवा की सर्वोच्च परंपराओं को दर्शाता है और कर्तव्य की उनकी भावना राष्ट्र की सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ बनी हुई है। उन्होंने कहा कि चुनौतीपूर्ण भूभागों से लेकर ऑपरेशन की कठिन परिस्थितियों तक, एसएसबी हमेशा सतर्क रहती है।प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा;“मैं सशस्त्र सीमा बल के स्थापना दिवस पर, इस बल से जुड़े सभी कर्मियों को हार्दिक बधाई देता हूं। एसएसबी का अटूट समर्पण सेवा की सर्वोच्च परंपराओं को दर्शाता है। कर्तव्य की उनकी भावना हमारे राष्ट्र की सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ बनी हुई है। चुनौतीपूर्ण भूभागों से लेकर ऑपरेशन की कठिन परिचालन परिस्थितियों तक, एसएसबी हमेशा सतर्क रहती है। उनके आगे के प्रयासों में उन्हें शुभकामनाएं। - -हमारी सीमाओं की रक्षा करने से लेकर संकट के समय नागरिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने तक सशस्त्र सीमा बल ने हमेशा देश को गौरवान्वित किया है-अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सलामनई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सशस्त्र सीमा बल (SSB) के सभी जवानों और उनके परिवारों को स्थापना दिवस की बधाई दी। X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा सशस्त्र सीमा बल (SSB) के सभी जवानों और उनके परिवारों को स्थापना दिवस की बधाई। उन्होंने कहा कि हमारी सीमाओं की रक्षा करने से लेकर संकट के समय नागरिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने तक सशस्त्र सीमा बल ने हमेशा देश को गौरवान्वित किया है। अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सलाम।
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन का समापन दिवस है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े दुनियाभर के विशेषज्ञों ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे प्रसन्नता है कि भारत इस आयोजन के लिए एक मजबूत मंच के रूप में उभरा है और इसमें डब्ल्यूएचओ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस सफल आयोजन के लिए वे डब्ल्यूएचओ, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि डब्ल्यूएचओ का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन गुजरात के जामनगर में स्थापित हुआ है। वर्ष 2022 में पारंपरिक चिकित्सा की पहली वैश्विक शिखर बैठक का आयोजन विश्व ने बड़े भरोसे के साथ भारत को सौंपा था। यह हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर की प्रतिष्ठा और प्रभाव विश्व स्तर पर लगातार बढ़ रहा है। इस शिखर सम्मेलन की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।प्रधानमंत्री ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का संगम देखने को मिला है। विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तृत संवाद हुआ, जिससे संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा मिला है, नियमों को सरल बनाया गया है और प्रशिक्षण तथा ज्ञान साझा करने के नए मार्ग खुले हैं। ये सहयोग आगे चलकर पारंपरिक चिकित्सा को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।उन्होंने कहा कि सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी है, जो हमारी मजबूत साझेदारी को दर्शाती है। इनमें अनुसंधान को सशक्त करना, पारंपरिक चिकित्सा में डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ाना और ऐसे नियामक ढांचे तैयार करना शामिल है, जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ये सभी पहल पारंपरिक चिकित्सा को और मजबूत बनाएंगी।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का मार्ग दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से अधिक देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। बीते वर्षों में योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा गया है। योग पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का अभिन्न अंग है और इसने विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है।उन्होंने कहा कि आज दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस का उद्घाटन भी किया गया है, जो भारत की ओर से एक विनम्र उपहार है। यह एक वैश्विक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां से अनुसंधान, नियमन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। आयुर्वेद में संतुलन को ही स्वास्थ्य का पर्याय माना गया है। जिस शरीर में संतुलन बना रहता है, वही स्वस्थ होता है। आज संतुलन की पुनर्स्थापना केवल एक वैश्विक लक्ष्य ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक आवश्यकता बन चुकी है।प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवनशैली में हो रहे तीव्र बदलाव, शारीरिक श्रम में कमी और सुविधाओं की बढ़ती उपलब्धता मानव शरीर के लिए नई और अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा कर रही हैं। इसलिए पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं पर भी ध्यान देना होगा।उन्होंने कहा कि भविष्य को लेकर हमारी साझा जिम्मेदारी है। जब पारंपरिक चिकित्सा की बात आती है, तो सुरक्षा और प्रमाण से जुड़े सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आते हैं। भारत इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। इस सम्मेलन में अश्वगंधा का उदाहरण सामने रखा गया है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता आ रहा है। कोविड-19 के दौरान इसकी वैश्विक मांग तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग हुआ। भारत अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित सत्यापन के माध्यम से अश्वगंधा को वैश्विक स्तर पर प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है।
