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- लखनऊ। लखनऊ में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने लखनऊ में लक्ष्मीपत सिंहानिया-आईआईएम लखनऊ नेशनल लीडरशिप अवॉर्ड समारोह में यह बात कही। वित्त मंत्री ने बताया कि 2024-25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 6.5% रही, जिसमें जनवरी-मार्च तिमाही में 7.4% की शानदार बढ़ोतरी देखी गई। यह उपलब्धि छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों, सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र के मजबूत योगदान की वजह से संभव हुई।सीतारमण ने कहा कि पहले कुछ लोग चिंता जता रहे थे कि उद्योगों में निवेश कम हो रहा है और उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ रही। लेकिन चौथी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 4.8% की ग्रोथ दिखाई, जबकि सेवा और कृषि क्षेत्र ने 5.4% की बढ़ोतरी दर्ज की। उन्होंने बताया कि कोविड के मुश्किल समय में भी कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया। छोटे-बड़े उद्योगों और सेवा क्षेत्र की मेहनत ने भारत को इस ऊंचाई पर पहुंचाया है।डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सराहना दुनिया भर में: FMवित्त मंत्री ने भारत की डिजिटल ताकत की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया भर में सराहा जा रहा है। यह इतना प्रभावी है कि देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग भी तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि अब दुनिया भारत को सिर्फ एक बड़ा मध्यम वर्ग का बाजार नहीं मानती, बल्कि इनोवेशन और ग्लोबल लीडरशिप में भारत की बढ़ती भूमिका को स्वीकार करती है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार मुक्त भारत की सोच को भी इसका श्रेय दिया। सीतारमण ने कहा, “प्रधानमंत्री का विजन साफ है- भारत को स्वच्छ और भ्रष्टाचार से मुक्त करना है। इस दिशा में किए गए प्रयासों ने अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया है।” वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब आत्मविश्वास के उस दौर में है, जहां अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना जरूरी है। उन्होंने उद्योगों और जनता से इस गति को बनाए रखने की अपील की ताकि भारत वैश्विक मंच पर और मजबूत स्थिति हासिल कर सके।
- नयी दिल्ली. नींबू के स्वाद वाले शीतलपेय ब्रांड लिम्का ने वर्ष 2024 में 2,800 करोड़ रुपये के राजस्व का आंकड़ा पार कर लिया, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की अहम भूमिका रही। कोका-कोला इंडिया ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि पांच दशक पुराने ब्रांड लिम्का ने 2024 के दौरान दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में मजबूत दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की। वर्ष 1971 में अपनी स्थापना के बाद से ही लिम्का की मांग शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में बढ़ती रही है। फिलहाल कोका-कोला के भारतीय उत्पादों में थम्स अप, स्प्राइट और माजा के रूप में तीन ऐसे ब्रांड हैं जो एक अरब डॉलर से अधिक के हैं। कोका-कोला ने 1993 में माजा, थम्स अप और लिम्का का अधिग्रहण किया था। कोका-कोला के भारत एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष (फ्रेंचाइज़ परिचालन) विनय नायर ने कहा कि लिम्का की कहानी जुझारूपन, दोबारा नवाचार और उत्कृष्टता की खोज की है।
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नयी दिल्ली. बीसी जिंदल ग्रुप ने बुधवार को कहा कि उसे सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की नीलामी में 150 मेगावाट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना मिली है। कंपनी ने बयान में कहा कि यह परियोजना सेकी की 24 घंटे उपलब्ध 1,200 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का हिस्सा है। इसके लिए निविदा पिछले साल नवंबर में जारी की गई थी। समूह ने 5.07 रुपये/किलोवाट प्रति घंटे की दर पर कुल क्षमता में से 150 मेगावाट हासिल किया है।
परियोजना के तहत, समूह अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली(आईएसटीएस) से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगा। इसमें पारेषण नेटवर्क का निर्माण और आईएसटीएस नेटवर्क के साथ इंटरकनेक्शन या डिलिवरी पॉइंट स्थापित करना शामिल होगा। अपनी रणनीतिक विकास योजना के अनुरूप, समूह की 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 2.5 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना है। समूह ओडिशा के अंगुल में 1,200 मेगावाट की ताप विद्युत उत्पादन इकाई संचालित करता है और अब नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है। -
मुंबई. भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और यूरोपीय संघ पर लगाए गए अमेरिका के 50 प्रतिशत सीमा शुल्क को नौ जुलाई तक टालने से सोमवार को स्थानीय शेयर बाजारों में तेजी रही और सेंसेक्स 455 अंक चढ़ गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 148 अंक की बढ़त में रहा। बीएसई का 30 शेयर पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 455.37 अंक यानी 0.56 प्रतिशत चढ़कर 82,176.45 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 771.16 अंक चढ़कर 82,492.24 अंक पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 148 अंक यानी 0.60 प्रतिशत चढ़कर 25,001.15 अंक पर बंद हुआ। यह शेयर बाजार में तेजी का लगातार दूसरा सत्र रहा। शुक्रवार को भी सेंसेक्स में 769.09 अंक और निफ्टी में 243.45 अंक की बढ़त दर्ज की गई थी। विशेषज्ञों ने कहा कि मानसून के समय से पहले आने और भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने की घोषणा ने भी बाजारों में सकारात्मक धारणा को बल दिया। सेंसेक्स की कंपनियों में से महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में सर्वाधिक 2.17 प्रतिशत की तेजी रही। इसके अलावा एचसीएल टेक, टाटा मोटर्स, नेस्ले, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लार्सन एंड टुब्रो और टेक महिंद्रा भी बढ़त में रहीं। दूसरी तरफ, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), अल्ट्राटेक सीमेंट, पावर ग्रिड, टाटा स्टील और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर में गिरावट आई। इटर्नल में सर्वाधिक 4.51 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ पर घोषित आक्रामक शुल्क की समयसीमा बढ़ाने पर विचार करने के अमेरिकी निर्णय के साथ डॉलर सूचकांक में गिरावट ने भी स्थानीय शेयर बाजारों में उछाल को गति दी।'' नायर ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के शुरुआती रुझान और घरेलू बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट ने भी निवेशकों को जोखिम से भरी परिसंपत्तियों पर अपना ध्यान बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। व्यापक बाजार में मझोली कंपनियों के बीएसई मिडकैप सूचकांक में 0.56 प्रतिशत और छोटी कंपनियों के स्मालकैप सूचकांक में 0.48 प्रतिशत की तेजी रही। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में से 2,301 के शेयर में बढ़त दर्ज की गई जबकि 1,772 के शेयर में गिरावट रही और अन्य 194 कंपनियों के शेयर अपरिवर्तित रहे। मेहता इक्विटीज लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत तापसे ने कहा, "घरेलू मानक सूचकांक यूरोपीय बाजारों में मजबूती और मिले-जुले एशियाई बाजारों से मिले समर्थन के दम पर अपने अहम मनोवैज्ञानिक स्तरों के ऊपर बंद हुए।" एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की 225 सूचकांक सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए, जबकि चीन के शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग के हैंग सेंग में गिरावट रही। यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में ऊंचे स्तर पर कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को निचले स्तर पर बंद हुए थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 1,794.59 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.17 प्रतिशत बढ़कर 64.89 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बीएसई का 30 शेयर वाला सेंसेक्स शुक्रवार को 769.09 अंक की बढ़त के साथ 81,721.08 अंक पर और निफ्टी 243.45 अंक चढ़कर 24,853.15 अंक पर बंद हुआ था।
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नई दिल्ली। एचएसबीसी रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि बचे हुए वर्ष के लिए महंगाई दर कम होने से भारत में परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार होगा और कॉर्पोरेट्स के लिए इनपुट लागत कम होगी। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम स्पष्ट, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण लाभ ‘राजकोषीय वित्त’ के माध्यम से हो सकता है। शेष वर्ष को अगले छह महीनों के लिए लगभग 2.5 प्रतिशत की कम मुद्रास्फीति से समर्थन मिलने की संभावना है।
