फोर्टिफाइड चावल वितरण का दूसरा चरण शुरू : अबतक 90 जिलों को योजना के दायरे में लाया गया
नयी दिल्ली | केंद्र सरकार ने एक अप्रैल से दबाव वाले जिलों में राशन की दुकानों के माध्यम से दूसरे चरण का फोर्टिफाइड (पोषण तत्वों से संवर्धित) चावल वितरण शुरू किया है और अबतक लक्षित 291 जिलों में से 90 जिलों को इस योजना के दायरे में लिया गया है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को यह जानकारी दी। सरकार का उद्देश्य 2024 तक केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से पोषण संवर्धित चावल का वितरण करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में गरीबों के बीच कुपोषण के मुद्दे का समाधान निकालने की घोषणा की थी। इसका पहला चरण अक्टूबर, 2021 में शुरू किया गया था जिसके तहत एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण (पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना) के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की गई थी। फोर्टिफाइड चावल खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाया जाता है। इसमें चावल को तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों - आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 के साथ मिश्रित करने की सलाह दी गई है। इस संदर्भ में हुई प्रगति पर मीडिया को जानकारी देते हुए पांडेय ने कहा कि आईसीडीएस केंद्रों और पीएम-पोषण के अलावा सरकार का लक्ष्य दूसरे चरण में 291 आकांक्षी और उच्च बोझ वाले जिलों को 175 लाख टन फोर्टिफाइड चावल का वितरण करते हुए उन्हें योजना के दायरे में लाना है। उन्होंने कहा, ‘‘चरण-2 के कार्यान्वयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अबतक जरूरत की लगभग 50 प्रतिशत खरीद की जा चुकी है।'' भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा लगभग 90 लाख टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद की गई है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-मई अवधि के दौरान 16 राज्यों के 90 से अधिक जिलों में लगभग 2.20 लाख टन की आपूर्ति की गई है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चरण-2 के कार्यान्वयन के लिए जरूरी मात्रा की खरीद कर पाएगी, सचिव ने कहा, यह एक सतत और जटिल प्रक्रिया है। लगभग 90 लाख टन एफसीआई के पास उपलब्ध है और राज्यों द्वारा उठान किया जाता है।'' फोर्टिफाइड चावल के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर सचिव ने कहा कि चावल को पोषक तत्वों से संवर्धित करने के लाभ हानिकारक प्रभावों से कहीं अधिक हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि एक व्यापक समवर्ती मूल्यांकन तंत्र स्थापित किया गया है। सभी राज्यों ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति का गठन किया है जो पूरे वितरण की समीक्षा करेगी। खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव एस जगन्नाथन ने कहा कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार के साथ, पोषक तत्वों से संवर्धित करने की लागत कम हो रही है। फिलहाल यह 73 पैसे प्रति किलो है और कई राज्यों में यह करीब 50 पैसे प्रति किलो है। उन्होंने कहा कि यह कदम जरूरी था क्योंकि कुपोषण से उत्पादकता घटने, बीमारी और मृत्यु के मामलों से देश को सालाना कम से कम 77,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि आयरन की कमी से होने वाले ‘एनीमिया' के कारण देश को सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक प्रतिशत (2.03 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान होता है। सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स-दिल्ली के अतिरिक्त प्रोफेसर कपिल यादव ने कहा, ‘‘इसमें कुछ जोखिम शामिल हैं, लेकिन लाभ कहीं अधिक हैं। भारत में प्रसव के दौरान रक्तस्राव के कारण दुनिया में सबसे अधिक मृत्यु दर है। चावल का फोर्टिफिकेशन इसे कम करने में मदद करता है।
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