- Home
- देश
-
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के फोटो सेशन में विश्व नेताओं के साथ हिस्सा लिया, जो क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन से पहले एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक क्षण रहा। इस तस्वीर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य सदस्य देशों के नेता शामिल थे।
पीएम मोदी ने फोटो सेशन से जुड़ी तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया। उन्होंने लिखा, “तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में।”एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी इस साल चीन कर रहा है। इस समूह में 8 सदस्य देश शामिल हैं। इसका फोकस यूरेशियाई क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है। यह पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे हैं, जो भारत और चीन के बीच 2020 के सीमा विवाद के बाद जटिल द्विपक्षीय संबंधों के बीच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति शी और पुतिन के साथ बातचीत करते नजर आए, जो सक्रिय कूटनीति की वापसी का संकेत देता है। खासकर, पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच गर्मजोशी भरी मुलाकात ध्यान आकर्षित करने वाली थी, जिसमें दोनों ने गले लगकर और हाथ पकड़कर आपसी मित्रता का प्रदर्शन किया।प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात है।” राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी फंग लियुआन ने रविवार को तियानजिन में एक भोज का आयोजन किया, जिसमें शिखर सम्मेलन के 25वें संस्करण से पहले अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का स्वागत किया गया।इससे पहले कल रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दस महीने बाद पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने संबंधों को स्थिर करने और विशेष रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास के लंबित मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता जताई।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संबंध ‘सार्थक दिशा’ में आगे बढ़ रहे हैं और ‘विसंघर्ष’ के बाद सीमाओं पर शांति का माहौल है।”चीनी सरकारी प्रसारक सीसीटीवी के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उम्मीद जताई कि तियानजिन में हुई यह बैठक ‘द्विपक्षीय संबंधों को और ऊंचाई पर ले जाएगी’ और ‘इनके सतत, स्वस्थ और स्थिर विकास’ को बढ़ावा देगी। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के समापन के बाद द्विपक्षीय बैठक के लिए एक ही कार में सवार होकर मीटिंग में पहुंचे। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर शेयर कर इस मुलाकात की जानकारी दी।
पीएम मोदी ने फोटो की शेयरपीएम मोदी ने फोटो शेयर करते हुए लिखा, “एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद मैं और राष्ट्रपति पुतिन साथ में द्विपक्षीय बैठक के स्थान पर गए। उनके साथ बातचीत हमेशा ज्ञानवर्धक होती है।”यह मुलाकात दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंधों को दर्शाती है।इससे पहले पीएम मोदी, चीनी और रूसी राष्ट्रपति की तस्वीरें आईं थी सामनेइससे पहले दिन में, पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अनौपचारिक बातचीत की तस्वीरें सामने आईं, जो एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान तीनों नेताओं के बीच हल्के-फुल्के पल को दर्शाती हैं।इन तस्वीरों में तीनों नेता मुस्कुराते और बातचीत करते नजर आएइन तस्वीरों में तीनों नेता मुस्कुराते और बातचीत करते नजर आए, जो रूस के कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की एक समान तस्वीर की याद दिलाती हैं।ताजा तस्वीर में पुतिन बायीं ओर, बीच में प्रधानमंत्री मोदी और दायीं ओर शी जिनपिंग एक साथ चलते हुए एससीओ फैमिली फोटो के लिए पोज देते दिखे।तस्वीर को साझा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा…इस तस्वीर को साझा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “तियानजिन में मुलाकातें जारी। एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।”प्रधानमंत्री ने एक अन्य तस्वीर भी साझा की, जिसमें वह और राष्ट्रपति पुतिन एक-दूसरे से हाथ मिलाते और गले मिलते नजर आए। इस तस्वीर के साथ पीएम मोदी ने लिखा, “राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात है।”इसके अलावा, सोमवार को पीएम मोदी और पुतिन को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पास से गुजरते हुए देखा गया, जो उस समय अकेले खड़े थे। दोनों नेता अनौपचारिक बातचीत में मशगूल थे, जबकि शरीफ उदास दिख रहे थे। यह क्षण तब हुआ, जब एससीओ सदस्य देशों के नेता तियानजिन में फोटो सेशन के लिए इकट्ठा हुए थे। -
नयी दिल्ली. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर और देश के अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखा जाएगा ताकि वे अपनी व्यवस्था के अनुसार ‘‘मुक्त रूप से'' जीवन जी सकें। आरएसएस से संबद्ध वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर एक विचित्र माहौल बना रहे हैं और केंद्र के खिलाफ एक विमर्श गढ़ रहे हैं। मंत्री ने कहा, "केंद्रीय मंत्री होने के नाते मैं अपनी सरकार का रुख साझा करना चाहता हूं। हमारी सरकार और पार्टी (भाजपा) संविधान के अनुसार देश में समान नागरिक संहिता (लाने) के बारे में सोच रही है। जब फौजदारी कानून सभी के लिए समान है, तो नागरिक कानून भी (सभी के लिए समान) क्यों नहीं होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इस संबंध में काम शुरू कर दिया है। मंत्री ने कहा, "लेकिन हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि आदिवासियों को इससे छूट दी जाएगी। आदिवासियों को अपने तरीके से जीने की आज़ादी दी जाए। यह (समान नागरिक संहिता) अनुसूची 6, अनुसूची 5, पूर्वोत्तर और देश के अन्य आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होगी।" यूसीसी के मुद्दे पर वर्तमान में विधि आयोग द्वारा विचार किया जा रहा है। उत्तराखंड ने राज्य में यूसीसी लागू कर दिया है। भगवान बिरसा मुंडा भवन में जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर रीजीजू ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि एक समय था जब "दिल्ली में अधिवक्ताओं के लिए कोई बड़ा संस्थान या स्थान नहीं था।" उन्होंने कहा कि उस समय केंद्र की मंत्रिपरिषद में आदिवासी समुदायों के निर्वाचित सांसदों का प्रतिनिधित्व भी अपर्याप्त था। रीजीजू ने उपस्थित लोगों से कहा, "अविभाजित मध्यप्रदेश के एक बहुत वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम उस समय राज्य मंत्री थे। जब मैंने उनसे मुलाकात की और पूछा कि अनुसूचित जनजातियों के और कितने नेता केंद्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री या राज्य मंत्री हैं, तो उन्होंने कहा कि केवल एक या दो।" रीजीजू ने कहा, "उन्होंने (नेताम) मुझे बताया कि वे कई बार संसदीय चुनाव जीते, लेकिन उन्हें सिर्फ़ राज्य मंत्री बनाया गया। वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे थे।" केंद्रीय मंत्री ने देश में आदिवासियों के कल्याण और उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए गए कार्यों की सराहना की।
-
