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 ग्रामीण गरीबी और असमानता की चुनौतियों पर आयोजित हुआ इंडिया रूरल कोलोक्वि

-छत्तीसगढ़ शासन, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और टीआरआईएफ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों, उद्यमियों, समाज सेवियों, विशेषज्ञों एवं सामाजिक संस्थाओं ने की चर्चा
-ग्रामीण विकास की चुनौतियों से निपटने विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
 रायपुर ।  राज्य शासन, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर और ट्रांसफ़ॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF) द्वारा आज रायपुर के एक निजी होटल में ‘इंडिया रूरल कोलोक्वि’ का आयोजन किया गया। कोलोक्वि (संगोष्ठी) में अलग-अलग सत्रों में राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, उद्यमियों, समाज सेवियों, विशेषज्ञों तथा सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने “समाज-सरकार-बाज़ार नए गाँव में” विषय पर संवाद किया। इसका आयोजन ग्रामीण विकास की मुख्य चुनौतियों गरीबी, असमानता एवं अन्य विषयों पर विचार-विमर्श के लिए किया गया था। कोलोक्वि में समाज, सरकार और बाजार के प्रतिनिधियों ने ग्रामीण विकास की चुनौतियों से निपटने अपने सुझाव रखे। इस दौरान नए गांवों के निर्माण में समाज, सरकार और बाजार की भूमिका और चुनौतियों के समाधान पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
 कोलोक्वि में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) की लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं की सफलता पर आधारित बुकलेट और रायगढ़ मिलेट्स कैफे द्वारा तैयार मिलेट्स रेसिपी बुक का विमोचन भी किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ल, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका की संचालक श्रीमती पद्मिनी भोई साहू और ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक श्री अनीश कुमार ने दीप प्रज्वलन कर कोलोक्वि का शुभारंभ किया। 
 शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि ’इंडिया रूरल कोलोक्वि‘ का आयोजन पहली बार रीजनल स्तर पर छत्तीसगढ़ में हो रहा है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर योजना निर्माण के लिए वास्तविक और सही जानकारी मिलेगी। स्थानीय सोच और चुनौतियों के आधार पर निकली जानकारी योजनाओं के निर्माण में उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि भारत अपनी 75 वर्ष की यात्रा में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। 
 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक श्रीमती पद्मिनी भोई साहू ने समाज में महिलाओं की भूमिका और उसमें बदलाव पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए घरों से बाहर निकालना एक चुनौती है। यह काम सपोर्ट, मोटिवेशन और समूह चर्चा के माध्यम से किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में गौठान, रीपा, बिहान जैसी महिला केन्द्रित योजनाओं से जुड़कर बड़ी संख्या में महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है और उनका जीवन स्तर ऊपर उठ रहा है। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि सरकार के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक बाजार के फायदे पहुंचाना इस कोलोक्वि का उद्देश्य है। आज की परिचर्चा के बाद निकले निष्कर्ष से पिछड़े वर्गों के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
 आज दिन भर चले कोलोक्वि का पहला सत्र ‘सपनों का समुंदर’ (डीप ड्राइव इनटू ड्रीम्स) थीम पर केन्द्रित था। इसमें राज्य के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से आए युवाओं, जनप्रतिनिधियों, बिहान दीदियों और ग्रामीण परिवारों ने अपने जीवन, संघर्ष, चुनौतियों और सपनों पर बात की। उन्होंने बदलते छत्तीसगढ़ की तस्वीर भी पेश की। समाज सेवी और सीनियर प्रोग्राम मैनेजर डॉ. मंजीत कौर बल ने इस सत्र में चर्चा में कहा कि अवसर और सहयोग से सपने पूरे होंगे। व्यवस्था और तकनीक को पूरा करने की जिम्मेदारी सबकी है। 
 कोलोक्वि के दूसरे सत्र ‘रिजनरेटिव डेव्लपमेंट’ पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर. ने कहा कि हमें ग्लोबल चेंजेस को ध्यान में रखते हुए विकास की ओर बढ़ना होगा। इसमें समुदाय का सहयोग भी जरूरी है। हमें योजनाएं बनाते समय सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट से एक कदम आगे बढ़कर सकारात्मक बदलाव के लिए रिजनरेटिव एप्रोच से सोचना होगा। इसी सोच से डी-फारेस्ट्रेशन के युग में छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र बढ़ा है। बहुआयामी गरीबी में यहां तेजी से कमी आई है। राज्य मनरेगा आयुक्त श्री रजत बंसल, हिन्दुस्तान यूनिलीवर फाउंडेशन की सुश्री अनंतिका और फिल्म अभिनेत्री व समाज सेवी सुश्री राजश्री देशपांडे ने भी इस सत्र में अपने विचार रखे।
 कोलोक्वि के तीसरे सत्र ‘ग्रामीण विकास में समाज-सरकार-बाजार की अनुपूरक भूमिका’ पर कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कृषि के क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलाव को देखते हुए उचित बाज़ार हासिल करने के लिए उत्पादकों को अपने उत्पादों के प्रभावी ढंग से विपणन के लिए सशक्तिकरण पर काम करने की जरूरत बताई। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. शंकर दत्ता और अर्थशास्त्री डॉ. रवींद्र कुमार ब्रह्मे ने भी निष्पक्ष बाजार प्रथाओं, ग्रामीण उत्पादकों को सशक्त बनाने और डिजिटल वाणिज्य को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये गांवों के लिए अधिक समावेशी और समृद्ध भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। लेखक श्री संजीव फंसालकर ने भी इस सत्र में अपने विचार रखे।
 कोलोक्वि का अंतिम सत्र ‘गाँव का पुनर्निर्माण - संरचनात्मक बाधाओं से अंतर-पीढ़ीगत प्रगतिशीलता पर जाति एवं व्यवसायिक बदलाव की भूमिका’ पर केन्द्रित था। मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा ने इस सत्र में कहा कि जाति आधारित व्यावसायिक प्रतिबंधों को तोड़ने और सामाजिक गतिशीलता में पारंपरिक बाधाओं को चुनौती देने का प्रयास एक अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने की दिशा में जरूरी कदम है। छत्तीसगढ़ सरकार का “महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क” इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है। मगन मेमोरियल वर्धा की डॉ. विभा गुप्ता ने कहा कि ग्रामीणों को बाजार पर निर्भर न रहकर अपनी जरूरत की चीजें खुद बनाना चाहिए। किसान को बीज स्वयं तैयार करना चाहिए, अपने बनाए खाद का उपयोग करना चाहिए। हमारा नया गांव एक आत्मनिर्भर गांव होना चाहिए। ट्रांसफ़ार्मिंग  रूरल इंडिया फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक श्री अनीश कुमार ने इस बात को रेखांकित किया कि श्रम विभाजन वास्तव में श्रमिकों के विभाजन में कैसे परिवर्तित हो गया। कोलोक्वि में पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा कृषि विभाग के अधिकारी, ट्रांसफ़ार्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन की सुश्री नीरजा कुडरीमोटी, श्री श्रीश कल्याणी एवं श्री राजीव कुमार त्रिपाठी भी मौजूद थे।

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