- Home
- देश
- नयी दिल्ली. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में 313 दिव्यांग बच्चों को गोद लिया गया, जिनमें से 83 घरेलू और 230 अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण थे। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह 2025 से पहले जागरूकता गतिविधियां शुरू की हैं। राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह आधिकारिक तौर पर नवंबर में मनाया जाता है, जिसका जोर दिव्यांग बच्चों को गोद लेने पर है। बयान में कहा गया है कि इस वर्ष अभियान का ध्यान दिव्यांग बच्चों के ‘‘गैर-संस्थागत पुनर्वास'' पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य गोद लेने को प्रोत्साहित करना, गलत धारणाओं को तोड़ना और गोद लेने से बच्चों और परिवारों को मिलने वाली खुशी को रेखांकित करना है। माईगव इंडिया के सहयोग से, सीएआरए ने एक राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन अभियान शुरू किया है, जिसमें पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं, प्रतिज्ञा लेना, शुभंकर बनाना, माता-पिता और गोद लिए गए बच्चों द्वारा साझा की गई गोद लेने की कहानियां और गोद लेने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए विचारों को प्रस्तुत करना शामिल है। गोद लिए गए बच्चों और घर का इंतजार कर रहे बच्चों के सम्मान में एक विशेष अभियान लोगो और हैशटैग ‘‘एवरीचाइल्डमैटर्स'' शुरू किया गया है। इसमें कहा गया है कि लद्दाख, असम, मिजोरम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तैयार हैं।
- बेंगलुरु. प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा को 2025 के ‘महात्मा गांधी सेवा पुरस्कार-कर्नाटक' के लिए चुना गया है। राज्य सरकार ने बुधवार को यह घोषणा की। एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने समाज में महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गांधी जयंती के उपलक्ष्य में, कर्नाटक सरकार राज्य भर में कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिनमें लोगों, स्कूलों और कॉलेजों की सक्रिय भागीदारी होगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोगों के बीच गांधीवादी दर्शन और मूल्यों के प्रसार में ‘उत्कृष्ट भूमिका' के लिए गुहा को इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना गया है। गुहा की प्रमुख कृतियों में शामिल हैं: ‘इंडिया आफ्टर गांधी', ‘ए कॉर्नर ऑफ ए फॉरेन फील्ड‘, ‘गांधी बिफोर इंडिया', ‘गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड' और ‘द अनक्वाइट वुड्स'। उनकी दो खंडों वाली गांधी जीवनी का कन्नड़ सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
- नयी दिल्ली. भारतीय रेलवे ‘‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड'' दृष्टिकोण के तहत बोगी, डिब्बों, इंजन और प्रणोदन प्रणालियों सहित महत्वपूर्ण रेलवे उपकरणों के वैश्विक निर्यातक के रूप में तेजी से उभर रहा है। रेल मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि करीब 16 देशों में बढ़ता निर्यात भारत की डिजाइन, विकास और विश्व को आपूर्ति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘भारत के रेलवे उत्पाद तेजी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना स्थान बना रहे हैं। मेट्रो ट्रेन के डिब्बे ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को निर्यात किए गए हैं; बोगी ब्रिटेन, सऊदी अरब, फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया को; प्रणोदन प्रणालियाँ फ़्रांस, मेक्सिको, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी और इटली को; यात्री डिब्बे मोजाम्बिक, बांग्लादेश और श्रीलंका को; तथा रेल इंजन मोजाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमा, बांग्लादेश एवं गिनी गणराज्य को निर्यात किए गए हैं।'' विज्ञप्ति के मुताबिक जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के मढ़ौरा लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र से गिनी गणराज्य को निर्यात के लिए पहले इंजन को हरी झंडी दिखाई थी और तब से अबतक छह इंजन सफलतापूर्वक गिनी गणराज्य को निर्यात किये जा चुके हैं।
- नयी दिल्ली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष अजय कुमार ने बुधवार को कहा कि किसी भी सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों द्वारा धोखाधड़ी और फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करना ‘‘अस्वीकार्य'' है और इससे उनके करियर को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। अपनी तरह के पहले वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में, उन्होंने अभ्यर्थियों से ‘‘उस रास्ते पर जाने'' से बचने को कहा जो कड़ी कार्रवाई का कारण बने, जिसमें यूपीएससी द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में तीन साल तक शामिल होने पर रोक भी शामिल है। कुमार ने कहा, ‘‘यूपीएससी की परीक्षाओं में, धोखाधड़ी बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इस मामले में हमारी नीति कतई बर्दाश्त न करने की है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।'' यूपीएससी प्रमुख ने कार्यक्रम के दौरान विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिनमें सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने में कोचिंग सेंटर की उपयोगिता और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व परिवीक्षाधीन पूजा खेडकर द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल का मुद्दा भी शामिल था। केंद्र ने पिछले साल खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि उन्होंने गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाकर अपना चयन सुनिश्चित किया था। कुमार ने कहा, ‘‘किसी भी तरह की धोखाधड़ी, चाहे आप किसी परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाएं या आप कोई फर्जी प्रमाण पत्र पेश करें या अपनी जन्मतिथि में हेरफेर करें... नियमों और विनियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' यूपीएससी प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर धोखाधड़ी की जाती है, तो आपराधिक प्राथमिकी दर्ज होती है और आपराधिक कार्रवाई की जाती है। और, आप देखिए कि पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसलिए, मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।'' कुमार ने कहा, ‘‘हमने परीक्षा केंद्र में प्रवेश के दौरान चेहरे की पहचान के माध्यम से प्रवेश की अनुमति लागू की है।'' उन्होंने कहा कि आयोग अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता बनाए रखने के लिए डिजिलॉकर के माध्यम से प्रमाण पत्र लेने की योजना बना रहा है। उन्होंने भर्ती परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग की उपयोगिता पर भी विस्तार से चर्चा की।कुमार ने कहा, ‘‘कोचिंग का मुद्दा बहुत बड़ा है। सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि यूपीएससी (परीक्षा) में सफलता के लिए कोचिंग अनिवार्य नहीं है।'' कुमार ने कहा कि अभ्यर्थियों की आयु सीमा या विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए मिलने वाले अवसरों की संख्या निर्धारित करने के वास्ते ‘कट-ऑफ' तिथि में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अवसरों (अटेम्प्ट) की संख्या को लेकर कई विचार हैं। कुछ का कहना है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए। कुछ का कहना है कि इसे कम किया जाना चाहिए... हमारे समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही हमारे पास ऐसा कोई विचार है।'' उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सिविल सेवा परीक्षा में ज्यादातर इंजीनियरिंग छात्र, जो उत्तीर्ण हो रहे हैं, वे मानविकी विषय चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर इंजीनियर गैर-इंजीनियरिंग विषयों को चुनते हैं। उन्होंने उन सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही, जिनमें कहा गया था कि सिविल सेवा परीक्षा इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से आने वालों के लिए ज्यादा अनुकूल है।
- नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बृहस्पतिवार को अपने 100 साल पूरे करने वाला है और अपनी स्थापना के बाद से इसने सबसे बड़ा सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन बनने तक एक लंबा सफर तय किया है। 1925: डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर को आरएसएस की स्थापना की।1926: 17 अप्रैल को संगठन को ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' नाम मिला जब हेडगेवार के अनुयायियों के एक छोटे समूह ने चार प्रस्तावित नामों में से इस नाम को सबसे ज्यादा वोट दिए। 1926: पहली नित्य शाखा नागपुर में 28 मई से शुरू हुई।1927: पदाधिकारियों का पहला प्रशिक्षण शिविर मई में शुरू हुआ जिसमें 17 प्रतिभागी शामिल हुए।1928: मार्च में पहले प्रतिज्ञा समारोह में 99 स्वयंसेवक शामिल हुए।1929: नवंबर में हुई दो दिवसीय बैठक में हेडगेवार को आरएसएस सरसंघ चालक, बालाजी हुद्दार को सरकार्यवाह और मार्तंडराव जोग को सरसेनापति नियुक्त किया गया। 1930: कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। हेडगेवार ने सभी शाखाओं को 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्देश दिया। हेडगेवार ने कई स्वयंसेवकों के साथ जंगल सत्याग्रह में भाग लिया और गिरफ्तार हुए। खाकी टोपी के स्थान पर काली टोपी को आरएसएस के गणवेश के हिस्से के रूप में अपनाया गया। 1940: ब्रिटिश सरकार ने संघ गणवेश और रूट मार्च पर प्रतिबंध लगा दिया। हिंदी और मराठी प्रार्थना के स्थान पर संस्कृत प्रार्थना शुरू की गई। हेडगेवार का 21 जून को निधन हो गया। माधव सदाशिव गोलवलकर को तीन जुलाई को आरएसएस का दूसरा सरसंघचालक नियुक्त किया गया। 1947: आरएसएस स्वयंसेवकों ने केन्या में भारतीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। ‘ऑर्गनाइजर' और ‘पांचजन्य' साप्ताहिक पत्रिकाएं शुरू की गईं। 1948: 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तत्कालीन आरएसएस प्रमुख माधव सदाशिव गोलवलकर और हजारों स्वयंसेवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। 1949: सरकार ने 12 जुलाई 1949 को प्रतिबंध हटा लिया। संघ का संविधान तैयार किया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की स्थापना की गई। 1950: आरएसएस की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की पहली बैठक मार्च में हुई। पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की मदद के लिए वास्तुहारा सहायता समिति की स्थापना की गई। 1952: गोरक्षा आंदोलन का प्रारंभ। वनवासी कल्याण आश्रम प्रारंभ। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ की स्थापना। 1954: दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराने में स्वयंसेवकों ने मदद की।1955: गोवा मुक्ति संग्राम में स्वयंसेवकों की प्रभावी सहभागितता। भारतीय मजदूर संघ की स्थापना।1963: 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में आमंत्रण मिलने पर लगभग 3000 आरएसएस स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश और बैंड के साथ भाग लिया। 1964: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की स्थापना हुई।1973: पांच जून को माधव सदाशिव गोलवलकर का निधन हो गया। छह जून को बालासाहब देवरस तृतीय सरसंघचालक बने।1975: इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून को आपातकाल लागू कर दिया। चार जुलाई को आरएसएस पर दूसरी बार प्रतिबंध लगा दिया गया। बालासाहब को गिरफ्तार कर लिया गया। आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष हेतु अखिल भारतीय लोक संघर्ष समिति की स्थापना की गई। 1977: भारतीय जनसंघ का नवगठित जनता पार्टी में विलय हो गया और वह सत्ता में आई। सरकार ने 22 मार्च को संघ पर से प्रतिबंध हटा लिया। जयप्रकाश नारायण ने 3 नवंबर को पटना में आरएसएस की बैठक को संबोधित किया। 1978: दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना हुई।1980: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन हुआ।1981: संस्कार भारती की स्थापना हुई।1992: अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 10 दिसंबर को केंद्र ने आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध लगा दिया। 1993: सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधिकरण ने चार जून को संघ पर प्रतिबंध को गलत ठहराते हुए इसे निरस्त किया। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद का गठन। 1994: 11 मार्च प्रो. राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जूभैय्या सरसंघचालक घोषित हुए। संघ के अखिल भारतीय सेवा विभाग का प्रारंभ। लघु उद्योग भारती का गठन। 1998: भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने केंद्र में सरकार बनाई, जिसके प्रधानमंत्री आरएसएस के पूर्व प्रचारक अटल बिहारी वाजपेयी थे। 2000: के.एस. सुदर्शन को 11 मार्च को आरएसएस का पांचवां सरसंघचालक नियुक्त किया गया।2009: के.एस. सुदर्शन ने डॉ. मोहन भागवत को संघ का अगला सरसंघचालक नियुक्त किया। सुरेश भैयाजी जोशी संघ के सरकार्यवाह चुने गए। 2016: आरएसएस ने स्वयंसेवकों की वर्दी के लिए खाकी निकर की जगह भूरे रंग की पतलून को अपनाया।2021: दत्तात्रेय होसबोले आरएसएस के सरकार्यवाह चुने गए।
- मुंबई. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने गौतम अदाणी को पीछे छोड़ते हुए वर्ष 2025 में सबसे अमीर भारतीय का अपना खिताब दोबारा हासिल कर लिया है। बुधवार को प्रकाशित देश के सबसे अमीर लोगों की सूची में यह जानकारी दी गई। 'एम3एम हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025' के मुताबिक, 68 वर्षीय अंबानी की संपत्ति इस साल भले ही छह प्रतिशत घटकर 9.55 लाख करोड़ रुपये रह गई है लेकिन वह सबसे अमीर भारतीय बन गए हैं। अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी 8.14 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर आ गए हैं।पिछले साल अदाणी ने अंबानी को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल किया था। उनके समूह के शेयरों ने अमेरिकी निवेश फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों से हुए नुकसान की भरपाई कर ली थी जिससे उनकी संपत्ति 95 प्रतिशत उछलकर 11.6 लाख करोड़ रुपये हो गई थी। एचसीएल की चेयरपर्सन रोशनी नादर मल्होत्रा 2.84 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सूची में तीसरे स्थान पर हैं। साइरस पूनावाला और उनका परिवार 2.46 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति के साथ चौथे स्थान पर रहे जबकि कुमार मंगलम बिड़ला 2.32 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति के साथ पांचवें स्थान पर रहे। सूची में शामिल अमीरों की कुल संपत्ति 167 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग आधा है। इस सूची में 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले कुल 1,687 व्यक्ति शामिल हैं जो पिछले साल के मुकाबले 284 अधिक है। सूची में 148 लोग पहली बार शामिल हुए हैं। हुरुन ने कहा कि भारत में पिछले दो साल से हर हफ्ते एक व्यक्ति अरबपति बना है और इस सूची में शामिल लोगों की संपत्ति में हर दिन औसतन 1,991 करोड़ रुपये का इजाफा हो रहा है। एआई सर्च इंजन परप्लेक्सिटी के संस्थापक 31 वर्षीय अरविंद श्रीनिवास 21,190 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ इस सूची में पहली बार शामिल हुए हैं। वह सूची में शामिल 350 अरबपतियों में सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। नीरज बजाज और उनके परिवार की संपत्ति 43 प्रतिशत बढ़कर 2.33 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिससे वे चार पायदान ऊपर चढ़कर छठे सबसे अमीर भारतीय बन गए हैं। ई-कॉमर्स मंच जेप्टो के सह-संस्थापक आदित पलिचा और कैवल्य वोहरा भी युवा अरबपतियों की सूची में शामिल हैं। वोहरा और पलिचा की कुल संपत्ति क्रमशः 4,480 करोड़ रुपये और 5,380 करोड़ रुपये है। हुरुन इंडिया के संस्थापक और मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा, "जेप्टो के युवा सह-संस्थापकों कैवल्य वोहरा और आदित पलिचा का जबरदस्त उदय इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी और नवाचार संपत्ति सृजन की समयसीमा को सीमित कर रहे हैं।" सूची में एसजी फिनसर्व के रोहन गुप्ता एवं परिवार (1,140 करोड़ रुपये) और भारतपे के शाश्वत नकरानी (1,340 करोड़ रुपये) भी मौजूद हैं। सबसे युवा अरबपतियों में ओयो के संस्थापक रितेश अग्रवाल (31) भी शामिल हैं, जिनकी कुल संपत्ति 14,400 करोड़ रुपये है।
