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 विदेशी बाजारों में भारी मंदी से तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट...  तेल-तिलहनों के भाव आज इस प्रकार रहे

 नयी दिल्ली।  विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख और आयातित तेलों के भाव कमजोर रहने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, पाम एवं पामोलीन तेल सहित अधिकांश तेल- तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख रहा जबकि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे। मूंगफली में ज्यादा कामकाज भी नहीं है।.बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेल के सामने किसान नीचे भाव में कपास की बिक्री नहीं करते और ऊंचे भाव में इसके खरीदार नहीं हैं। आयातित तेलों के टूटने से अजीब उहापोह की स्थिति है और सबसे बड़ी मुश्किल तो अगले महीने होने वाली सूरजमुखी की बुवाई को लेकर है। देश में सूरजमुखी तेल के उत्पादन की लागत लगभग 160 रुपये किलो बैठती है जबकि आयातित सूरजमुखी तेल का भाव 112 रुपये किलो है और ऐसे में कौन किसान सूरजमुखी बोने की प्रयास करेगा? स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार को तत्काल कोई फैसला करना चाहिये।.
उन्होंने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में 6.5 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज लगभग एक प्रतिशत नीचे चल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहनों में केवल बिनौला खल का वायदा कारोबार चल रहा है। आयातित तेलों के सस्ते रहने से वायदा कारोबार में बिनौला खल के दिसंबर में डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव लगभग चार प्रतिशत बढ़ गया। यह एक बार फिर से इस बात को सिद्ध करता है कि खाद्य तेलों के भाव टूटते हैं तो पशु आहार यानी खल के भाव महंगे हो जाते हैं। इसका सीधा असर दूध, मक्खन, घी, पनीर, अंडे, मुर्गी मांस पर आता है जिससे खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ती है।
सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल खली का वायदा कारोबार बंद करने की जरूरत है, नहीं तो बिनौला खल की कीमत भी आसमान पर पहुंच जाएगी। सस्ते आयातित तेलों की वजह से किसान कम भाव पर बिकवाली करने से बच रहे हैं और मंडियों में अपनी कम उपज यानी कपास-नरमा ला रहे हैं और यही वजह है कि बिनौला खल की कमी है। कपास मिलों को भी कम कच्चा माल प्राप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि पशु आहार के लिए जरूरी खल का अधिकांश हिस्सा बिनौला खल का होता है और प्रतिवर्ष लगभग 110 लाख टन बिनौला खल का उत्पादन होता है। इस खल की अहमियत को देखते हुए सरकार ने इस पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) माफ कर रखा है।
सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल- तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे।सूत्रों ने कहा कि सरकार खाद्य तेल कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की भी निगरानी रखे और इसका पता लगाये कि सस्ता होने के बावजूद खाद्य तेल, उपभोक्ताओं को मिल कितने में रहा है।
 
सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
 
सरसों तिलहन - 7,000-7,050 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
 
मूंगफली - 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल।
 
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।
 
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन।
 
सरसों तेल दादरी- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सरसों पक्की घानी- 2,100-2,230 रुपये प्रति टिन।
 
सरसों कच्ची घानी- 2,160-2,285 रुपये प्रति टिन।
 
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,700 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,250 रुपये प्रति क्विंटल।
 
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।
 
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।
 
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
 
सोयाबीन दाना - 5,525-5,625 रुपये प्रति क्विंटल।
 
सोयाबीन लूज 5,335-5,385 रुपये प्रति क्विंटल।
 
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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