मुंबई. लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक 'रामायण' के निर्देशक रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर का रविवार सुबह निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और वृद्धावस्था से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से पीड़ित थे। उनके छोटे भाई मोती सागर ने यह जानकारी दी। मोती सागर ने कहा, ‘‘वह काफी समय से बीमार थे। उन्हें लगभग तीन हफ़्ते तक ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कल (शनिवार) उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई क्योंकि उनके खून में संक्रमण फैल गया था। चिकित्सकों ने उन्हें घर वापस ले जाने की सलाह दी थी। सुबह करीब 10 बजे उनका निधन हो गया।'' एफटीआईआई (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से स्नातक प्रेम सागर ने 'चरस' और 'ललकार' जैसी फिल्मों में छायाकार के रूप में काम किया। प्रेम सागर ने “अलिफ लैला” और “विक्रम और बेताल” जैसे लोकप्रिय टेलीविजन शो का निर्माण और निर्देशन किया था। उन्होंने 'निश्चय', 'एक लड़का एक लड़की', 'जवानी जिंदाबाद', 'सागर संगम' और 'नमक हलाल' जैसी कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। टेलीविजन धारावाहिक 'रामायण' में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता एवं सांसद अरुण गोविल ने प्रेम सागर के निधन पर शोक व्यक्त किया। अरुण गोविल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘स्वर्गीय श्री रामानंद सागर जी के पुत्र श्री प्रेम सागर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ओम शांति।'' प्रेम सागर का अंतिम संस्कार अपराह्न करीब तीन बजे उपनगरीय जुहू स्थित पवन हंस श्मशान घाट पर किया गया। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।
- नयी दिल्ली. एथर एनर्जी लिमिटेड ने कहा कि भारत में वित्त वर्ष 2030-31 तक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत तक हो सकती है। कंपनी ने बताया कि इस समय तक कुल दोपहिया वाहन उद्योग आठ प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए सालाना 3-3.1 करोड़ इकाइयों तक पहुंच सकता है। कंपनी ने 2024-25 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि यह वृद्धि इलेक्ट्रिक वाहनों की पेशकश में बढ़ोतरी, मजबूत सरकारी समर्थन, बुनियादी ढांचे के तेज विकास, बैटरी की कम कीमतों और उपभोक्ताओं की पसंद में तेजी से बदलाव से प्रेरित होगी। एथर एनर्जी ने कहा कि तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन बाजार, पुरानी कंपनियों द्वारा अपने इलेक्ट्रिक वाहन पोर्टफोलियो में वृद्धि और नयी कंपनियों के आने से यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में स्थापित ब्रांडों के प्रवेश से महत्वपूर्ण गति मिलने की उम्मीद है।
- मुजफ्फरनगर (उप्र). शामली के झिंझाना थाना इलाके में भूसा खरीदने गए एक व्यापारी की कथित तौर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक गांव केरटू में कथित तौर पर अज्ञात कारणों से कुछ लोगों ने भूसा व्यापारी अंकुश कुमार (27) की पीट-पीटकर हत्या कर दी। अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) संतोष कुमार सिंह ने मृतक के परिवार की शिकायत के हवाले से संवाददाताओं को बताया कि अंकुश कुमार मुजफ्फरनगर जिले के अपने गांव नगला से मोटरसाइकिल पर गांव केरटू भूसा खरीदने गया था।उन्होंने बताया कि उनका शव गांव के पास मेरठ-करनाल राजमार्ग पर एक ढाबे के बाहर मिला। परिजनों ने अंकुश की पीट-पीटकर हत्या का आरोप लगाया है। एएसपी ने बताया कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर तीन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि सभी आरोपी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है। एएसपी ने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है और जल्द ही आरोपी पकड़े जाएंगे।
- हमीरपुर (उप्र). हमीरपुर जिले के दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों में सड़क हादसों में तीन युवकों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, हमीरपुर-राठ बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की सर्विस लेन पर आमने-सामने दो मोटरसाइकिलों की टक्कर में दो युवकों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। उसने बताया कि यह दुर्घटना शनिवार रात इटालया बाजा के पास हुई और हादसे में मोटरसाइकिल सवार जिले के बिलगांव निवासी रवि निषाद (30), हरदुआ निवासी सनी (20) मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि उनके साथ सवार भगत सिंह (22) और अभय (12) गंभीर रूप से घायल हो गए।चिकसी थाना प्रभारी संतोष कुमार ने बताया कि घायलों को राठ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया है और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस के अनुसार, दूसरी घटना मौदहा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-34 पर हुई, जहां एक अज्ञात वाहन की टक्कर से मोटरसाकिल सवार युवक की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, शनिवार रात कुरारा निवासी उपेंद्र (35) मोटरसाइकिल से अपनी ससुराल मकराव जा रहा था तभी रास्ते में बहेरेला मोड़ के पास किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। मौके पर पहुंची मौदहा पुलिस ने उपेंद्र को तत्काल एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भेजा, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौदहा थाना प्रभारी निरीक्षक उमेश सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से अज्ञात वाहन की तलाश की जा रही है।
-
पटना । पटना के परसा बाजार इलाके में शनिवार को पांच साल का एक बच्चा पिस्तौल से खेलते समय गोली लगने से घायल हो गया। यह जानकारी पुलिस ने दी। सदर के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ-द्वितीय) रंजन कुमार ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘शनिवार सुबह पुलिस को सूचना मिली कि शिवनगर इलाके में पांच वर्षीय एक बच्चे को एक रिश्तेदार की पिस्तौल से खेलते समय गोली लग गई है।'' उन्होंने कहा, ‘‘जब तक पुलिस मौके पर पहुंची, बच्चे के पिता बच्चे को नजदीकी अस्पताल ले जा चुके थे। उसकी मां ने पुलिस को बताया कि यह घटना तब हुई जब बच्चा अपने रिश्तेदार की भरी हुई पिस्तौल से खेल रहा था। गोली उसके जबड़े में लगी।'' उन्होंने बताया कि बच्चे की हालत खतरे से बाहर बतायी गई है।एसडीपीओ ने कहा, ‘‘आगे की जांच की जा रही है और हम पिस्तौल बरामद करने की कोशिश कर रहे हैं।''उन्होंने कहा कि मामले की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है। file photo
-
