भारत की नदियां केवल विरासत का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रगति के राजमार्ग हैं : पीएम मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के लिखे एक लेख साझा किया, जिसमें उन्होंने पुनर्जीवित जलमार्गों को लेकर अपने दृष्टिकोण और विकसित भारत की ओर उनके बढ़ते कदमों पर प्रकाश डाला है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की नदियां केवल विरासत का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि प्रगति के राजमार्ग हैं।
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल के एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी के हवाले से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने लिखा, “भारत की नदियां केवल विरासत का प्रतीक नहीं हैं, वे प्रगति के राजमार्ग हैं! केंद्रीय मंत्री श्री @sarbanandsonwal ने पुनर्जीवित जलमार्गों के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया और बताया कि वे कैसे विकसित भारत की ओर अग्रसर हैं। पिछले कुछ वर्षों में लॉजिस्टिक्स, पर्यटन और बुनियादी ढांचे को किस प्रकार मजबूत किया गया है, यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।”
सोनोवाल ने अपने लेख में लिखा, “एक समय था जब भारत की नदियां न केवल पवित्र थीं, बल्कि परिवहन का एक व्यावहारिक साधन भी थीं-जब ट्रकों के पक्की सड़कों पर राज करने से बहुत पहले, पटना या डिब्रूगढ़ से कोलकाता तक माल तैरता था। भारत की नदियां ही पहले राजमार्ग थीं, जिनकी धाराएं अनाज, नमक और कहानियां ढोती थीं। समय के साथ, जब स्टील की पटरियों और डामर सड़कों ने उनकी जगह ले ली, तो नदियां केवल वादे बनकर रह गईं।”
उन्होंने कहा कि आज, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के सहयोग से, भारत की नदियों की पुनः खोज, पुनर्कल्पना और कायाकल्प किया जा रहा है -इस बार, यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली परिणाम-संचालित और नेकनीयत सरकार द्वारा संस्थागत वित्त पोषण के माध्यम से संभव हो पाया है।
केद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत में 14,500 किलोमीटर से अधिक नौगम्य जलमार्ग हैं, और 111 को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है, जबकि 2014 तक केवल पांच ही राष्ट्रीय जलमार्ग थे। अब 32 चालू हैं। यह बदलाव, 10 गुना बड़ा, केवल नए मानचित्रों के बारे में नहीं है, यह अनेक प्रकार की कनेक्टिविटी के लिए प्रधानमंत्री के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण द्वारा आकार दिए गए लॉजिस्टिक्स दर्शन को पुनर्जीवित करने के बारे में है।
सोनोवाल ने कहा, “इसके स्पष्ट लाभ हैं, कम ईंधन, कम उत्सर्जन और माल का किफायती परिवहन। हमें बस नदी का सम्मान करना है-समझदारी से ड्रेजिंग करनी है, उसे सुरक्षित दिशा में ले जाना है और भौतिक विज्ञान को भारी काम करने देना है।”
दरअसल, इस लेख में 2013-14 में 18 मिलियन टन से बढ़कर 2024-25 में 145 मिलियन टन तक माल ढुलाई की आशाजनक तस्वीर पेश की गई है। इसी के चलते सरकार ने 2030 तक 200 मिलियन टन और 2047 तक 250 मिलियन टन माल ढुलाई का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।
सोनोवाल ने आगे कहा कि नदी पर्यटन तेज़ी से बढ़ रहा है-एक दशक पहले सिर्फ़ पांच जहाज़ों से बढ़कर आज 13 जलमार्गों पर 25 क्रूज़ हो गए हैं। एक साल में गंगा, ब्रह्मपुत्र और केरल के बैकवाटर्स इस मामले में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि वाराणसी, कोलकाता, पटना, डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी के टर्मिनलों को इलेक्ट्रिक शोर लिंक और 24 घंटे नेविगेशन सुविधाओं से लैस किया जा रहा है ताकि नदी पार करना आरामदायक और टिकाऊ दोनों हो सके।


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