वहीं, सार्वजनिक अन्न भंडारों में स्टॉक होने और मानसून की बारिश अनुकूल होने की संभावना के साथ, खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की संभावना है।देश के लिए अपने 100 इंडीकेटर्स डेटाबेस को अपडेट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कम कमोडिटी कीमतों, धीमी वृद्धि, मजबूत रुपया (अमेरिकी डॉलर के मुकाबले) और चीन से आयातित अवस्फीति के कारण कोर मुद्रास्फीति भी सीमित दायरे में रहने की संभावना है।ये संकेतक विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाते हैं और विकास की एक विस्तृत तस्वीर पेश करते हैं। दरअसल, वित्त वर्ष 2025-26 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर बजट से कम नॉमिनल जीडीपी वृद्धि, प्रत्यक्ष कर उछाल और उच्च रक्षा व्यय से कुछ दबाव हैं।एचएसबीसी रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, कुछ ऑफसेटिंग कारक विशेष रूप से बजट से अधिक आरबीआई लाभांश (2.7 ट्रिलियन रुपए) भी मौजूद हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार के पास तेल उत्पाद शुल्क बढ़ाकर वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट का कुछ हिस्सा अपने पास रखने का विकल्प है।”रिपोर्ट के अनुसार, “मुद्रास्फीति पहले से ही कम है। हमारा अनुमान है कि अगर सरकार पंप कीमतों को कम करने के बजाय ऑयल ‘बाउंटी’ का आधा हिस्सा रख लेती है, तो यह न केवल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करेगा, बल्कि विकास समर्थन के लिए कुछ अतिरिक्त फंड भी उपलब्ध करवाएगा।”वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही पहले की तुलना में एक पायदान बेहतर रही, जिसमें पिछली दो तिमाहियों में 64 प्रतिशत और 61 प्रतिशत के मुकाबले 66 प्रतिशत संकेतक सकारात्मक रूप से बढ़े।अनौपचारिक क्षेत्र की खपत में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई, जिसे राज्य पूंजीगत व्यय (मार्च में) में वृद्धि, अच्छी सर्दियों की फसल, उच्च वास्तविक ग्रामीण मजदूरी और ग्रामीण व्यापार की बेहतर शर्तों से लाभ मिला। दूसरी ओर, शहरी खपत संकेतक, जैसे कि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन और आयात, नरम रहे।रिपोर्ट में बताया गया है, “हमने अप्रैल के एक्टिविटी डेटा का एक तिहाई प्राप्त कर लिया है और 64 प्रतिशत संकेतक सकारात्मक रूप से बढ़ रहे हैं।” -
नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये के बंपर लाभांश से सरकार की राजकोषीय स्थिति बेहतर हो सकेगी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वृद्धि को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के अपने बजट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल मिलाकर 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया था। आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण के बाद यह आंकड़ा अब बजट अनुमान से कहीं ऊंचा रहेगा।
एसबीआई रिसर्च के इकोरैप के ताजा संस्करण के अनुसार, ‘‘हमारा अनुमान है कि इससे राजकोषीय घाटा बजट के स्तर से 0.2 प्रतिशत कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.2 प्रतिशत रहेगा। वैकल्पिक रूप से यह लगभग 70,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का रास्ता खोलेगा, जबकि अन्य चीजों में कोई बदलाव नहीं होगा।'' आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये के लाभांश की घोषणा की है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश हस्तांतरण की तुलना में 27.4 प्रतिशत की वृद्धि है। यह आकस्मिक जोखिम बफर की सीमा में बदलाव के बाद हुआ है जिसे केंद्रीय बैंक छह प्रतिशत (प्लस या माइनस 1.5 प्रतिशत) तक बनाए रख सकता है। बफर को पहले 5.5 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखा गया था। रिपोर्ट कहती है कि यह अधिशेष भुगतान मजबूत सकल डॉलर की बिक्री, उच्च विदेशी मुद्रा लाभ और ब्याज आय में लगातार वृद्धि की वजह से है। उल्लेखनीय है कि जनवरी में आरबीआई एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार का शीर्ष विक्रेता था। सितंबर, 2024 में, विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब अमेरिकी डॉलर के शिखर पर पहुंच गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद केंद्रीय बैंक ने मुद्रा को स्थिर करने के लिए ‘ट्रक भरकर डॉलर' बेचे थे।'' आरबीआई के लिए अधिशेष की स्थिति इसके एलएएफ (तरलता समायोजन की सुविधा) परिचालन और घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज आय द्वारा तय की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में टिकाऊ नकदी की स्थिति अधिशेष में रहने की उम्मीद है। इसमें खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) की खरीद, आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण और 2025-26 में 25 से 30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन (बीओपी) अधिशेष से समर्थन मिलेगा। -
नई दिल्ली। केंद्र ने अप्रैल से जून तक चलने वाले 2025-26 रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान अब तक 29.7 मिलियन टन (एमटी) से अधिक गेहूं की खरीद की है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 सीजन के बाद से यह सबसे अधिक खरीद है।
इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.5 प्रतिशत अधिक हैभारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इस साल गेहूं की खरीद पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.5 प्रतिशत अधिक है और अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीद पूरी होने के करीब है।सरकार ने मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए 312 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा हैकेंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी का मानना है कि इस साल रिकॉर्ड फसल के कारण गेहूं खरीद का अंतिम आंकड़ा 320-325 लाख टन तक पहुंच जाएगा। 2024-25 में कुल गेहूं खरीद 265.9 लाख टन रही। मंत्री ने कहा कि सरकार ने मार्केटिंग वर्ष 2025-26 के लिए 312 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है।आंकड़ों के अनुसार, लगभग 62,346.23 करोड़ रुपए का न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान किया गया हैएफसीआई के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं खरीद करने वाले सभी पांच प्रमुख राज्यों, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष में अधिक गेहूं खरीदा है। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 62,346.23 करोड़ रुपए का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भुगतान किया गया है, जिससे 2.27 मिलियन किसानों को लाभ हुआ है।भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 106 लाख टन से अधिक बढ़कर 1,663.91 लाख टन हो गया हैकेंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 106 लाख टन से अधिक बढ़कर 1,663.91 लाख टन हो गया है, जो पिछले वर्ष के इसी आंकड़े से 6.83 प्रतिशत अधिक है। चौहान ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “2023-24 में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 1,557.6 लाख टन था। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 2024-25 में यह 1,663.91 लाख टन हो गया है।”2023-24 में रबी फसल का उत्पादन 1600.06 लाख टन था, जो अब बढ़कर 1645.27 लाख टन हो गया हैकेंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “2023-24 में रबी फसल का उत्पादन 1600.06 लाख टन था, जो अब बढ़कर 1645.27 लाख टन हो गया है।” केंद्रीय मंत्री के अनुसार उनके मंत्रालय का विजन न केवल देश की खाद्यान्न जरूरत को पूरा करना है, बल्कि भारत को दुनिया की खाद्यान्न टोकरी बनाना भी है। -
नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को हटाकर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। सुब्रह्मण्यम ने 10वीं नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैं जब बोल रहा हूं, तब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी हैं और यह मेरा डेटा नहीं है। यह आईएमएफ का डेटा है। आज भारत जापान से भी बड़ी अर्थव्यवस्था है।”
