किसानों को बिना जुताई गेंहू बोने और जीरो टिलेज सीड ड्रिल पद्धति से खेती करने की सलाह
दुर्ग / कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को बिना जुताई गेहूं बोने की विधि, जीरो टिलेज सीड ड्रिल पद्धति अपनाने हेतु सलाह दी गई है। उन्होंने अवगत कराया है कि पिछली फसल (जैसे धान) की कटाई के बाद खेत में जुताई न करें। खेत में कम से कम 30-40 प्रतिशत अवशेष रहने दें। जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन का उपयोग करें, जो बिना जुताई के सीधे खेत में बीज और उर्वरक बोती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। बहुत अधिक सूखा या बहुत अधिक गीले खेत में बुवाई से बचें। बुवाई शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि मशीन को सही ढंग से समायोजित किया गया है, ताकि बीज और खाद उचित मात्रा और गहराई में गिरें। गेहूं के लिए 3-4 सेंटीमीटर की गहराई ठीक होती है। धान की कटाई के बाद डंठल (नरई) 15-20 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होने चाहिए, ताकि मशीन आसानी से चल सके। मशीन को खेत में चलाएं। यह एक पतली लाइन में बीज और उर्वरक बोएगी, जिससे खेत की मिट्टी फटेगी नहीं और बीज सही जगह पर जाएगा।
जीरो टिलेज विधि के फायदे
जुताई और खेत तैयार करने का खर्च और समय बचता है। बीज और उर्वरक सही गहराई में गिरते हैं, जिससे अंकुरण बेहतर होता है। मिट्टी की नमी बनी रहती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है। इस विधि के अध्ययनों के अनुसार, पैदावार 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। पिछली फसल के अवशेष खेत में ही सड़कर मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं।


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