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नई दिल्ली। नीदरलैंड के विदेश मंत्री डेविड वैन वील दिल्ली यात्रा पर हैं। उन्होंने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से डेविड वैन वील गुरुवार को आधिकारिक दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक के दौरान इस संबंध में जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, बैठक की शुरुआत में एस. जयशंकर ने कहा, “इस यात्रा के दौरान आपको न केवल मेरे कुछ सहयोगियों से मिलने का अवसर मिला, बल्कि भारत के कुछ हिस्सों और साझा हितों वाले क्षेत्रों को देखने का भी मौका मिला। मैं जोहान्सबर्ग में हमारे प्रधानमंत्री और आपके प्रधानमंत्री के बीच हुई बैठक का उल्लेख करना चाहूंगा, जहां दोनों नेताओं ने इस संबंध को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी।”विदेश मंत्री ने आगे कहा, “हम नीदरलैंड के साथ अपने संबंधों को अत्यंत महत्व देते हैं द्विपक्षीय रूप से भी और यूरोपीय संघ में एक अहम भूमिका निभाने वाले देश के रूप में भी। पिछले कुछ महीनों में कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं, जिनसे हमारे सहयोग को और गति मिली है। हम यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत के एक अहम चरण की ओर बढ़ रहे हैं और इस प्रक्रिया में नीदरलैंड के समर्थन को भी बहुत महत्व देते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह एक निर्णायक चरण साबित होगा।”उन्होंने कहा कि जल क्षेत्र में भारत और नीदरलैंड के बीच रणनीतिक साझेदारी है। कृषि, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा शिपिंग के क्षेत्रों में दोनों देश मजबूत सहयोगी हैं। सेमीकंडक्टर जैसे नए और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं उभरने से दोनों देशों के संबंधों की महत्वाकांक्षा और बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर, डिजिटल, साइबरस्पेस और जैव विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत, नीदरलैंड के साथ और निकटता से काम करना चाहता है। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर नीदरलैंड के दृष्टिकोण को जानने की भी इच्छा जताई।विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “आज नई दिल्ली में नीदरलैंड के विदेश मंत्री डेविड वैन वील से मिलकर खुशी हुई। व्यापार, रक्षा, शिपिंग, जल, कृषि, स्वास्थ्य और संस्कृति सहित हमारे द्विपक्षीय सहयोग पर अच्छी चर्चा हुई। साथ ही सेमीकंडक्टर, टैलेंट मोबिलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा में नए अवसरों पर भी बातचीत हुई।”उन्होंने आगे लिखा कि द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया गया। भारत, भारत-ईयू के मजबूत संबंधों और एफटीए को पूरा करने की दिशा में नीदरलैंड के समर्थन को महत्व देता है। - नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन 20 और 21 दिसंबर को देश के दो प्रमुख राज्यों- तेलंगाना और मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।यह सम्मेलन देशभर के विभिन्न राज्यों के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों को एक मंच पर लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयासदौरे की शुरुआत उपराष्ट्रपति 20 दिसंबर को तेलंगाना से करेंगे। इस दिन वे हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्म सिटी में आयोजित लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह (वैलेडिक्टरी फंक्शन) में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। यह सम्मेलन देशभर के विभिन्न राज्यों के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों को एक मंच पर लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जहां प्रशासनिक सुधारों, चयन प्रक्रियाओं और सुशासन से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श किया जाता है। उपराष्ट्रपति का संबोधन इस सम्मेलन को नई दिशा और प्रेरणा देने वाला माना जा रहा है।इसके बाद 21 दिसंबर को उपराष्ट्रपति तेलंगाना में ही एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होंगे। वे नंदीगामा स्थित कान्हा शांति वनम, जो हार्टफुलनेस का वैश्विक मुख्यालय है, में आयोजित विश्व ध्यान दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम ध्यान, आत्मिक शांति और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को वैश्विक स्तर पर रेखांकित करता है।21 दिसंबर को ही उपराष्ट्रपति का एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम मध्य प्रदेश के इंदौर में भी निर्धारित है। वे अटल फाउंडेशन द्वारा आयोजित पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों, योगदान और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को स्मरण करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उपराष्ट्रपति का यह दौरा प्रशासन, आध्यात्मिक चेतना और राष्ट्रीय नेतृत्व तीनों क्षेत्रों को जोड़ने वाला माना जा रहा है।
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इंदौर (मध्यप्रदेश). इंदौर में भीतर से बंद घर में बृहस्पतिवार को दम्पति के करीब 15 दिन पुराने शव मिलने के बाद पुलिस ने उनकी आत्महत्या का संदेह जताया और जांच शुरू कर दी। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अमरेंद्र सिंह ने बताया कि लसूड़िया थाना क्षेत्र में भीतर से बंद घर में कन्हैयालाल बरनवाल (46) और उनकी पत्नी स्मृति बरनवाल (42) के सड़े-गले शव मिले। उन्होंने बताया,‘‘घर अंदर से बंद था। पड़ोसियों ने घर से बदबू आने की शिकायत की थी। घर का दरवाजा तोड़ा गया, तो कन्हैयालाल का शव बेडरूम में मिला जबकि उनकी पत्नी की लाश बाथरूम में पाई गई। मौके पर संघर्ष के निशान नहीं मिले।'' सिंह ने बताया कि दोनों शव करीब 15 दिन पुराने लग रहे हैं और पहली नजर में संदेह है कि दम्पति ने जहर खाकर आत्महत्या की है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि मूलतः उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले दम्पति स्थानीय पड़ोसियों से मेल-जोल नहीं रखते थे। सिंह ने बताया कि कन्हैयालाल को कुछ साल पहले लकवे का दौरा पड़ा था और तब से वह घर में ही रहते थे।