रामपुर (उप्र)। अमेरिका के भारत से आयातित सामानों पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के कारण मेंथा तेल उद्योग एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। निर्यातकों ने कहा कि इस शुल्क के कारण उद्योग पर निर्भर हजारों किसानों और श्रमिकों की आजीविका पर भी खतरा मंडरा रहा है। मेंथा तेल एक सुगंधित यौगिक है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है। एक प्रमुख निर्यातक अमृत कपूर ने बताया कि कई ऑर्डर रोक दिए गए हैं या रद्द कर दिए गए हैं। उन्होंने लागत पर पड़ने वाले सीधे असर के बारे में कहा, ''हमारा एक उत्पाद जिसकी कीमत 20 डॉलर है, 50 प्रतिशत शुल्क के कारण रातों रात 30 डॉलर का हो गया। वहां के खरीदार यह नहीं समझ पा रहे हैं कि भारत से 30 डॉलर का उत्पाद कैसे खरीदा जाए। इसलिए, ऑर्डर रुके हुए हैं। कारखाने में माल बन रहा है, और हमें नहीं पता कि यह कब बाहर जाएगा।'' कपूर ने किसानों और श्रमिकों पर पड़ने वाले व्यापक प्रभावों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ''10 लाख से ज्यादा किसान भाई इस उद्योग से जुड़े हैं। उन्हें पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाएगा, और मुझे लगता है कि उन्हें अपनी लागत भी वापस नहीं मिलेगी।'' उन्होंने रोजगार के बारे में भी चिंता जताते हुए कहा, ''अगर अमेरिका का यह व्यवहार जारी रहता है और हमारा उत्पादन कम होता है, तो हो सकता है कि आने वाले समय में हमें कारखानों में श्रमिकों की संख्या कम करनी पड़े।'' भारतीय उद्योग महासंघ की रामपुर इकाई के अध्यक्ष शिरीष गुप्ता ने इस शुल्क को दबाव बनाने की रणनीति बताया और सरकार की प्रतिक्रिया पर विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ''सरकार को उन उद्योगों के लिए योजनाएं बनानी चाहिए जो शुल्क के कारण खतरे में हैं, ताकि वे बंद न हों और लोगों की आजीविका पर संकट न आए।'' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह एक अस्थायी चरण है और जल्द ही एक सकारात्मक परिणाम सामने आएगा।
-
नोएडा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को ड्रोन को आधुनिक युद्ध रणनीति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें युद्ध नीति में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर जब हम 'एयरक्राफ्ट' शब्द सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में तेजस, राफेल और लड़ाकू विमानों की तस्वीरें आती हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि ये सभी लड़ाकू विमान हैं। हालांकि, आज के बदलते समय में, ड्रोन इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरे हैं। ड्रोन अब उन क्षेत्रों में भी तैनात किए जा रहे हैं, जहां बड़े उपकरण नहीं पहुंच सकते।'' सिंह ने कहा, ‘‘यदि आप रूस-यूक्रेन संघर्ष को करीब से देखें, तो आप पाएंगे कि ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है - पहले भी, अब भी और लगातार भी। इससे साबित होता है कि ड्रोन के महत्व को समझना और उन्हें हमारी युद्ध नीति में शामिल करना बेहद जरूरी हो गया है।'' वह नोएडा में राफे एमफाइबर प्राइवेट लिमिटेड के रक्षा उपकरण और इंजन परीक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। सिंह ने निजी इकाई का उद्घाटन करने के बाद कहा, "आज यहां आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की एक सशक्त झलक देखने को मिली।" ड्रोन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने कहा कि शुरुआती दिनों में इनका इस्तेमाल केवल निगरानी और टोह लेने के लिए किया जाता था। उन्होंने कहा, "बाद में, कुछ देशों ने लड़ाकू ड्रोन विकसित करना शुरू किया और कई देशों ने सीमा संघर्षों में इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया।'' सिंह ने कहा, ‘‘जिन देशों ने ड्रोन तकनीक में निवेश किया है, उन्होंने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़त हासिल की है, जबकि कई अन्य पीछे छूट गए हैं। अपने छह से साढ़े छह साल के अनुभव (रक्षा मंत्री के रूप में) से, मैं कह सकता हूं कि आज के रक्षा क्षेत्र की वास्तविकता विमान तकनीक और ड्रोन पर टिकी है।'' रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमें ड्रोन आयात करने पड़ते थे, लेकिन आज हम उन्हें घरेलू स्तर पर डिजाइन, विकसित और निर्मित कर रहे हैं।'' सिंह ने कहा, ‘‘देश के कई उद्यमी इस प्रगति में योगदान दे रहे हैं और उनके प्रयासों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।''
-
नयी दिल्ली। देश के शहरी क्षेत्रों में किफायती घरों की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में किफायती मकानों की मांग तो बढ़ रही है, लेकिन उन्हें बनाने की रफ्तार बहुत धीमी हो गई है, जिससे इस क्षेत्र में एक बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है। रियल एस्टेट की परामर्शदाता कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया और नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) की एक रिपोर्ट में बताया गया कि देश के आठ बड़े शहरों (मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद) में हालात चिंताजनक हैं। पहले 2019 में जहां हर एक घर की मांग पर एक से ज्यादा घर बन रहे थे, वहीं 2025 की पहली छमाही (जून तक) में यह आंकड़ा गिरकर 0.36 रह गया है। इसका मतलब है कि मांग के मुकाबले सिर्फ एक-तिहाई घर ही बन रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि देश में शहरी किफायती घरों की वर्तमान कमी 94 लाख इकाई है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण 2030 तक यह कमी बढ़कर तीन करोड़ इकाई तक पहुंच सकती है। नारेडको के अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा कि नाइट फ्रैंक और नारेडको की रिपोर्ट से भारत में सस्ते मकानों की कमी की समस्या एक बार फिर सामने आई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में 94 लाख मकानों की कमी है, जो 2030 तक बढ़कर तीन करोड़ हो सकती है। हरि बाबू ने कहा कि यह चिंता की बात है कि किफायती मकानों की मांग तो बढ़ रही है, लेकिन उनकी संख्या घट रही है। इसके अलावा निजी कंपनियों का निवेश भी बहुत कम है, जिससे यह समस्या और बढ़ रही है। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन शिशिर बैजल ने कहा, "किफायती मकान सिर्फ एक सामाजिक जरूरत नहीं है, बल्कि एक आर्थिक आवश्यकता भी है। मांग के पक्ष में सरकारी समर्थन सराहनीय रहा है, लेकिन अब आपूर्ति की बाधाओं को दूर करना बेहद जरूरी है।"
-
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 26 अगस्त को माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर अर्धकुंवारी के पास हुए भूस्खलन हादसे की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय तीन-सदस्यीय जांच समिति के गठन का आदेश दिया है। इस भयानक घटना ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय प्रशासन को झकझोर दिया और अब इसकी तह तक जाने के लिए यह समिति बनाई गई है।
यह कमेटी जल शक्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव शलीन काबरा की अध्यक्षता में गठित की गई है। इसके दो अन्य सदस्य जम्मू संभाग के मंडलीय आयुक्त और जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक होंगे। राजभवन, श्रीनगर से जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार, यह समिति तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम करेगी।घटना के कारणों की विस्तृत जांच करेगी और यह पता लगाएगी कि कहीं कोई लापरवाही या चूक तो नहीं हुई।घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे यह समझा जा सके कि मौके पर क्या-क्या कदम उठाए गए। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उचित मानक संचालन प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय सुझाए जाएंगे। यह समिति दो हफ्तों के भीतर अपनी रिपोर्ट माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष, जो कि उपराज्यपाल स्वयं हैं, को सौंपेगी।विशेष सचिव कृष्ण लाल द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है कि यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और प्रशासनिक जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से उठाया गया है।गौरतलब है कि 26 अगस्त को जिला रियासी में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग के एक हिस्से पर अचानक भूस्खलन हुआ था, जिसमें कई लोग घायल हो गए और यात्रा भी कुछ समय के लिए बाधित रही।बता दें कि यह घटना उस समय हुई जब श्रद्धालुओं का एक समूह वैष्णो देवी भवन की ओर बढ़ रहा था। हादसे के तुरंत बाद बचाव दल, एनडीआरएफ, श्राइन बोर्ड के कर्मचारी और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गए और बचाव कार्य शुरू कर दिया था। -
