अमृत जैसी सहजन की फली का बनता है अचार
सहजन की फली को मोरिंगा के नाम से जाना जाता है। जिसे पोषण तत्वों का खजाना कहना शायद गलत नहीं होगा। क्योंकि इमसें कैल्शियम, आयरन और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। आमतौर पर इसकी सब्जी या सांभर बनाया जाता है, यां सहन की पत्तियां का पराठा बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सहजन की फली का अचार खाया है।
हो सकता है बहुत से लोग ये जानते ही नहीं हो कि इसका अचार भी बनता है। लेकिन विलेज कढ़ाही नाम से यूट्यूब चैनल चलने वाली एक गांव की महिला ने आसान रेसिपी से सहजन की फली का अचार बनाने का तरीका बताया है। जो स्वादिष्ट होने के साथ ही सहजन को डाइट में शामिल करने का अच्छा ऑप्शन भी देता है।
सबसे पहले मोरिंगा की फलियों को अच्छी तरह से धो लें। धोने के बाद उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें और रेशे को अलग कर दें। कड़क या थोड़ी पुरानी फलियां ली हैं, तो उनके ऊपर के मोटे रेशों को निकालना बहुत जरूरी है। कड़े रेशों के रहने से अचार का स्वाद कड़वा हो सकता है। फली सॉफ्ट हैं तो रेशे निकालने की जरूरत नहीं है। अब कटी हुई फलियों में नमक डालकर 30 घंटे धूप में सुखाएं, इससे फली सॉफ्ट हो जाएंगी।
गैस पर कड़ाही रखकर गर्म करने बाद सबसे पहले सौंफ डालकर भूनना है। सौंफ को कड़ाही से निकालकर के एक प्लेट में रख लें। अब जीरा, साबुत धनिया और राई को एक साथ भून लें। इन्हें भी सौंफ वाली प्लटे में निकाल लें। कलौंची और मेथी दाना साथ में डालकर भूनने के बाद अलग कटोरी में निकालकर रखें, क्योंकि इसे पीसना नहीं है। अब भुनी सौंफ, जीरा, साबुत धनिया और काली सरसों को सूखी खड़ी लाल मिर्च के साथ पीस लें।
कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें। ध्यान रहे कि सरसों का तेल अचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह स्वाद को बढ़ाता है और प्रिजर्वेटिव का काम करता है। तेल गर्म होने पर सबसे पहले हींग और हल्दी पाउडर डालें। अब धूप में रखी हुई सहजन की फली डाल दें और थोड़ी देर तक भूनें।
फली भून जाने के बाद इसमें कश्मीरी लाल मिर्च और भूनकर पीसा हुआ मसाला डालकर अच्छी तरह मिलाएं। आखिरी में थोड़ा सा नमक और भुना हुआ मेथी दाना व कलौंजी डालें। इन्हें आखिरी में इसलिए डाला जाता है ताकि इनकी खुशबू और क्रंच बरकरार रहे। सभी चीजें अच्छी तरह मिल जाने के बाद तुरंत गैस बंद कर दें और अचार को पूरी तरह से ठंडा होने दें।
जब अचार पूरी तरह ठंडा हो जाए, तब उसमें अमचूर पाउडर और विनेगर मिलाएं। यहां अमचूर खट्टापन देगा, जबकि विनेगर एक प्राकृतिक प्रिजर्वेटिव का काम करेगा, जिससे अचार में फंगस नहीं लगेगी। तैयार अचार को किसी भी एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें। ध्यान रहे कि कंटेनर और चम्मच, जिसका आप उपयोग करें, वह पूरी तरह सूखा होना चाहिए।







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