उन्होंने बताया कि दम्पति के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और उनकी मौत की हर पहलू पर जांच जारी है। -
सुलतानपुर. उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में बृहस्पतिवार सुबह कोहरे के कारण तेज रफ्तार एक ट्रक अनियंत्रित होकर चाय की एक दुकान में जा घुसा, जिससे वाहन चालक समेत दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना बृहस्पतिवार सुबह उस समय हुई, जब दियरा से लम्भुआ रोड पर घने कोहरे के कारण ट्रक चालक ने वाहन पर से नियंत्रण खो दिया और सीधे चाय की एक दुकान में जा घुसा। पुलिस के मुताबिक, घटना के समय दुकान पर रोहित (28) और उसकी पत्नी राजकुमारी (50) मौजूद थे।
पुलिस ने बताया कि ट्रक की चपेट में आने से रोहित की मौके पर ही मौत हो गई और राजकुमारी गंभीर रूप से घायल हो गईं। पुलिस के मुताबिक, दुकान पर मौजूद 55 वर्षीय श्रीराम और 45 वर्षीय नंदू भी हादसे में घायल हो गये।लम्भुआ थानाध्यक्ष संदीप राय ने बताया कि जेसीबी की मदद से ट्रक को पीछे हटवाया गया और स्टीयरिंग के पास फंसे चालक के शव को बाहर निकालने के लिए गैस कटर मंगवाया गया। उन्होंने बताया कि चालक की पहचान अयोध्या के हैदरगंज निवासी अंकित पाल (32) के रूप में हुई है। - 0- श्री शाह ने इसे प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व और एक वैश्विक नेता के रूप में उनकी स्वीकार्यता का एक बड़ा प्रमाण बतायानई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को ओमान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 'द फर्स्ट क्लास ऑफ द ऑर्डर ऑफ ओमान' से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी है। गुरुवार को X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को ओमान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 'द फर्स्ट क्लास ऑफ द ऑर्डर ऑफ ओमान', से सम्मानित किया जाना उनके कुशल नेतृत्व और एक वैश्विक नेता के रूप में उनकी स्वीकार्यता का एक बड़ा प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी को लगातार मिल रहे ये सम्मान 140 करोड़ भारतीयों की ताकत और उनके नेतृत्व में एक बदले हुए राष्ट्र के रूप में भारत के उभरने का प्रमाण हैं।
- बेंगलुरु। इंडिया पोस्ट ने कर्नाटक का पहला जेन जी-थीम वाला नया पोस्ट ऑफिस - अचित नगर पोस्ट ऑफिस, जो बेंगलुरु के आचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में स्थित है - शुरू किया है। युवाओं की जरूरतों के अनुकूल और तकनीक पर आधारित स्थल के तौर पर डिज़ाइन किए गए इस पहल का उद्देश्य डिजिटल सुविधा, रचनात्मक डिजाइन और समुदाय के साथ जुड़ाव को मिलाना है, जोकि युवा पीढ़ी की पसंद के अनुरूप है।जेन जी पोस्ट ऑफिस ने एक पारंपरिक पोस्ट ऑफिस को एक जीवंत स्थल में बदल दिया है। इसमें वर्क कैफे, किताबों एवं बोर्ड गेम्स से लैस एक “बुक-बूथ” और इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां जैसी बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं और यह बेंगलुरु, इंडिया पोस्ट और आचार्य इंस्टीट्यूट के सार को दर्शाती है। इसकी आंतरिक सज्जा एक वर्क कैफे जैसी है, जिसमें फ्री वाई-फाई की सुविधा, आरामदायक बैठने की जगह, लैपटॉप एवं मोबाइल के लिए चार्जिंग पॉइंट और एक कॉफी वेंडिंग मशीन उपलब्ध है। यह विद्यार्थियों के लिए एक ऐसी जगह है, जो उत्पादकता और सामाजिक संपर्क दोनों को बढ़ावा देती है।इसमें सेल्फ-बुकिंग कियोस्क और क्यूआर कोड-आधारित तत्काल भुगतान का विकल्प उपलब्ध है। ये सुविधाएं उपयोग में आसानी एवं डिजिटल भुगतान की जरूरत को ध्यान में रखती हैं और जेन जी समूह की डीआईवाई (डू-इट-योरसेल्फ) की भावना को सार्थक करती हैं। जेन जी पोस्ट ऑफिस में आने वाले आगंतुक “मायस्टाम्प” काउंटर पर व्यक्तिगत स्टाम्प प्रिंट करवा सकते हैं, जो इंडिया पोस्ट की स्मारक डाकटिकट संग्रह की विरासत को एक आधुनिक रूप देता है।इस कार्यालय का आधिकारिक उद्घाटन 17 दिसंबर 2025 को बेंगलुरु के आचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कर्नाटक पोस्टल सर्कल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री प्रकाश, आईपीओएस ने आचार्य ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की डायरेक्टर (एकेडमिक्स) डॉ. भागीरथी वी की उपस्थिति में किया। इस कार्यक्रम के दौरान एक विशेष चित्रात्मक पोस्टकार्ड भी जारी किया गया, जो इस मौके की याद दिलाता है।जेन जी पोस्ट ऑफिस के बारे में बात करते हुए, बेंगलुरु पश्चिम डिवीजन की सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पोस्ट ऑफिसेज सुश्री सूर्या, आईपीओएस ने कहा, “इस स्थल की परिकल्पना को विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी से साकार किया गया है। विद्यार्थियों ने यह सुनिश्चित करते हुए इसके डिजाइन को आकार देने में मदद की कि यह सुगमता एवं रचनात्मकता से जुड़े जेन जी के मूल्यों को दर्शाए और इस पहल के आदर्श वाक्य, ‘विद्यार्थियों का, विद्यार्थियों द्वारा, विद्यार्थियों के लिए’ का पालन करे। यह पोस्ट ऑफिस इस संस्थान के परिसर में पार्सल पैकेजिंग की सेवा भी देता है, जिससे विद्यार्थियों का समय बचता है, तनाव कम होता है और उनकी चीजों को सीधे उनकी पढ़ाई की जगह से भेजना आसान व सुरक्षित हो जाता है।”इंडिया पोस्ट जेन जी-थीम वाले ऐसे पोस्ट ऑफिस का विस्तार देश भर के अन्य शैक्षणिक संस्थानों में करने की योजना बना रहा है ताकि डाक सेवाएं अपेक्षाकृत अधिक सुलभ, आकर्षक और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार हो सकें। तकनीक, डिजाइन और युवाओं की सही भागीदारी को मिलाकर, इंडिया पोस्ट खुद को संचार के एक पारंपरिक माध्यम से बदलकर एक आधुनिक, संबद्ध और विद्यार्थियों की जरूरतों के अनुकूल केन्द्र के तौर पर पेश कर रहा है।--
