सजल
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
सोते रहते उन्हें उठाना।
शंखनाद कर नींद भगाना।।
रिश्ते महकाते जीवन को!
सीखें रूठा मित्र मनाना!!
बाँट खुशी हम भी सुख पाएँ ।
सत्कर्मों का मार्ग सुहाना ।
दिव्य दृष्टि रख अर्जुन जैसी !
लक्ष्य साध कर लगा निशाना।।
भेद मिटा कथनी-करनी में।
सीख स्वयं फिर पाठ पढ़ाना।।
कुंडलियों के भ्रम में मत पड़।
काम जरूरी हृदय मिलाना।।









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