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में कहा था कि 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगीसुब्रह्मण्यम ने कहा, “केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी ही हमसे बड़े हैं और जो योजना बनाई जा रही है, अगर हम उसी पर टिके रहते हैं, तो भारत अगले 2, 2.5 से 3 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।” अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में कहा था कि 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगी। वहीं, जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान हैआईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होगा, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5,251.928 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।आईएमएफ के मुताबिक, 2025 में अमेरिका 30,507.217 अरब डॉलर के आकार के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगाआईएमएफ के मुताबिक, 2025 में अमेरिका 30,507.217 अरब डॉलर के आकार के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वहीं, चीन 19,231.705 अरब डॉलर के साथ दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की जीडीपी वृद्धि इस साल 1.8 प्रतिशत तक धीमी होने की उम्मीद है, जो 2026 1.7 प्रतिशत तक रह जाएगी।फ्रांस में इन दो वर्षों के लिए वृद्धि दर क्रमशः 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत रहने का अनुमान हैवहीं, यूरोप की वृद्धि दर 2025 में मात्र 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, 2026 में इसमें रिकवरी देखने को मिलेगी और यह 1.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। फ्रांस में इन दो वर्षों के लिए वृद्धि दर क्रमशः 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।स्पेन से 2025 में अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है, क्योंकि यह 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने वाला एकमात्र यूरोपीय देश है। हालांकि, 2026 में इसके घटकर 1.8 प्रतिशत पर आ जाने की उम्मीद है। ब्रिटेन में इन दो वर्षों में क्रमशः 1.1 और 1.4 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अधिशेष के रूप में दो लाख 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि केंद्र सरकार को हस्तांरित करने की मंजूरी दे दी है। मुंबई में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बोर्ड ने घरेलू और वैश्विक आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए वर्ष 2024-25 के लिए बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को भी स्वीकृति दी। यह बैंक का सरकार को दिया गया अब तक का सबसे अधिक लाभांश हस्तांतरण है। इसका उद्देश्य वर्तमान आर्थिक चुनौतियों के बीच सरकारी वित्त को मजबूत करना है। -
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज शुक्रवार को एप्पल के सीईओ टिम कुक को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर कहा कि अगर आईफोन का निर्माण अमेरिका के बाहर होता है, तो कम से कम 25 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक पोस्ट में कहा, ”मैंने बहुत पहले ही एप्पल के टिम कुक को सूचित कर दिया था, मुझे उम्मीद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में बेचे जाने वाले उनके आईफोन का विनिर्माण अमेरिका में ही किया जाएगा, न कि भारत में या किसी अन्य स्थान पर।” ट्रंप ने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो एप्पल को अमेरिका को कम से कम 25 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना होगा।
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में और अधिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की अपनी योजना को छोड़ दें और इसके बजाय अमेरिका में इन प्लांट के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करें। कतर के दोहा में एक बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा, “एप्पल संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना उत्पादन बढ़ाएगा।” हाल के वर्षों में एप्पल की ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए भारत एक प्रमुख केंद्र बन गया है।वहीं, भारत के केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एप्पल जैसी ग्लोबल टेक्नोलॉजी दिग्गज कंपनियों को बेहतर आर्थिक समझ है, क्योंकि वे अपनी इस समझदारी को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की योजना के साथ दिखा रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एप्पल ने आने वाले वर्षों में अपने सभी मोबाइल फोन भारत में ही खरीदने और बनाने का फैसला किया है, क्योंकि जब आप भारत में निवेश करते हैं, तो आप वहन करने की क्षमता, विश्वसनीयता और मौलिकता चुन रहे होते हैं।” -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 769.09 अंक या 0.95 प्रतिशत की तेजी के साथ 81,721.08 और निफ्टी 243.45 अंक या 0.99 प्रतिशत बढ़कर 24,853.15 पर बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी देखने को मिलीलार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 362.90 अंक या 0.64 प्रतिशत की तेजी के साथ 56,687.75 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 140.25 अंक या 0.80 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,643.35 पर था।आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में बंद हुएसेक्टोरल आधार पर ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। बाजार में तेजी की वजह मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था को माना जा रहा है, जिसके कारण निवेशकों का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है।बीएसई बेंचमार्क में सनफार्मा ही लाल निशान में बंद हुआजियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज, रिसर्च हेड, विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका और भारत में ट्रेड को लेकर बातचीत और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से निवेशकों का रुझान सकारात्मक है। सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), पावर ग्रिड, आईटीसी, नेस्ले, बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, कोटक महिंद्रा, एलएंडटी, एचयूएच, बजाज फाइनेंस, टाइटन, एशियन पेंट्स और भारती एयरटेल गेनर्स थे। बीएसई बेंचमार्क में सनफार्मा ही लाल निशान में बंद हुआ।एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक, रूपक डे ने कहा कि निफ्टी 21 दिनों के ईएमए से सपोर्ट लेने के बाद फिर से ऊपर निकल गया है और 24,700 से लेकर 25,000 के कंसोलिडेशन के जोन में है। अगर इन स्तरों से ब्रेकआउट होता है तो 25,250 से 25,350 का जोन देखने को मिल सकता है।भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत आज तेजी के साथ हुई थीउन्होंने आगे कहा कि अगर 24,700 के स्तर टूटते हैं तो गिरावट और बढ़ सकती है। भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। सुबह करीब 9.29 बजे, सेंसेक्स 281.75 अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 81,233.74 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 109.75 अंक या 0.45 प्रतिशत बढ़कर 24,719.45 पर कारोबार कर रहा था।विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध विक्रेता थे क्योंकि उन्होंने 22 मई को 5,045.36 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,715.00 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी। -
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2025 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या का आंकड़ा 16.54 करोड़ तक पहुंच गया, जो कि सालाना आधार पर 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। यह आंकड़ा कोविड-पूर्व स्तर (वित्त वर्ष 2020) के लगभग 14.15 करोड़ से 16.8 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2025 में भारतीय वाहकों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 3.38 करोड़ रहीरेटिंग एजेंसी आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारतीय वाहकों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 3.38 करोड़ रही, जो कि सालाना आधार पर 14.1 प्रतिशत की वृद्धि है और कोविड-पूर्व स्तर के 2.27 करोड़ से 49 प्रतिशत अधिक है।घरेलू यात्रियों की संख्या अकेले अप्रैल 2025 में 1.45 करोड़ होने का अनुमान था, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 10.2 प्रतिशत अधिक थाघरेलू यात्रियों की संख्या अकेले अप्रैल 2025 में 1.45 करोड़ होने का अनुमान था, जो अप्रैल 2024 की तुलना में 10.2 प्रतिशत अधिक था। एयरलाइंस ने भी अप्रैल 2025 में अपनी कैपेसिटी डिप्लॉयमेंट में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।वित्त वर्ष 2025 में 86 प्रतिशत का बेहतर पैसेंजर लोड फैक्टर दर्ज किया, जो एयरलाइनों में मजबूत मांग और कुशल संचालन को दर्शाता हैघरेलू विमानन उद्योग ने वित्त वर्ष 2025 में 86 प्रतिशत का बेहतर पैसेंजर लोड फैक्टर (पीएलएफ) दर्ज किया, जो एयरलाइनों में मजबूत मांग और कुशल संचालन को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2025 के दौरान 23 फरवरी को एक दिन में हवाई सफर करने वाले सबसे ज्यादा घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या दर्ज की गई। इस दिन देश भर में 5,35,343 यात्रियों ने उड़ान भरी, जो कि प्रयागराज में महाकुंभ कार्यक्रम से जुड़ी यात्रा थी।वित्त वर्ष 2026 में घरेलू यात्रियों की संख्या में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती हैआईसीआरए ने भारतीय विमानन उद्योग के लिए ‘स्थिर’ दृष्टिकोण बनाए रखा है।रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में घरेलू यात्रियों की संख्या में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।आईसीआरए की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 148.8 लाख अनुमानित थी, जो वार्षिक आधार पर 11.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता हैरिपोर्ट के अनुसार, कुछ एयरलाइनों के पास पर्याप्त नकदी है या वे अपनी मजबूत पैरेंट कंपनी से फाइनेंशियल सपोर्ट पा रहे हैं। जबकि, कुछ दूसरी एयरलाइनों के क्रेडिट मेट्रिक्स और लिक्विडिटी प्रोफाइल में पिछले कुछ वर्षों में कुछ सुधार के बावजूद निकट भविष्य में बाधा बनी रहेगी। इस बीच, आईसीआरए की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 148.8 लाख अनुमानित थी, जो वार्षिक आधार पर 11.3 प्रतिशत की वृद्धि तथा फरवरी 2025 में 140.4 लाख की तुलना में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। -