- नयी दिल्ली. भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन ने बृहस्पतिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संगठन और देश को मजबूत करने में योगदान देने का आह्वान किया। भाजपा मुख्यालय में कार्यरत कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नवीन ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से यहां कार्यालय आने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को यह महसूस हो कि यह उनका ‘‘अपना कार्यालय'' है। इस कार्यक्रम के बाद पार्टी ने एक बयान में कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन ने यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में कार्यरत ‘भाजपा परिवार' के सभी सदस्यों से मुलाकात की और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मार्गदर्शन दिया।
- नई दिल्ली। हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय गणराज्य के मानचित्र पर गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से मुक्त कर भारत में शामिल किया गया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके दृढ़ संकल्प और बलिदान ने इस क्षेत्र को पुर्तगाली शासन से आजादी दिलाई। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “गोवा मुक्ति दिवस हमें हमारी राष्ट्रीय यात्रा के एक अहम अध्याय की याद दिलाता है। हम उन लोगों के अदम्य साहस को याद करते हैं जिन्होंने अन्याय को मानने से इनकार कर दिया और हिम्मत और पक्के इरादे के साथ आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। उनके बलिदान हमें आज भी प्रेरणा देते हैं, क्योंकि हम गोवा की चौतरफा तरक्की के लिए काम कर रहे हैं।”भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पोस्ट में लिखा, “गोवा मुक्ति दिवस पर मैं इस खूबसूरत राज्य के अपने भाइयों और बहनों को दिल से शुभकामनाएं देता हूं। आज, हम उन बहादुर आत्माओं को याद करते हैं जिनकी हिम्मत और बलिदान से गोवा आज़ाद हुआ और सही मायने में आजाद भारत का हिस्सा बना। उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। मैं इन नायकों को सम्मान के साथ नमन करता हूं और हर गोवावासी की भलाई, खुशी और तरक्की के लिए प्रार्थना करता हूं।”केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुभकामनाएं देते हुए लिखा, “आज की पीढ़ी शायद यह नहीं जानती कि 1961 तक भारतीयों को गोवा जाने के लिए परमिशन लेनी पड़ती थी। प्रभाकर वैद्य, बाला राया मापारी, नानाजी देशमुख और जगन्नाथ राव जोशी जैसे कई महान लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और गोवा की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। हमारे देशभक्तों के महान बलिदानों के बाद, गोवा भारत का एक अभिन्न अंग बन गया। पूरे दिल से आभार व्यक्त करते हुए, मैं उन सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं जिन्होंने गोवा की आजादी के लिए बहुत कष्ट सहे।”गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने एक्स पोस्ट में लिखा, “गोवा मुक्ति दिवस पर आइए हम गर्व से उस ऐतिहासिक पल को याद करें जिसने औपनिवेशिक शासन का अंत किया और गोवा को भारतीय संघ में मिलाया। इस दिन, मैं उन स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को दिल से श्रद्धांजलि देता हूं जिनके साहस, बलिदान और अटूट संकल्प ने गोवा की मुक्ति का रास्ता बनाया। यह दिन हमें हमारी मुश्किल से मिली आजादी को संजोने और एक आत्मनिर्भर और विकसित गोवा के लिए मिलकर काम करते रहने की याद दिलाता है। इस गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक अवसर पर सभी गोवावासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।”एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “गोवा मुक्ति दिवस पर हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। उनके विजन ने गोवा को एक नई शुरुआत दी। आज, हम एक ऐसा राज्य बनाने में लगे हैं जो अपनी विरासत पर गर्व करता है, अपनी यात्रा में आत्मविश्वासी है, और सभी की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते हुए एक ऐसा गोवा बना रहे हैं जो उनके सपनों को दिखाता है, जो मजबूत, समावेशी और भविष्य की ओर देखने वाला है।”
- कोटा. राजस्थान के बूंदी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर बजरी से लदे एक ट्रक के कार पर पलट जाने से तीन भाइयों समेत चार लोगों की बृहस्पतिवार को मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। यह घटना राष्ट्रीय राजमार्ग सदर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई।पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान मोइनुद्दीन (60), फरीउद्दीन (45) और आज़मीउद्दीन (40) तथा उनके रिश्तेदार सैफुद्दीन (28) के रूप में हुई है। सैफुद्दीन के पिता वसीउद्दीन (64) को मामूली चोटें आई हैं। यह सभी टोंक जिला निवासी थे। बूंदी की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा ने बताया कि यह दुर्घटना बृहस्पतिवार शाम लगभग छह बजकर 30 मिनट पर हुई और कार सवार पांचों लोग एक जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए कोटा जा रहे थे।
- नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने गुरुवार को नियोक्ताओं (कंपनियों) से कहा है कि वह उसकी एक खास योजना का लाभ उठाएं। इस योजना के तहत कंपनियों को 6 महीने का समय दिया जा रहा है, ताकि वह उन कर्मचारियों को पीएफ (प्रोविडेंट फंड) में शामिल कर सकें, जिन्हें पहले इसमें नहीं जोड़ा गया था। यह मौका 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच छूटे कर्मचारियों के लिए है। ईपीएफओ ने इस योजना का नाम कर्मचारी नामांकन योजना यानी एंप्लाइज एनरोलमेंट स्कीम (ईईएस)-2025 रखा है। यह एक बार मिलने वाली विशेष योजना है, जिसका मकसद ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा देना और पहले हुई गलतियों को आसानी से ठीक करना है।इस योजना के तहत नवंबर 2025 से 6 महीने तक का समय दिया जाएगा। इस दौरान कंपनियां स्वेच्छा से ऐसे पात्र कर्मचारियों को पीएफ में शामिल कर सकती हैं, जिन्हें पहले शामिल नहीं किया गया था। जो संस्थान या कंपनी अभी तक ईपीएफ कानून के तहत पंजीकृत नहीं हैं, वे भी इस योजना के जरिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और अपने कर्मचारियों को पीएफ में जोड़ सकते हैं।