जयपुर. राजस्थान के टोंक जिले में शनिवार सुबह राजमार्ग पर केलों से भरा एक ट्रक पलट गया जिसके बाद स्थानीय लोग कुछ ही घंटों में सारे केले ले गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना नगरफोर्ट थाना क्षेत्र के समरावता गांव के पास हुई, मध्य प्रदेश से जयपुर जा रहा ट्रक पलट गया। उसने बताया कि घटना के बाद ट्रक चालक समीर राहगीरों की मदद से बाहर निकलने में कामयाब रहा हालांकि इसके तुरंत बाद आस-पास के इलाकों से लोग मोटरसाइकिल और टेंपो पर सवार होकर आए और केले ले गए। सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो भी सामने आए हैं। पुलिस ने कहा कि रिपोर्ट दर्ज होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-
नई दिल्ली। अमेरिका में एक संघीय अपील अदालत ने भारत के लिए संभावित राहत देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए व्यापार शुल्क (टैरिफ) को गैरकानूनी करार दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप के पास ऐसे व्यापक अधिकार नहीं थे कि वे इस तरह के शुल्क लगा सकें।हालांकि, अदालत ने टैरिफ को 14 अक्टूबर तक जारी रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।
शुक्रवार दोपहर फैसला आने के तुरंत बाद, ट्रंप ने इसे “बहुत पक्षपाती” बताते हुए इसकी आलोचना की और कहा कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, जहां उन्हें “मदद मिलने” की उम्मीद है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘यदि इसे ऐसे ही रहने दिया गया तो यह निर्णय सचमुच संयुक्त राज्य अमेरिका को नष्ट कर देगा।'”
वहीं, व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव कुश देसाई ने अस्थायी रोक का ज़िक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए टैरिफ अभी भी लागू रहेंगे और उन्हें उम्मीद है कि सरकार यह मामला अंत में जीत जाएगी।यह फैसला उन टैक्स पर लागू होता है जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल के कानून के तहत लगाए गए थे, न कि सुरक्षा से जुड़े टैक्सों पर।
अगर भारत सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती से बच जाता है, तो उस पर लगाया गया 25 फीसद टैरिफ जरूर हटा दिया जाएगा। हालांकि, यह साफ नहीं है कि रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया 25 फीसद दंडात्मक शुल्क भी इस फैसले में शामिल है या नहीं, क्योंकि होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम का कहना है कि यह शुल्क रूस से अमेरिका को होने वाले खतरे से निपटने के लिए लगाया गया था।
न्यायालय के फैसले में उन शुल्कों को शामिल नहीं किया गया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण स्टील, एल्युमीनियम और तांबे पर लगाए गए हैं। इसलिए, ऐसा लगता है कि तेल पर लगने वाला टैरिफ अभी भी जारी रह सकता है। अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है कि टैरिफ लगाने का अधिकार मुख्य रूप से कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। यह फैसला ट्रंप के टैरिफ संबंधी फैसले के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि संविधान में टैरिफ लगाने की शक्ति विशेष रूप से कांग्रेस को दी गई है।
जब ट्रंप सरकार ने ट्रेड वॉर शुरू किया, तो उन्होंने आईईईपीए कानून का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि व्यापार घाटे की वजह से देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति बन गई है। इसी के आधार पर उन्होंने सामानों पर टैरिफ यानी सीमा शुल्क लगा दिया था।अदालत ने कहा कि कानून में साफ तौर पर टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार नहीं दिया गया है। पूर्व कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल नील कटियाल डेमोक्रेटिक राज्यों और छोटे कारोबार के समूह के प्रमुख वकीलों में से थे, जिन्होंने ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार को अदालत में चुनौती दी थी। -
मुंबई. गणेश उत्सव कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मुंबई पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास गए और बाद में उन्होंने अपने परिजन के साथ प्रसिद्ध लालबागचा राजा गणपति के दर्शन किए। शाह ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के साथ बैठक की। शाह शुक्रवार रात शहर पहुंचे थे। शाह ने शनिवार सुबह दक्षिण मुंबई स्थित राज्य सरकार के ‘सह्याद्री' अतिथि गृह में शिंदे से मुलाकात की। उन्होंने ‘सह्याद्री' में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और नवनियुक्त मुंबई भाजपा प्रमुख अमित साटम से भी बातचीत की। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बाद में शाह मुख्यमंत्री फडणवीस के आधिकारिक आवास ‘वर्षा' गए।
इसके बाद शाह गणेश चतुर्थी संबंधी अपनी वार्षिक परंपरा का पालन करते हुए अपने परिवार के साथ प्रसिद्ध लालबागचा राजा गणेश मंडल गए। मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे भी उनके साथ थे। शाह बांद्रा पश्चिम और अंधेरी पूर्व में दो अन्य पंडालों में भी दर्शन करेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि शाह के शहर पहुंचने के बाद, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे ने शुक्रवार रात यहां ‘सह्याद्री' में शाह से मुलाकात की। उन्होंने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव, बिहार विधानसभा चुनाव एवं संगठनात्मक मामलों पर चर्चा की।
-
-
नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कहा कि अप्रैल-जून में भारत की अर्थव्यवस्था के उम्मीद से अधिक 7.8 प्रतिशत की दर से विकास करने को दर्शाने वाले नवीनतम आंकड़ों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए ‘‘वास्तविकता का सबसे कड़ा तमाचा'' बताया, जिन्होंने हाल ही में भारत को ‘‘मृत अर्थव्यवस्था'' करार दिया था। जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो अमेरिका द्वारा विनाशकारी शुल्क लगाए जाने से पहले की पांच तिमाहियों में सबसे अधिक थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के कारण हुई। जीडीपी आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने कहा, ‘‘जो लोग इसे ‘मृत अर्थव्यवस्था' कहते हैं, उन्हें अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत एक ‘दीर्घजीवी अर्थव्यवस्था' है, जो एक विकसित और पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की राह पर है।'' मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए, भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘‘कड़वा बोलने वाले, भ्रमित, निराश और खारिज किए गए राहुल गांधी के लिए, वही व्यक्ति जिसने भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था' करार दिया था, जीडीपी के नवीनतम आंकड़े वास्तविकता का सबसे कड़ा तमाचा हैं।'' मालवीय ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 7.8 प्रतिशत दर्ज किया है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी है।'' उन्होंने दावा किया कि केवल एक चीज ‘‘मृत'' है, जो है राहुल गांधी की विश्वसनीयता। मालवीय ने ‘एक्स' पर एक अन्य पोस्ट में कहा कि भारत न केवल विकास कर रहा है, बल्कि तिमाही दर तिमाही, विनाश की भविष्यवाणी करने वालों को गलत साबित कर रहा है।
