"प्रोजेक्ट सुरक्षा: जीवन रक्षक ज्ञान की ओर एक कदम"
-जिला अधिकारियों को आपातकालीन प्राथमिक उपचार, CPR व बचाव तकनीकों का दिया गया प्रशिक्षण
रायपुर। कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह के निर्देशानुसार आज कलेक्टोरेट स्थित बीपीओ सेंटर, मल्टीलेवल पार्किंग में रेडक्रॉस के सहयोग और छत्तीसगढ़ कॉलेज ऑफ नर्सिंग के तकनीकी सहयोग से “प्रोजेक्ट सुरक्षा” के तहत जिला स्तरीय अधिकारियों हेतु आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक उपचार और जीवन रक्षक उपायों पर विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम में CPR की तकनीक एवं फर्स्ट एड के ज़रूरी एवं प्रभावी बचाव के तरीके विस्तार से बताए गए, ताकि ज़रूरत के समय त्वरित और सटीक सहायता दी जा सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ कॉलेज ऑफ नर्सिंग द्वारा अधिकारियों को CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिखाया गया और बताया गया कि सीपीआर कब और कैसे देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सबसे पहले मरीज को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बाद जांच करनी चाहिए कि वह होश में है या नहीं। प्रतिक्रिया न मिलने की स्थिति में तुरंत एम्बुलेंस को कॉल कर सहायता आने तक मरीज को पीठ के बल लिटाकर छाती पर दोनों हाथों से दबाव देकर 30 कम्प्रेशन और 2 रेस्क्यू ब्रीथ्स की प्रक्रिया दोहराई जानी चाहिए। इसके बाद राजभवन के डॉ. देवेश रायचा ने हड्डी टूटने, अत्यधिक खून बहने, सर्पदंश, कुत्ते के काटने, जलने जैसी स्थितियों में प्राथमिक उपचार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अत्यधिक खून बहने पर घाव पर साफ कपड़ा रखकर कसकर बांधा जाना चाहिए ताकि रक्तस्राव रोका जा सके। किसी अन्य घाव की स्थिति में उसे हल्के कपड़े से ढंककर मरीज को जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए। सर्पदंश या डॉग बाइट की स्थिति में घाव को 5 मिनट तक साफ पानी से धोकर हल्के कपड़े से ढंककर अस्पताल पहुंचाना जरूरी है ताकि आवश्यक इंजेक्शन लगवाया जा सके। जलने पर जले स्थान को ठंडे पानी के नीचे तब तक रखा जाना चाहिए जब तक राहत महसूस न हो। बीपी और डायबिटीज के मरीजों को दवाएं हमेशा साथ रखने और हर 6 माह में नियमित हेल्थ चेकअप कराने की सलाह दी गई। प्रशिक्षण के अंत में अधिकारियों को प्राथमिक उपचार के लिए मेडिकल किट वितरित की गई, जिसमें पेरासिटामोल, पेंटाप्रजोल, डोमपेरीडोन, नारफ्लोक्सिन, टिनिडाजोल, ओआरएस पैकेट, बैंडेड, पावीडोन आयोडीन ऑइंटमेंट, बैंडेज रोल और कॉटन शामिल हैं।
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