ईईएस-2025 योजना के तहत, अगर पहले कर्मचारियों के पीएफ का पैसा नहीं काटा गया था, तो इस योजना में कंपनी को केवल नियोक्ता वाला हिस्सा (एंप्लॉयर शेयर) जमा करना होगा। इसके साथ ही धारा 7क्यू के तहत ब्याज, लागू प्रशासनिक शुल्क और 100 रुपए का जुर्माना देना होगा, तभी इसे पूरी तरह सही माना जाएगा।जिन संस्थानों पर जांच चल रही है, वह भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना के तहत मिलने वाले फायदे भी इस योजना में शामिल हैं।ईपीएफओ ने सभी नियोक्ताओं से अपील की है कि वह इस एक बार मिलने वाले अवसर का पूरा लाभ उठाएं और “सबके लिए सामाजिक सुरक्षा” के लक्ष्य में योगदान दें। ईपीएफओ ऐसे नियोक्ताओं को एसएमएस और ईमेल के जरिए जानकारी देगा, जिन्होंने पहले नियमों का पालन नहीं किया था।बयान में कहा गया है कि ईपीएफओ ने इस योजना के बारे में जानकारी देने के लिए देश भर में जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। साथ ही, सरकार के अलग-अलग विभागों से भी बात की जा रही है, ताकि ठेके पर काम करने वाले और अस्थायी कर्मचारियों को भी पीएफ की सुविधा मिल सके।
- नई दिल्ली। लावारिस कुत्तों की देखभाल और उनसे जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही अहम सुनवाई फिलहाल टाल दी गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को होगी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी आपत्तियों और दलीलों पर उसी दिन विस्तार से विचार किया जाएगा। यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष आया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जिस तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ को इस मामले की सुनवाई करनी थी, वह अब नहीं बैठ रही है, इसलिए सुनवाई को आगे के लिए सूचीबद्ध किया गया है।सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम ने लावारिस कुत्तों के प्रबंधन को लेकर ऐसे नियम बना दिए हैं, जो मौजूदा कानूनों और वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ हैं।उन्होंने आशंका जताई कि दिसंबर में ही इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा और कुत्तों को हटाया जाएगा, जबकि उनके लिए पर्याप्त शेल्टर होम की व्यवस्था नहीं है। सिब्बल ने इसे बेहद अमानवीय करार दिया।हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि यदि नियम लागू होते हैं, तो अदालत बाद में इस पर विचार करेगी। वहीं, न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगली सुनवाई में एक वीडियो दिखाया जाएगा और यह सवाल उठाया जाएगा कि आखिर मानवता क्या होती है। इस पर कपिल सिब्बल ने भी कहा कि याचिकाकर्ता पक्ष जमीनी हालात दिखाने के लिए वीडियो प्रस्तुत करेगा। अदालत ने साफ किया कि लावारिस कुत्तों के प्रबंधन से जुड़े सभी विवादों और आपत्तियों पर 7 जनवरी 2026 को ही विस्तार से सुनवाई होगी।दरअसल, यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गई उस कार्यवाही का हिस्सा है, जो 28 जुलाई को दिल्ली में लावारिस कुत्तों के काटने की घटनाओं, खासकर बच्चों में रेबीज के मामलों से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों के बाद शुरू हुई थी। इससे पहले 7 नवंबर को अदालत ने स्कूलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और खेल परिसरों जैसे संवेदनशील स्थानों पर कुत्तों के काटने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि पर गहरी चिंता जताई थी।वहीं, अपने पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और स्टेडियमों को लावारिस कुत्तों से मुक्त करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही अदालत ने हाईवे और सड़कों से गाय, बैल और अन्य पशुओं को हटाने का भी आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि हर हाईवे पर 24 घंटे निगरानी टीमें और हेल्पलाइन नंबर तैनात किए जाएं।
- दिल्ली. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को बताया कि दुनिया भर में कैंसर मामलों में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे स्थान पर है और 2040 तक देश में कैंसर के मामलों की संख्या लगभग 20 लाख हो सकती है। सिंह ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने महिलाओं में गर्भाशय (सर्वाइकल) कैंसर के उपचार के लिए पहली बार एचपीवी वैक्सीन विकसित की है और सरकार इसे किफायती दर पर या मुफ्त में अधिक बड़ी आबादी तक उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, “यह सच है कि पूरी दुनिया में कैंसर के मामले बढ़े हैं। अगर आप वैश्विक आंकड़े देखें तो हर साल दुनिया में दो करोड़ कैंसर रोगी होते हैं, यानी हर साल लगभग दो करोड़ कैंसर मरीज।भारत में ही हमारे पास लगभग 14 से 15 लाख, यानी करीब 15 लाख मामले हैं।'' सिंह ने कहा कि यह आंकड़ा 2040 तक बढ़कर लगभग 20 लाख होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कैंसर की व्यापकता के लिहाज से भारत चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर हैं।” उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमें देश के भीतर बीमारियों के स्वरूप में बदलाव होना शामिल है। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक तक भारत संक्रामक रोगों से ग्रस्त था, इसके बाद गैर-संक्रामक रोगों का दौर आया। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में भारत दोनों से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “विडंबना यह है कि इनमें से कैंसर सहित कई बीमारियां, जो जीवन के उतरार्द्ध के दशकों में होती थीं, अब प्रारंभिक दशकों में हो रही हैं। जो कैंसर पहले अधिक उम्र में होता था, वह अब कम उम्र में भी हो सकता है। यही स्थिति हार्ट अटैक की भी है, जो पहले जीवन के बाद के चरण में होते थे, अब कम उम्र में हो रहे हैं।” उन्होंने कहा कि भले ही समाज को इस बात पर गर्व है कि भारत की 70 प्रतिशत आबादी 40 वर्ष से कम उम्र की है, लेकिन सच्चाई का दूसरा पहलू यह भी है कि 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों की संख्या भी बढ़ी है, और इससे रोगों का बोझ भी बढ़ता है। उपचार के संबंध में मंत्री ने कहा कि सरकार ने देश के लगभग हर जिला अस्पताल में कैंसर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।