नई दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CareEdge Ratings की नई रिपोर्ट ‘The Economic Meter and GDP Preview for Q4FY25’ के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (Q4) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान है। इसके साथ ही पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए देश की औसत GDP ग्रोथ 6.3% बने रहने की संभावना है। यह अनुमान कृषि, होटल, परिवहन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में तेज गति से हो रही गतिविधियों पर आधारित है, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में योगदान दे रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल खपत यानी उपभोक्ता मांग में सुधार जारी रहेगा, खासकर ग्रामीण मांग में मजबूती से खपत को सहारा मिलेगा, जबकि शहरी मांग की स्थिति मिश्रित है और उस पर नजर रखना जरूरी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीसरी तिमाही (Q3) के अंत में केंद्र सरकार द्वारा किए गए मजबूत पूंजीगत व्यय (Capex) से Q4 में निवेश को बल मिलने की उम्मीद है। भविष्य की ओर देखते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण आय में सुधार, करों में राहत, संभावित ब्याज दर कटौती, घटती महंगाई और अच्छे मानसून की उम्मीदों से आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी। हालांकि, वैश्विक स्तर की अनिश्चितताएं भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी रहेंगी। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.2% लगाया गया है।वहीं कृषि क्षेत्र में मजबूती बनी हुई है। रबी फसलों की बुआई पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2% अधिक रही। इसके साथ ही, Q4 के दौरान ट्रैक्टरों की घरेलू बिक्री में साल-दर-साल (YoY) 23.4% की तेज वृद्धि हुई, जो Q3 की 13.5% की वृद्धि से बेहतर है। खाद की बिक्री में भी जनवरी-फरवरी 2025 में 5.4% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि Q3 में यह केवल 0.4% रही थी। परिवहन और खनन जैसे क्षेत्रों में भी तेजी देखी गई। Q4 में घरेलू हवाई यात्री संख्या में 12% की सालाना वृद्धि हुई, जो Q3 के 11.4% से अधिक है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के अंतर्गत खनन क्षेत्र में Q4 के दौरान 2.1% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि Q3 में यह 1.8% थी।हालांकि, कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय जनवरी-फरवरी 2025 में 4% घटा, लेकिन Q3 के अंत में हुए भारी खर्च का असर Q4 में निर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक रूप में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके परिणाम कुछ देरी से सामने आते हैं। IIP के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण से जुड़ी वस्तुओं की श्रेणी में Q4 के दौरान 7.6% की वृद्धि देखी गई, जो Q3 के 7% से अधिक है।वहीं दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में गिरावट भी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में Q4 के दौरान 8.4% की कमी आई है, जबकि बिटुमिन की खपत में 3.8% की गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि घरेलू खपत में निरंतर सुधार होता है और कॉरपोरेट सेक्टर भी निवेश बढ़ाता है, तो आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि और तेज हो सकती है। हालांकि, इसके लिए घरेलू स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर भी नजर रखना जरूरी है।- -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच बढ़त के साथ खुले। शुरुआती कारोबार में एफएमसीजी, आईटी और ऑटो सेक्टर में खरीदारी देखी गई। सुबह करीब 9.29 बजे, सेंसेक्स 281.75 अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 81,233.74 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 109.75 अंक या 0.45 प्रतिशत बढ़कर 24,719.45 पर कारोबार कर रहा था।
निफ्टी बैंक 69.85 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 55,011.15 पर थानिफ्टी बैंक 69.85 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 55,011.15 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 258.10 अंक या 0.46 प्रतिशत जोड़कर 56,582.95 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 58.30 अंक या 0.33 प्रतिशत चढ़कर 17,561.40 पर था।भारत की अर्थव्यवस्था के मैक्रोइकॉनॉमिक्स संकेतक मजबूतविश्लेषकों के अनुसार, बाजार के दृष्टिकोण से अच्छी बात यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था के मैक्रोइकॉनॉमिक्स संकेतक मजबूत हैं। सेंसेक्स पैक में, आईटीसी, अदाणी पोर्ट्स, इंफोसिस, पावरग्रिड, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एसबीआई, एचसीएल टेक, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा मोटर्स और इटरनल टॉप गेनर्स थे। जबकि, सन फार्मा, एमएंडएम, एनटीपीसी, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी और आईसीआईसीआई बैंक टॉप लूजर्स थे।एशियाई बाजारों में, चीन, हांगकांग, बैंकॉक, सोल, जकार्ता और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थेएशियाई बाजारों में, चीन, हांगकांग, बैंकॉक, सोल, जकार्ता और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजारों में पिछले कारोबारी सत्र में डॉव जोन्स 1.35 अंक या 0.00 प्रतिशत की गिरावट के साथ 41,859.09 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 2.60 अंक या 0.04 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,842.01 पर बंद हुआ और नैस्डैक 53.09 अंक या 0.28 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,925.74 पर बंद हुआ।अस्थिर सत्र के बाद गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार मिश्रित रूप से बंद हुएविशेषज्ञों ने कहा, “अस्थिर सत्र के बाद गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार मिश्रित रूप से बंद हुए, जिसमें प्रमुख सूचकांक शुरुआती नुकसान को खत्म करने में सफल रहे क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कर और व्यय विधेयक को सदन ने बहुत कम अंतर से पारित कर दिया और इसके बाद ट्रेजरी यील्ड हाल के उच्च स्तर से कुछ पीछे हट गए।”आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और इंटरग्लोब एविएशन जैसे बड़े प्लेयर्स के शेयर की कीमतों में मजबूतीसंस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध विक्रेता थे क्योंकि उन्होंने 22 मई को 5,045.36 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,715.00 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी।जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजय कुमार ने कहा, “यहां तक कि जब बाजार कमजोर होता है, तब भी फाइनेंशियल, टेलीकॉम, विमानन आदि जैसे घरेलू मांग आधारित क्षेत्र मजबूत होते हैं। यह इन क्षेत्रों में आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और इंटरग्लोब एविएशन जैसे बड़े प्लेयर्स के शेयर की कीमतों में मजबूती से दिखाई देता है। बाजार से यह संदेश महत्वपूर्ण है। -
नयी दिल्ली. फिच रेटिंग्स ने 2028 तक भारत की औसत वार्षिक वृद्धि क्षमता का अनुमान बढ़ाकर बृहस्पतिवार को 6.4 प्रतिशत कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने नवंबर 2023 में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। फिच ने पांच साल के संभावित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमानों को अद्यतन करते हुए कहा, ‘‘ भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2023 की रिपोर्ट के समय की हमारी अपेक्षा से अधिक मजबूती से वापसी की है। इससे वैश्विक महामारी के झटकों के कम प्रतिकूल प्रभाव के संकेत मिलते हैं।'' अपने अद्यतन पूर्वानुमान में फिच ने 2023-2028 के लिए भारत की औसत वृद्धि दर का अनुमान 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। इसमें कहा गया, फिच रेटिंग्स ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) में शामिल 10 उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए अगले पांच वर्षों के लिए अपने मध्यम अवधि संभावित जीडीपी अनुमानों को थोड़ा कम कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ हमारा नया अनुमान जीडीपी भारित आधार पर 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जो नवंबर 2023 के हमारे पिछले आकलन चार प्रतिशत से कम है...''
