हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाते हैं मदर्स डे, ऐसा है इतिहास
मदर्स डे 9 मई पर विशेष
मां और बच्चों का रिश्ता इस दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता है, जो बगैर किसी शर्त और बगैर किसी उम्मीद के बेपनाह प्यार के साथ पूरा होता है। मां शब्द के लिए दुनियाभर के साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है। मां ही दुनिया में ईश्वर द्वारा बनाई गई एक ऐसी कृति है, जो निस्वार्थ भाव में मरते दम तक अपने बच्चों पर प्यार लुटाती रहती है। जानिए मदर्स डे का इतिहास और महत्व------
मदर्स डे का इतिहास
9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक कानून पास किया था और इस कानून के मुताबिक हर वर्ष मई माह के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया गया। इसके बाद ही मदर्स डे अमेरिका, भारत सहित कई दूसरे देशों में भी मनाया जाने लगा।
गौरतलब है कि सबसे पहले Mothers Day मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। अमेरिका में एक सामाजिक कार्यकर्ता थी, जिसका नाम एना जार्विस था और अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं, यह कारण था कि उन्होंने न कभी शादी की और न कोई बच्चा पाला। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए एना जार्विस ने मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। फिर धीरे-धीरे कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा। अब दुनिया के अधिकांश देशों में मदर्स डे मनाया जाता है।
मदर्स डे का महत्व
अपनी मां के त्याग, बलिदान, करुणा, दया और निःस्वार्थ प्रेम के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। बदलते समय के साथ मदर्स डे को मनाने के तरीके भी जरूर बदलते जा रहे हैं, लेकिन इन दिन को मनाने का उद्देश्य आज भी नहीं बदला है। अपनी मां के प्रति प्यार जताने के लिए आजकल कई लोग मां को गिफ्ट्स, कार्ड्स या कुछ खास चीज देते हैं। वैसे तो मां को प्यार करने और तोहफे देने के लिए किसी खास दिन की जरूरत कभी नहीं पड़ती लेकिन फिर भी मदर्स डे के दिन मां को सम्मान दिया जाता है।
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