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नीति आयोग ने 49 करोड़ असंगठित श्रमिकों को सशक्त बनाने के लिए ‘AI रोडमैप’ किया लॉन्च

 नई दिल्ली। नीति आयोग ने  बुधवार को एआई फॉर इनक्लूसिव सोसाइटल डेवलपमेंट नामक एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक भारत के 49 करोड़ असंगठित श्रमिकों के जीवन और आजीविका को एआई और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के जरिए बदलाव लाने के लिए तैयार की गई है। यह रिपोर्ट डेलॉइट के सहयोग से तैयार की गई है और देश के एआई परिदृश्य में एक नया मोड़ लेकर आई है। जहां वैश्विक स्तर पर एआई चर्चा मुख्यतः श्वेतपोश नौकरियों और औपचारिक अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रही है, वहीं यह रिपोर्ट भारत के असंगठित क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करती है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग आधा हिस्सा योगदान करता है, लेकिन औपचारिक सुरक्षा और उत्पादकता तंत्र से अभी भी बाहर है।

 इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि भारत के असंगठित श्रमिकों को सशक्त बनाना सिर्फ आर्थिक प्राथमिकता नहीं, बल्कि एक नैतिक दायित्व भी है। एआई और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी की मदद से यह मिशन सुनिश्चित करेगा कि हर श्रमिक चाहे वह किसान हो, कारीगर या स्वास्थ्यकर्मी — डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल, उपकरण और अवसर प्राप्त करे।
 इस रणनीति का मुख्य केंद्र “मिशन डिजिटल श्रमसेतु है, जो एक राष्ट्रीय पहल के रूप में हर असंगठित श्रमिक तक एआई को सुलभ, किफायती और प्रभावी बनाने का लक्ष्य रखती है। इस मिशन के तहत एआई, ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग और अन्य उभरती तकनीकों का उपयोग कर वित्तीय असुरक्षा, सीमित बाजार पहुंच, कौशल की कमी और सामाजिक सुरक्षा के अभाव जैसी बाधाओं को दूर किया जाएगा।
 नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने इस मौके पर कहा कि अगर हमें वास्तव में भारत के 49 करोड़ असंगठित श्रमिकों के जीवन को बदलना है, तो सहयोग वैकल्पिक नहीं बल्कि अनिवार्य है। सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा तभी स्थायी सशक्तिकरण संभव है।
 नीति आयोग की डिस्टिंग्विश्ड फेलो और फ्रंटियर टेक हब की प्रमुख देबजानी घोष ने कहा कि भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर के विकसित भारत 2047 विजन को हासिल करने के लिए असंगठित क्षेत्र को सशक्त बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एआई अपने आप लोगों का जीवन नहीं बदलेगा। यह रोडमैप असंगठित श्रमिकों की आवाज, उनकी चुनौतियों और आकांक्षाओं को एआई संवाद के केंद्र में रखता है।
 अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है कि यदि तत्काल और समन्वित कार्रवाई नहीं की गई, तो 2047 तक असंगठित श्रमिकों की औसत वार्षिक आय मात्र 6,000 डॉलर पर रुक सकती है, जो भारत के उच्च-आय वाले राष्ट्र बनने के लिए आवश्यक 14,500 डॉलर प्रति व्यक्ति आय लक्ष्य से काफी कम है। रिपोर्ट के लॉन्च कार्यक्रम में जयंत चौधरी, डॉ. वी. के. पॉल (सदस्य, नीति आयोग), बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम (सीईओ, नीति आयोग), एस. कृष्णन (सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय), देबाश्री मुखर्जी (सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय) और देबजानी घोष सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
 इस कार्यक्रम में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII), नैसकॉम फाउंडेशन, वर्ल्ड बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, सत्त्व कंसल्टिंग, हकदर्शक और पिरामल फाउंडेशन जैसे उद्योग एवं विकास सहयोगी संगठनों ने भी भाग लिया। नीति आयोग का यह रोडमैप उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।-(

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