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि वैश्विक व्यापार पुनर्गठन और औद्योगिक नीति में बदलाव के बीच भारत एक ‘कनेक्टर देश’ के रूप में कार्य करने की मजबूत स्थिति में आगे बढ़ रहा है। देश टेक्नोलॉजी, डिजिटल सर्विस और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर में एक प्रमुख मध्यस्थ बन सकता है।
केंद्रीय बैंक की ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट में कही गई ये बातकेंद्रीय बैंक की ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौद्रिक, वित्तीय और राजनीतिक स्थिरता, नीतिगत स्थिरता और निश्चितता, अनुकूल कारोबारी माहौल और मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल के साथ-साथ ट्रांसपेरेंट, नियम-आधारित और दूरदर्शी पॉलिसी इकोसिस्टम से घिरी हुई है।आईएमएफ अनुमानों के अनुसार- भारत इस साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाअप्रैल 2025 के आईएमएफ अनुमानों के अनुसार, भारत इस साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा और जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है।मुद्रास्फीति का दबाव काफी कममुद्रास्फीति का दबाव काफी कम हो गया है। अब यह उम्मीद है कि मुद्रास्फीति की दर निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप बनी रहेगी, जो कि 2025-26 के लिए निर्धारित किया गया है। उपभोक्ता और व्यवसाय आर्थिक गतिविधि को मजबूत करने के लिए आश्वस्त और सहायक बने हुए हैं।रिजर्व बैंक के उपायों ने लिक्विडिटी की स्थिति को काफी हद तक बनाया आसानइसके अलावा, जनवरी 2025 से रिजर्व बैंक के उपायों ने लिक्विडिटी की स्थिति को काफी हद तक आसान बना दिया है। मार्च 2025 के अंत से सिस्टम लिक्विडिटी अधिशेष में बनी हुई है। वैश्विक पूंजी प्रवाह पर अनिश्चितताओं के बीच घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने मार्च 2025 में निफ्टी-500 कंपनियों के स्वामित्व में एफपीआई को पीछे छोड़ दिया है।भारतीय इक्विटी बाजारों में एक संरचनात्मक बदलावयह भारतीय इक्विटी बाजारों में एक संरचनात्मक बदलाव को दर्शाता है क्योंकि म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों सहित डीआईआई ने खुदरा और एसआईपी प्रवाह के साथ एफपीआई द्वारा उत्पन्न अस्थिरता को तेजी से संतुलित किया है, जो एक स्थिर दीर्घकालिक निवेश आधार प्रदान करता है।घरेलू मुद्रास्फीति में नरमी के बीच घरेलू वित्तीय बाजारों के सेंटिमेंट में बदलावरिजर्व बैंक ने कहा कि भारत-पाकिस्तान तनाव कम होने, वैश्विक व्यापार परिदृश्य में सुधार और घरेलू मुद्रास्फीति में नरमी के बीच घरेलू वित्तीय बाजारों के सेंटिमेंट में बदलाव देखा गया है। आरबीआई के अनुसार, इस परिदृश्य में, हाल ही में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते का पूरा होना द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के मजबूत होने की ओर इशारा करता है।आरबीआई के अनुसार, “मौजूद चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बावजूद, भारत आत्मविश्वास के साथ इन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने, उभरते अवसरों का लाभ उठाने और वैश्विक विकास के प्रमुख चालक के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए अच्छी स्थिति में है।” -
नई दिल्ली। वैश्विक विकास के साथ लगातार व्यापारिक तनाव, बढ़ी हुई नीतिगत अनिश्चितता और कमजोर उपभोक्ता भावना के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि उच्च व्यापार और टैरिफ-संबंधी चिंताओं के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती प्रदर्शित की हैआरबीआई बुलेटिन के अनुसार, “इन चुनौतियों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती प्रदर्शित की है। अप्रैल में औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों के हाई-फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर्स ने अपनी गति बनाए रखी।” रबी की बंपर फसल और गर्मियों की फसलों के लिए अधिक रकबा, साथ ही 2025 के लिए अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून पूर्वानुमान, कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत देते हैं।जुलाई 2019 के बाद से लगातार छठे महीने हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति अपने निम्नतम स्तर पर आ गई हैबुलेटिन में कहा गया है कि जुलाई 2019 के बाद से लगातार छठे महीने हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति अपने निम्नतम स्तर पर आ गई, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में निरंतर कमी के कारण हुई। अप्रैल में डोमेस्टिक फाइनेंशियल मार्केट सेंटीमेंट में उतार-चढ़ाव रहा, लेकिन मई के तीसरे सप्ताह से इसमें सुधार देखने को मिला।अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आई हैइस साल अप्रैल में कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण श्रमिकों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आई और यह क्रमशः 3.48 प्रतिशत और 3.53 प्रतिशत हो गई, जो कि अप्रैल 2024 में क्रमशः 7.03 प्रतिशत और 6.96 प्रतिशत थी, जिससे गरीब परिवारों को राहत मिली। इसके अलावा, घरेलू इक्विटी बाजार, जो अमेरिका द्वारा टैरिफ घोषणाओं के जवाब में शुरू में गिर गया था, अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में कुछ बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियों के चौथी तिमाही के लिए मजबूत कॉर्पोरेट आय रिपोर्ट के मद्देनजर फिर से गति पकड़ने लगा।1994-2004 के दौरान एनआईसी में वृद्धि जीडीपी की तुलना में काफी अधिक थी; हालांकि, अगले दो दशकों में यह अंतर काफी कम हो गया हैइसके अलावा, 2014-2024 के दौरान नोट्स इन सर्कुलेशन (मूल्य के संदर्भ में एनआईसी) की वृद्धि दर पिछले दो दशकों की तुलना में काफी कम थी। 1994-2004 के दौरान एनआईसी में वृद्धि जीडीपी की तुलना में काफी अधिक थी; हालांकि, अगले दो दशकों में यह अंतर काफी कम हो गया है।बुलेटिन में कहा गया है कि नाइट लाइट्स-करों के बीच और नाइट लाइट्स-जीडीपी के बीच भी सकारात्मक संबंध बने हुए हैं। इसका मतलब है कि औपचारिक आर्थिक गतिविधि बैंक नोटों का इस्तेमाल कम कर रही है। -