- नई दिल्ली| हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज गायक और पद्म भूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का आज गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे और मिर्जापुर में उन्होंने अंतिम सांस ली। सुबह करीब 4:15 बजे उनका देहांत हुआ। पंडित मिश्र किराना घराने के प्रतिष्ठित गायक थे और शास्त्रीय व भक्ति संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जाने जाते थे। पिछले महीने उन्हें सीने में दर्द और हल्के हार्ट अटैक की शिकायत के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में उनके सीने में संक्रमण और एनीमिया की समस्या सामने आई थी। सुधार के बाद हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया।उनका पार्थिव शरीर सुबह 11 बजे तक वाराणसी लाया जाएगा, जहां लोग श्रद्धांजलि और अंतिम दर्शन करेंगे। उनके अंतिम संस्कार की तैयारी शाम 7 बजे के लिए की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से मैं अत्यंत दुखी हूं। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय कला और संस्कृति के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जनसामान्य तक पहुंचाने के साथ-साथ भारतीय परंपरा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में भी अमूल्य योगदान दिया।”पीएम मोदी ने यह भी याद किया कि 2014 में वाराणसी सीट से नामांकन के दौरान पंडित मिश्र उनके प्रस्तावक रहे थे। उन्होंने लिखा, “मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ कि मुझे उनका स्नेह और आशीर्वाद हमेशा मिलता रहा। इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार और चाहने वालों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!” पंडित छन्नूलाल मिश्र का जीवन भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित रहा। वे खयाल, ठुमरी, दादरा और भजन गायकी के लिए प्रसिद्ध थे। 2010 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती सम्मान भी प्रदान किया गया था। उनके निधन से संगीत जगत में गहरा शोक है और भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया ने अपना एक बड़ा स्तंभ खो दिया है।
- नई दिल्ली| विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। तीनों नेताओं ने इस पर्व को बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक बताया और समाज में सत्य, न्याय, धर्म और सद्भाव को बढ़ावा देने का आह्वान किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर संदेश साझा करते हुए कहा कि विजयादशमी अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है और यह त्योहार हमें सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में यह पर्व रावण दहन और दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो भारत की जीवन-मूल्यों को दर्शाता है। राष्ट्रपति ने लिखा कि यह त्योहार हमें क्रोध और अहंकार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों का त्याग करने और संघर्ष तथा शौर्य जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियों को अपनाने का संदेश देता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कामना है कि यह पर्व हमें एक ऐसे समाज और देश के निर्माण के लिए प्रेरित करे, जहां न्याय, समानता और सद्भाव के साथ सभी लोग आगे बढ़ सकें।उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी एक्स पर विजयादशमी की बधाई दी। उपराष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी संदेश में कहा गया कि यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है और यह हमें सत्य, धर्म और साहस के स्थायी मूल्यों की याद दिलाता है। संदेश में लिखा गया कि विजयादशमी हमें ईमानदारी से काम करने, न्याय की रक्षा करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने की प्रेरणा देता है। उन्होंने सभी के लिए खुशी, शांति और समृद्धि की कामना की और कहा कि यह पर्व देश की सेवा के लिए हमारे संकल्प को और मजबूत करे।वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विजयादशमी की शुभकामनाएं एक्स के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि विजयादशमी अच्छाई और सत्य की बुराई और असत्य पर जीत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी कामना है कि इस पावन अवसर पर हर व्यक्ति को साहस, बुद्धि और भक्ति के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले। उन्होंने देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
- नई दिल्ली| विजयादशमी के पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयंसेवकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने “राष्ट्र प्रथम” की भावना के साथ अपना जीवन देश निर्माण के लिए समर्पित किया है। प्रधानमंत्री ने एक विस्तृत ब्लॉग पोस्ट में लिखा, “सौ वर्ष पहले विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। यह कोई बिल्कुल नया निर्माण नहीं था, बल्कि भारत की सनातन राष्ट्रीय चेतना का ही एक नया रूप था, जो समय-समय पर चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रकट होती रही है। हमारे समय में संघ उसी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों के लिए यह सौभाग्य है कि हम संघ की शताब्दी देख रहे हैं।” उन्होंने संघ संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार को नमन किया और सभी स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं दीं।पीएम मोदी ने संघ की भूमिका समझाते हुए कहा कि जैसे नदियां हर क्षेत्र को समृद्ध करती हैं, वैसे ही संघ ने शिक्षा, कृषि, सामाजिक कल्याण, महिला सशक्तिकरण और जनजातीय कल्याण जैसे अनेक क्षेत्रों में काम करके राष्ट्र को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा, “संघ का मंत्र हमेशा एक ही रहा है- राष्ट्र प्रथम।” प्रधानमंत्री ने लिखा कि संघ की स्थापना से ही उसका उद्देश्य राष्ट्रनिर्माण रहा है और इसके लिए उसने “व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण” का मार्ग चुना। उन्होंने दैनिक शाखा को एक अद्वितीय साधन बताया, जहां से हर स्वयंसेवक “मैं” से “हम” की यात्रा शुरू करता है और व्यक्तिगत रूपांतरण से समाज व राष्ट्र की सेवा करता है।इतिहास की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “संघ की स्थापना के समय से ही उसने राष्ट्र को अपनी प्राथमिकता माना। डॉ. हेडगेवार और कई स्वयंसेवक स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हुए। डॉ. हेडगेवार कई बार जेल भी गए। विभाजन के समय और अन्य आपदाओं में भी संघ ने सेवा और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।” पीएम मोदी ने कहा कि पिछले सौ वर्षों में संघ ने समाज के हर वर्ग में आत्मविश्वास जगाया और दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों तक पहुंच बनाई। सेवा भारती, विद्या भारती, एकल विद्यालय और वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संस्थाओं को उन्होंने आदिवासी समाज को सशक्त बनाने वाले स्तंभ बताया।सामाजिक बुराइयों पर संघ की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “जातिगत भेदभाव और छुआछूत जैसी समस्याओं के खिलाफ संघ हमेशा डटा रहा। गुरुजी ने ‘ना हिंदू पतितो भवेत’ का संदेश दिया। पूज्य बालासाहेब देवरस ने कहा था कि अगर छुआछूत गलत नहीं है तो दुनिया में कुछ भी गलत नहीं है। बाद में राज्जू भैया और सुदर्शन जी ने भी यही संदेश आगे बढ़ाया। आज मोहन भागवत जी ने ‘एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान’ की बात कर समाज को एकजुट करने का आह्वान किया।”वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि आज भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन विदेशी निर्भरता, एकता तोड़ने की साजिशें और घुसपैठ जैसी चुनौतियां सामने हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इनसे निपट रही है और संघ ने भी इनसे निपटने के लिए ठोस रोडमैप तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने संघ के “पंच परिवर्तन” का भी उल्लेख किया-स्व-बोध (औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर स्वदेशी अपनाना), सामाजिक समरसता (हाशिये पर खड़े वर्गों के लिए न्याय और समानता), कुटुंब प्रबोधन (पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करना), नागरिक शिष्टाचार (नागरिक कर्तव्यों का पालन), और पर्यावरण संरक्षण (भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रकृति की रक्षा) शामिल है। उन्होंने कहा कि इन संकल्पों के मार्गदर्शन में संघ अपनी दूसरी शताब्दी की यात्रा शुरू कर रहा है और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में उसका योगदान महत्वपूर्ण होगा।
