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 एनआईटी में पीएम–श्री स्कूल्स शिक्षकों का 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

रायपुर। देश में विद्यालय शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में आयोजित पीएम–श्री स्कूल्स शिक्षकों का पन्द्रह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम शिक्षकों के शैक्षणिक, तकनीकी एवं नवाचार आधारित अध्यापन कौशल को सशक्त बनाने में एक प्रभावी मंच सिद्ध हुआ।
 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में 8 दिसंबर 2025 से 19 दिसंबर 2025 तक आयोजित पीएम–श्री स्कूल्स टीचर्स’ ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन गरिमामय एवं प्रेरक वातावरण में किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न पीएम–श्री स्कूल्स के शिक्षकों को दो चरणों में गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रथम समूह को 8 से 12 दिसंबर तथा द्वितीय समूह को 15 से 19 दिसंबर 2025 तक प्रशिक्षण दिया गया। भारत सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 100 पीएम–श्री स्कूल्स शिक्षकों ने प्रशिक्षण का लाभ प्राप्त किया तथा सफलतापूर्वक प्रमाण पत्र अर्जित किए।
 समापन समारोह में डॉ. एस. सान्याल, डीन, कॉर्पोरेट रिलेशन एवं रिसोर्स मोबिलाइजेशन; डॉ. श्रीश वर्मा, प्रोफेसर (हायर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग; तथा डॉ. एस. घोष, अध्यक्ष, कंटीन्यूइंग एजुकेशन सेल सहित संस्थान के फैकल्टी सदस्य, स्टाफ एवं प्रतिभागी शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में भौतिकी विभाग से प्रोफेसर डॉ. आयुष खरे, रसायन विज्ञान विभाग से प्रोफेसर डॉ. एस. पी. महापात्रा तथा कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग से प्रोफेसर डॉ. प्रियंका त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 इस अवसर पर संबोधित करते हुए डॉ. श्रीश वर्मा ने कहा कि शिक्षण एक सतत सीखने की प्रक्रिया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण अवधि के दौरान उपयोगी ज्ञान अर्जित किया। उन्होंने कहा कि यदि विद्यालय स्तर पर बच्चों के लिए मजबूत आधार तैयार किया जाता है तो उच्च शिक्षा संस्थानों का कार्य स्वतः ही अधिक प्रभावी हो जाता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि एक अच्छा विद्यार्थी एक अच्छे शिक्षक के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है तथा आज के तेज़ी से सीखने वाले विद्यार्थियों के अनुरूप शिक्षकों को स्वयं को निरंतर अद्यतन रखना आवश्यक है।
 डॉ. एस. सान्याल ने प्रतिभागियों की अपेक्षाओं की पूर्ति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यालय शिक्षकों और उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के दायित्वों में मूलतः कोई बड़ा अंतर नहीं है। उन्होंने शिक्षकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वे जमीनी स्तर पर कार्य करते हैं और वर्तमान परिवेश में निरंतर सीखना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने शिक्षकों को विद्यार्थियों के लिए आदर्श बताते हुए कक्षा के भीतर और बाहर दोनों स्तरों पर उनसे जुड़ाव बनाए रखने का आह्वान किया।
 कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर डॉ. प्रियंका त्रिपाठी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। प्रतिभागी शिक्षकों ने प्रशिक्षण के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी, ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक बताया। उन्होंने भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव भी प्रस्तुत किए।
 प्रशिक्षण सत्रों के दौरान आधुनिक शिक्षण पद्धतियों, इक्कीसवीं सदी के कौशल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन, नवाचार, डिजिटल टूल्स के उपयोग तथा समग्र शैक्षिक विकास से संबंधित विषयों पर व्यापक एवं व्यावहारिक चर्चा की गई।
 

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