उन्होंने कहा कि यह एक विविधताओं वाला देश है और कैंसर की प्रकृति भी अलग-अलग होती है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, उत्तर-पूर्व में सिर और गर्दन के कैंसर के मामले पाए जाते हैं। उन्होंने कहा, “वैक्सीन के बारे में, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने पहली बार एचपीवी वैक्सीन विकसित की है, जिसे सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में निवारक भूमिका निभाने वाला बताया जा रहा है, और कहा जाता है कि यह भारत में युवा महिलाओं में अधिक प्रचलित है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ इस बात पर बातचीत की जा रही है कि इसे अधिक व्यापक आबादी तक किफायती कीमत पर या मुफ्त में कैसे उपलब्ध कराया जाए। सिंह ने कांग्रेस सदस्य रजनी अशोकराव पाटिल के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही। पाटिल ने पूछा था कि गरीब मरीजों के लिए आवश्यक कैंसर दवाओं की समय पर उपलब्धता और उनकी किफायती कीमत सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन से ठोस कदम उठा रही है?
- नयी दिल्ली. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं ऐसे लोगों के व्यवहार से जुड़ी होती हैं, जो अक्सर सुरक्षा मानदंडों की अनदेखी करते हैं। उन्होंने लोकसभा सदस्यों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा अभियान चलाने का आह्वान भी किया। गडकरी ने इस तथ्य का उल्लेख करते हुए दुख जताया कि हर साल लगभग पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें औसतन 1.80 लाख लोगों की जान चली जाती है और मारे गए लोगों में ज्यादातर युवा होते हैं।निचले सदन में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि सड़क दुर्घटनाएं मानव व्यवहार से जुड़ी हैं। सड़क सुरक्षा नियमों की कोई परवाह नहीं है। हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.80 लाख लोगों की जान चली जाती है, जो किसी भी युद्ध या कोविड महामारी में गई जानों से अधिक है। युवा लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।'' सड़क सुरक्षा पर भाजपा सांसद मुकेश दलाल के एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए, गडकरी ने कहा कि सड़क दुर्घटना में मौत के मामलों में 66 प्रतिशत 18-34 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं के होते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही मंत्रालय लोगों को सड़क सुरक्षा मानदंडों के बारे में जागरुक और संवेदनशील बनाने के लिए अभियान चला रहा है, लेकिन ज्यादा सुधार नहीं देखा जा रहा है।
- नयी दिल्ली. श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में लागू किए गए श्रम कानून के ‘मनमाने तरीके से नौकरी पर रखने व निकालने' और ‘इंस्पेक्टर राज' को बढ़ावा देने की चिंताओं को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया और कहा कि नए कानून रोजगार को संगठित रूप देंगे जबकि निरीक्षक चीजों को सुगम बनाने की भूमिका निभाएंगे। नए नियमों के तहत, 300 कर्मचारियों वाली इकाइयों में छंटनी, कर्मचारियों की कटौती एवं इकाइयों को बंद करने के लिए सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। पहले 100 कर्मचारियों वाली इकाइयों को ऐसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।‘टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव' को संबोधित करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘ हमने देश में रोजगार को संगठित रूप दिया है और प्रति इकाई श्रमिकों की संख्या बढ़ाकर 300 कर दी है, जो पहले 100 थी।'' उन्होंने कहा कि पहले नियोक्ता कानूनी झंझटों से बचने के लिए 100 श्रमिकों को औपचारिक रोजगार देते थे और बाकी को असंगठित रूप से नियोजित करते थे। मांडविया ने कहा कि नए नियमों ने इन बचे हुए श्रमिकों के रोजगार को संगठित रूप दे दिया है और उन्हें वे सभी लाभ मिलेंगे जो एक पंजीकृत कर्मचारी को मिलते हैं। अनुपालन का बोझ बढ़ाकर ‘इंस्पेक्टर राज' को बढ़ावा देने की चिंताओं पर उन्होंने स्पष्ट किया कि निरीक्षक किसी उद्योग के काम में बाधा डालने वाला नहीं बल्कि सुविधादाता होगा। मंत्री ने कहा कि वे (निरीक्षक) अग्नि सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा जैसे सभी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करेंगे जो विशेष रूप से खनन क्षेत्र में महिलाओं को रात्रिकालीन पाली में काम करने की अनुमति देने के लिए आवश्यक शर्तें हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि नए कानूनों में सभी प्रावधान, बदलते समय और आधुनिक औद्योगिक गतिविधियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। चार श्रम कानून वेतन संहिता, 2019; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 ; सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियों संहिता, 2020 21 नवंबर 2025 को अधिसूचित किए गए। इन चार संहिताओं ने 29 मौजूदा श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित किया। इन सुधारों में महिलाओं के लिए विस्तारित अधिकार और सुरक्षा शामिल हैं।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार गुजरात में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' (गोडावण) पक्षियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान अनुपूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यादव ने कहा कि गुजरात सहित कई राज्यों में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' के संरक्षण के लिए एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वह कांग्रेस सदस्य शक्तिसिंह गोहिल के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। गुजरात से कांग्रेस सांसद गोहिल ने कहा कि गुजरात के कच्छ में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' के लिए एक अभयारण्य है, लेकिन वहां केवल तीन मादा पक्षी ही बचे हैं। उन्होंने आशंका जताई कि यदि ये तीनों मादा पक्षी मर जाती हैं, तो अभयारण्य की भूमि उद्योगपतियों को सौंप दी जाएगी। इस पर यादव ने कहा कि कांग्रेस सदस्य की यह आशंका “निराधार” है।उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार गुजरात में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। मंत्री ने सदन को बताया कि गुजरात के कच्छ में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' की चार मादा पक्षी हैं, जबकि राजस्थान में इस पक्षी की आबादी 140 है। यादव ने यह भी जानकारी दी कि सरकार ‘इंडियन रोलर' (पालापिट्टा) पक्षियों के संरक्षण के लिए कोई ‘विशेष परियोजना' नहीं चला रही है। वह भाजपा नेता के. लक्ष्मण द्वारा इस पक्षी की घटती आबादी को लेकर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यादव ने कहा, “वन्यजीवों और उनके आवासों का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की जिम्मेदारी है।” उन्होंने बताया कि बाघ, हिम तेंदुआ और डॉल्फिन जैसी प्रमुख प्रजातियों की संख्या का आकलन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। अन्य वन्यजीवों और पक्षियों की संख्या का आकलन राज्य और केंद्र शासित प्रदेश करते हैं और इन आंकड़ों को मंत्रालय स्तर पर संकलित नहीं किया जाता। मंत्री ने कहा, “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक और दो में सूचीबद्ध वन्यजीवों को शिकार से संरक्षण प्राप्त है।भारतीय रोलर (कोरासियस बेंघालेन्सिस) इस अधिनियम की अनुसूची-दो में सूचीबद्ध है।” पक्षियों सहित वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए यादव ने कहा कि देश में संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व) का एक नेटवर्क बनाया गया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ‘डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटैट्स' और ‘प्रोजेक्ट टाइगर एवं एलीफेंट' जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके वार्षिक कार्ययोजना (एपीओ) के अनुसार वन्यजीव प्रबंधन और आवास विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यादव ने कहा कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर', ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट', ‘प्रोजेक्ट लायन', ‘प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड', ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन', ‘प्रोजेक्ट चीता' और ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' जैसे विशेष कार्यक्रम उनके संरक्षण के लिए चलाए जा रहे हैं।--
- -संसद में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कैंसर देखभाल को चुनिंदा उत्कृष्टता से सार्वभौमिक पहुंच में बदला जा रहा है-टाटा मेमोरियल सेंटर में लगभग 60% कैंसर रोगियों का इलाज मुफ्त या मामूली कीमत पर किया जाता है: डॉ. जितेंद्र सिंह-कैंसर के बढ़ते मामले वैश्विक प्रवृत्ति है; शुरुआती पहचान से कई कैंसर ठीक हो सकते हैं: डॉ. जितेंद्र सिंहनई दिल्ली। देश में कैंसर के बढ़ते बोझ पर संसद में कई प्रश्नों के उत्तर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को कैंसर की रोकथाम, निदान, उपचार, अनुसंधान और विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए वहनीयता को मजबूत करने के लिए सरकार की बहुआयामी, भविष्य के लिए तैयार रणनीति की जानकारी दी।मंत्री ने अस्पताल में भर्ती, कैंसर के बढ़ते मामले, दवाओं की सामर्थ्य, टीके, वैश्विक सहयोग और उन्नत परमाणु उपचार तक पहुंच से संबंधित चिंताओं को दूर किया। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक स्वास्थ्य एकीकरण द्वारा संचालित कैंसर देखभाल को चुनिंदा उत्कृष्टता से सार्वभौमिक पहुंच में बदल रही है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वीकार किया कि कैंसर रोगियों और उनके परिवारों को अक्सर अस्पताल में भर्ती के दौरान भावनात्मक और लॉजिस्टिकल तनाव का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रवेश प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की दिशा में काम कर रही है, साथ ही तृतीयक अस्पतालों पर रेफरल दबाव को कम करने के लिए जिला स्तर पर कैंसर विज्ञान सुविधाओं का विस्तार कर रही है।मंत्री ने बताया कि 2014 से देश भर में 11 टाटा मेमोरियल सेंटर अस्पताल स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही 300 से ज़्यादा अस्पतालों को कवर करने वाला नेशनल कैंसर केयर ग्रिड भी बनाया गया है, जो मरीज़ों के घरों के पास स्टैंडर्ड और आसानी से मिलने वाली कैंसर सेवाएं सुनिश्चित करता है। नवी मुंबई में प्लेटिनम ब्लॉक सहित बड़े विस्तार कार्य भी चल रहे हैं।कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंताओं को दूर करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि यह बढ़ोतरी ग्लोबल घटना है। इसके लंबी उम्र, पर्यावरणीय कारक, जीवनशैली में बदलाव और गैर-संक्रामक बीमारियों की जल्दी शुरुआत जैसे कारण हैं। मंत्री ने कहा, "आज कैंसर सिर्फ़ बुढ़ापे की बीमारी नहीं रही। शुरुआती जांच ने कई कैंसर को जानलेवा से ठीक होने लायक बना दिया है।"डॉ. जितेंद्र सिंह ने सदन को बताया कि बोर्ड ऑफ़ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी (बीआरआईटी), टाटा मेमोरियल सेंटर और टीचिंग अस्पतालों जैसे संस्थानों के ज़रिए बड़े पैमाने पर रिसर्च चल रही है। यह न सिर्फ़ कैंसर पर, बल्कि रेडियोप्रोटेक्टिव एजेंटों और सटीक-लक्षित टेक्नोलॉजी के ज़रिए कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के साइड इफ़ेक्ट को कम करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की कैंसर देखभाल नीति में किफ़ायती इलाज सबसे अहम है। टाटा मेमोरियल सेंटर में, लगभग 60% मरीज़ों को आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत मुफ़्त या बहुत कम कीमत पर इलाज मिलता है, जबकि सशुल्क सेवाएं भी कॉर्पोरेट अस्पतालों की तुलना में काफ़ी सस्ती हैं।