-
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि 57 नये केन्द्रीय विद्यालय (केवी) खोले जाने का निर्णय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है और इससे बड़ी संख्या में रोजगार का भी सृजन होगा। मोदी ने ‘एक्स' पर की गई कई पोस्ट में केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णयों की मुख्य विशेषताओं को सूचीबद्ध किया, जिसमें दालों का उत्पादन बढ़ाने का मिशन, रबी फसलों के लिए एमएसपी, असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-715 पर एक ‘एलिवेटेड कॉरिडोर' का निर्माण और जैव-चिकित्सा अनुसंधान कैरियर कार्यक्रम (बीआरसीपी) के तीसरे चरण को मंजूरी देना शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार देशभर के किसानों के कल्याण के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इसी कड़ी में हमारी सरकार ने ‘दालों में आत्मनिर्भरता मिशन' को मंजूरी दी है। इस ऐतिहासिक पहल से जहां दालों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं आत्मनिर्भरता के हमारे संकल्प को भी बल मिलेगा।'' मोदी ने 57 नये केन्द्रीय विद्यालय खोले जाने संबंधी निर्णय पर कहा कि यह खुशी की बात है कि इन विद्यालयों में बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही पोषित करने के लिए बालवाटिकाएं शामिल की जाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इससे कई विद्यार्थियों को फायदा होगा और साथ ही कई नौकरियों का भी सृजन होगा। यह समावेशी विकास, खासकर आकांक्षी जिलों, पूर्वोत्तर और अन्य दूरदराज के क्षेत्रों में, के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।'' मोदी ने कहा कि रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के फैसले से खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘विकसित भारत के निर्माण में अहम भागीदारी निभा रहे अन्नदाताओं का कल्याण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। इसी दिशा में रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इससे जहां हमारी खाद्य सुरक्षा और मजबूत होगी, वहीं हमारे किसान भाई-बहनों को भी लाभ होगा।'' मोदी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-715 के कालीबोर-नुमालीगढ़ खंड को चौड़ा करने संबंधी के निर्णय को असम और पूर्वोत्तर के लिए ‘‘ऐतिहासिक'' कदम बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘काजीरंगा क्षेत्र में वन्यजीव-अनुकूल उपायों के साथ एक एलिवेटेड कॉरिडोर समेत, राष्ट्रीय राजमार्ग-715 के कालीबोर-नुमालीगढ़ खंड को चौड़ा करने और उन्नत बनाने संबंधी मंत्रिमंडल के फैसले से विकास को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही पशु सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। काजीरंगा में पर्यटन को बहुत बढ़ावा मिलेगा।'' मोदी ने कहा कि जैव-चिकित्सा अनुसंधान कैरियर कार्यक्रम के तीसरे चरण के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी से वैज्ञानिक प्रतिभा का पोषण होगा, फेलोशिप, सहयोगात्मक अनुदान को समर्थन मिलेगा और पूरे भारत में विश्व स्तरीय जैव-चिकित्सा अनुसंधान क्षमता का निर्माण होगा।
-
नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न पूरे भारत में मनाने का बुधवार को फैसला किया। संविधान सभा ने बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम्' को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस गीत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इसके 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में देशव्यापी समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया। मंत्री ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज मंत्रिमंडल की बैठक में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले गीत 'वंदे मातरम्' के 150वें वर्ष का जश्न पूरे देश में मनाया जायेगा। यह आयोजन विशेष रूप से युवाओं और छात्रों के बीच किया जाएगा, जिन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।'' उन्होंने कहा कि इसे देश के युवाओं और विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों और राष्ट्रीय नायकों के बलिदान की भावना से जोड़कर मनाया जायेगा। ‘इंडिया डॉट जीओवी' पोर्टल के अनुसार, वंदे मातरम् की रचना चटर्जी ने संस्कृत में की थी। इसे राष्ट्रगान, ‘जन-गण-मन' के बराबर दर्जा प्राप्त है। -
बहराइच (उप्र). बहराइच जिले के राम गांव क्षेत्र स्थित एक घर से बुधवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में एक दंपति समेत छह लोगों के शव बरामद किये गये। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रामगांव थाना क्षेत्र के निंदुनपुरवा के दाखिला टेपरहा गांव में बुधवार सुबह एक घर से 15 व 16 वर्षीय दो लड़कों के क्षत-विक्षत शव, आठ और 10 साल की दो बच्चियों तथा 46 वर्षीय गृह स्वामी तथा उसकी 44 वर्षीय पत्नी के जले हुए शव बरामद हुए हैं। घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमित पाठक ने कहा, “एक मकान से छह शव मिले हैं। गांव वालों ने सभी की पहचान की है। दो शव बाहरी लड़कों के हैं जिन्हें बोवाई के लिए बुलाया गया था। इनके शरीर पर धारदार हथियार से वार करने के घाव हैं।” उन्होंने बताया कि शेष चार जले हुए शव गृह स्वामी, उनकी पत्नी और उनकी दो बच्चियों के हैं।
आईजी ने बताया, दो कमरों में से एक कमरे में आग लगी है। कमरे में ज्वलनशील पदार्थ रखा था, गैस सिलेंडर भी थे, लेकिन शायद फटे नहीं। नीचे बांस की बल्लियां पड़ी थीं जिनके कारण आग ने विकराल रूप लिया होगा। सभी शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गये हैं।” पाठक ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही पता चलेगा कि मृतकों के शरीर पर जलने से पूर्व कोई चोट के निशान तो नहीं हैं, या उन्हें कोई जहरीला पदार्थ तो नहीं दिया गया था। उन्होंने बताया कि फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य संकलन किए हैं और इन सबकी रिपोर्ट आने पर ही घटनाक्रम का निश्चित निर्धारण किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि कुछ असामान्य बातें सामने आई हैं जैसे बाहर थोड़ी दूरी पर एक ट्रैक्टर जला हुआ है, घर के मवेशी जो काफी दूर बंधे होते थे उन्हें भी उसी कमरे में लाकर रखा गया जहां आग लगी थी और घर के सभी लोगों और मवेशियों के शव कमरे में दुछत्ती से बरामद हुए। पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि घटनास्थल पर मौजूद एक चश्मदीद छोटे बच्चे ने भी काफी जानकारी दी है और उसकी बातों का विश्लेषण कर उसे जांच रिपोर्टों के साथ जोड़कर आकलन किया जाएगा। गांव वालों ने यह भी बताया है कि गृह स्वामी काफी उग्र स्वभाव का था। कुछ दिन पूर्व उसके बेटे की मृत्यु हुई थी, तब से वह कुछ बेचैन सा रहता था। रामगांव थाने में तैनात दारोगा अयोध्या सिंह ने बताया कि निंदूरपुरवा गांव के दाखिला टेपरहा में किसान विजय कुमार मौर्या का घर है और बुधवार सुबह मौर्या के घर से आग की लपटें निकल रही थीं तथा चीखने चिल्लाने की आवाजें सुनकर ग्रामीण घर का दरवाजा व दीवार तोड़कर अंदर घुसे तो एक कमरे में स्थानीय निवासी सनी वर्मा (16) और सूरज यादव (15) के क्षत-विक्षत शव बरामद हुए। दोनों के गले कटे हुए थे। उन्होंने बताया कि अग्निशमन कर्मियों की मदद से आग बुझाई गयी तो देखा कि घर के दूसरे कमरे में छज्जे पर विजय मौर्या (46), उसकी पत्नी धीरज कुमारी (44), पुत्रियों प्रियांशी (10) और रियांशी (आठ) तथा नीचे चार मवेशियों के जले हुए शव पड़े थे। सिंह ने बताया कि धीरज कुमारी के मुंह से झाग निकल रहा था और दो खुले हुए गैस सिलेंडर भी कमरे में पड़े थे। उनके मुताबिक, दमकल, पुलिस व ग्रामीणों ने करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई और सभी शवों को बाहर निकाला गया। उन्होंने बताया, "अब तक घटना के पीछे के मूल कारण की जानकारी नहीं हो सकी है। पूछताछ में लोगों ने बताया कि विजय कुमार के खेत में लहसुन की बोवाई का काम चल रहा था। घटना में मारे गए सनी वर्मा व सूरज यादव से मौर्या का बोवाई को लेकर विवाद हुआ था।" ग्रामीणों ने बताया कि सनी और सूरज तीन दिन से मौर्या के यहां लहसुन की बोवाई करा रहे थे और बुधवार को किशोरों ने महानवमी के कारण काम करने से मना किया तो मौर्या नाराज हो गया। उन्होंने बताया कि मौर्या ने बुधवार सुबह करीब 10 बजे दोनों लड़कों को अपने घर बुलाया था और आरोप है कि पहले उसने दोनों नाबालिग लड़कों का धारदार हथियार से गला काटा, फिर दूसरे कमरे में अपनी पत्नी, बेटियों व मवेशियों को ले जाकर कमरा भीतर से बंद कर लिया। घटनास्थल पर जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक रामनयन सिंह सहित पुलिस व प्रशासन का पूरा अमला मौजूद है। -
