झुककर फोन देखने की आदत कैसे एंग्जाइटी बढ़ा रही हैं?
आजकल के दौर में सभी लोगों के हाथ में स्मार्टफोन जिंदगी का हिस्सा बन गया है। सुबह आंख खुलते ही मोबाइल देखना और रात में सोने से पहले मोबाइल पर सोशल मीडिया खंगलाना आम बात है जब पूरा दिन मोबाइल हाथ में रहता है, तो इसे पकड़ने का तरीका सही होना महत्वपूर्ण है। क्या फोन पकड़ने या देखने का तरीका गलत हो, तो इससे मेंटल हेल्थ को भी नुकसान हो सकता है? दरअसल जो लोग झुके हुए कंधों के साथ बैठते हैं, सिर नीचे होता है और आंखें फोन पर टिक जाती हैं तो इस स्थिति में दिमाग को थकान, उदासी और चिंता के सिग्नल भेजती है। लगातार इस तरह की पोजीशन में बैठने या चलने से डिप्रेशन और एंग्जायटी होने का रिस्क बढ़ जाता है। इसके उलट, जो लोग सीधे बैठते हैं, कंधे खुले होते हैं और छाती ऊपर की ओर होती है, उन लोगों में ज्यादा आत्मविश्वास, एनर्जी और खुशी महसूस होती है।
क्या गलत पोस्चर में मोबाइल देखने से डिप्रेशन हो सकता है?
वैसे सीधा असर तो नहीं पड़ता, लेकिन यह ट्रिगर बन सकता है क्योंकि अकेले पोस्चर से डिप्रेशन या एंग्जायटी नहीं हो सकती, लेकिन यह मौजूदा मानसिक स्थितियों को खराब कर सकता है। इसका एक अच्छा उदाहरण मैं आपको दे सकता हूं कि अगर कोई इंसान पहले से ही लो मूड या स्ट्रेस में हो, तो झुका हुआ पोस्टर इस नेगेटिव इमोशन को और ज्यादा मजबूत कर सकता है। इसे आप फीडबैक लूप कह सकते हैं। पहले दिमाग शरीर पर असर डालता है और फिर शरीर वापस दिमाग को प्रभावित करता है।”
गलत पोस्चर शरीर पर कैसे असर डालता है?
गलत पोस्चर का शरीर पर कई तरीकों से असर पड़ता है।सांस लेने के प्रोसेस पर असर - झुके हुए शरीर से फेफड़े पूरी तरह फैल नहीं पाते, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है। इससे थकान और स्ट्रेस दोनों बढ़ते हैं।
सर्कुलेशन में कमी - ब्लड फ्लो कम होने से शरीर और दिमाग दोनों में सुस्ती आती है। हार्मोनल बदलाव- लगातार झुके रहने से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ता है, जिससे एंग्जायटी और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने के टिप्स
-गर्दन को नीचे झुकाने के बजाय, फोन को आंखों की ऊंचाई पर रखें।
-एक टाइमर लगाएं और हर आधे घंटे में उठकर थोड़ा स्ट्रेच करें।
-दिन में कई बार खुद को देखें कि आप कैसे बैठे हैं?
-गर्दन और कंधों की कसरत करके इसे मजबूत बनाएं।
-किसी भी तरह की एक्सरसाइज एक्सपर्ट की निगरानी में करें।
निष्कर्ष
सीधा बैठना आपके दिमाग को सिग्नल भेजता है कि आप पॉजिटिव है और गलत पोस्चर भले ही सीधे तौर पर एंग्जायटी या डिप्रेशन का कारण न बने, लेकिन यह मेंटल और फिजिकल दोनों लेवल पर बैलेंस बिगाड़ सकता है। सिर्फ फोन के इस्तेमाल का तरीका बदलकर और हर कुछ मिनट में अपना पोस्टचर सुधारकर खुद को बेहतर और एनर्जेटिक महसूस करेंगे।







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