-
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ सेंडाई शहर तक बुलेट ट्रेन से यात्रा की। पीएम मोदी 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दो दिवसीय जापान यात्रा पर हैं। आज जापान के सेंडाई शहर में प्रधानमंत्री मोदी का ज़ोरदार स्वागत हुआ। जापानी लोगों ने ‘मोदी-सान, वेलकम !’ के नारों लगाए ।
पीएम मोदी के जापान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हो रहे हैं। इसी बीच जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने आज शनिवार को जेआर ईस्ट प्रशिक्षण ले रहे भारतीय रेल चालकों का अभिवादन किया।इसकी जानकारी पीएम मोदी ने भी सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट में दी और तस्वीरें भी साझा की। उन्होंने एक्स पर कहा -“सेंडाइ पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री इशिबा के साथ शिंकानसेन से इस शहर की यात्रा की।”वहीं, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिनमें वे और प्रधानमंत्री मोदी जेआर ईस्ट में प्रशिक्षण ले रहे भारतीय रेल चालकों से मिलते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने लिखा, “जेआर ईस्ट में प्रशिक्षण ले रहे भारतीय रेल चालकों से मेरा नमस्कार।”एक अन्य पोस्ट में वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ सफर करते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने सेंडाई जाने का जिक्र करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेंडाई जा रहा हूं। मैं कार में साथ रहूंगा।”प्रधानमंत्री शुक्रवार को जापान के टोक्यो पहुंचे थे, जहां वे 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। दौरे के दौरान, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया।दोनों नेता भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा को लेकर कई बैठक कर रहे हैं, जिसमें रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, डिजिटल प्रौद्योगिकी, पर्यावरण पर एक्शन और नवाचार जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।यह पीएम मोदी की 8वीं जापान यात्रा है, जो भारत द्वारा टोक्यो के साथ साझेदारी को दी जाने वाली अहमियत को दर्शाता है। पीएम मोदी ने आखिरी बार मई 2023 में जापान का दौरा किया था। वे और पीएम इशिबा ने जून 2025 में कनाडा के कनानास्किस में जी7 शिखर सम्मेलन और 2024 में वियतनाम के वियनतियाने में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी। जापान में अपनी व्यस्तताएं पूरी करने के बाद, पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 25वें राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए चीन रवाना होंगे। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के राज्यपालों के साथ एक विशेष संवाद में भारत-जापान के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मुलाकात उनके लिए खुशी का मौका है, क्योंकि जापान के राज्यपाल उनकी विविधता और ऊर्जा के जीवंत प्रतीक हैं।
भारत और जापान का रिश्ता हजारों साल पुरानापीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मैं अनुभव कर रहा हूं कि इस कमरे में सैतामा की रफ्तार है, मियागी की मजबूती है, फुकुओका की जीवंतता है और नारा की विरासत की खुशबु है। आप सभी में कुमामोतो की गर्मजोशी है, नागानो की ताजगी है, शिज़ुओका की सुंदरता है, और नागासाकी की धड़कन है। आप सभी, माउंटी फूजी की ताकत है और साकुरा की आत्मा के प्रतीक हैं, जो जापान को टाइमलेस बनाते हैं। भारत और जापान का रिश्ता हजारों साल पुराना है, जो भगवान बुद्ध की करुणा और राधाबिनोद पाल जैसे नायकों के साहस से जुड़ा है।”बीती सदी में गुजराती हीरे के व्यापारी कोबे आए थेउन्होंने अपने गृह राज्य गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि बीती सदी में गुजराती हीरे के व्यापारी कोबे आए थे, जबकि हमा-मात्सु की कंपनियों ने भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में क्रांति लाई। यह उद्यमशीलता दोनों देशों को जोड़ती है। आज ट्रेड, टेक्नोलॉजी, पर्यटन, सुरक्षा, स्किल और संस्कृति के क्षेत्र में नए अध्याय लिखे जा रहे हैं, जो केवल टोक्यो या दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि राज्यों और प्रांतों की सोच में जीवंत हैं।वाइब्रेंट विलेज प्रोग्रामप्रधानमंत्री ने अपने 15 साल के गुजरात मुख्यमंत्री कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने नीति-आधारित शासन, उद्योग को बढ़ावा, मजबूत बुनियादी ढांचा और निवेश के लिए माहौल बनाने पर ध्यान दिया, जो आज “गुजरात मॉडल” के नाम से जाना जाता है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सोच को राष्ट्रीय नीति में शामिल किया। राज्यों में प्रतिस्पर्धा की भावना जगाई और उन्हें राष्ट्रीय विकास का मंच बनाया। जापान के प्रांतों की तरह भारत के हर राज्य की अपनी पहचान है, कहीं समुद्र तट, कहीं पहाड़। इस विविधता को लाभ में बदलने के लिए ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ अभियान, आकांक्षी जिले-ब्लॉक कार्यक्रम, और दूरदराज गांवों को मुख्यधारा में लाने के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ शुरू किया गया, जो अब विकास के केंद्र बन रहे हैं।जापान के राज्यपालों की जिम्मेदारी को महत्वपूर्णउन्होंने जापान के राज्यपालों की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके प्रांत टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और नवाचार के केंद्र हैं, कई की अर्थव्यवस्था कई देशों से बड़ी है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भविष्य उनके हाथों में है। पहले से चली आ रही साझेदारियों गुजरात-शिजुओका, उत्तर प्रदेश-यमानाशी, महाराष्ट्र-वकायामा, आंध्र प्रदेश-तोयामा को उन्होंने कागज से निकालकर लोगों और समृद्धि तक ले जाने की बात कही।पीएम मोदी ने जापान के राज्यपालों को भारत आने का निमंत्रण दियाप्रधानमंत्री इशिबा के साथ लॉन्च की गई ‘स्टेट-प्रांत साझेदारी पहल’ के तहत हर साल तीन भारतीय राज्य और तीन जापानी प्रांतों के प्रतिनिधिमंडल एक-दूसरे का दौरा करेंगे। उन्होंने राज्यपालों को भारत आने का निमंत्रण दिया और साझा प्रगति के लिए सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि जापान और भारत के छोटे शहरों के स्टार्टअप्स और एमएसएमई मिलकर विचारों का आदान-प्रदान, नवाचार, और अवसर पैदा कर सकते हैं। इसी सोच के साथ कानसाई में बिजनेस एक्सचेंज फोरम शुरू हो रहा है, जो निवेश, स्टार्टअप साझेदारी और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा।पीएम मोदी ने युवाओं के कनेक्शन पर दिया जोरप्रधानमंत्री ने युवाओं के कनेक्शन पर जोर देते हुए कहा कि जापान की विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज में भारतीय छात्रों को लाने और अगले पांच साल में पांच लाख लोगों के आदान-प्रदान के लिए एक एक्शन प्लान लॉन्च किया गया है। साथ ही, 50,000 भारतीय कुशल पेशेवरों को जापान भेजने की योजना है, जिसमें प्रांतों की अहम भूमिका होगी। उन्होंने आशा जताई कि टोक्यो और दिल्ली नेतृत्व करेंगे और कानागावा-कर्नाटक, आइची-असम, और ओकायामा-ओडिशा मिलकर नई इंडस्ट्री, स्किल, और अवसर बनाएंगे। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ मियागी प्रांत के सेंडाई शहर का दौरा किया। इस दौरान दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रॉन मियागी लिमिटेड (टीईएल मियागी) का दौरा किया। कारखाने में उन्हें टीईएल की वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में भूमिका, उन्नत मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और भारत के साथ वर्तमान व भविष्य के सहयोग के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरे से दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर निर्माण, टेस्टिंग और सप्लाई चेन में सहयोग के अवसरों की व्यावहारिक समझ बनी।