मुंबई। चलन से हटाए जा चुके 2,000 रुपये के 5,884 करोड़ रुपये मूल्य के नोट अब भी प्रचलन में हैं। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 19 मई, 2023 को 2000 रुपये मूल्य के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की थी। हालांकि 2000 रुपये के बैंक नोट अब भी वैध मुद्रा बने हुए हैं। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि चलन में मौजूद 2000 रुपये के बैंक नोटों का कुल मूल्य 30 सितंबर, 2025 को कारोबार की समाप्ति पर घटकर 5,884 करोड़ रुपये रह गया है। 19 मई, 2023 को चलन से हटाए जाते समय कारोबार की समाप्ति पर इन नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। इसका मतलब है कि 19 मई, 2023 तक चलन में रहे 2000 रुपये के कुल बैंक नोटों में से 98.35 प्रतिशत अब वापस आ चुके हैं। इन नोटों को बदलने की सुविधा रिजर्व बैंक के 19 निर्गम कार्यालयों में उपलब्ध है। इसके अलावा, भारतीय डाक के माध्यम से 2000 रुपये के नोट अपने बैंक खातों में जमा कराने के लिए रिजर्व बैंक के किसी भी जारीकर्ता कार्यालय में भेजे जा सकते हैं।
- नयी दिल्ली. । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को आगाह किया कि जनसांख्यिकीय बदलाव वर्तमान में देश के सामाजिक सद्भाव के लिए घुसपैठ से भी बड़ा खतरा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा हमेशा ‘‘विविधता में एकता'' में निहित रही है और आगाह किया कि यदि यह सिद्धांत टूट गया तो देश की ताकत कम हो जाएगी। मोदी ने अपने 15 अगस्त के भाषण और ‘‘बहनों-बेटियों को निशाना बनाकर युवाओं की आजीविका छीनने वाले घुसपैठियों से भारतीय नागरिकों की रक्षा'' के अपने 'जनसांख्यिकीय मिशन' की घोषणा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज सामाजिक सद्भाव को घुसपैठियों से अधिक खतरा जनसांख्यिकी बदलाव के षडयंत्रों से है, जिसका सीधा असर आंतरिक सुरक्षा और भविष्य की शांति पर पड़ता है। भारत आज ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो सीधे तौर पर उसकी एकता, संस्कृति और सुरक्षा को निशाना बना रही हैं।'' मोदी ने कहा कि आरएसएस ने सामाजिक सद्भाव को हमेशा प्राथमिकता दी है तथा सामाजिक समरसता को हाशिए पर मौजूद लोगों को प्राथमिकता देकर सामाजिक न्याय स्थापित करने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज राष्ट्र ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो सीधे तौर पर उसकी एकता, संस्कृति और सुरक्षा को निशाना बना रही हैं -- अलगाववादी विचारधाराओं और क्षेत्रवाद से लेकर जाति और भाषा पर विवाद तक तथा बाहरी ताकतों द्वारा भड़काई गई विभाजनकारी प्रवृत्तियां।'' मोदी ने भारत की आत्मा हमेशा ‘‘विविधता में एकता'' में निहित रहने का उल्लेख किया और आगाह किया कि यदि इस सिद्धांत को तोड़ा गया, तो भारत की ताकत कम हो जाएगी। इसलिए, उन्होंने इस आधारभूत लोकाचार को निरंतर सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक सद्भाव आज जनसांख्यिकीय बदलाव और घुसपैठ से गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है, जिसका सीधा असर आंतरिक सुरक्षा और भविष्य की शांति पर पड़ता है... इसी चिंता ने मुझे लाल किले से जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा करने के लिए प्रेरित किया।'' मोदी ने इस खतरे का सामना करने के लिए सतर्कता और कड़ी कार्रवाई का भी आह्वान किया।शताब्दी समारोह का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया और इसमें आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए।
-
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विजयादशमी की पूर्व संध्या पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि विजयादशमी अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और अन्याय पर न्याय की जीत का पर्व है, जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय मूल्यों की गहरी झलक पेश करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह पर्व लोगों को सकारात्मकता अपनाने और समाज में प्रेम, भाईचारे तथा करुणा की भावना बढ़ाने की प्रेरणा देता है। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों से एकजुट होकर देश और समाज के लिए काम करने का आह्वान किया।
देशभर में नवरात्रि का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है और अब लोग विजयादशमी की तैयारियों में जुटे हैं। उत्तर भारत में यह पर्व भगवान राम की रावण पर विजय की स्मृति में रावण दहन के रूप में मनाया जाता है, वहीं पूर्वी और दक्षिणी भारत में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मां दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की याद में मनाया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ये परंपराएं हमारे सांस्कृतिक वैविध्य और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती हैं। उन्होंने कामना की कि विजयादशमी का यह पर्व देशवासियों को एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में प्रेरित करे, जहां न्याय, समानता और सद्भाव सर्वोपरि हों। इस वर्ष विजयादशमी का उत्सव 2 अक्टूबर को पूरे देश में मनाया जाएगा। दिल्ली, लखनऊ, अयोध्या समेत कई शहरों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन होगा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।- -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने आज बुधवार को असम में राष्ट्रीय राजमार्ग-715 (NH-715) के कालीबर-नुमालीगढ़ खंड को चार लेन में अपग्रेड और चौड़ा करने की मंजूरी दी। इस परियोजना पर कुल 6,957 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत आएगी और इसे इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (EPC) मोड पर लागू किया जाएगा। परियोजना की कुल लंबाई 85.675 किमी होगी और इसमें विशेष रूप से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (KNP) क्षेत्र के लिए वन्यजीव अनुकूल उपाय शामिल होंगे।
वर्तमान में यह दो लेन का राजमार्ग नगांव जिले के जाखलाबंधा और गोलाघाट जिले के बोकाखाट जैसे घनी आबादी वाले कस्बों से गुजरता है और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की दक्षिणी सीमा के साथ चलता है। इस मार्ग पर भारी ट्रैफिक और मौसमी बाढ़ के कारण वन्यजीव अक्सर सड़क पार कर कार्बी आंगलोंग की पहाड़ियों की ओर जाते हैं, जिससे कई बार जानलेवा हादसे होते हैं।इन खतरों को कम करने के लिए परियोजना के तहत 34.5 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर, 30.22 किमी सड़क चौड़ीकरण, और 21 किमी लंबे नए बाईपास (जाखलाबंधा और बोकाखाट कस्बों के चारों ओर) बनाए जाएंगे। इससे न केवल जाम कम होगा बल्कि वन्यजीवों की आवाजाही सुरक्षित होगी और गुवाहाटी, काज़ीरंगा और नुमालीगढ़ के बीच निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी।यह उन्नत राजमार्ग NH-127, NH-129 और SH-35 के साथ भी बेहतर तरीके से जुड़ेगा और तीन हवाईअड्डों (तेजपुर, लीलाबाड़ी और जोरहाट) तथा तीन रेलवे स्टेशनों (नगांव, जाखलाबंधा और विश्वनाथ चारिआली) तक पहुंच को आसान बनाएगा। इसके साथ ही यह तेजपुर और नगांव के फिशिंग क्लस्टर, कार्बी आंगलोंग और वोक्हा के सामाजिक केंद्रों तथा प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों जैसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, काकोजांग जलप्रपात, बाबा थान मंदिर और महामृत्युंजय मंदिर तक आवागमन को और सुगम बनाएगा।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस परियोजना से लगभग 15.42 लाख व्यक्ति-दिवस प्रत्यक्ष रोजगार और 19.19 लाख व्यक्ति-दिवस अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके पूरा होने पर यह राजमार्ग असम में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को नई गति देगा और साथ ही पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढांचा तैयार करेगा। कालीबर-नुमालीगढ़ खंड को आधुनिक स्वरूप में विकसित करना असम की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक समृद्धि के लिए एक परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है।- -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 11,440 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ दालों में आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दे दी। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से इस ऐतिहासिक पहल को 2025-26 से 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि में क्रियान्वित किया जाएगा।
