जब्त विस्फोटकों के नमूने लेते समय जम्मू कश्मीर के नौगाम थाने में विस्फोट, नौ लोगों की मौत, 32 घायल
श्रीनगर/नयी दिल्ली. श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में ‘‘दुर्घटनावश'' विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई और 32 अन्य घायल हो गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह आतंकवादी हमला नहीं था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात और गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने बताया कि यह घटना तब हुई जब एक विशेष टीम एक ‘सफेदपोश' आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में जारी जांच के सिलसिले में हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त किए गए विस्फोटकों के एक बड़े जखीरे से नमूने ले रही थी। प्रभात और लोखंडे ने क्रमशः श्रीनगर और नयी दिल्ली में मीडिया के समक्ष एक तरह के बयान में आतंकवादी हमले की अटकलों को खारिज किया और इस बात पर जोर दिया गया कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी। दोनों अधिकारियों ने पत्रकारों के किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया और विस्फोट के वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। विस्फोट शुक्रवार रात 11 बजकर 20 मिनट के आसपास हुआ जब एक विशेष टीम एक ‘सफेदपोश' आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में जारी जांच के सिलसिले में हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त किए गए विस्फोटकों के एक बड़े और ‘‘खतरनाक'' जखीरे से नमूने ले रही थी। मृतकों में नायब तहसीलदार मुजफ्फर अहमद खान और सुहैल अहमद राठेर (राजस्व विभाग), राज्य अन्वेषण अभिकरण के निरीक्षक इसरार अहमद शाह, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) से चयन ग्रेड कांस्टेबल ऐजाज अफजल मीर, कांस्टेबल मोहम्मद अमीन मीर और कांस्टेबल शौकत अहमद भट, (क्राइम ब्रांच फोटोग्राफर से) चयन ग्रेड कांस्टेबल जावेद मंसूर राठेर और कांस्टेबल अर्शीद अहमद शाह शामिल हैं। पेशे से दर्जी और नमूना लेने वाली टीम से जुड़े मोहम्मद शफी पार्रे की भी विस्फोट में मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि कुल 32 लोग घायल हुए हैं - 27 पुलिसकर्मी, दो राजस्व अधिकारी और आस-पास के इलाकों के तीन आम नागरिक। उन्होंने बताया कि उन्हें इलाज के लिए तुरंत स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया। इस भीषण विस्फोट से पुलिस थाने की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और आस-पास की इमारतें भी प्रभावित हुईं। जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया, उपराज्यपाल सिन्हा ने पुलिस नियंत्रण कक्ष में मृतकों को पुष्पांजलि अर्पित की, उनके साथ कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और डीजीपी प्रभात भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक पोस्ट में नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार नौगाम पुलिस थाने में दुर्घटनावश हुए विस्फोट से आस-पास की इमारतों को हुए नुकसान की भरपाई करेगी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विस्फोट केंद्र सरकार के लिए ख़ुफ़िया और आतंकवाद-रोधी तंत्र को मज़बूत करने के लिए एक चेतावनी है और वह जवाबदेही से नहीं भाग सकती। उन्होंने आतंकवाद के "बढ़ते ख़तरे" पर चर्चा के लिए तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की, जिसे बाहरी ताकतों से लगातार समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चिंता व्यक्त की और मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की, साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्रभात और लोखंडे दोनों ने स्पष्ट किया कि विस्फोट उस समय हुआ जब एफएसएल टीम फॉरेंसिक और रासायनिक जांच के लिए जब्त विस्फोटकों के एक बड़े जखीरे से नमूने लेने की निर्धारित प्रक्रिया में जुटी थीं। प्रभात ने कहा, ‘‘बरामदगी की संवेदनशील प्रकृति के कारण, नमूना लेने की प्रक्रिया और संचालन का कार्य एफएसएल टीम द्वारा अत्यंत सावधानी के साथ किया जा रहा था।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान दुर्भाग्य से कल रात लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर दुर्घटनावश विस्फोट हुआ।'' जिन सामग्रियों से नमूना लिया जा रहा था वे पहले बरामद किए गए लगभग 360 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थों, अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर समेत रासायनिक पदार्थों का हिस्सा थीं। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि विस्फोटकों को हरियाणा के फरीदाबाद से टाटा 407 पिकअप ट्रक में छोटे-छोटे बैगों में भरकर लाया गया था। विस्फोटकों को कश्मीर ले जाने के पीछे के कारण के बारे में अधिकारी ने कहा कि मूल मामला नौगाम थाने में दर्ज है और विस्फोटक उसी पुलिस स्टेशन की संपत्ति थे। इसलिए विस्फोटकों को इतनी दूर ले जाने की ज़रूरत थी। विस्फोटक इकट्ठा करने वाले 'सफेदपोश' आतंकी मॉड्यूल के संभावित ठिकानों के बारे में पूछे जाने पर, अधिकारी ने कहा कि जांचकर्ता अभी भी सुराग ढूंढ़ने में लगे हैं। अधिकारी ने कहा, "संभावित निशाने के बारे में सारी जानकारी... पूरी तरह से काल्पनिक हैं।" यह जखीरा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नौ और 10 नवंबर को आरोपी डॉ. मुजम्मिल गनई के फरीदाबाद स्थित किराए के घर से बरामद किया था। मुजम्मिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह 360 किलोग्राम विस्फोटकों का बड़ा हिस्सा नौगाम पुलिस स्टेशन के खुले क्षेत्र में सुरक्षित रूप से रखा गया था। इस थाने में आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में प्राथमिक मामला दर्ज किया गया था। अक्टूबर के मध्य में नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर दिखाई देने के बाद पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ। सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से जांचकर्ताओं को पहले तीन संदिग्धों की पहचान करने में मदद मिली। ये तीन संदिग्ध आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद हैं, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन तीनों के खिलाफ पथराव के मामले दर्ज थे और इन्हें पोस्टर चिपकाते हुए देखा गया था। उनसे पूछताछ के बाद एक पूर्व पैरामेडिक्स से इमाम बने मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया। उसने ही पोस्टर मुहैया कराए थे और माना जाता है कि उसने चिकित्सा समुदाय तक अपनी आसान पहुंच का इस्तेमाल करके चिकित्सकों को कट्टरपंथी बनाया। इस सुराग के आधार पर श्रीनगर पुलिस अंततः फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय पहुंची, जहां से उसने डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया। यहीं से अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर सहित रसायनों का विशाल भंडार जब्त किया गया। जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरा मॉड्यूल चिकित्सकों की एक मुख्य तिकड़ी द्वारा चलाया जा रहा था - मुजम्मिल गनई (गिरफ्तार), उमर नबी (10 नवंबर को लाल किले के पास विस्फोट में शामिल कार का चालक) और मुजफ्फर राठेर (फरार)। फरार डॉ. मुजफ्फर राठेर के भाई डॉ. अदील राठेर की भूमिका अब भी जांच के दायरे में है।

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