जापान-भारत सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन साझेदारीपीएम मोदी की जापान यात्रा भारत के उभरते सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और जापान की उन्नत तकनीक के बीच सामंजस्य को रेखांकित करती है। दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में सहयोग गहन करने, जापान-भारत सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन साझेदारी के लिए सहमति को आगे बढ़ाने तथा भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धा व आर्थिक सुरक्षा वार्ता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इस दौरान मजबूत, लचीली और भरोसेमंद सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन विकसित करने के साझा लक्ष्य पर भी जोर दिया गया।भारत की जापान के साथ सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक क्षेत्र में काम करने की इच्छाप्रधानमंत्री मोदी ने पीएम इशिबा का इस यात्रा के लिए धन्यवाद किया और सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक क्षेत्र में जापान के साथ मिलकर काम करने की भारत की इच्छा दोहराई। पीएम इशिबा ने सेंडाई में प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में दोपहर का भोजन आयोजित किया, जिसमें मियागी के गवर्नर और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी को नई दिशा मिलने की उम्मीदगौरतलब है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जापान का सहयोग अहम माना जा रहा है। स्थानीय लोगों ने इस उच्च स्तरीय मुलाकात को सेंडाई के लिए सम्मान की बात बताया। आने वाले दिनों में इस साझेदारी से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा होने की संभावना है। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिवसीय जापान यात्रा के दौरान भारत-जापान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों और सांस्कृतिक जुड़ाव को और प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और उनकी पत्नी को भारतीय परंपरा, कला और शिल्पकला की झलक से सजे विशेष उपहार भेंट किए। यह उपहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने के साथ-साथ जापान की परंपरा और जीवनशैली से भी जुड़ाव स्थापित करते हैं।
पीएममोदी ने जापान के प्रधानमंत्री को बेशकीमती पत्थरों और चांदी की चॉपस्टिक से बना बाउल सेट भेंट किया है। यह अनूठा सेट भारतीय शिल्पकला और जापानी खानपान परंपरा का संगम है। इसमें एक बड़ा भूरा मूनस्टोन बाउल, चार छोटे बाउल और चांदी की चॉपस्टिक्स शामिल हैं। इसका डिज़ाइन जापान की डोनबुरी और सोबा खाने की रस्मों से प्रेरित है।इस बाउल में प्रयुक्त मूनस्टोन आंध्र प्रदेश से प्राप्त किया गया है, जो अपनी चमकदार आभा के लिए प्रसिद्ध है। मूनस्टोन प्रेम, संतुलन और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। वहीं, मुख्य बाउल का आधार राजस्थान के मकराना संगमरमर पर तैयार किया गया है और पर्चिनकारी शैली में अर्ध-कीमती पत्थरों की नक्काशी की गई है। यह शैली ताजमहल सहित भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरों में दिखाई देती है।इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री की पत्नी को पश्मीना शॉल एक पेपर मेश बॉक्स में भेंट किया, जिसे कश्मीर के कारीगरों ने बारीकी से तैयार किया है। यह शॉल लद्दाख की चांगथांगी बकरी की ऊन से बनाई गई है, जो अपनी हल्की, मुलायम और गुणवत्ता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कश्मीरी कारीगरों द्वारा हाथ से बुनी गई इस शॉल में सदियों पुरानी परंपरा की झलक है, जिसे कभी शाही परिवार बहुत पसंद करते थे।शॉल का आधार हाथीदांत (आइवरी) रंग का है, जिस पर रस्ट, गुलाबी और लाल रंग में कोमल फूलों और पेसले पैटर्न की कढ़ाई की गई है। यह पारंपरिक कश्मीरी शिल्प और सदियों पुरानी बुनाई कला की झलक पेश करता है।इस शॉल को एक हैंड-पेंटेड बॉक्स में सजाकर रखा गया है। इस बॉक्स पर हाथ से बनाए गए पुष्प और पक्षियों के चित्र हैं, जो इसकी सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ा देते हैं।इन उपहारों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विविध कला और शिल्पकला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया है। इसके साथ ही उन्होंने भारत-जापान के बीच सांस्कृतिक और पारंपरिक रिश्तों को और मजबूत किया। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन के तियानजिन पहुंचे। चीन के उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ली लेचेंग, तियानजिन सरकार के निदेशक यू यूनलिन और चीनी राजदूत ज़ू फेइहोंग ने पीएम मोदी का स्वागत किया। वह यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की उम्मीद है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “चीन के तियानजिन पहुंच गया हूं। एससीओ शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात के लिए उत्सुक हूं।एससीओ शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में आयोजित किया जा रहा है। यह पिछले सात वर्षों में पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी और जून 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद पहली यात्रा होगी।इससे पहले, दो देशों की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रस्थान वक्तव्य में कहा था, “मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करूंगा। भारत एससीओ का एक सक्रिय और रचनात्मक सदस्य है। अपनी अध्यक्षता के दौरान, हमने नवाचार, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में नए विचार प्रस्तुत किए हैं और सहयोग की पहल की है।”उन्होंने कहा कि भारत “साझा चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने के लिए एससीओ सदस्यों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।”प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग, राष्ट्रपति पुतिन और अन्य नेताओं से मिलने के लिए भी उत्सुक हूं।वहीं, दोनों नेताओं ने 2024 में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर एक बैठक की थी। द्विपक्षीय वार्ता में सफलता तब संभव हुई जब भारत और चीन ने चार साल से चल रहे सीमा टकराव को समाप्त करने के लिए लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर गश्त करने पर एक समझौता किया।SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। भारत 2017 से एससीओ का सदस्य है। एससीओ के सदस्य देश हैं- चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस।इसके अलावा, एससीओ में दो पर्यवेक्षक देश-अफगानिस्तान और मंगोलिया और 14 संवाद साझेदार हैं, जिनमें तुर्की, कुवैत, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल, श्रीलंका, सऊदी अरब, मिस्र, कतर, बहरीन, मालदीव, म्यांमार और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। -