नयी दिल्ली. भारत, अमेरिकी शुल्क एवं वैश्विक व्यापार व्यवधानों के नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है, क्योंकि घरेलू वृद्धि चालक और निर्यात पर कम निर्भरता अर्थव्यवस्था को सहारा दे रही है। रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार को बयान में कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल से वैश्विक मांग के कमजोर होते परिदृश्य की भरपाई करने में मदद मिलेगी। मुद्रास्फीति में कमी से ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती है, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक समर्थन मिलेगा, साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में नगदी से ऋण देने में सुविधा होगी। मूडीज ने कहा, ‘‘भारत कई अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अमेरिकी शुल्क और वैश्विक व्यापार व्यवधानों से निपटने में बेहतर स्थिति में है, जिसे मजबूत आंतरिक वृद्धि कारकों, बड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था एवं माल व्यापार पर कम निर्भरता से बल मिलता है।'' रेटिंग एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में 2025 कैलेंडर वर्ष के लिए भारत के अपने आर्थिक वृद्धि अनुमानों को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया था। अमेरिका के शुल्क दरों में बढ़ोतरी की घोषणा से उत्पन्न स्थितियों के बाद एजेंसी ने अनुमानों में बदलाव किया था।
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नयी दिल्ली. एनटीपीसी की नवीकरणीय ऊर्जा इकाई एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनजीईएल) का जनवरी-मार्च तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ लगभग तीन गुना होकर 233.21 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी का जनवरी-मार्च, 2024 में मुनाफा 80.95 करोड़ रुपये रहा था। शेयर बाजार को दी गई सूचना के अनुसार, समीक्षाधीन तिमाही में एनजीईएल की आय सालाना आधार पर 553.06 करोड़ रुपये से बढ़कर 751.50 करोड़ रुपये हो गई। व्यय 444.63 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 425.84 करोड़ रुपये था। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 10,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने आंध्र प्रदेश में ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब' के विकास के लिए 33 वर्ष के लिए पट्टे पर जमीन भी ली है। एनजीईएल, एनटीपीसी की हरित कारोबार पहल के लिए प्रमुख कंपनी है।
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नयी दिल्ली. वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने से सुरक्षित निवेश के तौर पर खरीदारी का दौर शुरू होने से राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 1,910 रुपये बढ़कर 98,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना मंगलवार को 96,540 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बुधवार को 1,870 रुपये बढ़कर 98,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गया, जो पिछले दिन 96,130 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘कमजोर डॉलर ने सोने की कीमतों को सहारा दिया। मूडीज द्वारा राजकोषीय घाटे की चिंताओं के कारण अमेरिकी साख रेटिंग को नीचा किये जाने के बाद निवेशक सॉवरेन जोखिम का भी मूल्यांकन कर रहे हैं।'' मेहता ने कहा कि इसने अमेरिकी वित्त की दीर्घकालिक स्थिरता के बारे में अनिश्चितता बढ़ा दी है, जिससे निवेशकों को सोने जैसी सुरक्षित संपत्तियों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, बुधवार को चांदी की कीमतें 1,660 रुपये बढ़कर 99,160 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गईं। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 97,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 21.79 डॉलर या 0.66 प्रतिशत बढ़कर 3,311.76 डॉलर प्रति औंस हो गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ शोध विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी राजकोषीय चिंताओं के बीच बुधवार को सोने ने 3,300 डॉलर के स्तर को पुनः प्राप्त कर लिया।'' गांधी ने कहा कि इस बीच, शुल्क नीतियों के बारे में चल रही अनिश्चितता और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख कर सुधारों पर आगामी महत्वपूर्ण मतदान से निवेशकों में घबराहट बढ़ रही है, जिससे अमेरिकी डॉलर कमजोर हो रहा है और सोना बढ़ रहा है। कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी-जिंस शोध कायनात चैनवाला ने कहा कि ईरानी परमाणु सुविधा केंद्रो पर संभावित इजरायली हमले की रिपोर्ट के बाद बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने सोने की कीमतों को बढ़ावा दिया। चैनवाला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के संबोधन पर व्यापारियों की कड़ी नजर रहेगी। -
रायपुर। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता ने जहां देश को गौरव से भर दिया, वहीं जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले हजारों नागरिकों को भीषण मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई बर्बर गोलाबारी में निर्दोष लोगों की जान गई और घर-गांव तबाह हो गए। ऐसे कठिन समय में जिन्दल स्टील के चेयरमैन और कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद श्री नवीन जिन्दल ने एक संवेदनशील और मानवीय पहल करते हुए इन पीडि़त परिवारों के पुनर्वास में सहयोग का संकल्प लिया है। इस पहल के तहत श्री नवीन जिन्दल ने राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की है। इस सहयोग में जिन्दल स्टील समूह के 20 हजार से अधिक कर्मचारियों द्वारा स्वेच्छा से अपना एक दिन का वेतन देना भी शामिल है। यह सहायता एक व्यक्तिगत दायित्व के साथ साथ एक सामूहिक राष्ट्रीय कर्तव्य भी है।
श्री जिन्दल ने कहा, "सीमा पर रहने वाले हमारे नागरिक भी सैनिकों से कम नहीं हैं। उनका साहस,धैर्य और बलिदान प्रेरणास्पद है। आज जब वे कठिनाई में हैं, तो उनकी सहायता करना हम सभी का नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। हम देशवासियों से अपील करते हैं कि वे भी इस पुनीत कार्य में योगदान दें।"गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी में कई भारतीय गांव प्रभावित हुए, जिससे कई नागरिक विस्थापित हो गए।जिन्दल स्टील का यह योगदान कोई नया उदाहरण नहीं है। इससे पूर्व भी कंपनी ने कोविड-19 संकट के दौरान देशभर में ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर मुफ्त भोजन वितरण तक अनेक राहत कार्य किये थे और पीएम केयर्स फंड में 25 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। 2013 में उत्तराखंड आपदा में भी कंपनी ने सहायता की थी। इस तरह जिन्दल स्टील हर संकट में राष्ट्र के साथ खड़ा रहा है।श्री नवीन जिन्दल का यह निर्णय न केवल एक आर्थिक सहायता है, बल्कि देश से उनके गहरे प्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रमाण भी है। सीमावर्ती क्षेत्रों के हमारे नागरिकों को यह भरोसा दिलाना आवश्यक है कि संकट की इस घड़ी में देश उनके साथ खड़ा है। जिन्दल स्टील परिवार की यह एकजुटता न केवल पुनर्वास की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा की भावना को भी जीवंत बनाती है — यही संकल्प एक सशक्त और एकजुट भारत की नींव है। -
