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 विकसित भारत के लिए मोदी का सुधारों का ब्रह्मास्त्र

-लेखक-  हरदीप एस पुरी, केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री 
 
 मुझे अपने स्कूल के दिनों से ही 15 अगस्त के भाषणों में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त होता रहा है, लेकिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी का 12वें स्वतंत्रता दिवस का भाषण अभूतपूर्व और असाधारण था। इसमें विकसित भारत के पथ पर भारत की गति बढ़ाने के दिशा में सीधे तौर पर लक्षित–ब्रह्मास्त्र-  अर्जुन का अकाट्य पौराणिक अस्त्रे - छोड़ा गया। 
वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्या्प्त  असामान्यअ उथल-पुथल के दौर के बीच, विकसित भारत  का सपना संजोए भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में निरंतर आगे बढ़ना जारी रखे हुए है। यह भाषण केवल अपनी व्यापकता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने दायरे— साहसिक, भविष्योन्मुखी और 1.4 बिलियन लोगों के भाग्य को नया आकार देने में सक्षम अगली पीढ़ी के सुधारों —और उस विजन के प्रति स्पष्टता के लिए भी उल्लेखनीय है, जिसका यह राष्ट्र  इससे पहले कभी साक्षी नहीं रहा।  
उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया स्टैक को ही लें, यूपीआई दुनिया के आधे रीयल-टाइम लेनदेन के लिए उत्तिरदायी है और साल के अंत तक होने वाला, पहली मेड-इन-इंडिया चिप का  लॉन्च , वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की अग्रणी स्थिति को दर्शाता है। ऐसे समय में जब राष्ट्रों की नियति सेमीकंडक्टर निर्धारित करते हैं, महत्वपूर्ण तकनीकों पर संप्रभुता का भारत का यह दावा किसी डिजिटल स्वराज से कम नहीं है। 
ऊर्जा सुरक्षा लंबे समय से भारत के विकास की राह की सबसे बड़ी कमज़ोरी रही है। दशकों तक, झिझक और “नो गो” क्षेत्रों ने अन्वेषण को बाधित किया और आयात पर निर्भरता बढ़ा दी। वह दौर अब बीत चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने ईईजेड में “नो गो” क्षेत्रों को लगभग 99% तक कम कर दिया है, जिससे 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ईएंडपी के लिए मुक्त हो गया है। ओएएलपी के साथ, इसने भारतीय और वैश्विक दिग्गजों, दोनों के लिए समान रूप से एक विशाल क्षेत्र खोल दिया है—हमारे हाइड्रोकार्बन बेसिन अब निष्क्रिय नहीं रहेंगे, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति के लिए उपयोग में लाए जाएँगे। 
लाल किले की प्राचीर से घोषित ऐतिहासिक राष्ट्रीय गहरे जल अन्वेषण मिशन, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक महत्वाकांक्षी दूरदर्शी एजेंडा निर्धारित करता है। इस मिशन का लक्ष्य लगभग 40 वाइल्डकैट कुओं की ड्रिलिंग के माध्यम से 600-1200 मिलियन मीट्रिक टन तेल और गैस भंडारों का पता लगाना है। पहली बार, बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर तक भारत अपनी जटिल अपतटीय सीमाओं को व्यवस्थित रूप से खोलेगा, एक ऐसे ढाँचे के साथ जो सूखे कुओं की स्थिति में 80 प्रतिशत तक और व्यावसायिक खोज पर 40 प्रतिशत तक लागत की वसूली की अनुमति देकर निवेश के जोखिम को कम करता है।  
यह पहल एक व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत 2032 तक घरेलू तेल और गैस उत्पादन को तिगुना बढ़ाकर 85 मिलियन टन और राष्ट्रीय भंडार को दोगुना करके एक से दो बिलियन टन के बीच किया जा सकता है। लगभग 8 मिलियन टन उत्पादन के बराबर, अतिरिक्त 100-250 बिलियन क्यूिबिक मीटर गैस उपलब्ध कराने के लिए प्लग-एंड-प्ले आधार पर अपतटीय साझा बुनियादी ढाँचा बनाया जाएगा। ये सभी उपाय न केवल पहले से अटकी हुई खोजों का मुद्रीकरण करेंगे, बल्कि एक आत्मनिर्भर ईएंडपी इकोसिस्टटम का निर्माण भी करेंगे, जहाँ स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की हिस्सेदारी आज के 25-30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। यह आज़ादी के बाद से भारत का सबसे व्यापक अपस्ट्रीम सुधार है।
साथ ही, ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तमर पर अग्रणी बनकर उभरा है। भारत 2030 के लक्ष्य से पाँच साल पहले ही 2025 तक 50% स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य तक पहुँच गया है। जैव ईंधन और हरित हाइड्रोजन प्रायोगिक स्तर से उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं; इथेनॉल मिश्रण और सीबीजी स्केल-अप एक नए ग्रामीण-औद्योगिक आधार का निर्माण कर रहे हैं; एलएनजी के बुनियादी ढाँचे का विस्तार जारी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि असैन्य परमाणु ऊर्जा को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है। वर्तमान में, 10 नए परमाणु रिएक्टर चालू हैं, और भारत का लक्ष्य अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को दस गुना बढ़ाना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने की भव्य योजना का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की घोषणा हमारी औद्योगिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। ऐसे समय में जब दुनिया लिथियम, दुर्लभ मृदा तत्व , निकल और कोबाल्ट के सामरिक महत्व को पहचान रही है, भारत ने 1,200 से अधिक स्थलों पर अन्वेषण शुरू किया है और साझेदारी, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण का ढाँचा तैयार कर रहा है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, ईवी और उन्नत रक्षा क्षेत्र कभी भी बाहरी अवरोधों के अधीन न रहें। 
राष्ट्रीय सुरक्षा लाल किला चार्टर का एक अन्य, स्तंभ था। ऑपरेशन सिंदूर ने परमाणु ब्लैकमेल के युग का अंत करते हुए वास्तविक समय में भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया और यह संदेश दिया कि आक्रमण का जवाब तेज़ी और कुशलता से दिया जाएगा। सिंधु जल संधि को स्थेगित करना संप्रभुता का साहसिक दावा है। सबसे बढ़कर, मिशन सुदर्शन चक्र का अनावरण,  युद्धभूमि  में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन की रक्षा से प्रेरित है, जो मोदी की शैली— सभ्यतागत प्रतीकवाद के अत्याधुनिक तकनीक से मेल का प्रतीक है।
 