नई दिल्ली। गुजरात में मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग ने अगले सात दिनों तक राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी जारी की है। वहीं, कुछ जिलों में भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को आनंद, खेड़ा, पंचमहल और दाहोद जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है। इन जिलों में प्रशासन को सतर्क रहने और राहत-बचाव टीमों को तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले पांच दिनों तक गुजरात के कई इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। खासकर दक्षिण गुजरात के तटीय क्षेत्रों में तूफानी लहरें उठने की आशंका है। ऐसे में मछुआरों को फिलहाल समुद्र में न जाने की सख्त सलाह दी गई है।मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय मानसून की द्रोणिका और दो चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय हैं, जिसके कारण राज्य के कई हिस्सों में बारिश का दौर तेज हो सकता है। अहमदाबाद में भी आज गरज-चमक के साथ मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। प्रशासन ने निचले इलाकों में रह रहे लोगों को सतर्क रहने और आपात स्थिति में तुरंत हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करने की अपील की है। वहीं, आपदा प्रबंधन दल को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य किया जा सके।मौसम वैज्ञानिक रामाश्रय यादव ने बताया कि 30 अगस्त को गुजरात क्षेत्र के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें आनंद, खेडा, पंचमहल और दाहोद जिलों में बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। इसके अलावा, गुजरात के अन्य कई जिलों जैसे वडोदरा, भरूच, नर्मदा, सूरत, तापी, नवसारी, वलसाड और डांग में भी भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र क्षेत्र में राजकोट, जामनगर, अमरेली, भावनगर, मोरबी, गिर सोमनाथ, बोटाद और कच्छ जैसे जिले भी ऑरेंज अलर्ट के दायरे में हैं, जहां बहुत भारी बारिश के साथ-साथ गरज-चमक के साथ तूफान की चेतावनी है। अगले पांच दिनों तक गुजरात के सभी जिलों में व्यापक रूप से तूफानी गतिविधियों की उम्मीद है, जिसमें हवा की गति 30-40 किमी/घंटा रहने की संभावना है, जो गुजरात तट पर कभी-कभी 60 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है।मौसम वैज्ञानिक ने निवासियों को सलाह दी है कि वे जलभराव और व्यवधान की संभावना के कारण सतर्क रहें और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें। -
नयी दिल्ली. कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई भारत में महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर बनकर उभरे हैं, जबकि पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची इस मामले में सबसे निचले पायदान पर हैं। बृहस्पतिवार को जारी राष्ट्रीय वार्षिक महिला सुरक्षा रिपोर्ट एवं सूचकांक (एनएआरआई) 2025 तो कुछ यही बयां करता है। यह राष्ट्रव्यापी सूचकांक 31 शहरों की 12,770 महिलाओं पर की गई रायशुमारी पर आधारित है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65 फीसदी रखा गया है और शहरों को उक्त मानक से ‘काफी ऊपर', ‘ऊपर', ‘समान', ‘नीचे' या ‘काफी नीचे' श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले कोहिमा और विशाखापत्तनम जैसे शहरों के अच्छे प्रदर्शन के पीछे मजबूत लैंगिक समानता, नागरिक भागीदारी, पुलिस व्यवस्था और महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे का हाथ बताया गया है। वहीं, इसमें सबसे निचले पायदान पर काबिज पटना और जयपुर जैसे शहरों के खराब प्रदर्शन के लिए कमजोर संस्थागत प्रतिक्रिया, पितृसत्तात्मक मानदंडों और शहरी बुनियादी ढांचे में कमी जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। ‘एनएआरआई-2025' में कहा गया है, “कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई राष्ट्रीय सुरक्षा रैंकिंग में सबसे आगे हैं, जिसके लिए मुख्यत: उच्च लैंगिक समानता, बेहतर बुनियादी ढांचा, पुलिस व्यवस्था और नागरिक भागीदारी जिम्मेदार है। वहीं, रांची, श्रीनगर, कोलकाता, दिल्ली, फरीदाबाद, पटना और जयपुर सबसे निचले स्थान पर हैं, जिसके पीछे खराब बुनियादी ढांचा, पितृसत्तात्मक मानदंड और कमजोर संस्थागत जवाबदेही जैसे कारकों का हाथ है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर सर्वेक्षण में शामिल 10 में से छह महिलाओं ने अपने शहर में “सुरक्षित” महसूस करने की बात कही, लेकिन 40 प्रतिशत ने अब भी खुद को “उतना सुरक्षित नहीं” या “असुरक्षित” माना। सर्वेक्षण से पता चला है कि रात में सुरक्षित महसूस करने की धारणा में भारी गिरावट आई है, खासकर सार्वजनिक परिवहन में और मनोरंजन स्थलों पर। इसमें पाया गया है कि शैक्षणिक संस्थानों में 86 फीसदी महिलाएं दिन में सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन रात में या परिसर के बाहर वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में घिरी रहती हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 91 फीसदी महिलाएं कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन उनमें से लगभग आधी महिलाओं को यह स्पष्ट नहीं है कि उनके कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम (पीओएसएच) नीति लागू है या नहीं। इसमें कहा गया है कि जिन महिलाओं ने कार्यस्थल पर पीओएसएच नीति होने की बात कही, उनमें से अधिकतर ने इन्हें प्रभावी माना। सर्वेक्षण में शामिल केवल एक-चौथाई महिलाओं ने कहा कि उन्हें अधिकारियों के सुरक्षा संबंधी शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई करने का भरोसा है। उनहत्तर फीसदी महिलाओं ने कहा कि मौजूदा सुरक्षा प्रयास कुछ हद तक पर्याप्त हैं, जबकि 30 प्रतिशत से ज्यादा ने महत्वपूर्ण कमियों का जिक्र किया। केवल 65 फीसदी ने 2023-2024 के दौरान इसमें वास्तविक सुधार आने की बात कही। सात प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि 2024 में उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। 24 साल से कम उम्र की महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 14 प्रतिशत पाया गया। सर्वेक्षण में आस-पड़ोस (38 प्रतिशत) और सार्वजनिक परिवहन (29 प्रतिशत) को उन जगहों के रूप में चिह्नित किया गया, जहां महिलाओं को अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इसमें पाया गया कि सिर्फ हर तीन में से एक पीड़ित ही उत्पीड़न की घटनाओं की शिकायत करने के लिए आगे आती है। ‘एनएआरआई-2025' के अनुसार, “सर्वेक्षण में शामिल हर तीन में से दो महिलाएं उत्पीड़न की शिकायत नहीं करती हैं, जिसका मतलब यह है कि एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के पास अधिकांश घटनाएं दर्ज ही नहीं होतीं।” इसमें अपराध के आंकड़ों को एनएआरआई जैसे धारणा-आधारित सर्वेक्षणों के साथ एकीकृत करने का आह्वान किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने ‘एनएआरआई-2025' जारी करते हुए कहा कि सुरक्षा को केवल कानून-व्यवस्था के मुद्दे के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह महिलाओं के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है, चाहे वह उनकी शिक्षा हो या स्वास्थ्य, कार्य के अवसर अथवा आवागमन की स्वतंत्रता हो। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं, तो “वे खुद को सीमित कर लेती हैं, और महिलाओं का खुद को सीमित कर लेना न केवल उनके अपने विकास, बल्कि देश के विकास के लिए भी ठीक नहीं है।
- नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ जोड़ने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में रहना नहीं बल्कि देश की परंपराओं के बारे में सीखना है। आरएसएस के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान एक सवाल पर भागवत ने कहा कि वह संस्कृत को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन देश की परंपरा और इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है। भागवत ने यह भी कहा कि वह प्रौद्योगिकी और आधुनिक शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं और यह लोगों के हाथ में है कि वे इन दोनों का उपयोग किस प्रकार करते हैं। उन्होंने कहा, "वैदिक काल के प्रासंगिक 64 पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए। गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए, न कि उसे प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।" आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि मुख्यधारा को गुरुकुल शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए, जिसका मॉडल फिनलैंड के शिक्षा मॉडल के समान है।उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देश फिनलैंड में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक अलग विश्वविद्यालय है। स्थानीय आबादी कम होने के कारण कई लोग विदेश से आते हैं, इसलिए वे सभी देशों के छात्रों को स्वीकार करते हैं।'' उन्होंने कहा, "आठवीं कक्षा तक की शिक्षा छात्रों की मातृभाषा में दी जाती है... इसलिए गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में जाकर रहना नहीं है, इसे मुख्यधारा से जोड़ना होगा।" नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताते हुए भागवत ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा प्रणाली बहुत पहले ही नष्ट हो गई थी। उन्होंने कहा, "नयी शिक्षा प्रणाली इसलिए शुरू की गई क्योंकि हम हमेशा विदेशी आक्रमणकारियों के गुलाम रहे, जो उस समय के शासक थे। वे इस देश पर शासन करना चाहते थे, इसका विकास नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सभी प्रणालियां इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाईं कि हम इस देश पर कैसे शासन कर सकते हैं...लेकिन अब हम आजाद हैं। इसलिए हमें केवल देश नहीं चलाना है, हमें लोगों को चलाना है।"आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बच्चों को अतीत के बारे में सभी आवश्यक जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि उनमें गर्व पैदा हो सके कि ‘‘हम भी कुछ हैं, हम भी कुछ कर सकते हैं।'' उन्होंने कहा, "हमने यह कर दिखाया है। यह सब बदलना ही था। पिछले कुछ सालों में थोड़ा बहुत बदलाव आया है और इसके बारे में जागरूकता बढ़ी है।" भागवत से पूछा गया कि क्या संस्कृत को अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर आप अपनी परंपरा को समझना चाहते हैं और भारत को जानना चाहते हैं, तो संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत ज़रूरी है।" उन्होंने कहा, "यह जरूरी है। तभी हम मूल स्रोतों से सही मायने में समझ पाएंगे। हमें अनुवादों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि कई अनुवादों में त्रुटियां होती हैं। मूल स्रोतों तक पहुंचने के लिए संस्कृत सीखना ज़रूरी है।" आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि इसलिए, इन सभी बातों को नयी शिक्षा नीति में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ चीज़ें हुई हैं, कुछ होने वाली हैं, लेकिन शिक्षा में इस व्यवस्था को बदलना, प्रशासन में इस व्यवस्था को बदलना ज़रूरी है। भागवत ने कहा कि तकनीक और आधुनिक शिक्षा में कुछ भी ग़लत नहीं है, और यह लोगों के हाथ में है कि वे इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं। उन्होंने कहा, "लोगों को तकनीक का मालिक होना चाहिए; तकनीक हमारा मालिक नहीं बन सकती। इसलिए शिक्षा जरूरी है। अगर तकनीक अशिक्षितों के हाथों में पड़ गई, तो इसका उल्टा असर हो सकता है। शिक्षा का मतलब सिर्फ़ जानकारी रटना नहीं है। मनुष्य को मनुष्य बनना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हमें अंग्रेज बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं है। एक भाषा के रूप में, इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं है।"
- नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान और चीन के दौरे पर रवाना होने से पहले बृहस्पतिवार को विश्वास जताया कि यह यात्रा राष्ट्रीय हितों एवं प्राथमिकताओं को आगे ले जाएंगी और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति को बहाल करने में फलदायी सहयोग के निर्माण में योगदान देगी। मोदी अपनी यात्रा के पहले चरण में 29 और 30 अगस्त को जापान का दौरा करेंगे।इसके बाद मोदी जापान से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय चीन यात्रा पर जाएंगे। मोदी ने प्रस्थान करने से पहले एक बयान में कहा कि वह तियानजिन में शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं। मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ वहां शिखर वार्ता करेंगे।प्रधानमंत्री ने जापान यात्रा पर कहा, “हम अपनी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के अगले चरण को आकार देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। दोनों देशों के बीच साझेदारी ने पिछले 11 वर्षों में लगातार और महत्वपूर्ण प्रगति की है।” उन्होंने कहा, “हम अपने सहयोग को नई उड़ान देने, आर्थिक व निवेश संबंधों के दायरे एवं महत्वाकांक्षाओं का विस्तार करने, कृत्रिम मेधा (एआई) व सेमीकंडक्टर सहित नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यह यात्रा भारत-जापान सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का भी एक अवसर होगी। मोदी अपनी यात्रा के दूसरे चरण में 31 अगस्त और एक सितंबर को चीन के तियानजिन शहर का दौरा करेंगे।मोदी ने बयान में कहा कि भारत साझा चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने के लिए एससीओ सदस्यों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्रपति शी चिनफिंग के निमंत्रण पर जापान से तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाऊंगा।” मोदी ने कहा, “भारत एससीओ का एक सक्रिय और रचनात्मक सदस्य है। एससीओ की अध्यक्षता के दौरान हमने नए विचार प्रस्तुत किए और नवाचार, स्वास्थ्य एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहयोग की पहल की।” उन्होंने कहा, “मैं शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी चिनफिंग, राष्ट्रपति पुतिन और अन्य नेताओं से मिलने के लिए भी उत्सुक हूं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनकी यात्रा भारत के राष्ट्रीय हितों को आगे ले जाएगी।उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि जापान और चीन की मेरी यात्राएं हमारे राष्ट्रीय हितों व प्राथमिकताओं को आगे ले जाएंगी और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति, सुरक्षा तथा सतत विकास को आगे बढ़ाने में उपयोगी सहयोग के निर्माण में योगदान देंगी।”