नई दिल्ली। एयरटेल यूजर्स के लिए ‘गूगल वन क्लाउड स्टोरेज सब्सक्रिप्शन सर्विस’ की पेशकश करते हुए भारती एयरटेल और गूगल ने मंगलवार को पार्टनरशिप की घोषणा की। गूगल और एयरटेल की इस साझेदारी से यूजर्स की लिमिटेड डिवाइस स्टोरेज की परेशानी दूर होगी। सभी पोस्टपेड और वाई-फाई कस्टमर्स को बिना किसी एक्स्ट्रा कॉस्ट के छह महीने के लिए 100 जीबी गूगल वन क्लाउड स्टोरेज की सुविधा मिलेगी।
कंपनियों ने एक बयान में कहा कि एयरटेल यूजर्स इस स्टोरेज को पांच एडिशनल लोगों के साथ साझा भी कर सकेंगे। एक्टिवेशन की तारीख से पहले छह महीनों के लिए 100 जीबी क्लाउड स्टोरेज बिना किसी अतिरिक्त लागत के उपलब्ध होगी, जिससे ग्राहक अपने डेटा का बैकअप ले सकेंगे और क्लाउड स्टोरेज की सुविधा का अनुभव कर सकेंगे। बिना किसी शुल्क के छह महीने के लिए 100 जीबी स्टोरेज के बाद, कस्टमर के मंथली बिल में 125 रुपए प्रतिमाह का शुल्क जोड़ा जाएगा। अगर कोई कस्टमर सब्सक्रिप्शन जारी नहीं रखना चाहता है, तो वह गूगल वन का सदस्य नहीं रह सकता है।गूगल के एपीएसी, प्लेटफॉर्म्स एंड डिवाइसेस पार्टनरशिप्स के उपाध्यक्ष, कैरन टेओ ने कहा, “हम भारत में लाखों लोगों तक गूगल वन की सुविधा पहुंचाने के लिए एयरटेल के साथ साझेदारी कर उत्साहित हैं। हम साथ मिलकर यूजर्स के लिए फोटोज, वीडियोज और जरूरी फाइल्स का बैकअप उनके फोन पर गूगल फोटोज, ड्राइव, जीमेल में ज्यादा स्टोरेज के साथ पेश कर रहे हैं।”इस पार्टनरशिप का उद्देश्य यूजर्स की डेटा स्टोरेज से जुड़ी बाधाओं को दूर करना है। यूजर्स को अब स्पेस खाली करने के लिए उनके फोटोज, वीडियो, डॉक्युमेंट्स और अन्य डिजिटल कंटेंट को डिलीट करने की जरूरत नहीं होगी।इसके अलावा, एंड्रॉयड पर वॉट्सऐप चैट्स को गूगल अकाउंट स्टोरेज पर बैकअप किया जाता है, जिससे कस्टमर्स के लिए डिवाइस स्विचिंग आसान हो जाएगी। क्लाउड स्टोरेज प्रोविजन, एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म्स दोनों के लिए कम्पैटिबल है।भारती एयरटेल में कनेक्टेड होम्स एंड डायरेक्टर ऑफ मार्केटिंग के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा के अनुसार, “यूजर के लिए उसका स्मार्टफोन एक मेन डिवाइस है, जो पर्सनल और प्रोफेशनल जानकारियों को मैनेज करता है। इसी के साथ स्टोरेज हर यूजर के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है।”उन्होंने कहा, “हम अपने ग्राहकों को भरोसेमंद, सुरक्षित और यूजर फ्रेंडली स्टोरेज सॉल्यूशन प्रदान कर इस समस्या का समाधान करने के लिए गूगल के साथ सहयोग कर खुश हैं। यह साझेदारी हमारे लाखों पोस्टपेड, वाई-फाई ग्राहकों के लिए एक अवसर पेश करेगी, जिससे उन्हें 100 जीबी अतिरिक्त स्टोरेज तक पहुंच प्राप्त होगी।” -
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने हाल ही में एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिसे नाम दिया गया है Swarail। यह ऐप इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) और सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (CRIS) की पेशकश है। इसे एक ‘सुपर ऐप’ के तौर पर पेश किया जा रहा है, जो रेलवे से जुड़ी लगभग हर सर्विस को एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्द करवाता है। पुराने IRCTC रेल कनेक्ट ऐप की तुलना में Swarail का इंटरफेस आधुनिक, तेज और यूजर-फ्रेंडली है। यह ऐप अभी बीटा वर्जन में है, लेकिन इसे गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। अगर आपके पास पहले से IRCTC रेल कनेक्ट का अकाउंट है, तो उसी से लॉगिन कर सकते हैं, या फिर नया अकाउंट भी बना सकते हैं।
टिकट बुकिंग अब और आसानSwarail ऐप की सबसे बड़ी खूबी है टिकट बुकिंग की आसानी। चाहे आपको रिजर्व्ड टिकट चाहिए, अनरिजर्व्ड टिकट चाहिए, या फिर प्लेटफॉर्म टिकट, सब कुछ इस ऐप से कुछ ही टैप में हो जाता है। पहले जहां स्टेशन पर लंबी-लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता था, अब वो झंझट खत्म। रिजर्व्ड या अनरिजर्व्ड टिकट बुक करने के लिए बस आपको अपनी यात्रा का शुरुआती और अंतिम स्टेशन डालना है, तारीख चुननी है, और ट्रेन का क्लास (जैसे स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी) सिलेक्ट करना है। इसके बाद सर्च बटन दबाते ही आपके सामने ट्रेनों की पूरी लिस्ट आ जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे IRCTC की ऐप और वेबसाइट पर दिखता है। यह प्रक्रिया इतनी आसान और तेज है कि नौसिखिए यूजर भी बिना किसी परेशानी के टिकट बुक कर सकते हैं।टिकट बुकिंग के अलावा भी बहुत कुछSwarail को सिर्फ टिकट बुकिंग ऐप समझने की गलती न करें। यह ऐप इससे कहीं ज्यादा है। इसका इंटरफेस इतना साफ-सुथरा और आधुनिक है कि आपको पुराने रेलवे ऐप्स की तरह बार-बार क्लिक करने की जरूरत नहीं पड़ती। होम स्क्रीन पर ही आपको कई सारे ऑप्शन मिलते हैं, जैसे ट्रेन सर्च करना, PNR स्टेटस चेक करना, अपने कोच की पोजीशन देखना, ट्रेन को रियल-टाइम ट्रैक करना, फूड ऑर्डर करना, रेलवे अधिकारियों से मदद मांगना, फीडबैक देना या फिर टिकट रिफंड के लिए आवेदन करना। ये सारी सुविधाएं बस एक टैप की दूरी पर हैं। पहले जहां इन कामों के लिए अलग-अलग ऐप्स डाउनलोड करने पड़ते थे या IRCTC की वेबसाइट पर जाकर उलझनभरे इंटरफेस से जूझना पड़ता था, Swarail ने इसे एक ही जगह पर लाकर सारी परेशानियां खत्म कर दी हैं।सिक्योर और स्मार्ट लॉगिनSwarail का एक और कमाल का फीचर है इसका सिक्योर लॉगिन सिस्टम। अगर आप iPhone यूजर हैं, तो फेस ID से लॉगिन कर सकते हैं। वहीं, अगर आपके पास एंड्रॉयड फोन है, तो फिंगरप्रिंट सेंसर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह फीचर इसे बैंकिंग ऐप्स की तरह सुरक्षित और तेज बनाता है। लॉगिन करने के बाद आपका सारा डेटा सुरक्षित रहता है, और आपको बार-बार पासवर्ड डालने की जरूरत नहीं पड़ती। यह छोटी-सी सुविधा रोजमर्रा के इस्तेमाल में बहुत बड़ा अंतर लाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो बार-बार रेलवे से जुड़ी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।