हाईकोर्ट ने ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से मना किया
नई दिल्ली/कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से मना कर दिया। जस्टिस एन नागारेश और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने यह फैसला कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें कि फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने की मांग की गई थी।
फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिल्म केवल ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ कहानी को कहती है। पीठ ने यह भी कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इसको प्रमाणित किया है। पीठ ने फिल्म का ट्रेलर भी देखा और कहा कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक बात नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी इस फिल्म को नहीं देखा है और निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) जोड़ा है कि फिल्म घटनाओं का एक काल्पनिक वर्जन है।
अदालत ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि केरल एक धर्मनिरपेक्ष समाज है और फिल्म को उसी रूप में स्वीकार करेगा जैसा कि वह है। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि जिस फिल्म को उसने देखा, वह एक कहानी है न कि इतिहास, यह कैसे समाज में संप्रदायवाद और संघर्ष पैदा करेगी? अदालत ने जानना चाहा कि क्या पूरा ट्रेलर समाज के खिलाफ था।
केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि वह ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश देना नहीं चाहता। वहीं द केरल स्टोरी के निर्माता ने केरल हाईकोर्ट को बताया कि फिल्म का टीजर, जिसमें कि केरल की 32,000 महिलाओं के आईएसआईएस के भर्ती होने का दावा किया गया है वह इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंटों से हटा देंगे।
न्यायमूर्ति एन. नागारेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की खंडपीठ ने फिल्म के टीजर को लेकर निर्माता की दलील दर्ज कर ली है।
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