आधिकारिक बयान के अनुसार, दलहन मिशन के तहत अगले 4 वर्षों के दौरान लगभग 2 करोड़ किसानों को बेहतर बीजों की आपूर्ति की जाएगी और कटाई के बाद फसल के प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे तैयार किया जाएगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उत्पादकों से तुअर, उड़द और मसूर दालों की 100 प्रतिशत खरीद सुनिश्चित की जाएगी।भारत की फसल प्रणालियों और आहार में दालों का विशेष महत्व है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता देश है। बढ़ती आय और जीवन स्तर के साथ, दालों की खपत में भी वृद्धि हुई है। हालांकि, घरेलू उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं रहा है, जिसके कारण दालों के आयात में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।उन्नत किस्मों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए, दलहन उत्पादक किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जाएंगे, जो 2030-31 तक 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेंगे।इस मिशन का उद्देश्य चावल की फसल केंद्रित भूमि और अन्य विविधीकरण योग्य भूमि को लक्षित करके दलहनों के क्षेत्रफल को 35 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है, जिसमें अंतर-फसलीय खेती और फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए किसानों को 88 लाख बीज किट निःशुल्क वितरित की जाएंगी।इस मिशन से 2030-31 तक दलहनों का क्षेत्रफल 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ने, उत्पादन 350 लाख टन तक बढ़ने और उपज 1130 किलोग्राम/हेक्टेयर तक पहुचने की उम्मीद है। उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ, इस मिशन से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर भी पैदा होंगे।वहीं, दालों की नवीनतम किस्मों के विकास और प्रसार पर ज़ोर दिया जाएगा, जो उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी हों। क्षेत्रीय उपयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में बहु-स्थानीय परीक्षण किए जाएंगे।इसके अलावा, प्रीमियम गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य पांच वर्षीय रोलिंग बीज उत्पादन योजना तैयार करेंगे। प्रजनक बीज उत्पादन की निगरानी आईसीएआर (ICAR) द्वारा की जाएगी। आधारभूत और प्रमाणित बीज उत्पादन राज्य और केंद्रीय स्तर की एजेंसियों द्वारा किया जाएगा, और समग्र सूची (SATHI) पोर्टल के माध्यम से इस पर कड़ी नज़र रखी जाएगी। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया। समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निःस्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण की अद्भुत मिसाल बताया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र निर्माण का विराट उद्देश्य लेकर चल रहा है। संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का रास्ता चुना। इस रास्ते पर सतत चलने के लिए नित्य और नियमित चलने वाली शाखा के रूप में कार्य पद्धति को चुना।उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार जानते थे कि हमारा राष्ट्र तभी सशक्त होगा, जब हर व्यक्ति के भीतर राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध जागृत होगा। हमारा राष्ट्र तभी ऊंचा उठेगा, जब भारत का हर नागरिक राष्ट्र के लिए जीना सीखेगा। इसलिए वे व्यक्ति निर्माण में निरंतर जुड़े रहे। उनका तरीका अलग था। हमने बार-बार सुना है कि डॉ. हेडगेवार जी कहते थे कि जैसा है, वैसा लेना है। जैसा चाहिए, वैसा बनाना है।उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “लोग संग्रह का उनका यह तरीका अगर समझना है तो हम कुम्हार को याद करते हैं। जैसे कुम्हार ईंट पकाता है तो जमीन की सामान्य-सी मिट्टी से शुरू करता है। वह मिट्टी लाता है और उस पर मेहनत करता है। उसे आकार देकर तपाता है। खुद भी तपता है और मिट्टी को भी तपाता है। फिर उन ईंटों को इकट्ठा करके भव्य इमारत बनाता है। ऐसे ही डॉ. हेडगेवार बहुत ही सामान्य लोगों को चुनते थे। फिर उन्हें सिखाते थे, विजन देते थे और उन्हें गढ़ते थे। इस तरह वे देश को समर्पित स्वयंसेवक तैयार करते थे।”प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ के बारे में कहा जाता है कि इसमें सामान्य लोग मिलकर असामान्य अभूतपूर्व कार्य करते हैं। व्यक्ति निर्माण की यह सुंदर प्रक्रिया आज भी हम संघ की शाखाओं में देखते हैं।पीएम मोदी ने कहा, “संघ शाखा का मैदान एक ऐसी प्रेरणा भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की ‘अहम् और वहम’ की यात्रा शुरू होती है। संघ की शाखाएं व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी हैं। उन शाखाओं में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है। स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्र सेवा का भाव और साहस दिन प्रतिदिन पनपता रहता है।”कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वयंसेवकों के लिए त्याग और समर्पण सहज हो जाता है। श्रेय के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना समाप्त हो जाती है। उन्हें सामूहिक निर्णय और सामूहिक कार्य का संस्कार मिलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल व जीवंत कार्य पद्धति यही संघ की 100 वर्ष की यात्रा का आधार बनी हैं। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा सुविधा सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने बुधवार को देशभर में सिविल सेक्टर में 57 नए केंद्रीय विद्यालय (KVs) खोलने को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के लिए अगले नौ वर्षों (2026-27 से) में 5,862 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाएंगे।
इस योजना में लगभग 2,585.52 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय और 3,277.03 करोड़ रुपये परिचालन व्यय शामिल हैं। इनमें से 20 विद्यालय ऐसे जिलों में खोले जाएंगे जहाँ वर्तमान में कोई केंद्रीय विद्यालय नहीं है, जबकि वहाँ केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या काफी है। इसके अलावा, 14 विद्यालय आकांक्षी जिलों में, 4 विद्यालय वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों (LWE) में और 5 विद्यालय उत्तर-पूर्वी/पहाड़ी क्षेत्रों में प्रस्तावित हैं।इस नए प्रस्ताव के साथ पहले से स्वीकृत 85 केंद्रीय विद्यालयों के अलावा, अब कुल 142 केंद्रीय विद्यालय पूरे देश में कार्यरत होंगे। इस विस्तार से केंद्रीय विद्यालयों की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में लगभग 1,520 छात्रों के लिए सुविधाएं होंगी, जिससे कुल 86,640 छात्रों को लाभ मिलेगा। एक पूर्ण केंद्रीय विद्यालय में लगभग 81 लोग कार्यरत होते हैं। ऐसे में 57 नए KVs बनने से करीब 4,617 स्थायी रोजगार के अवसर सृजित होंगे। साथ ही निर्माण और संबंधित कार्यों से कई कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।केंद्र सरकार ने नवंबर 1962 में KVs की स्थापना की थी, ताकि देशभर में केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को समान स्तर की शिक्षा मिल सके। इसके तहत “सेंट्रल स्कूल्स ऑर्गनाइजेशन” को शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत शुरू किया गया था। वर्तमान में देश और विदेश में कुल 1,288 केंद्रीय विद्यालय कार्यरत हैं, जिनमें तीन विदेश स्थित (मॉस्को, काठमांडू और तेहरान) शामिल हैं। 30 जून तक इन विद्यालयों में लगभग 13.62 लाख छात्र पढ़ रहे हैं। -