माई बुकिंग्स: आपकी सारी यात्राओं का हिसाबअगर आप अक्सर ट्रेन से यात्रा करते हैं, तो Swarail का माई बुकिंग्स सेक्शन आपके बहुत काम आएगा। इस सेक्शन में आपकी सारी रेलवे बुकिंग्स, चाहे वो पुरानी हों या आने वाली, एक ही जगह पर दिखती हैं। इससे आपको अपनी यात्राओं का हिसाब रखने में आसानी होती है। पहले जहां आपको पुरानी बुकिंग्स चेक करने के लिए अलग-अलग जगह देखना पड़ता था, अब Swarail में सब कुछ व्यवस्थित तरीके से आपके सामने होता है। यह फीचर खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो परिवार के लिए या ऑफिस के काम से कई सारी बुकिंग्स मैनेज करते हैं।लार्ज शिपमेंट सर्विस: सामान भेजने का नया तरीकाSwarail का एक और खास फीचर है इसका लार्ज शिपमेंट सर्विस, जो हर किसी के लिए नहीं, लेकिन सामान भेजने वालों के लिए बहुत काम का है। इस फीचर को एक्टिवेट करने के लिए आपको ऐप के बॉटम बार में मेन्यू बटन पर टैप करना होगा। इसके बाद दाईं तरफ ‘Show/Hide Services’ का ऑप्शन मिलेगा। वहां जाकर ‘Large Shipment Services’ का टॉगल ऑन करें। अब होम टैब पर आपको कुछ नए ऑप्शन दिखेंगे, जैसे प्लान शिपमेंट, ट्रैक शिपमेंट, फ्रेट कैलकुलेटर, फ्रेट टर्मिनल्स और फ्रेट रूट्स। ये ऑप्शंस उन लोगों के लिए हैं जो बड़े सामान को एक जगह से दूसरी जगह भेजना चाहते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप बिजनेस करते हैं और आपको सामान ट्रांसपोर्ट करना पड़ता है, तो यह फीचर आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।यूजर-फ्रेंडली और भरोसेमंदSwarail का सबसे बड़ा फायदा है इसका यूजर-फ्रेंडली डिजाइन। पुराने रेलवे ऐप्स में अक्सर बग्स की शिकायत रहती थी, इंटरफेस पुराना लगता था और कई बार सही ऑप्शन ढूंढने में भी दिक्कत होती थी। लेकिन Swarail ने इन सारी कमियों को दूर किया है। इसका इंटरफेस इतना आसान है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वो टेक्नोलॉजी में ज्यादा पारंगत न हो, आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही, यह ऐप रियल-टाइम ट्रेन ट्रैकिंग और खाना ऑर्डर करने जैसी सुविधाएं देता है, जो यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाती हैं। - नयी दिल्ली. भारत लगातार दूसरे साल इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। बीते साल भारत में इलेक्ट्रिक तिपहिया की बिक्री लगभग 20 प्रतिशत बढ़कर लगभग सात लाख इकाई पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। पेरिस स्थित ऊर्जा नियामक ने अपने ‘वैश्विक ईवी परिदृश्य-2025' में कहा कि भारत वैश्विक इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन बाजार में सबसे अधिक वृद्धि को आगे बढ़ा रहा है। वैश्विक तिपहिया वाहन बाजार में पिछले वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन की बिक्री 2024 में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 10 लाख वाहन को पार कर गई। इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन की बिक्री सभी तिपहिया वाहन बिक्री का लगभग एक-चौथाई है, जो 2023 में 20 प्रतिशत से अधिक था। यह बाजार अत्यधिक संकेन्द्रित है। इसमें चीन और भारत, दोनों की मिलाकर इलेक्ट्रिक और पारंपरिक तिपहिया वाहन की कुल बिक्री में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में कहा गया, “पिछले तीन वर्षों में चीन में तिपहिया वाहनों का विद्युतीकरण 15 प्रतिशत से भी कम पर स्थिर रहा है। 2023 में, भारत इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बनने के लिए चीन से आगे निकल गया, और 2024 में यह स्थिति बनी रही, जिसमें बिक्री साल-दर-साल 20 प्रतिशत बढ़कर लगभग 7,00,000 वाहनों तक पहुंच गई।” इसका अर्थ है कि 2024 में इलेक्ट्रिक बिक्री में रिकॉर्ड 57 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक होगी। इसमें कहा गया है कि यह बढ़ती प्रवृत्ति, नई पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत नीतिगत समर्थन के कारण जारी रहने की संभावना है। इस योजना के तहत वाणिज्यिक उपयोग के लिए 3,00,000 से अधिक इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन को समर्थन के लिए 2024 में बजट आवंटित किया गया है। आईईए ने कहा कि चीन, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया दुनिया के सबसे बड़े दोपहिया-तिपहिया बाजार है और 2024 में इन वाहनों की वैश्विक बिक्री में इनका हिस्सा करीब 80 प्रतिशत था।
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नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 7 अरब डॉलर के लोन के लिए पाकिस्तान के सामने 11 और नई शर्तें रख दी हैं। इसके साथ ही भारत के साथ तनाव को एक बड़ा जोखिम बताया है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, जो नई शर्तें लगाई गई हैं उनमें 17.6 लाख करोड़ रुपए के नए बजट को मंजूरी देना, बिजली बिलों पर डेट सर्विसिंग सरचार्ज बढ़ाना और तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना शामिल है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव काफी बढ़ गया हैशनिवार को जारी आईएमएफ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच में अगर तनाव बढ़ता है तो पड़ोसी देश के राजकोष, विदेशी व्यापार और सुधारों पर नकारात्मक असर होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव काफी बढ़ गया है, लेकिन अभी तक बाजार की प्रतिक्रिया मामूली रही है और शेयर बाजार ने अपने हालिया मुनाफे को बरकरार रखा है।आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान का रक्षा बजट 2.414 लाख करोड़ रुपए हो सकता है, जो 25,200 करोड़ रुपए या 12 प्रतिशत अधिक हैआईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान का रक्षा बजट 2.414 लाख करोड़ रुपए हो सकता है, जो 25,200 करोड़ रुपए या 12 प्रतिशत अधिक है। आईएमएफ के अनुमान की तुलना में, सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक आवंटित करने का संकेत दिया है, जो भारत के साथ संघर्ष के बाद 18 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।आईएमएफ ने महज 7 अरब डॉलर के कर्ज के लिए पाकिस्तान पर 11 और शर्तें लगा दी हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई हैआईएमएफ ने जून 2025 के अंत तक कार्यक्रम लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आईएमएफ स्टाफ एग्रीमेंट के अनुरूप वित्त वर्ष 2026 के बजट की संसदीय मंजूरी हासिल करने की एक नई शर्त भी लगाई है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने रिपोर्ट में बताया, “आईएमएफ ने महज 7 अरब डॉलर के कर्ज के लिए पाकिस्तान पर 11 और शर्तें लगा दी हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई है।” आईएमएफ ने बताया कि पाकिस्तान के 17.6 लाख करोड़ रुपए के बजट में से सिर्फ 1.07 लाख करोड़ रुपए विकास पर खर्च किए जाने हैं, जबकि 6.6 लाख करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा है।