पिछले 17 में से सिर्फ एक टेस्ट जीत के कारण इंग्लैंड क्रिकेट का संकट गहराया
लंदन. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एशेज श्रृंखला में हार के बाद वेस्टइंडीज के हालिया दौरे पर टेस्ट श्रृंखला में मिली निराशा से इंग्लैंड की टीम और क्रिकेट प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। टीम पिछले 17 टेस्ट मैचों में से सिर्फ एक बार जीत का स्वाद चखने में सफल रही है।
एशेज में करारी शिकस्त के बाद मुख्य कोच और क्रिकेट निदेशक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और अब वेस्टइंडीज दौरे के बाद इस तरह की अटकलें लग रही है कि कप्तान जो रूट को भी यह जिम्मेदारी छोड़नी होगी। आने वाले दिनों ने इंग्लैंड को न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका की तीन-तीन मैचों की टेस्ट श्रृंखला के लिए मेजबानी करनी है और इस बीच भारत के खिलाफ श्रृंखला का बचा हुए एक टेस्ट मैच भी खेलना है। भारतीय टीम पांच मैचों की इस श्रृंखला में अभी 2-1 से आगे है। रूट ने हालांकि कहा है कि वह टीम का नेतृत्व करना जारी रखना चाहते है। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे मैच में 10 विकेट की हार के बाद कहा, ‘‘ इस टीम को आगे ले जाने के लिए मैं काफी जुनून से भरा हूं।'' रूट रिकॉर्ड 64 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड की कप्तानी कर चुके है।
पिछले कुछ समय में टीम की सबसे बड़ी कमजोरी लचर बल्लेबाजी रही है। रूट को छोड़कर किसी भी बल्लेबाज के प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रही है। 2021 में इंग्लैंड के बल्लेबाज 50 बार शून्य के स्कोर पर आउट हुए और इस दौरान उनका औसत महज 24.80 का रहा। वेस्टइंडीज दौरे पर भी तीसरे टेस्ट में बल्लेबाजी हार का कारण बनी। गेंदबाजी में भी वेस्टइंडीज दौरे पर अनुभवी जिमी एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड को टीम से बाहर करने का खामियाजा भुगतना पड़ा। जोफ्रा आर्चर लंबे समय से टीम से बाहर है और मार्क वुड तथा ओली रोबिनसन अक्सर चोट से परेशान रहते है। ऐसे में फौरी तौर पर टीम को एक साथ 34 साल का अनुभव और 1,177 विकेट साझा करने वाली एंडरसन और ब्रॉड की जोड़ी की ओर लौटना होगा। इंग्लैंड की घरेलू क्रिकेट प्रणाली पर भी सवाल उठ रहा है । काउंटी क्रिकेट की जगह सीमित ओवर की प्रतियोगिताओं को ज्यादा तरजीह देने के आरोप लग रहे हैं। जुलाई और अगस्त में पहले काउंटी क्रिकेट खेला जाता था लेकिन अब यह समय सीमित ओवर की घरेलू प्रतियोगिताओं को दे दिया गया है।








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