नई दिल्ली। नए महीने की शुरुआत के साथ ही फेस्टिव सीजन में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिवाली का तोहफा दे दिया है। कैबिनेट की बैठक में लिए फैसले के तहत केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए महंगाई भत्ता बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि महंगाई भत्ते को लेकर 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की गई है, जिसके बाद महंगाई भत्ता कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 58 प्रतिशत हो गया है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए यह बढ़ा हुआ डीए इस वर्ष के 1 जुलाई से प्रभावी होगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से करीब 48 लाख कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा।
अमूमन सरकार की ओर से महंगाई भत्ते को लेकर बढ़ोतरी का ऐलान फेस्टिव सीजन के दौरान ही होता है। केंद्र की ओर से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई से राहत देने के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दी जाती है।केंद्रीय कैबिनेट की ओर से इससे पहले इस वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी 2025 को महंगाई भत्ते और महंगाई राहत (डीआर) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। इस बढ़ोतरी का करीब 1.15 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगी को फायदा मिला था। सरकार द्वारा इस बढ़ोतरी के बाद महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी के 55 प्रतिशत हो गया था। यह बढ़ोतरी 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर तय फॉर्मूले के तहत की गई थी।डीए 58 प्रतिशत होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को भत्ते के तौर पर कितने रुपए मिलेंगे इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50 हजार रुपए है तो उन्हें महंगाई भत्ते के रूप में अभी तक 27,500 रुपए मिलते होंगे। डीए में इस वर्तमान बढ़ोतरी के बाद यही राशि 29,000 रुपए हो जाएगी। यानी 50 हजार रुपए की बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी को इस बढ़ोतरी से कुल 1500 रुपए अधिक मिलेंगे। यह बढ़ोतरी कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी में देखी जाएगी।कर्मचारियों को जुलाई, अगस्त और सितंबर की बकाया राशि अक्टूबर की सैलरी के साथ ही दिया जाएगा। - मुंबई. महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक त्रिस्तरीय एकीकृत प्रणाली के माध्यम से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने के वास्ते एक व्यापक कैंसर देखभाल नीति को मंजूरी दी। इस नीति के तहत राज्य भर के 18 अस्पतालों में विशेष कैंसर उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 100 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ एक समर्पित कंपनी- ‘‘महाराष्ट्र कैंसर केयर, रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन'' (महाकेयर फाउंडेशन) की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कैंसर देखभाल नीति राज्य के सभी जिलों में शीघ्र निदान और उपचार सुनिश्चित करेगी। मंत्रिमंडल ने ‘‘विकसित भारत 2047'' के दृष्टिकोण के अनुरूप निवेश और बहुराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘महाराष्ट्र वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) नीति-2025' को भी मंजूरी दी। फडणवीस ने कहा कि निकट भविष्य में देश में 5,000 जीसीसी होंगे और यह नीति यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है कि महाराष्ट्र को अधिकतम लाभ मिले। उन्होंने कहा कि इस कदम से उच्च वेतन वाली पांच लाख नौकरियां आने की उम्मीद है।इसके अलावा मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कुसुम (पीएम-कुसुम) घटक-बी और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा योजनाओं के तहत सौर कृषि पंपों के लिए धन जुटाने के लिए औद्योगिक, वाणिज्यिक और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बिजली बिक्री कर को मंजूरी दी। सरकार ने शासन और रणनीतिक योजना में सुधार के लिए महाजियोटेक कॉरपोरेशन के गठन को मंजूरी दी, जो नीति नियोजन और निर्णय लेने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा। मंत्रिमंडल ने सतारा जिले के फलटण शहर में वरिष्ठ-स्तरीय दीवानी अदालत की स्थापना के साथ-साथ इसमें आवश्यक पदों के सृजन और बजटीय प्रावधानों को भी मंजूरी दी।
- नयी दिल्ली. भारत के सुरक्षा आकलन में परमाणु हथियारों से उत्पन्न संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा दृष्टिकोण प्रतिरोधक तंत्र में योगदान देगा। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को यह जानकारी दी। जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत परमाणु ‘धमकी' से नहीं डरेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमारे संदर्भ में परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावना बहुत कम है, फिर भी इसे हमारी सुरक्षा आकलन में शामिल करना विवेकपूर्ण होगा।'' सीडीएस चौहान ने कहा, ‘‘रेडियोधर्मी संदूषण के उपचार के लिए अलग प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है और यह हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा होना चाहिए। परमाणु खतरों के विरुद्ध तैयारी, इसके उपयोग को रोकने में योगदान देती है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।'' सीडीएस चौहान सैन्य नर्सिंग सेवा (एमएनएस) के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। जनरल चौहान ने अपने संबोधन में युद्धों, शांति अभियानों, मानवीय राहत और समकालीन स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों में एमएनएस की अपरिहार्य भूमिका को रेखांकित किया। सीडीएस ने एक महिला पर्वतारोहण अभियान को भी हरी झंडी दिखाई।समारोह का मुख्य आकर्षण एमएनएस का आधिकारिक गीत जारी करना था, जिसमें सेवा की परंपराओं, भावना और पेशेवर गौरव को दर्शाया गया। यह गीत औपचारिक और आधिकारिक आयोजनों में गाया जाएगा, जो सेवा के दूसरे शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहे एमएनएस अधिकारियों के लिए एक एकीकृत प्रतीक के रूप में कार्य करेगा।
- नयी दिल्ली. भारत में इजराइल के राजदूत रियूवेन अजार ने मंगलवार को कहा कि गाजा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना भारत जैसे देशों को इस क्षेत्र में पुनर्निर्माण गतिविधियां चलाने की अनुमति देगी, क्योंकि नई दिल्ली पश्चिम एशिया में शांति के लिए सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। राजदूत ने ट्रंप की 20-सूत्री शांति योजना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिक्रिया का भी स्वागत किया और कहा कि भारत इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। ट्रंप और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच व्हाइट हाउस में हुई बातचीत के बाद प्रस्तुत की गई इस योजना में गाजा में युद्ध को तत्काल समाप्त करने और हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को 72 घंटों के भीतर रिहा करने का प्रस्ताव है। हमास ने कहा है कि वह इस शांति योजना का अध्ययन कर रहा है और उसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देगा।मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में गाजा संघर्ष को समाप्त करने के लिए ट्रंप द्वारा की गई व्यापक योजना की घोषणा का स्वागत किया। मोदी ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘हम गाजा में संघर्ष समाप्त कराने संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक व्यापक योजना की घोषणा का स्वागत करते हैं। यह (योजना) फलस्तीनी और इजराइली लोगों के साथ-साथ व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास का एक व्यवहार्य मार्ग प्रदान करती है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या शांति योजना को अंतिम रूप दिए जाने से पहले भारत को इसकी जानकारी दी गई थी, अजार ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि कई देशों को इस कदम के बारे में अनौपचारिक रूप से अवगत कराया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी के बयान का स्वागत करते हैं। भारत की इस क्षेत्र में सकारात्मक भूमिका है और हम इसका स्वागत करेंगे।'' इजराइली राजदूत ने कहा कि भारत, गाजा में आर्थिक परियोजनाओं के संदर्भ में योगदान दे सकता है और इजराइल भी राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में अपनी भागीदारी चाहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत सरकार के बहुत आभारी हैं। भारत हमारे क्षेत्र में शांति बनाए रखने में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। आर्थिक गतिविधियों के मामले में भारत के पास बहुत कुछ है।'' इजराइली राजदूत ने कहा, ‘‘भारत विश्व का नया निर्माता है। जैसे आप भारत का निर्माण कर रहे हैं, वैसे ही हम चाहते हैं कि आप हमारे क्षेत्रों का भी निर्माण करें। आप (भारत) ऐसा करने में सक्षम हैं।'' हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते के बारे में पूछे जाने पर इजराइली राजनयिक ने कहा कि यह सऊदी अरब का संप्रभु निर्णय है। अजार ने शांति योजना को पाकिस्तान द्वारा समर्थन दिए जाने के सवाल पर केवल इतना कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि मुस्लिम और अरब देश इस पहल का समर्थन करें। उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा कि पाकिस्तान भी इस योजना का समर्थन करने के लिए आगे आया है। मुझे लगता है कि अरब और मुस्लिम देशों का इस योजना का समर्थन करना बहुत जरूरी है। पहले हमारी धारणा थी कि देश बिना शर्त इजराइल से गाजा से हटने की मांग कर रहे थे, जिसमें यह खतरा था कि हमास सत्ता में बना रह सकता है।'' राजदूत ने कहा कि ट्रंप की शांति योजना का समर्थन करने वाले देश ‘‘हमें आशा देते हैं''।
- नयी दिल्ली. भारतीय फिल्म निर्माताओं और वितरकों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी फिल्मों पर शत-प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के वास्तविक प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि अगर यह अमेरिका में रिलीज होने वाली भारतीय फिल्मों पर लागू होता है, तो टिकट की दरें बढ़ जाएंगी। ट्रंप ने सोमवार को मई में की गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए घोषणा की कि वह ‘‘अमेरिका के बाहर बनी सभी फिल्मों'' पर ‘‘100 प्रतिशत शुल्क'' लगाएंगे। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शिबाशीष सरकार ने ट्रंप की हालिया घोषणा के बारे में कहा कि वह इस मामले में प्रतीक्षा और निगरानी की नीति अपना रहे हैं, क्योंकि फिल्मों पर यह शुल्क कैसे लगाया जाएगा, उसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। सरकार ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में उनके आदेश जारी होने तक इंतजार करना चाहिए। ऐसा लगता है कि उनका ध्यान उन अमेरिकी फिल्मों पर है, जो निर्माण के लिए अमेरिका से बाहर जा रही हैं और जब वे प्रदर्शन के लिए अपने देश में आएंगी तो उनपर शुल्क बढ़ाना चाहते हैं। इसका उद्देश्य स्थानीय रोजगार और निवेश लाना है। ऐसे में, अमेरिका में रिलीज होने वाली किसी गैर-अमेरिकी फिल्म पर मुझे कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखता।'' उन्होंने कहा यदि शुल्क अमेरिकी बाजार में रिलीज होने वाली सभी फिल्मों, अमेरिकी और विदेशी दोनों पर लागू होता है, तो भारतीय फिल्मों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, निर्माता टिकट की बढ़ी कीमतों का बोझ उपभोक्ता पर डाल देंगे और फिर दर्शकों की संख्या कम हो जाएगी। भारतीय फिल्मों के लिए यह ज़्यादा मायने नहीं रखता, क्योंकि उनका व्यवसाय काफी हद तक घरेलू टिकटों की बिक्री से आता है। विदेशी बाज़ारों में अमेरिका बड़ा है, लेकिन हिंदी फिल्मों के कुल राजस्व में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ छह से सात प्रतिशत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘तमिल और तेलुगु फिल्मों के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाजार है। यदि शत-प्रतिशत शुल्क लगता है, तो दक्षिण की फिल्मों के लिए राजस्व स्तर पर पांच से छह प्रतिशत का प्रभाव पड़ेगा और हिंदी फिल्मों के लिए यह तीन से चार प्रतिशत होगा।'' प्रमुख फिल्म वितरक राजेश थडानी ने भी कहा कि ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क के बारे में ज्यादा स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारतीय फिल्मों और कंपनियों पर शत- प्रतिशत शुल्क लागू होता है, तो इसका हम पर भी कुछ असर ज़रूर पड़ेगा। अमेरिका भारतीय फिल्मों, खासकर ‘बाहुबली', ‘केजीएफ' जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। अगर शुल्क वहां दिखाई जा रही भारतीय फिल्मों पर लागू होता है, तो टिकट की दरें बढ़ सकती हैं और कम लोग सिनेमाघरों में जाएंगे। अभी यह पता नहीं चला है कि नेटफ्लिक्स और इसके जैसे अन्य स्ट्रीमिंग मंच इस शुल्क के दायरे में आते हैं या नहीं।'' फिल्म प्रदर्शक-वितरक अक्षय राठी ने कहा कि उत्तरी अमेरिका भारतीय फिल्मों, विशेषकर तेलुगु फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म बिरादरी उत्तरी अमेरिका में अपनी फिल्में रिलीज करना जारी रख सकती है। वहां के सिनेमाघरों के हित में यह है कि वे टिकटों की कीमत समझदारी से तय करें, जहां 100 प्रतिशत शुल्क उचित है, ताकि पर्याप्त संख्या में लोग सिनेमाघरों में आएं। मुझे यकीन है कि वे कोई न कोई समाधान जरूर निकाल लेंगे, ताकि शुल्क के कारण फिल्मों के दर्शकों की संख्या में कोई कमी न आए।'' राठी ने कहा, ‘‘हालांकि, नीति के विस्तृत विवरण सामने आने तक इंतजार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अधिक स्पष्टता आएगी।'' टिप्स फिल्म्स के रमेश तौरानी ने ट्रंप के कई बयानों में अनिश्चितता और स्पष्टता की कमी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘इस पर अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, वह रोज कुछ नया कहते रहते हैं। हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या चीजें सुलझती हैं।''
- नई दिल्ली। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को नया प्रमुख मिल गया है। 1993 बैच के AGMUT कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रवीर रंजन ने आज मंगलवार को CISF के 32वें महानिदेशक (DG) का पदभार संभाला। CISF मुख्यालय में आयोजित समारोह में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्होंने बल के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत भी की।अप्रैल 2024 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत रंजन अब तक CISF में विशेष महानिदेशक (एयरपोर्ट सुरक्षा) के रूप में तैनात थे और देशभर के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे थे। 32 साल लंबे करियर में उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया है। दिल्ली पुलिस में स्पेशल पुलिस आयुक्त (क्राइम और EOW), CBI में DIG, और चंडीगढ़ में पुलिस महानिदेशक (2022-24) के रूप में वे अपनी दक्षता दिखा चुके हैं। CISF में आने से पहले वे ADG भी रह चुके हैं।प्रवीर रंजन का शैक्षणिक बैकग्राउंड भी मजबूत है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक, उस्मानिया विश्वविद्यालय से पुलिस प्रबंधन में मास्टर, सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर तथा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली से LLM की उपाधि प्राप्त की है। सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2009 में राष्ट्रपति पुलिस पदक (मेधावी सेवा) और 2016 में राष्ट्रपति पुलिस पदक (विशिष्ट सेवा) से सम्मानित किया गया था।पदभार संभालने के बाद अपने पहले संबोधन में उन्होंने कहा कि CISF को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके लिए बल में आधुनिकीकरण, कल्याणकारी दृष्टिकोण और पारदर्शी प्रशासन पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय के निर्देशों को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा।विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा और पुलिसिंग में उनके अनुभव और गहन शैक्षणिक पृष्ठभूमि के कारण CISF को नई दिशा और मजबूती मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि उनके कार्यकाल में CISF न केवल राष्ट्रीय स्थापनाओं की सुरक्षा को और मजबूत करेगा, बल्कि आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार होगा।

.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)









.jpg)






.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)


.jpg)