मंत्री ने कहा कि सरकार सरकारी अस्पतालों और देश में दवाओं के निर्माण के ज़रिए ज़रूरी कैंसर दवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, जिससे महंगे आयात पर निर्भरता कम हो रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि भारत ने अपनी पहली स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन विकसित की है, जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग की बड़ी उपलब्धि है। यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद करती है, जो युवा भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है।अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बारे में डॉ. जितेंद्र सिंह ने "रेज़ ऑफ़ होप" पहल के तहत टाटा मेमोरियल सेंटर की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ साझेदारी पर बल दिया, जो कम और मध्यम आय वाले देशों के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि टाटा मेमोरियल मरीज़ों की देखभाल, शिक्षण और अत्याधुनिक रिसर्च को अनोखे तरीके से जोड़ता है, डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में काम करता है और असम सहित कई राज्यों में कैंसर विज्ञान, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी और न्यूक्लियर मेडिसिन में सुपर-स्पेशियलिटी प्रशिक्षण देता है।प्रोस्टेट कैंसर के लिए ल्यूटेटियम-177 पीएसएमए -617 जैसे एडवांस्ड थेरानोस्टिक्स पर प्रश्नों के उत्तर में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में डायग्नोस्टिक और थेराप्यूटिक इस्तेमाल के लिए 24 स्वदेशी रेडियोआइसोटोप विकसित किए हैं। इनमें प्रोस्टेट कैंसर और बचपन के ब्लड कैंसर के लिए विश्व स्तरीय नवाचार शामिल हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि अत्याधुनिक न्यूक्लियर मेडिसिन लॉजिस्टिक्स की चुनौतियों वाले ग्रामीण इलाकों में भी किफायती और आसानी से उपलब्ध हो।
- नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को नए साल में बड़ी सौगात देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों से विभागवार रिक्त पदों का विवरण मांगा था, ताकि इन खाली पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जा सकें।समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2026 में प्रदेश के युवाओं को लगभग डेढ़ लाख सरकारी नौकरियां देने की अनुमति दे दी है। ये भर्तियां पुलिस, शिक्षा, राजस्व, आवास विकास सहित राज्य के विभिन्न विभागों में की जाएंगी। इनमें सबसे अधिक भर्तियां पुलिस और शिक्षा विभाग में होंगी। इसके साथ ही वर्ष 2026 में योगी सरकार के नाम सबसे अधिक सरकारी नौकरियां देने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो जाएगा।योगी सरकार प्रदेश की पहली ऐसी सरकार होगी, जिसने दस वर्षों में दस लाख सरकारी नौकरियां देने का लक्ष्य पूरा किया है। यूपी सरकार पिछले साढ़े आठ वर्षों में विभिन्न विभागों में युवाओं को साढ़े आठ लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दे चुकी है। ये सभी भर्तियां पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की गई हैं, जिससे प्रदेश के युवाओं का सरकार पर भरोसा मजबूत हुआ है।पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं। इसके विपरीत, योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने पर विशेष जोर दिया है।हाल ही में हुई बैठक में योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में रिक्त पदों की समीक्षा की। सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2026 में पुलिस और शिक्षा विभाग में लगभग 50-50 हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए जाएंगे। इसके अलावा राजस्व विभाग में 20 हजार पदों पर भर्ती होगी, जबकि कारागार, आवास विकास, बाल विकास पुष्टाहार और स्वास्थ्य विभाग में भी रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।विभिन्न विभागों में भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी करने का कार्य अंतिम चरण में है और कुछ विभागों में भर्ती प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। प्रस्तावित भर्तियों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद योगी सरकार दस वर्षों में रिकॉर्ड दस लाख सरकारी नौकरियां देने वाली पहली सरकार बन जाएगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश के अधिक से अधिक युवाओं को पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरी देने के लिए अब तक पुलिस विभाग में 2.19 लाख पदों पर भर्ती की जा चुकी है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री के निर्देश पर वर्ष 2026 में पुलिस विभाग द्वारा करीब 50 हजार पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा, जिसकी अंतिम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।वर्ष 2026 में पुलिस विभाग में 30 हजार आरक्षी और 5 हजार उपनिरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) सहित कुल 50 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। इसके अलावा विभाग में 15 हजार अन्य पदों पर भी नियुक्तियां होंगी।वहीं, शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग में भी करीब 50 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। ये भर्तियां सहायक अध्यापक, प्रवक्ता, प्रधानाचार्य सहित विभिन्न पदों पर होंगी। इसी तरह राजस्व विभाग में 20 हजार पदों पर भर्ती होगी, जिनमें सबसे अधिक लेखपाल पद शामिल होंगे।इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य, आवास विकास, कारागार, बाल विकास पुष्टाहार समेत अन्य विभागों में लगभग 30 हजार पदों पर भर्तियां की जाएंगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कुल नई भर्तियों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक होने की संभावना है।






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