एक बहुस्तरीय स्वदेशी सुरक्षा कवच भारत के महत्वपूर्ण संस्थानों की साइबर, भौतिक और हाइब्रिड खतरों से रक्षा करेगा। प्रधानमंत्री ने हमारे लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करने वाले इंजनों के डिज़ाइन और निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय चुनौती जारी की है, और वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और संस्थानों से संयोजन या असेंबली से ऑथरशिप तक की छलांग लगाने का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री ने कठोर सत्यों से भी परहेज नहीं किया। उन्होंने उद्योग जगत और किसानों से आत्मनिर्भरता अपनाने और उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने का आग्रह किया। हालाँकि भारत दुनिया की फार्मेसी है, जो वैश्विक टीकों का 60% का उत्पादन करता है, अब इसे नई दवाओं, टीकों और उपकरणों के क्षेत्र में भी अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। यह बायोई3 नीति के तहत बायोफार्मा को निर्णायक बल देने के साथ-साथ है, जहाँ हमारी महत्वाकांक्षा ऐसी दवाओं का पेटेंट और उत्पादन करना है जो किफायती और विश्वस्तरीय दोनों हों।
घोषित किए गए कर और कानूनी सुधार भी उतने ही साहसिक हैं। महत्वसपूर्ण बात यह है कि 1961 का आयकर अधिनियम, जो स्वयं उस युग का अवशेष है, अब बदला जा रहा है। नया आयकर विधेयक जटिलता को कम कर रहा है, 280 अनावश्यक धाराओं को समाप्त कर रहा है और 12 लाख रुपये तक की राहत प्रदान कर रहा है। फेसलेस मूल्यांकन की शुरुआत ने प्रणाली को पारदर्शी, कुशल और भ्रष्टाचार-मुक्त बना दिया है।
दिवाली तक लॉन्चल किया जाने वाला अगली पीढ़ी का जीएसटी 2.0, दरों को और अधिक तर्कसंगत बनाएगा और अनुपालन को बढ़ावा देगा। 40,000 से ज़्यादा अनावश्यक अनुपालनों को समाप्त करने, 1,500 से ज़्यादा पुराने कानूनों को निरस्त करने और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के साथ, यह नेहरू के आर्थिक पिंजरे को तोड़ने जैसा है। ये सुधार केवल बैलेंस शीट में ही नहीं, बल्कि जीवन में भी सुधार लाते हैं। 25 करोड़ से ज़्यादा लाभार्थियों तक पहुँचकर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  - ने कल्याण में जवाबदेही को अंतर्निहित किया है और 25 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला है।
रोज़गार पर फोकस को भी केंद्र में लाया  गया है।  पीएम विकसित भारत रोज़गार योजना 1 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्चक की गई है; नए रोज़गार पाने वाले युवाओं को 15,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, नए रोज़गार के अवसरों का सृजन  करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा, और इस कार्यक्रम का लक्ष्य लगभग 3.5 करोड़ युवा भारतीयों तक पहुँचना है।
महत्वाकांक्षा को वास्तपविकता में बदलने के लिए प्रधानमंत्री ने अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है—इस निकाय को आर्थिक गतिविधियों के पूरे इकोसिस्टसम को नया रूप देने के लिए बनाया गया है। इसका अधिदेश जितना साहसिक है, उतना ही लंबे अर्से से अपेक्षित भी है: हमारे स्टार्टअप्स और एमएसएमई पर बोझ डालने वाली अनुपालन लागत में कटौती करना, उद्यमों को निरंतर मनमानी कार्रवाई की छाया में रहने से छुटकारा दिलाना, तथा जटिल कानूनों  को  सरल, पूर्वानुमानित और व्यवस्थित ढांचे में ढालना।
15 अगस्त को घोषित सुधार, केवल अगले दिन की सुर्खियों के लिए नहीं, बल्कि 2047 के भारत से संबंधित हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री ने हमें याद दिलाया, दुनिया एक प्राचीन सभ्यता को - अपनी जड़ों को त्यागकर नहीं, बल्कि उनसे शक्ति प्राप्त करके आधुनिक शक्ति में तब्दी्ल होते हुए देख रही है।

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