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सफलता पाने के लिए विद्यार्थी जरूर रखें इन चार बातों का ध्यान

आचार्य चाणक्य की गणना देश के महान विद्वानों में की जाती हैं, उन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि आचार्य चाणक्य को न केवल राजनीति विज्ञान बल्कि अर्थशास्त्र, युद्ध रणनीति, ज्योतिष और चिकित्सा का भी ज्ञान था, इतना ही नहीं उन्होंने खगोल विज्ञान और समुद्र शास्त्र जैसे विषयों में भी महारत हासिल की हुई थी।
कहते हैं कि चाणक्य ने अपने जीवन काल में एक महान नीति शास्त्र की रचना की थी, जिसे 'चाणक्य नीति' के नाम से जाना जाता है, इस नीति शास्त्र में जीवन से जुड़ी कई बातों का उल्लेख है जिसका अध्ययन करने पर नए नजरिए की प्राप्ति होती हैं।
चाणक्य नीति में विद्यार्थियों के लिए भी कई सफलता सूत्र हैं जिन्हें अपनाने पर विद्यार्थी जीवन सरल बनता है। चाणक्य के अनुसार हमारे पूरे जीवन काल में छात्र होने का समय सबसे किमती और खूबसूरत होता है, यह वो समय है जब छात्र अपने सपनों को पूरा करने की रेस में दौड़ते हैं, लेकिन इस दौरान विद्यार्थियों को कुछ खास बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, नहीं तो समस्याएं हो सकती हैं, आइए इसके बारे में जानते हैं।
सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतो सुखम् ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि विद्या प्राप्ति के समय विद्यार्थी को सुख-सुविधाओं की आशा नहीं करनी चाहिए, उन्हें केवल लक्ष्य के प्रति कठोर तप करना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार कठोर परिश्रम करने पर ही विद्या की प्राप्ति हो सकती है।
अनुशासन का पालन
जीवन में सफलता हासिल करने के लिए विद्यार्थी को सर्वप्रथम अनुशासन का पालन करना चाहिए। अगर अनुशासन का पालन न किया जाए, तो कार्यों को पूरा करने में हमेशा बाधाएं आती हैं। चाणक्य नीति के अनुसार अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग करते हैं, जिससे सफलता हासिल करने में आसानी होती हैं।
 लालच न करें
विद्यार्थियों को कभी भी किसी भी तरह के 'लालच' में नहीं पड़ना चाहिए। लालच सफलता प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे व्यक्ति का कठोर परिश्रम भी प्रभावित होता है। चाणक्य के अनुसार लालच विद्यार्थियों के सुखी जीवन में परेशानियों के द्वार खोलता है, इसलिए कभी भी लालच के मार्ग को नहीं अपनाना चाहिए।
कभी न करें गुरु का अपमान
आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन में कभी भी गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए। गुरु जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, इतनी ही नहीं कार्यों में आ रही समस्याओं का निवारण भी हमारे गुरूजन करते हैं, इसलिए कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए। गुरु, व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत बनाते हैं।

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