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  राज्यपाल रामेन डेका ने ‘ऑडिट पखवाड़ा’ के समापन कार्यक्रम में भाग लिया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, श्री रामेन डेका, ने आज रायपुर में प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित ऑडिट पखवाड़ा के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह कार्यक्रम 20 नवंबर से शुरू होकर आज छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रामेन डेका की उपस्थिति में समाप्त हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) संस्था की स्थापना का स्मरण करना और सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को मजबूत करने में लेखापरीक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना था।
 इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रामेन डेका ने कहा कि “लेखापरीक्षा हर एक चीज और हर एक जगह की बहुत महत्वपूर्ण जीवन रेखा है, हमारे रोजमर्रा के जीवन से लेकर मौद्रिक स्वास्थ्य तक हर जगह लेखापरीक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।” उन्होंने आगे कहा कि हालाँकि नई तकनीक के आगमन से अब CAG कर्मचारियों का काम कम हो गया है, फिर भी इसमें अपनी कठिनाई है क्योंकि यह कंप्यूटर के पीछे का व्यक्ति और दिमाग है जो परिणाम की ओर ले जाता है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) का कार्यालय, जो हमारे देश की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है, का एक विशिष्ट और गौरवशाली इतिहास रहा है। इसकी नींव ब्रिटिश प्रशासन के दौरान 1858 में स्थापित प्रारंभिक लेखापरीक्षा कार्यालय से जुड़ी है, और हमारे संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रीय शासन में इसके अपार महत्व को पहचाना था।
 उन्होंने सभी से परिश्रम से काम करने और संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया जो इस विभाग या किसी भी सरकारी संस्थान का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “काम नीचे से लेकर ऊपर तक हर व्यक्ति का कर्तव्य है और यह देखा जाना चाहिए कि सिस्टम में कोई व्यक्ति किसी विशेष कार्य को नहीं छू रहा है, इस कारण जनता को असुविधा न हो।
 प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), श्री यशवंत कुमार, ने ऑडिट पखवाड़ा के सफल समापन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि CAG संस्था, जिसे 1950 में अनुच्छेद 148-151 के तहत एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था, यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है कि जनता का प्रत्येक रुपया नियमों के अनुसार और जनहित में खर्च किया जाए। छत्तीसगढ़ में CAG की विकसित भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने बताया कि कार्यालय ने स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और खनन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावी रिपोर्ट दी हैं। श्री कुमार ने विशेष रूप से ऑडिट मैनेजमेंट सिस्टम (AMS), आईटी ऑडिट और डेटा-आधारित विश्लेषण जैसी नई प्रणालियों को अपनाने की सराहना की है, जिसने दक्षता बढ़ाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों के बीच सक्रिय भागीदारी और सीखने की भावना ही पखवाड़े की सच्ची सफलता थी, और यह ऊर्जा पूरे वर्ष के काम का मार्गदर्शन करके वित्तीय अनुशासन और सुशासन का एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा ई-कुबेर, ई-कोश और पीएफएमएस जैसी आधुनिक डिजिटल प्रणालियों को अपनाने से लेखांकन और लेखापरीक्षा तंत्र एक अधिक सक्षम, वैज्ञानिक और उत्तरदायी प्रणाली में परिवर्तित हो रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ में बेहतर सुशासन को बढ़ावा मिल रहा है।
इस कार्यक्रम में मोहम्मद फैज़ान नय्यर, महालेखाकार ( लेखापरीक्षा ) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। साथ ही श्री एम.एस. डहरिया, वरिष्ठ उपमहालेखाकार एवंश्रीमती जी. एजिलरसी, उपमहालेखाकार तथा प्रधान महालेखाकार कार्यालय के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे ।

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