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 नए भारत की नई कहानी: ग्रोथ मार्केट से ग्रोथ इंजन तक

-लेखक : श्री गिरिराज सिंह, वस्त्र मंत्री, भारत सरकार
 एक राष्ट्र की प्रगति केवल उसके आर्थिक सूचकांकों से नहीं मापी जाती, बल्कि इस बात से तय होती है कि उस विकास से आम जनजीवन में कितनी गरिमा, अवसर और आत्मबल का संचार हुआ है। जब हम आज भारत की ओर देखते हैं, तो यह केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक जाग्रत समाज की तस्वीर है, जो आगे बढ़ना जानता है, जो अपने अतीत से सीखता है और अपने भविष्य को स्वयं गढ़ रहा है।
मेरे लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर, जो वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही में 7.4% रही, एक आकंड़ा मात्र नहीं है। यह उस किसान की मेहनत का सम्मान है, जिसने आधुनिक तकनीक को अपनाकर पैदावार बढ़ाई। यह उस महिला उद्यमी की कहानी है, जिसने स्वयं सहायता समूह से यात्रा शुरू कर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद दुनिया तक पहुंचाए। यह उस युवा इंजीनियर का आत्मविश्वास है, जिसने मेक इन इंडिया के अंतर्गत नौकरी ढूंढ़ने के बजाय नौकरी देने वाला बना।
आज भारत की औसत विकास दर 6.5% है, और नॉमिनल जीडीपी 330 ट्रिलियन को पार कर चुकी है। GST संग्रह लगातार दो महीने 2 लाख करोड़ से ऊपर रहा है। यह आर्थिक आत्मबल अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह गाँवों, छोटे कस्बों और दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचा है।
डिजिटल क्रांति ने भारत के सामाजिक ताने-बाने में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाया है। गाँव का एक युवा अब मोबाइल से भुगतान करता है, सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे खाते में प्राप्त करता है और ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से अपने सपनों को साकार करता है। आज UPI के जरिए 25 ट्रिलियन से अधिक ट्रांजैक्शन हो चुके हैं। यह डिजिटल समावेशन केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं है, यह सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण का नया अध्याय है।
भारत ने वैश्विक व्यापार में भी अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज की है। केवल अप्रैल 2025 में ही भारत से 3 मिलियन आईफोन iPhone एक्सपोर्ट हुए, चीन से तीन गुना ज़्यादा। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल बाज़ार नहीं, ग्लोबल वैल्यू चेन का प्रमुख स्तंभ बन चुका है। बीते दशक में भारत में 500 बिलियन से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है, जो इनोवेशन, रोज़गार और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोल रहा है।
हमारे किसान भी इस बदलाव के सशक्त भागीदार बने हैं। आज 51 मिलियन किसानों के पास डिजिटल किसान ID है, जिससे उन्हें उनकी भूमि, फसल और योजनाओं का सीधा लाभ मिलता है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, डिजिटल मंडियाँ, और आत्मनिर्भर कृषि मिशन जैसे प्रयासों ने उन्हें सहयोगी नहीं, सहभागी बनाया है।
भारत में गरीबी दर 2011-12 के 29.5% से घटकर आज 9.4% रह गई है। यह केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का विस्तार है। विश्व बैंक की रिपोर्ट बताती है कि अत्यंत गरीबी अब मात्र 5.3% रह गई है। इस परिवर्तन में उस ग्रामीण परिवार की कहानी छिपी है, जिसके बच्चे पहली बार स्कूल गए, जिसने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को नज़दीक पाया, और जिसने आत्मनिर्भरता को अपनी पहचान बनाया।
इंफ्रास्ट्रक्चर में भी भारत ने नई ऊँचाइयाँ छुई हैं। आज भारत एक साल में 1,600 इंजन बनाकर विश्व का सबसे बड़ा लोकोमोटिव निर्माता है। ऊर्जा क्षेत्र में 49% क्षमता अब नवीकरणीय स्रोतों से है। भारत अब सस्टेनेबल विकास की राह पर तेज़ी से अग्रसर है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में भी भारत की क्षमता को वैश्विक मान्यता मिल रही है। OpenAI जैसी संस्थाओं ने भारत में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय AI अकादमी शुरू की है, यह हमारे युवाओं की प्रतिभा और संभावनाओं में भरोसे का प्रमाण है।
नए भारत की विकास यात्रा में टेक्सटाइल सेक्टर भी एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है। तकनीकी वस्त्रों को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन (NTTM) और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना एक-दूसरे के पूरक बनकर कार्य कर रही हैं। NTTM के तहत ₹510 करोड़ की सहायता से 168 नवाचार आधारित प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी दी गई है। वहीं, टेक्सटाइल इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक मानकों पर लाने के लिए देशभर में 7 पीएम मित्रा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, जहां पूरी वैल्यू चेन को ‘प्लग-एंड-प्ले’ मॉडल पर काम करने की सुविधा मिलेगी। यह क्षेत्र अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि तकनीक, नवाचार और निर्यात का नया प्रतीक बन चुका है।
आज भारत को WTO और WEF जैसे वैश्विक संस्थान केवल एक उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि ग्रोथ इंजन के रूप में देख रहे हैं। यह उस समर्पित प्रयास का परिणाम है, जो आदरणीय प्रधानमंत्री जी की नीतियों, योजनाओं और नागरिकों की सहभागिता से संभव हुआ है।
मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि यह यात्रा केवल सरकार की नहीं, हर भारतीय की है। हमारे सामने आज जो उपलब्धियाँ हैं, वे उस संकल्प का परिणाम हैं जिसने हर गाँव, हर परिवार और हर नागरिक को जोड़ा। भारत आज एक विकल्प नहीं, एक प्रेरणा है, आत्मनिर्भरता की, समावेशिता की और वैश्विक नेतृत्व की। जब हम अमृतकाल में विकसित भारत @2047 की परिकल्पना करते हैं, तो वह केवल एक सपना नहीं, एक साझा संकल्प है और मुझे विश्वास है इस संकल्प की सिद्धि का समय अब दूर नहीं।

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