सीबीजी और पोटाश संयंत्रों के लिए 15 सहकारी चीनी मिलों को एनसीडीसी से मिलेगा वित्त पोषण: शाह
अहिल्यानगर (महाराष्ट्र). केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) और पोटाश उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए देश भर की 15 सहकारी चीनी मिलों को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से वित्तपोषण के लिए चुना जाएगा। अहिल्यानगर जिले के कोपरगांव तहसील में सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना में एक सीबीजी इकाई, एक स्प्रे ड्रायर और पोटाश दाना विनिर्माण केंद्र के उद्घाटन पर शाह ने कहा कि ये परियोजनाएं भारत के सहकारी क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं निदेशक विवेक कोल्हे को बताना चाहता हूं कि यह काम पूरे देश में फैलेगा। मोदी सरकार एनसीडीसी से वित्त-पोषण के लिए 15 सहकारी चीनी मिलों का चयन करेगी, ताकि उनके परिसर में ऐसे संयंत्र स्थापित किए जा सकें। यह एक नई शुरुआत होगी।'' मंत्री ने कहा कि कोपरगांव में शुरू की गई इकाइयां देश में अपनी तरह की पहली हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पचपन करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सीबीजी संयंत्र प्रतिदिन 12 टन सीबीजी और 75 टन पोटाश का उत्पादन करेगा। ये दोनों उत्पाद वर्तमान में आयात किए जाते हैं और यह पहल आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए विदेशी मुद्रा की बचत करेगी।'' शाह ने कहा कि परियोजना ने सीबीजी की खरीद के लिए गेल, बीपीसीएल, इफको और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के साथ पहले ही समझौता कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य वृत्तीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) हासिल करना है। महाराष्ट्र की सहकारी विरासत की सराहना करते हुए शाह ने कहा कि राज्य ने कभी चीनी सहकारी आंदोलन का नेतृत्व किया था, उसे अब ‘सर्कुलर इकोनॉमी' क्षेत्र में अग्रणी होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्रियों- एकनाथ शिंदे और अजित पवार- से अनुरोध है कि यदि महाराष्ट्र ऐसी मिलों का समर्थन करता है तो केंद्र सरकार भी पूरी सहायता प्रदान करेगी।" शाह ने विविधता का आह्वान करते हुए कहा कि प्रत्येक लाभ कमाने वाली चीनी मिल को फल प्रसंस्करण भी शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इससे फल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और मिलों को अतिरिक्त आय होगी।''
दलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए हाल ही में स्वीकृत मिशन का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2025-26 से 2030-31 तक के छह वर्षीय कार्यक्रम के लिए 11,440 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम दालों के लिए 1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करेंगे और किसानों को 38 लाख उच्च-गुणवत्ता वाले बीज किट वितरित करेंगे।'' शाह ने यह भी कहा कि हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों से कृषि क्षेत्र पर बोझ कम हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘ट्रैक्टर, उनके पुर्जों, हार्वेस्टर, थ्रेशर, मधुमक्खी पालन उपकरण, स्प्रिंकलर, टपक सिंचाई प्रणाली और पोल्ट्री मशीनरी पर कर घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे किसानों की लागत बचेगी।'' घरेलू उत्पादन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को चौथे स्थान पर ला दिया है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बहुत करीब हैं। हालांकि, नंबर एक अर्थव्यवस्था बनने के लिए स्वदेशी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। प्रत्येक नागरिक को स्वदेशी उत्पादों को अपनाना चाहिए।''









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